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Showing posts from October, 2025

1976 romantic musical film *”Chitchor”*

Let’s start the day with Basu Chatterjee’s 1976 romantic musical film *”Chitchor”* directed by Basu Chatterjee.  The film starred Amol Palekar and Zarina Wahab. They were supported by Vijayendra Ghatge, A K Hangal, Dina Pathak, Ritu Kamal, C. S. Dubey, Shail Chatruvedi and Master Raju.  The film was a box office hit.  The principal shooting of film was spread over 25 days at neighbouring hill stations of Panchgani and Mahabaleshwar in Maharashtra. A few scenes were also shot in Kihim village near Alibag. A bungalow in Panchgani was the setting on Zarina Wahab's home, where many keys scenes, including the songs, like Gori tera gaon bada pyaara were shot. Bindiya Goswami was almost signed for the film but was rejected due to her weight. The film won 2 national award, best male playback singer to Yesudas for the song “ Gori Tera gaon bada pyaara” and Best child artist award to Master Raju.  It also won a Filmfare Award for Best Female Playback Singer - Hemlata for today...

इसे कहते है दोस्ती🙏

🇮🇳 ताशकंद–2 : जो होते-होते बच गया प्रधानमंत्री मोदी की सुरक्षा में राष्ट्रपति पुतिन की भूमिका — एक अनकही कूटनीतिक गाथा मीरा शर्मा की कलम्🖊️ से :-  अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के मंच पर कभी-कभी ऐसी घटनाएँ घट जाती हैं, जो इतिहास की दिशा बदल देती हैं। SCO (Shanghai Cooperation Organisation) सम्मेलन के दौरान चीन में ऐसा ही एक क्षण आया, जिसने विश्व राजनीति की कई परतों को उजागर किया। सूत्रों के अनुसार, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने स्वयं प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को फोन कर अपनी कार में साथ चलने का आग्रह किया। राष्ट्रपति पुतिन, जो विश्व की सबसे प्रभावशाली शक्तियों में से एक हैं, उन्होंने मोदीजी के होटल के बाहर लगभग 15 मिनट प्रतीक्षा की — जो किसी भी उच्चस्तरीय कूटनीतिक कार्यक्रम में अत्यंत असामान्य है। SCO जैसी बैठकें मिनट-टू-मिनट तय होती हैं, लेकिन पुतिन का यह व्यवहार किसी विशेष उद्देश्य या संकेत की ओर इंगित करता प्रतीत होता है। 👇👇👇. कहा जाता है कि पुतिन की कार ने 30 मिनट तक होटल के आसपास चक्कर लगाए। यह कदम सामान्य प्रोटोकॉल से हटकर था। यदि आप दोनों नेताओं की कार में ली गई तस्...

I Love My India🙏

🍃🌾🌾          * 24 OCTOBER 2025*         *🦋 आज की प्रेरणा 🦋* अनुकूल और प्रतिकूल परिस्थितियाँ जीवन का हिस्सा कहलाती है परंतु उन परिस्थितियों में मुस्कुराते रहना जीवन जीने की कला कहलाती है। 👉 *आज से हम* जीवन की हर परिस्थिति को मुस्कुराते हुए पार करें... *💧 TODAY'S INSPIRATION 💧* Living in the favourable and unfavourable situation is called the part of living. But, smiling in all those situations is called Art Of Living. 👉 *TODAY ONWARDS LET'S* always cross every situation in life with a smile. 🍃💫🍃💫🍃💫🍃💫🍃💫🍃 कभी भारतीय नौसेना का गौरव रहा INS विराट—देश की समुद्री सीमाओं का रक्षक, गर्व और शक्ति का प्रतीक—उस समय राष्ट्रीय सुरक्षा का नहीं, बल्कि निजी विलास का साधन बना दिया गया था। 📜 साल 1987 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी अपने परिवार और विदेशी मेहमानों के साथ लक्ज़री छुट्टियां मनाने के लिए इस युद्धपोत पर गए थे। जिस पोत पर भारतीय नौसेना के वीर जवान राष्ट्र की रक्षा के लिए दिन-रात तैनात रहते हैं, वहीं उस दौर में ‘नेहरू-गांधी प...

I Love My India🙏

🍃🌾🌾          * 24 OCTOBER 2025*         *🦋 आज की प्रेरणा 🦋* अनुकूल और प्रतिकूल परिस्थितियाँ जीवन का हिस्सा कहलाती है परंतु उन परिस्थितियों में मुस्कुराते रहना जीवन जीने की कला कहलाती है। 👉 *आज से हम* जीवन की हर परिस्थिति को मुस्कुराते हुए पार करें... *💧 TODAY'S INSPIRATION 💧* Living in the favourable and unfavourable situation is called the part of living. But, smiling in all those situations is called Art Of Living. 👉 *TODAY ONWARDS LET'S* always cross every situation in life with a smile. 🍃💫🍃💫🍃💫🍃💫🍃💫🍃 कभी भारतीय नौसेना का गौरव रहा INS विराट—देश की समुद्री सीमाओं का रक्षक, गर्व और शक्ति का प्रतीक—उस समय राष्ट्रीय सुरक्षा का नहीं, बल्कि निजी विलास का साधन बना दिया गया था। 📜 साल 1987 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी अपने परिवार और विदेशी मेहमानों के साथ लक्ज़री छुट्टियां मनाने के लिए इस युद्धपोत पर गए थे। जिस पोत पर भारतीय नौसेना के वीर जवान राष्ट्र की रक्षा के लिए दिन-रात तैनात रहते हैं, वहीं उस दौर में ‘नेहरू-गांधी प...

आज का रात्रि: चिंतन🌹

*💐🪷🌾 आज का रात्रि: चिंतन:🌾🪷💐*  *💐🪷🌾करीबी और ग़रीबी का सिखाया हुआ सबक इंसान को बदलने पर मजबूर कर देते हैं जैसे नींबू की कुछ बूंदे दूध और पानी को अलग-अलग कर देता है वैसे ही हमारा थोड़ा सा धमंड सारे रिश्तों को अलग थलग कर देता हैदौलत सिर्फ रहन-सहन का स्तर बदल सकती है बुद्धि नियत और तकदीर नहीं..!!* *💐🪷🌾प्रेम से बढ़कर त्याग है दौलत से बढ़कर मानवता है परंतु सुंदर रिश्तों से बढ़कर इस दुनियाँ में कुछ भी नहीं है जरूरी नहीं की मिठाई खिलाकर ही दूसरो का मुँह मीठा करे आप मीठा बोलकर भी लोगों को खुशियाँ दे सकते है शब्दों से हीं लोगों कें दिलों पे राज़ किया जाता हैं चेहरे का क्या वो तों किसी भी हादसे में बदल सकता हैं.!!* *💐🪷🌾इंसान यदि ख़ुश है, तो हर रोज़ दिवाली है, अगर इंसान को अपनों का साथ है तो हर रोज़ त्योहार है वक़्त खुशियों का मोह ताज नहीं पर ख़ुशियाँ वक़्त की मोह ताज होती हैं क्योंकि वक़्त बदलते देर नहीं लगती आत्मा का प्रकाश ही सच्ची दिवाली है जब तक भीतर जलता है तो जीवन का अंधकार अपने आप मिट जाता है इस दिवाली अपने भीतर के दीपक को जलाएँ जब आत्मा का प्रकाश जागृत होता है तो जीवन के...

Yoshinori Ohsumi 🙏 Nobel Prize 👍

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🧬 The Nobel Prize Breakthrough That Showed How Cells Clean and Heal Themselves Japanese biologist Yoshinori Ohsumi earned the Nobel Prize in Medicine for discovering a natural process that keeps us alive and healthy — autophagy. This process acts like the body’s internal recycling system. When food is scarce, cells break down their damaged parts, convert them into energy, and rebuild themselves stronger than before. Ohsumi’s work revealed that autophagy isn’t only about endurance — it’s vital for long-term health. It protects the body by removing faulty cells linked to aging, cancer, and neurodegenerative diseases. His findings reshaped our understanding of fasting and healing, proving that the body’s quiet moments of rest are when it truly repairs itself.

A Must Read

सुबह से संदेशे तो बहुत आये लेकिन मेहमान कोई नहीं आया. सोचता हूँ ड्राइंग रूम से सोफा हटा दूं. या ड्राइंग रूम का कांसेप्ट ही बदलकर वहां स्टडी रूम बना दूं। दो दिन से व्हाट्स एप और एफबी के मेसेंजर पर मैसेज खोलते, स्क्रॉल करते और फिर जवाब के लिए टाइप करते करते दाहिने हाथ के अंगूठे में दर्द सा होने लगा है. बधाईयों के संदेशों तांता लगा है आते ही जा रहे हैं, लेकिन मेहमान नदारद है, ये है आज के दौर की दीवाली.  मित्रों, अगर घर के आसपास के पडौसी को छोड़ दें तो त्यौहार पर मिलने जुलने का रिवाज़ ही खत्म हो चला है. पैसे वाले दोस्त और अमीर किस्म के रिश्तेदार मिठाईयां गिफ्ट तो ड्राइवर से भिजवाते हैं लेकिन खुद घर पर नहीं आते. दरअसल घर अब, घर नहीं रहा. ऑफिस के वर्क स्टेशन की तरह घर, एक स्लीप स्टेशन है. हर दिन का एक रिटायरिंग बेस. आराम करिए, फ्रेश हो जाईये. घर अब, सिर्फ घरवालों का है. घर का समाज से कोई संपर्क नहीं है. मेट्रो युग में समाज और घर के बीच तार शायद टूट चुके हैं. हमें स्वीकार करना होगा कि, ये बचपन वाला घर नहीं रहा. अब घर और समाज के बीच में एक बड़ा फासला सा है. वैसे भी शादी अब मैरिज हाल में होती ...

प्रकाश फैलाएँ, धुआँ नहीं ..

🪔 “ दीपोत्सव के प्रथम पर्व धनतेरस  की शुभकामनायें”🪔 हर वर्ष जब अमावस्या की अंधियारी रात को दीपों की पंक्तियाँ धरती पर उतर आती हैं, तो ऐसा लगता है जैसे प्रकाश स्वयं धरती पर उतर आया हो। दीपोत्सव केवल धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि प्रकृति और विज्ञान के संगम का एक सुंदर उदाहरण है। दीया जलाना केवल परंपरा नहीं, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से एक अत्यंत लाभकारी क्रिया है। प्राचीन काल से ही हमारे पूर्वजों ने घी या सरसों के तेल के दीयों का प्रयोग किया, जो जलने पर वातावरण में सकारात्मक आयन उत्पन्न करते हैं। इनके आयन हवा को शुद्ध करते हैं और सूक्ष्म जीवाणुओं को नष्ट करते हैं। उस समय जब औषधीय धूप या रासायनिक कीटनाशक उपलब्ध नहीं थे, तब यह प्राकृतिक उपाय घरों को स्वस्थ और रोगमुक्त रखने का साधन था। सरसों के तेल से दीपक जलाने के पीछे वैज्ञानिक तथा पर्यावरणीय कारण गहरे रूप से जुड़े हुए हैं। यह केवल धार्मिक प्रतीक नहीं है, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी फायदेमंद माना गया है। सरसों के तेल में *मैग्नीशियम, ट्राइग्लिसराइड और एलाइल आइसोथायोसाइनेट* पाए जाते हैं। जब यह जलता है, तो वातावरण में मौजूद *सल्फर और कार्बन...

Song of the day "Hamara Naam Banarasi Babu"*

Let’s start Sunday with one of my favourite, Shankar Mukherjee’s 1973 drama film *”Banarsi Babu”* directed by Shankar Mukherjee.  The film starred Dev Anand, Rakhee and Yogita Bali. They were supported by I S Johar, Jeevan, Veena, Manorama, Bhagwan and Faryal.  The movie was a hit on its release. Only time Dev Anand and Yogita Bali worked in a film. Khaike Paan Banaraswala from Don 1978 was composed for this film.But couldn't make it due to Dev Anand, s refusal to shoot this song as he thought the song would not suit his character. Dev Anand's character in dual role is named Mohan and Sohan.In Johnny Mera Naam 1970 Dev Anand and Pran play brothers and were also named Mohan and Sohan. The movie as well as this song from the movie lies forgotten today, but this song from “Banarasi Babu”  was quite popular those days. This song in fact is the title song of the as well as the introduction song of the hero. Dev saab the hero announces by this song that he is Banarasi Babu. It ...

Song Review

Let’s start the day by wishing everyone  *”Shubh Dhanteras & Depawali “*  with Shyam Sunder Shivdasani’s 1984 action adventure film *”Wanted: Dead or Alive”* directed by Ambrish Sangal.  The film starred Shammi Kapoor, Mithun Chakraborty & Tina Munim. They were supported by Om Shivpuri, Mazhar Khan, Mac Mohan, Krishan Dhawan, Asrani and Deepti Naval.  The film was special for Mithun because it was his first time working with Tina Munim. Tina had refused to work with Mithun in his early days due to thinking he was B grade hero in B grade films. When Mithun finally found stardom, it was Tina who immediately agreed to do Wanted. The producer of Wanted, Shyam Sundar Shivdasani and director Ambrish Sangal made 3 films together: Dard, Wanted & Begaana. Film was written by Aruna Sangal wife of director Amrish Sangal.Aruna Sangal is best known for her character of Pooja Aunty in TV series Hum Paanch. There was a shelved film, Ayodhya Films "Wanted" (1977). The pr...

कुछ सीख

Car Buying in Gujrat During Diwali: गुजराती लोग दुनिया भर में पैसा कमाने के लिए जाने जाते हैं, लेकिन वे समझदारी और एकता के कारण पैसे बचाने में भी माहिर हैं.  हाल ही में इसका एक उदाहरण भी देखने को मिला है जिसमें, जैन समुदाय ने जैन इंटरनेशनल ट्रेड ऑर्गनाइजेशन (#JITO) की पहल पर, पूरे भारत में कम्यूनिटी के मेंबर्स ने साथ 186 लग्जरी कारें खरीदीं. इन कारों की कीमत ₹60 लाख से ₹1.34 करोड़ थी. इस कलेक्टिव बाइंग मे से उन्हें कुल ₹21.22 करोड़ का भारी डिस्काउंट मिला. अब आप खुद ही सोचिए ये कितना बड़ा डिस्काउंट है!  JITO के मेंबर्स देश भर में हैं मौजूद देश भर में JITO के 65,000 मेंबर्स हैं, उन्होंने ऑडी, बीएमडब्ल्यू, मर्सिडीज जैसे 15 बड़े ब्रांडों के डीलरों के साथ मिलकर यह बड़ी छूट हासिल की है. JITO के वाइस-चेयरमैन हिमांशु शाह ने बताया कि एक साथ इतने सारे लोग खरीदते हैं, तो मोलभाव करने की ताक़त बढ़ जाती है. कंपनियों को एक बार में ज़्यादा बिक्री मिलती है और उनका मार्केटिंग खर्च कम होता है, जिसका फ़ायदा ग्राहकों को बड़ी बचत के रूप में मिलता है.  इस सफलता से खुश होकर, JITO अब इस तरह की डी...

श्रीकृष्ण वचन 🌸 ✨🌿*

  श्रीकृष्ण वचन 🌸 ✨🌿* 🪷 “जब जीवन में अंधेरा हो जाए, दीपक बाहर मत ढूँढो — प्रकाश तुम्हारे भीतर ही है।” 💫 *💭 सीख:* शांत मन और सच्चा विश्वास ही ईश्वर तक पहुँचने का मार्ग है। 🙏 *🌸 – श्रीकृष्ण का संदेश 🕊️*  *धन की परिभाषा*  🙏🏼जब कोई बेटा या बेटी ये कहे कि मेरे माँ बाप ही मेरे भगवान् है…. *ये “धन” है* 🙏🏼जब कोई माँ बाप अपने बच्चों के लिए ये कहे कि ये हमारे कलेजे की कोर हैं…. *ये “धन” है*  🙏🏼शादी के 20 साल बाद भी अगर पति पत्नी एक दूसरे से कहें । I Love you… *ये “धन” है* 🙏🏼कोई सास अपनी बहु के लिए कहे कि ये मेरी बहु नहीं बेटी है और कोई बहु अपनी सास के लिए कहे कि ये मेरी सास नहीं मेरी माँ है…… *ये “धन” है* 🙏🏼जिस घर में बड़ो को मान और छोटो को प्यार भरी नज़रो से देखा जाता है…… *ये “धन” है* 🙏🏼जब कोई अतिथि कुछ दिन आपके घर रहने के पशचात् जाते समय दिल से कहे की आपका घर …घर नहीं मंदिर है…. *ये “धन” है* आपको ऐसे *”परम धन”* की प्राप्ति हो। ✍🏼✍🏼✍🏼

दिपावली तब की और अब की !

दिपावली तब की और अब की ! वर्ष का सबसे बड़ा त्यौहार यानी दीपावली, इसे मानने का उत्साह और उमंग हम सब में रहता है और वर्ष दर वर्ष हम इस त्यौहार को बड़ी धूमधाम के साथ मानते चले आ रहे हैं। वर्ष 2025 की दीपावली पर्व की आज से शुरुआत हो रही है। मैं अपने और अपने परिवार की ओर से आप सब लोगों को इस उमंग और उत्साह से भरे दीपोत्सव की बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं, यह पर्व आपके जीवन में भी भरपूर उजाला भर दे। आज दीपावली की तैयारी करते समय ऐसे ही मन में विचार आया कि विगत कई वर्षों से मैं देख रहा हूं की किस प्रकार इस त्यौहार को मनाने के तरीके में वर्ष दर वर्ष बदलाव आता जा रहा है। हालांकि यह स्वाभाविक भी है क्योंकि समय के साथ हर चीज बदलती हुई हमने देखी है। इस बदलाव को ज्यादा गंभीरता से लेने का कारण शायद उम्र का तकाजा भी हो सकता है। संभवतः आज की हमारी इस बदली हुए शारीरिक और मानसिक स्थिति के कारण यह बदलाव हमें ज्यादा सोचने पर मजबूर करता है। जरा सोचिए हमारे बचपन में कितना अलग तरह का उत्साह होता था इस त्यौहार को मनाने का। दशहरे से ही छुट्टियों की शुरुआत होती थी और तभी से मन में दिपावली को मनाने की योजनाएं बन...

Indian fantasy film 1952

Shin Shinaki Boobla Boo is a 1952 Indian fantasy film directed by P.L. Santoshi, starring Sadhona Bose and Ranjan. The plot follows Shin Shinaki as she seeks revenge for her parents' murder, aided by her bandit lover, Boobla Boo. The film is known for its experimental music by C. Ramchandra and a unique controversy where the government overruled the censor board to ban it for a "low moral tone" before the ban was eventually lifted.   Director: P.L. Santoshi                                                                                                                                           Plot: The story is about a woman named Sh...

आज की कहानी💐

*💐आज की कहानी💐* सुप्रभातम्* 🌅🌄🕉️  *नमस्कार🙏 कहानी से सीख की सुप्रभात कहानी में आप सभी का स्वागत है! प्रतिदिन कहानियों का आनंद लेने के लिए*, *(((( कर्मों का लेन देन ))))* . अधिकांश शास्त्रों में वर्णित है कि बेटा बन कर, बेटी बनकर, दामाद बनकर और बहू बनकर वही आता है जिसका हमारे साथ कर्मों का लेना देना होता है। लेना देना नही होगा तो नही . एक फौजी था, जो अनाथ था। जो अपना वेतन फौज में जमा करता जा रहा था। . थोड़े दिन में एक सेठ जी फौज में माल सप्लाई करते थे उनका परिचय हो गया। . सेठजी ने कहा जो तुम्हारे पास पैसा है, वह उतने के उतने ही पड़े हैं, तुम मुझे दे दो मैं कारोबार में लगा दूं तो पैसे से पैसा बढ़ जायेगा, इसलिए तुम दे दो। . फौजी ने सेठजी को पैसा दे दिया। सेठ जी ने कारोबार में लगा दिया। . कारोबार उनका चमक गया, खूब कमाई होने लगी, कारोबार बढ़ गया। . थोड़े ही दिन युद्ध में शुरू हो गया। फौजी घोड़ी पर चढ़कर लड़ने गया। वह जितनी जोर जोर से लगाम खींचे उतनी ही तेज घोड़ी भागे।  . खीेंचते खींचते उसके गल्फर तक कट गये लेकिन लेकिन वो दौड़कर दुश्मनों के गोल में जाकर खड़ी हो गई।  . दुश्मनों ने वा...

Have a Nice Day

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_ जिंदगी के हर दिन हर पल को बेहतरीन बनाइए साहब ...........,,,,,_   _क्योंकि कोई भी दिन लौट कर कभी वापस नहीं आता !!!_  *_🌞प्रातः वंदन🌞_*   _आप सभी का दिन अतिशुभ रहे।_   *🕉️जय श्री गणेशाय नमः🕉️*                        🙏 श्युन पालनपुरी की बहुत ही सुंदर रचना तुम बाहर से उतनी खूबसूरत नहीं हो जितनी अंदर से दिखती हो! जिन रिश्तों पर तुम यकीन करती हो... उतने गर्मजोशी भरे नहीं होते! भूल जाओ कि तुम्हारा सूरज... एक दिन दोपहर में था! डूबता सूरज इतना... इतना चमकीला नहीं होता! अगर तुम्हें नज़रअंदाज़ किया जाए... तो प्यार से नज़रें फेर लो! ऐसा घर कहाँ मिलेगा... जहाँ खून-खराबा न हो! भले ही तुम बूढ़ी हो जाओ... अपने बाल थोड़े छोटे रखो! अभी जप करो... तुममें पहले जैसी जवानी... जोश नहीं रहा! अहंकार को ठेस पहुँचेगी... कभी-कभी क्रोध में अहंकार भी टकराएगा... अपने स्वाभिमान की रक्षा करो... हर कोई संयमी नहीं होता! पछतावे में रहोगे... पूरी ज़िंदगी ऐसी ही है! इसका पूरा आनंद लो... ज़िंदगी के सा...

मिठाइयों पर गौर कीजिए,*

* हमारी मिठाइयों पर गौर कीजिए,*   *कुछ ना कुछ संदेश देती है* जैसे 1️⃣ जलेबी आकार मायने नहीं रखता,  स्वभाव मायने रखता है,  जीवन मे उलझने कितनी भी हो,  *रसीले और मधुर रहो* 2️⃣ रसगुल्ला कोई फर्क नहीं पड़ता कि, जीवन आपको कितना निचोड़ता है, *अपना असली रूप सदा बनाये रखें* 3️⃣ लड्डू बूंदी-बूंदी से लड्डू बनता, छोटे-छोटे प्रयास से ही सब कुछ होता हैं! *सकारात्मक प्रयास करते रहे* 4️⃣ सोहन पापड़ी हर कोई आपको पसंद नहीं कर सकता, लेकिन बनाने वाले ने कभी हिम्मत नहीं हारी। *अपने लक्ष्य पर टिके रहो* 5️⃣ काजू कतली अपने आप को इतना सस्ता ना रखे, की राह चलता कोई भी आपका दाम पूछता रहे ! *आंतरिक गुणवत्ता हमें सबसे अलग बनाती है* 6️⃣ गुलाब जामुन सॉफ्ट होना कमजोरी नहीं है!  ये आपकी खासियत भी है। *नम्रता यह एक विशेष गुण है* 7️⃣ बेसन के लड्डू यदि दबाव में बिखर भी जाय तो, फिर से बंधकर लड्डु बन सकता है। *परिवार में एकता बनाए रखें*

Must Read

* काफी बरसों पहले पढ़ा था..!* *पोथी पढ़-पढ़ जग मुआ पंडित भया न कोय।*      *ढाई अक्षर प्रेम के, पढ़े सो पंडित होय॥*       *अब पता लगा है कि, ढाई अक्षर हैं क्या ?* *तब से मन शांत हो गया.* ``` 2½ अक्षर के ‘ब्रह्मा’ और, ढाई अक्षर की ‘सृष्टि’. ``` ``` ढाई अक्षर के ‘विष्णु’ और ढाई अक्षर की ‘लक्ष्मी’. ``` ``` ढाई अक्षर की ‘दुर्गा’ और ढाई अक्षर की ‘शक्ति’. ``` ``` ढाई अक्षर की ‘श्रद्धा’ और ढाई अक्षर की ‘भक्ति’. ``` ``` ढाई अक्षर का ‘त्याग’ और ढाई अक्षर का ‘ध्यान’. ``` ``` ढाई अक्षर की ‘इच्छा’ और ढाई अक्षर की ‘तुष्टि’. ``` ``` ढाई अक्षर का ‘धर्म’ और ढाई अक्षर का ‘कर्म’. ``` ``` ढाई अक्षर का ‘भाग्य’ और, ढाई अक्षर की ‘व्यथा’. ``` ``` ढाई अक्षर का ‘ग्रन्थ’ और ढाई अक्षर का ‘सन्त’.``` ``` ढाई अक्षर का ‘शब्द’ और ढाई अक्षर का ‘अर्थ’. ``` ``` ढाई अक्षर का ‘सत्य’ और ढाई अक्षर की ‘मिथ्या’. ``` ``` ढाई अक्षर की ‘श्रुति’ और ढाई अक्षर की ‘ध्वनि’. ``` ``` ढाई अक्षर की ‘अग्नि’ और ढाई अक्षर का ‘कुण्ड’. ``` ``` ढाई अक्षर का ‘मन्त्र’ और ढाई अक्षर का ‘यन्त्र’. ``` ``` ढाई अक्षर की ‘श्...

पारिजात वृक्ष -

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पारिजात वृक्ष - सबसे अप्रत्याशित स्थानों में एक दुर्लभ वृक्ष है। इसको छूने का हक सिर्फ #उर्वशी को था,,, समुद्र मंथन के समय निकले बहुमूल्य रत्नों में एक ये वृक्ष भी था,, #पारिजात नाम है इसका,,इसे ही #कल्पवृक्ष भी कहा गया है,,  ⚜️ पूरी रात सुगंधी बिखेरता पारिजात,भोर होते ही अपने सभी फूल पृथ्वी पर बिखेर देता है! अलौकिक सुगंध से सराबोर इसका पुष्प केवल मन को ही प्रसन्न नहीं करता, अपितु तन को भी शक्ति देता है ! एक कप गर्म पानी में इसका फूल डालकर पियें, अद्भूत ताजगी मिलेगी....  ⚜️यह पश्चिम बंगाल का राजकीय पुष्प है....  ⚜️इंद्र के बगीचे में स्थित इस वृक्ष को सिर्फ उर्वशी को छूने का अधिकार था,,, इसके नीचे बैठने, या छूने मात्र से थकान दूर हो जाती है और नई ऊर्जा का संचार होता है। स्वर्ग में इसको छूने से देव नर्तकी उर्वषी की थकान मिट जाती थी, पारिजात नाम के इस वृक्ष के फूलों को देव मुनि नारद ने श्रीकृष्ण की पत्नी सत्यभामा को दिया था,इन अदभूत फूलों को पाकर सत्यभामा भगवान श्री कृष्ण से जिद कर बैठी कि पारिजात वृक्ष को स्वर्ग से लाकर उनकी वाटिका में रोपित किया जाए!  ⚜️सत...

100 आवश्यक बातें

* 100 आवश्यक बातें जिसका ज्ञान सबको होना चाहिए* 1.योग,भोग और रोग ये तीन अवस्थाएं है। 2. *लकवा* - सोडियम की कमी के कारण होता है । 3. *हाई वी पी में* -  स्नान व सोने से पूर्व एक गिलास जल का सेवन करें तथा स्नान करते समय थोड़ा सा नमक पानी मे डालकर स्नान करे । 4. *लो बी पी* - सेंधा नमक डालकर पानी पीयें । 5. *कूबड़ निकलना*- फास्फोरस की कमी । 6. *कफ* - फास्फोरस की कमी से कफ बिगड़ता है , फास्फोरस की पूर्ति हेतु आर्सेनिक की उपस्थिति जरुरी है । गुड व शहद खाएं  7. *दमा, अस्थमा* - सल्फर की कमी । 8. *सिजेरियन आपरेशन* - आयरन , कैल्शियम की कमी । 9. *सभी क्षारीय वस्तुएं दिन डूबने के बाद खायें* । 10. *अम्लीय वस्तुएं व फल दिन डूबने से पहले खायें* । 11. *जम्भाई*- शरीर में आक्सीजन की कमी । 12. *जुकाम* - जो प्रातः काल जूस पीते हैं वो उस में काला नमक व अदरक डालकर पियें । 13. *ताम्बे का पानी* - प्रातः खड़े होकर नंगे पाँव पानी ना पियें । 14.  *किडनी* - भूलकर भी खड़े होकर गिलास का पानी ना पिये । 15. *गिलास* एक रेखीय होता है तथा इसका सर्फेसटेन्स अधिक होता है । गिलास अंग्रेजो ( पुर्तगाल) की सभ्यता से आय...

Song of the Day

Let’s start Sunday with one of my favourite, Subhash Desai’s 1963 drama film *”Bluff Master”* directed by Manmohan Desai.  The film starred Shammi Kapoor and Saira Banu. They were supported by Lalita Pawar, Mohan Choti, Jugal Kishore, Tun Tun, Rashid Khan, Laxmi Chhaya and Pran.  Though Saira Banu and Shammi Kapoor had issues while working in Junglee 1961.They agreed to be part of this film. There were stories of Dilip Kumar interfering in the film due to Saira Banu. He would keep making demands. The budget kept getting higher by further delays and demands. When the film was half way thru, Dilip and Saira wanted the film shot in technicolor. Manmohan Desai swore to keep away from Dilip Kumar for the rest of his career. The credits express the producer's "sincere thanks to C.P.W.A. and their General Secretary, Shri Panna Kapoor with whose co-operation and efforts we have been able to complete this picture". Several members of the crew including the Art Director, Production...

Beautiful forward*

* Beautiful forward* My father got married in Udupi. Just him, my mom, and his close relatives. The whole marriage cost ₹15. My marriage cost ₹25,000. My childs marriage cost ₹30 lacs And we ask: why could our grandparents buy houses, marry off siblings, raise families by 30… while we struggle to buy a flat even at 50? The easy excuse is inflation. The honest answer is consumption. Their marriages cost a saree, a dhoti, a laddu, 2 tolas of gold. Ours cost lakhs on décor and pre-wedding photoshoots just to keep up with the Joneses. Their schools were free, government subsidized. ₹20–₹100 a year. Ours was ₹1,000 max. Today, ₹2.5 lakh a year is considered “normal.” They built houses as shelter. We build houses with pools, clubhouses, gyms we don’t use. They ate at home. We spend ₹10,000 a month eating outside. Most importantly → material culture created comparison. Comparison bred competition. Competition fueled aspiration. Aspiration drove consumption. Consumption trapped us in debt. Adv...

करवा चौथ विशेष......

करवा चौथ में दो परम्पराओं का प्रवेश बहुत ज्यादा तेजी से हुआ था एक तो चन्द्रमा को छलनी में देखना और अपने पति का मुख भी छलनी से निहार कर पति के हाथ से ही जल पीकर व्रत खोलना  जबकि हमेशा देखा था कि घर की महिलाएं घर के आंगन में पूजा करके पूजा छतों  इकट्ठी होतीं उगते चन्द्रमा को शीघ्रता से अर्घ्य देती नीचे आकर घर में दूसरे बड़ों के चरण स्पर्श करने के साथ ही अकेले या ओट में मौका पाकर पति के भी पांव छू लेती थीं ---------------------------------- अब गूगल पर करवा चौथ पूजा के फोटो सर्च करे तो एक भी फोटो ऐसा नहीं दिखा जिसमें कि महिलाएं बिना छलनी के सीधे सीधे चन्द्र दर्शन कर रही हों जबकि व्रत की कहानी में तो छलनी ही व्रत नष्ट होने का कारण बनी एक सेठ की पुत्री जो कि अपने 7 भईयों की लाड़ली थी , करवा चौथ पर अपने मायके में थीं.... उसने व्रत रखा.... भाई लोग शाम को घर आये.... व्रत की वजह से भूख प्यास से व्याकुल लाड़ली बहिन का मलिन चेहरा देखा.... चंद्रोदय में देरी थी... एक भईया छलनी दिया लेकर पेड़ पर चढ़ गया... वहां छलनी के पीछे दिया दिखा कर    बहिन को चन्द्रमा बता कर अर्घ दिलवा दिया... चन्द...

ICU!*

* ICU अर्थात्… ‘I See You’ का रूम* दुनिया की अगर सबसे सुंदर जगह कोई हो सकती है, तो वह है ICU (आय.सी.यू.)! *जब अहंकार शरीर में समा जाता है, तब एक बार ICU की रूम देखनी चाहिए और सोचना चाहिए…* यहाँ दो व्यक्तियों के बीच कोई भी भेद रेखा नहीं होती — न धर्म, न जाति, न अमीरी-गरीबी… यहाँ तक कि स्त्री-पुरुष का भेद भी नहीं रहता! उस काँच के दरवाज़े को पार करते ही, जहाँ जूते उतारे जाते हैं, वहीं सारे भेद भी उतर जाते हैं। अंदर जाता है तो बस एक मानव शरीर! जीवन का अर्थ समझाने वाली लाखों किताबें हों, या जीवन जीना सिखाने वाले कितने ही गुरु हों — लेकिन जो ज्ञान, जो दर्शन ICU में मिलता है, वह कहीं और नहीं मिलता! जीवन का असली अर्थ यहीं समझ आता है। इसलिए यह जगह सचमुच बहुत सुंदर है… *कहीं किसी घर में अगर कोई मर जाता है तो लोग उसे भुतहा घर कहकर डरते हैं, कहीं सड़क पर या पेड़ के नीचे अगर किसी की मौत हो गई हो तो अफवाहें फैल जाती हैं, लोग डरते हैं। लेकिन यहाँ… ICU के हर एक बेड पर अब तक सैकड़ों, हजारों लोग मर चुके होते हैं —* फिर भी यहाँ कोई डर नहीं, कोई अफवाह नहीं! एक व्यक्ति गया, चादर बदली, दूसरा व्यक्ति आया — ब...

जय श्री राम🙏

सभी  मित्रो और विद्वत जनों से निवेदन है की इस जानकारी को जरूर पढ़ें इसमें राम वन गमन का सम्पूर्ण उल्लेख है ।  राम  वन गमन या वनवास की यात्रा पथ गमन पर विस्तारित लेख का आनंद ले समय का सदुपयोग करें जरूर पढ़े व बच्चो को भी यह वृतांत सुनाए *1.तमसा नदी* : अयोध्या से 20 किमी दूर है तमसा नदी। यहां पर उन्होंने नाव से नदी पार की।   *2.श्रृंगवेरपुर तीर्थ* : प्रयागराज से 20-22 किलोमीटर दूर वे श्रृंगवेरपुर पहुंचे, जो निषादराज गुह का राज्य था। यहीं पर गंगा के तट पर उन्होंने केवट से गंगा पार करने को कहा था। श्रृंगवेरपुर को वर्तमान में सिंगरौर कहा जाता है।   *3.कुरई गांव* : सिंगरौर में गंगा पार कर श्रीराम कुरई में रुके थे।   *4.प्रयाग*: कुरई से आगे चलकर श्रीराम अपने भाई लक्ष्मण और पत्नी सहित प्रयाग पहुंचे थे। प्रयाग को वर्तमान में इलाहाबाद कहा जाता है।    *5.चित्रकूणट* : प्रभु श्रीराम ने प्रयाग संगम के समीप यमुना नदी को पार किया और फिर पहुंच गए चित्रकूट। चित्रकूट वह स्थान है, जहां राम को मनाने के लिए भरत अपनी सेना के साथ पहुंचते हैं। तब जब दशरथ का देहांत हो जाता ...

रवीन्द्र जैन 🙏

रवीन्द्र जैन (जन्म- 28 फ़रवरी, 1944, निधन: 9 अक्टूबर, 2015) प्रसिद्ध संगीतकार तथा गायक थे। मुख्यत: उन्हें भजन गायक के रूप में ख्याति मिली थी। रवीन्द्र जैन हिन्दी सिनेमा के ऐसे संगीतकार थे, जिन्होंने मन की आँखों से दुनिया को समझा। सरगम के सात सुरों के माध्यम से उन्होंने जितना समाज से पाया, उससे कई गुना अधिक अपने श्रोताओं को लौटाया। वे मधुर धुनों के सर्जक होने के साथ बेहतरीन गायक भी रहे और अधिकांश गीतों की आशु रचना भी उन्होंने करके सबको चौंकाया। मन्ना डे के दृष्टिहीन चाचा कृष्णचन्द्र डे के बाद रवीन्द्र जैन दूसरे व्यक्ति थे, जिन्होंने दृश्य-श्रव्य माध्यम में केवल श्रव्य के सहारे ऐसा इतिहास रचा, जो युवा-पीढ़ी के लिए अनुकरणीय बन गया।  *प्रसिद्ध गीत*: 'गीत गाता चल', 'जब दीप जले आना', 'ले तो आए हो हमें सपनों के गांव में', 'एक राधा एक मीरा', 'अंखियों के झरोखों से', 'मैंने जो देखा सांवरे', 'श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम' आदि। पुण्य तिथि पर नमन 🙏🙏🙏