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Showing posts from January, 2024

अमूल्य संदेश

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         * प्रायः लोगों के द्वारा प्रयत्न ना करना ही संतोष समझ लिया जाता है। अकर्मण्यता का नाम संतोष नहीं अपितु निरंतर प्रयत्नशील बने रहकर परिणाम के प्रति अनासक्त बने रहना ही संतोष है।         *कई लोग संतोष की आड़ में अपनी अकर्मण्यता को छिपा लेते हैं। प्रयत्न करने में, उद्यम करने में, पुरुषार्थ करने में असंतोषी रहो। प्रयास की अंतिम सीमाओं तक जाओ।*         *कर्म करते समय सब कुछ मुझ पर ही निर्भर है इस भाव से कर्म करो। कर्म करने के बाद सब कुछ प्रभु पर ही निर्भर है इस भाव से शरणागत हो जाओ।* *!!!...बूंद सा जीवन हैं इंसान का लेकिन अहंकार सागर से भी बड़ा है...!!!*     *मंदिर की सीढ़ियों को हम इसलिए प्रणाम करते हैं क्योंकि वे स्वयं स्थिर रहकर न केवल दूसरों को ऊपर उठाती हैं, बल्कि भगवान के दर्शन करने में भी सहायता करती हैं. ऐसे लोग वंदनीय हैं, जो दूसरों को भी आगे बढ़ाते हैं।* *केवल उन्हीं के साथ मत रहिये जो आपको खुश रखते हैं* *थोड़ा उनके साथ भी रहिये जो आपको देखकर खुश रहते हैं* 

भाग्यशाली व्यक्ति" *बनने के रहस्य

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.                     * बुजुर्ग नहीं* .                *भाग्यशाली लोग*  _वे भाग्यशाली लोग हैं जो 60 पार कर गये। एक जापानी पुस्तक के अनुसार जापान में, डॉ वाडा 60 साल से अधिक उम्र के लोगों को,_ *'बुजुर्ग'* _कहने के बजाय,_ *'भाग्यशाली लोग'* _कहने की वकालत करते हैं।_ .  *डॉ. वाडा ने 60 साल के लोगों के* .            *_"भाग्यशाली व्यक्ति"_*  .              *बनने के रहस्य को* .                *"36 वाक्यों" में* .            *इस प्रकार समझाया :-* *1.* _चलते रहो।_ *2.* _जब आप चिड़चिड़ा महसूस करें तो गहरी सांस लें।_ *3.* _व्यायाम करें, ताकि शरीर में अकड़न महसूस न हो।_ *4.* _गर्मियों में, एयर- कंडीशनर चालू होने पर, अधिक पानी पिएं।_ *5.* _आप जितना चबाएंगे, आपका शरीर और मस्तिष्क उतना ही ऊर्जावान होगा।_ *6.* _याददाश्त उम्र के कारण नहीं, बल्कि लंबे समय तक मस्तिष्क का उपयोग न करने के कारण कम होती है।_ *7.* _ज्यादा दवाइयां लेने की जरूरत नहीं है।_ *8.* _रक्तचाप और रक्त शर्करा के स्तर को जानबूझ कर कम करने की आवश्यकता नहीं है।_                               

_कमर दर्द, सर्वाइकल और चारपाई ( खाट)..._

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* _कमर दर्द, सर्वाइकल और चारपाई ( खाट)..._* _ये समझिए कि हमारे *पूर्वज वैज्ञानिक थे सोने के लिए खाट हमारे पूर्वजों की सर्वोत्तम खोज है* क्या हमारे पूर्वजों लकड़ी को चीरना नहीं जानते थे!, वे भी लकड़ी चीरकर उसकी पट्टियाँ बनाकर डबल बेड बना सकते थे डबल बेड बनाना कोई रॉकेट साइंस नहीं था_ _लकड़ी की पट्टियों में कीलें ही ठोंकनी होती हैं  चारपाई भी भले कोई सायंस नहीं है , लेकिन एक समझदारी है कि कैसे शरीर को अधिक आराम मिल सके चारपाई बनाना एक कला है उसे रस्सी से बुनना पड़ता है और उसमें दिमाग और श्रम लगता है। जब हम सोते हैं , तब सिर और पांव के मुकाबले पेट को अधिक खून की जरूरत होती है  क्योंकि रात हो या दोपहर में लोग अक्सर खाने के बाद ही सोते हैं पेट को पाचनक्रिया के लिए अधिक खून की जरूरत होती है। इसलिए सोते समय चारपाई की जोली ही इस स्वास्थ का लाभ पहुंचा सकती है_ _दुनिया में जितनी भी आराम कुर्सियां देख लें सभी में चारपाई की तरह जोली बनाई जाती है बच्चों का पुराना पालना सिर्फ कपडे की जोली का था लकडी का सपाट बनाकर उसे भी बिगाड़ दिया गया,चारपाई पर सोने से कमर और पीठ का दर्द का दर्द कभी नही

खांसी की दवाई

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* खांसी दमा सांस फूलना* आज हम आपको पुरानी खांसी सांस फूलना दमा जिसका खांसते खांसते पेशाब निकल जाता हो और मरीज की हालत बहुत बुरी तरह बिगड़ जाती है डॉक्टर लोग उसको पंप देने की सलाह देते हैं उसके लिए एक बहुत बढ़िया योग दे रहा हूं.. इसको घर पर बनाकर रखें यह बड़ों से लेकर बच्चों तक बहुत ही कारगर दवा है आसानी से मिलने वाली दवाएं हैं जो बाजार से किसी भी पंसारी की दुकान से मिल जाती। काली मिर्च 50 ग्राम  सौंठ 50 ग्राम  काकड़ सिंगी 50 ग्राम  पोकर मूल 50 ग्राम  कलौंजी 50 ग्राम सब को अलग अलग कूटकर बाद में वजन करना है और अच्छी तरह से खरल करें और जंगली बेर के बराबर गोली  बना ले और एक गोली सुबह एक गोली शाम अदरक के रस में थोड़ा शहद मिलाकर उसके साथ दें 1 महीने में पूरी तरह आराम होगा बाद में कभी भी दवाई लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी इसको अधिक से अधिक शेयर करें ताकी जरूरतमंद को यह नुस्खा मिल सके। सभी सुखी और निरोगी रहे *🙏🏻🌹जय जिनेन्द्र जी🌹🙏🏻*

एक कविता जिंदगी

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एक कविता जिंदगी खुश रहकर गुजारो...        तो मस्त हैं,जिदंगी दुखी रहकर गुजारो...        तो त्रस्त हैं,जिंदगी तुलना में गुजारो...        तो पस्त हैं,जिंदगी इतंजार में गुजारो...        तो सुस्त हैं,जिंदगी सीखने में गुजारो...       तो किताब हैं,जिंदगी दिखावे में गुजारो...        तो बर्बाद हैं,जिदंगी मिलती हैं,एक बार...       प्यार से बिताओ जिदंगी, जन्म तो रोज होते हैं,     यादगार बनाओ जिंदगी राम जी की तस्वीर saw dust मे बनाया है।

स्वाद और X FACTOR

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स्वाद और X FACTOR  ------  कुछ लोग कैसा भी खाना पकाएं, उनके हाथ में स्वाद होता है ! वे चाहे कुछ भी बनाए, पोहा कि सैंडविच,  राजमा, छोले, कि पनीर,  उनके पकाए में एक स्वाद उतर आता है ! इसी तरह कुछ डॉक्टर होते हैं, जिनकी दवा लगती है !  यही कारण है कि मरीज, सालों साल उसी डॉक्टर के पास जाते हैं, जिसकी दवा लगती है !   यह बात हम जीवन के हर मोर्चे पर देखते हैं ! वह चाहे कोई पान बनाने वाला हो, कि मंगोड़ा या   चाट बनाने वाला, लोग ऐसे ही मशहूर नहीं हो जाते !!  कुछ लोगों को 'स्वाद' की नेमत मिली होती है !  वहीं दूसरी ओर कुछ लोग स्वाद वंचित होते हैं ! वे लाख जतन कर लें,  उनके हाथ में स्वाद नहीं होता !!  स्वाद एक गिफ्टेड फिनॉमेना है !  स्वाद, सीखा सिखाया नहीं जाता, कि अमुक-अमुक चीजें, अमुक अनुपात में डालने से स्वाद आ जाएगा ! हाथ में स्वाद का होना, एक तरह की, वैद्यकीय शिफा होती है ! है तो है,  नहीं है तो नहीं है !  मैं बहुत सी महिलाओं को देखता हूं, जिन्हें कुकिंग का शौक है ! वे हजार पकवान बनाना भी जानती हैं ! कुकिंग क्लासेस से ट्रेंड होती है ! लेकिन उनके हाथ में स्वाद नहीं होता !  

परीक्षा पर चर्चा

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* माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा आज 29 जनवरी को परीक्षा पर चर्चा की गई, जिसके मुख्य बिंदु इस प्रकार है* °•○●》 किसी भी प्रकार के प्रेशर को सहन करने की आदत डालें  °•○●》जीवन में कॉम्पिटिशन न हो तो जीवन प्रेरणाहीन बन जाएगा °•○●》 विकृत स्पर्धा का भाव परिवार में बो दिया जाता है इससे द्वेष भाव उत्पन्न होता है , यह बीज आगे चलकर जहरीला वृक्ष बन जाता है  °•○●》ज्यादा अंक लाने वाला दोस्त प्रेरणा बन सकता है °•○●》 ईर्ष्या भाव मन में न आए  °•○●》माता-पिता बच्चों को तुलनात्मक कोसते हैं, इससे बचना चाहिए  °•○●》माता-पिता अपनी असफलता पर बच्चों का रिपोर्ट कार्ड ही विजिटिंग कार्ड की तरह उपयोग करते हैं °•○●》 दोस्त हमसे ज्यादा तेजस्वी हो और उनसे सीखने का प्रयास करना चाहिए °•●●》 संगीत से पूरे स्कूल का तनाव दूर किया जा सकता है  °•○●》शिक्षक और विद्यार्थी का संबंध परीक्षा तक निरंतर बढ़ता रहे तो परीक्षा में तनाव की नौबत नहीं आएगी °•○●》 छात्र को लगना चाहिए कि शिक्षक का संबंध विषय से हटकर पारिवारिक भी है °•○●》 शिक्षक बच्चों के घर जाकर उनकी उपलब्धि बताएं  °•○●》उनके गुणों का विश्लेषण करें °•○●》 शिक्षक का कार

Pamukkale Travertine Terraces -

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* Pamukkale Travertine Terraces - UNESCO World Heritage* Pamukkale is located in the hills of the Denizli Province in southwestern Turkey. Pamukkale is about 6 hours from Istanbul. Known for its brilliant white travertine terraces and warm thermal pools, it’s also the site of the well-preserved ruins of the Greek-Roman city Hierapolis, which contains one of the oldest theaters in the world. Pamukkale is mainly known for its mineral-rich, thermal waters flowing down white travertine terraces. The area is famous for a bright, white carbonate mineral left by the flowing water. Pamukkale is over 8,860 feet long, 1970 feet wide, and 525 feet high. Its Turkish name, Pamukkale, means Cotton Castle. Pamukkale are known for their healing properties. The Turks often say that bathing in these pools will heal certain illnesses including chronic disorders, digestive problems, eye and skin diseases, and many more. 

*💐💐परिवार💐💐*

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*🌳🦚आज की कहानी🦚🌳* *💐💐परिवार💐💐* सुबह सूर्योदय हुआ ही था कि एक वयोवृद्ध डॉक्टर के दरवाजे पर आकर घंटी बजाने लगा।सुबह-सुबह कौन आ गया? कहते हुए डॉक्टर की पत्नी ने दरवाजा खोला। वृद्ध को देखते ही डॉक्टर की पत्नी ने कहा:- रघुवीर दादा आज इतनी सुबह? क्या परेशानी हो गयी आपको? वयोवृद्ध ने कहा:- मेरे अंगूठे के टांके कटवाने आया हूं ,डॉक्टर साहब के पास,मुझे 8:30 बजे किसी और जगह पहुंचना होता है, इसलिए जल्दी आया। सॉरी डॉक्टर! डाक्टर के पड़ोस वाले मोहल्ले में ही वयोवृद्ध का निवास था। जब भी जरूरत पड़ती वह डॉक्टर के पास आते थे। इसलिए डाक्टर उनसे  परिचित था। उसने कमरे से बाहर आकर कहा कोई बात नहीं दादा बैठो। बताओ आप का अंगूठा डॉक्टर ने पूरे ध्यान से अंगूठे के टांके खोले और कहा कि दादा बहुत बढ़िया है। आपका घाव भर गया है। फिर भी मैं पट्टी लगा देता हूं कि कहीं पर चोंट न पहुंचे। डाक्टर तो बहुत होते हैं, परंतु यह डॉक्टर  बहुत हमदर्दी रखने वाले, हर आदमी का ख्याल रखने वाले और दयालु थे।डॉक्टर ने पट्टी लगाकर के पूछा:-दादा आपको कहां पहुंचना पड़ता है 8:30 बजे। आपको देर हो गई हो तो मैं चलकर आपको छोड

रसोई में खाना बंध

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* अमेरिका में रसोई में भोजन बनाना छोड़ने का दुष्परिणाम* अमेरिका में क्या हुआ जब घर में खाना बनाना बंद हो गया?  1980 के दशक के प्रसिद्ध अमेरिकी अर्थशास्त्रियों ने अमेरिकी लोगों को चेतावनी कि यदि वे परिवार में आर्डर देकर बाहर से भोजन मंगवाऐंगे तो परिवार व्यवस्था धीरे धीरे समाप्त हो जाएगी।  साथ ही दूसरी चेतावनी दी कि यदि उन्होंने बच्चों का पालन पोषण घर के बुजुर्गों के स्थान पर बाहर से पालन पोषण की व्यवस्था की तो यह भी परिवार व्यवस्था के लिए घातक होगा।  लेकिन बहुत कम लोगों ने उनकी सलाह मानी। घर में खाना बनाना लगभग बंद हो गया है,और बाहर से खाना मंगवाने की आदत (यह अब नॉर्मल है), अमेरिकी परिवारों के विलुप्त होने का कारण बनी है जैसा कि विशेषज्ञों ने चेतावनी दी थी। प्यार से खाना बनाना मतलब परिवार के सदस्यों के साथ प्यार से जुड़ना। *पाक कला अकेले खाना बनाना नहीं है। केंद्र बिंदु है, पारिवारिक संस्कृति का।* अगर कोई किचन नहीं है, तो बस एक बेडरूम है, यह परिवार नहीं है, यह एक हॉस्टल है। *उन अमेरिकी परिवारों के बारे में जाने जिन्होंने अपनी रसोई बंद कर दी और सोचा कि अकेले बेडरूम ही काफी है

भारत और महाभारत*

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🌀 * महात्मा बुद्ध* ने विवाह किया था। परंतु वे पत्नी को छोड़कर सत्य की खोज में निकल गये।उनकी पत्नी ने एकाकी जीवन जिया। उनकी पत्नी का नाम *यशोधरा* था। 🌀 *महावीर स्वामी* ने भी विवाह किया था। परंतु वे भी पत्नी को छोड़ कर सन्यासी हो गये। उनकी पत्नी ने एकाकी जीवन जिया। उनकी पत्नी का नाम *यशोदा* था। 🌀 *मोदी* ने भी विवाह किया। परंतु अपनी पत्नी को छोड़ दिया। और अपना जीवन देश सेवा में लगा दिया। उनकी पत्नी भी एकाकी जीवन व्यतीत कर रही हैं। उनकी पत्नी का नाम *यशोदाबेन* है। *यशोधरा, यशोदा एवं यशोदाबेन !* *महात्मा, महाबीर, एवम्  मोदी!* यह सिर्फ संयोग है या फिर  इतिहास अपने आपको दोहरा रहा है।  🤔 *दुर्योधन और राहुल गाँधी* - दोनों ही अयोग्य होने पर भी सिर्फ राजपरिवार में पैदा होने के कारण शासन पर अपना अधिकार समझते हैं। 🤔 *भीष्म और आडवाणी* - कभी भी सत्तारूढ़ नहीं हो सके फिर भी सबसे ज्यादा सम्मान मिला। उसके बाद भी जीवन के अंतिम पड़ाव पर सबसे ज्यादा असहाय दिखते हैं। 🤔 *अर्जुन और योगी आदित्यनाथ*-  दोनों धर्म के मार्ग पर चलते हुए शीर्ष पर पहुँचे... जहाँ उन्होंने अपनी योग्यता का परिचय दिया। 🤔

कौन है ये चम्पतराय ..??*

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* कौन है ये चम्पतराय ..??* *१९७५ में इँदिरा गाँधी द्वारा थोपे गए आपातकाल के समय, बिजनौर के धामपुर स्थित आर एस एम डिग्री कॉलेज में एक युवा प्रोफेसर चंपत राय, बच्चों को फिजिक्स पढ़ा रहे थे, तभी उन्हें गिरफ्तार करने वहां पुलिस पहुंची क्योंकि, वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े थे ..।।*  *अपने छात्रों के बीच बेहद लोकप्रिय चंपत राय जानते थे की, उनके वहाँ गिरफ्तार होने पर क्या हो सकता है ..।। पुलिस को भी अनुमान था की, छात्रों का कितना अधिक प्रतिरोध हो सकता है ..।।* *प्रोफ़ेसर चंपत राय ने पुलिस अधिकारियों से कहा, आप जाइये मैं बच्चों की क्लास खत्म करके, पुलिस थानेमें आ जाऊँगा ..।। पुलिस वाले इस व्यक्ति के शब्दों के वजन को जानते थे ..।। अतः वे लौट गए ..।।*  *क्लास खत्म कर, बच्चों को शांति से घर जाने के लिए कह कर, प्रोफेसर चंपत राय घर पहुँचे ..।। माता पिता के चरण छू कर आशीर्वाद लिया और, लंबी जेल यात्रा के लिए शांतीसे थाने पहुंच गए ..।।* *१८ महीने उत्तर प्रदेश की विभिन्न जेलों में, बेहद कष्टकारी जीवन व्यतीत कर जब वे जेल से बाहर निकले, तो इस दृढ़प्रतिज्ञ युवा के आत्मबल को,

बृहदेश्वर मंदिर

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क्या आप नींव खोदे बिना आज एक गगनचुंबी इमारत बनाने की कल्पना कर सकते हैं ...???  यह तमिलनाडु का बृहदेश्वर मंदिर है, यह बिना नींव का मंदिर है । इसे इंटरलॉकिंग विधि का उपयोग करके बनाया गया है इसके निर्माण में पत्थरों के बीच कोई सीमेंट, प्लास्टर या चिपकने वाले पदार्थ का इस्तेमाल नहीं किया गया था इसके बावजूद 1000 वर्ष में 6 बड़े भूकंपो को झेलकर आज भी अपने मूल स्वरूप में है । 216 फीट ऊंचा यह मंदिर उस समय दुनिया का सबसे ऊंचा मंदिर था। इसके निर्माण के कई वर्षों बाद बनी पीसा की मीनार खराब इंजीनियरिंग की वजह से समय के साथ झुक रही है लेकिन बृहदेश्वर मंदिर पीसा की मीनार से भी प्राचीन होने के बाद भी अपने अक्ष पर एक भी अंश का झुकाव नहीं रखता । मंदिर के निर्माण के लिए 1.3 लाख टन ग्रेनाइट का उपयोग किया गया था जिसे 60 किलोमीटर दूर से 3000 हाथियों द्वारा ले जाया गया था। इस मंदिर का निर्माण पृथ्वी को खोदे बिना किया गया था यानी यह मंदिर बिना नींव का मंदिर है । मंदिर टॉवर के शीर्ष पर स्थित शिखर का वजन 81 टन है आज के समय में  इतनी ऊंचाई पर 81 टन वजनी पत्थर को उठाने के लिए आधुनिक मशीनें फेल हो जाए

गुरु की बात मानो

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   * गुरु की बात मानो* नारायण दास एक कुशल मूर्तिकार थे। उनकी बनाई मूर्तियां दूर दूर तक मशहूर थीं। नारायण दास को बस एक ही दुख था कि उनके कोई संतान नहीं थी।  . उन्हें हमेशा चिंता रहती थी कि उनके मरने के बाद उनकी कला की विरासत कौन संभालेगा।  . एक दिन उनके दरवाजे पर चौदह साल का एक बालक आया। उस समय नारायण दास खाना खा रहे थे। . लड़के की ललचाई आंखों से वे समझ गए कि बेचारा भूखा है। उन्होंने उसे भरपेट भोजन कराया। फिर उसका परिचय पूछा।  . लड़के ने कहा कि गांव में हैजा फैलने से उसके माता पिता और छोटी बहन मर गई। वह अनाथ है। नारायण दास को उस पर दया आ गई।  . उन्होंने उसे अपने पास रख लिया। लड़के का नाम था कलाधर। वह मन लगाकार उनकी सेवा करता। . काम से छुटृी पाते ही उनके पैर दबाता। नारायण दास द्वारा बनाई जा रही मूर्तियों को ध्यान से देखता।  . कई बार वह बाहर से पत्थर ले आता और उस पर छैनी हथौड़ी चलाता।  . एक दिन नारायण दास ने उसे ऐसा करते देखा तो समझ गए कि बच्चे में लगन है। उनकी चिंता का समाधान हो गया।  . उन्होंने तय कर लिया कि वे अपनी कला इस बालक को दे जाएंगे। . उन्होंने तय कर लिया कि वे अपनी कला

एक कहानी और अच्छी सीख

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एक लड़की अपने पिता को*    *दु:ख व्यक्त करते-करते*   *अपने जीवन को कोसते हुए*   *यह बता रही थी कि ~ उसका* *जीवन बहुत ही मुश्किल दौर से गुज़र रहा है*. *एक दु:ख जाता है, तो ...दूसरा चला* *आता है इन मुश्किलों से लड़-लड़ कर*           *वो अब थक चुकी है*.          *वह करे तो क्या करे ?* *उसके पिता रसोइया (Chef) थे*.      *बेटी के इन शब्दों को सुनने के बाद*         *वह उसे रसोई घर में ले गये, और*    *तीन अलग-अलग कढ़ाई में*   *पानी डाल कर*       *तेज आग पर रख दिया*.  *जैसे ही पानी गरम हो कर उबलने लगा*,  *पिता ने एक कढ़ाई में एक आलू डाला*,  *दूसरे में एक अंडा और तीसरी कढ़ाई में*   *कुछ कॉफ़ी बीन्स डाल दिए*. *वह लड़की बिना कोई प्रश्न किये* *पिता के इस काम को ध्यान से देख रही थी. 15-20 मिनट के बाद* *उन्होंने आग बंद कर दिया, और एक कटोरे में*     *आलू को रखा, दूसरे में अंडे को और*  *कॉफ़ी बीन्स वाले पानी को कप  में,पिता ने बेटी को उन तीनों कटोरों को*    *एक साथ दिखाते हुए बेटी से कहा ~*     *पास से देखो इन तीनों चीजों को*.         *बेटी ने आलू को देखा*,          *जो उबलने के कारण*             

सुंदर संदेश। ईश्वर की नाम जप कर

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अभिमन्यु के पुत्र ,राजा परीक्षित थे। राजा परीक्षित के बाद उनके लड़के जनमेजय राजा बने। एक दिन जनमेजय वेदव्यास जी के पास बैठे थे बात बातों में जन्मेजय ने कुछ नाराजगी से वेदव्यास जी से कहा.. कि जहां आप समर्थ थे ,भगवान श्रीकृष्ण थे, भीष्म पितामह, गुरु द्रोणाचार्य कुलगुरू कृपाचार्य जी धर्मराज युधिष्ठिर, जैसे महान लोग उपस्थित थे फिर भी आप महाभारत के युद्ध को होने से नहीं रोक पाए और देखते-देखते अपार जन धन की हानि हो गई। यदि मैं उस समय रहा होता तो, अपने पुरुषार्थ से इस विनाश को होने से बचा लेता। अहंकार से भरे जन्मेजय के शब्द सुन कर भी, व्यास जी शांत रहे। उन्होंने कहा, पुत्र अपने पूर्वजों की क्षमता पर शंका न करो। यह विधि द्वारा निश्चित था,जो बदला नहीं जा सकता था, यदि ऐसा हो सकता तो श्रीकृष्ण में ही इतनी सामर्थ्य थी कि वे युद्ध को रोक सकते थे। जन्मेजय अपनी बात पर अड़ा रहा और बोला मैं इस सिद्धांत को नहीं मानता। आप तो भविष्यवक्ता है, मेरे जीवन की होने वाली किसी होनी को बताइए मैं उसे रोककर प्रमाणित कर दूंगा कि विधि का विधान निश्चित नहीं होता। व्यास जी ने कहा पुत्र यदि तू यही चाहता है तो

World largest cave :

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* World largest cave : Hang Son Doong - Vietnam* 200m high (up to 503m in parts), 175m wide and 9.4km long. the cave is rich in other forms of life. 'We have seen monkeys that are able to climb down 200m to visit the jungle within the cave where they collect snails,' says Limbert. 'We’ve also seen snakes and other animals including squirrels, rats, flying fox as well as birds and bats.' He and his team also discovered seven new species of fish, spider, scorpion, shrimp, wood lice and plankton – all of them completely white and without eyes, the evolutionary consequences of existing in complete darkness. Yet there is plenty to see in the cave, with parts of it illuminated by two dolines – or sinkholes – that can flood the cave with beams of spectacular sunlight. Within its depths are the world’s largest stalagmites and a jungle with trees up to 50m high. 'You can see up to 1.5km,' says Limbert, 'but the cave’s own weather system can make clouds th

एक उपाख्यान

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यह है श्री राम मंदिर के पट खुलवाने का  फैसला सुनाने वाले जज साहब श्री कृष्ण मोहन पांडे जी 🙏 यह कहते हैं कि जिस दिन मुझे फैसला सुनाना था मुझे बजरंगबली के दर्शन हुए, मेरी अदालत की छत पर एक काला बंदर पूरे दिन फ्लैग पोस्ट को पकड़ कर बैठा रहा ....!! सभी लोग जो फैसला सुनने वहाँ आए थे उस बंदर को फल मूंगफली देते रहे पर बंदर ने कुछ नहीं खाया चुपचाप बैठा रहा...!! मेरे आदेश सुनाने के बाद वहां से चला गया....!! जब एसएसपी और डीएम साहब मुझे मेरे निवास पर मुजे छोड़ने आए तो वह बंदर मेरे घर के आंगन में बैठा था..! मैंने उसे मनोमन प्रणाम किया 🙏 यह सृष्टि  चमत्कार, आस्था, विश्वास एवं रहस्यों से भरी हुई है.!! इन्हें महसूस करने के लिए अथवा देखने के लिए मन की आंखें चाहिए..!! साभार जज साहब की किताब आत्मबोधन से जय श्री राम 🙏 #अयोध्या #AyodhyaRamMandir #Ayodhyadhamsarkar

Song of the Day

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Let’s start the day with Rajshri Productions 1975 film *”Geet Gaata Chal”* produced by Tarachand Barjatya and directed by Hiren Nag.  The film starred Sachin & Sarika as the lead pair along with Khyati, Madan Puri, Leela Mishra, Urmila Bhatt and Padma Khanna.  The movie is a remake of 1965 Bengali movie Atithi. There are some stories which you once hear cling to your mind and soul. You start thinking about it, empathizing with it, yearning for it and even start living it at times. Rabindranath Tagore's immortal short story Atithi is one such Geet Gaata Chal is a Hindi film adaptation of this story.. And created by none other than Rajshri films who are the best in setting up rustic story settings. Top it up with natural performers and memorable music and you've got a classic in your hands! If only and... ... Only if, if stay true to the original story to its very end. The movie was so well developed by recreating the Bengal Lake environs into Rajasthan's dry

राम तत्व

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_*।। राम तत्व 🚩 ।।*_  *|| जनम हमार सुफल भय आजू ||*    ये परिदृश्य देखकर समझ आ रहा है कि सचमुच त्रेता में जब प्रभु श्रीराम का अवध में आगमन हुआ होगा वो दृश्य कितना अद्भुत एवं अलौकिक रहा होगा। घर - घर में उत्सव, नुक्कड़ - नुक्कड़ पर छोटे-बड़े आयोजन, जगह - जगह पर भोजन प्रसादी से लेकर तरह-तरह की सेवा के आयोजन, प्रत्येक वाहन के ऊपर लहराती श्रीराम पताकाएं और 22 जनवरी रात्रि को प्रत्येक घर में दीपोत्सव का यह आयोजन प्रेम विह्वल करने वाला था। हम सब कितने धन भागी एवं हमारी आँखें कितनी सौभाग्यशाली हैं जो प्रभु श्रीराम के राज्याभिषेक की साक्षी बन पाई हैं।  सरलता, सहजता एवं धैर्य की पराकाष्ठा हैं प्रभु श्रीराम।  *राम के जैसा बनो, ये कहना आसान है पर वास्तव में राम के जैसा बन जाना आसान नहीं है। राम जितने सरल हैं , राम होना उतना ही कठिन है।* प्राणीमात्र के लिए जिया गया जीवन ही श्रीराम है।  मर्यादा भगवान श्रीराम का जीवन चरित्र समष्टि के लिए एक प्रेरणापुंज है। प्रभु श्रीराम को टेंट से भव्य मंदिर तक पहुँचाने के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले भक्तों एवं इस कार्य में गिलहरी रूप में भी अपना

सियावर रामचंद्र की जय हो🙏

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राम मंदिर के दर्शन को लेकर सबके जुबां पर अयोध्या का ही नाम है. लेकिन आज हम आपको ऐसी जगहों के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां भव्य राम मंदिर है और आपको वहां जाकर जरूर दर्शन करने चाहिए. आइए आपको इन 7 मदिरों के बारे में बताते हैं… कोडंडारामा मंदिर - वोंटीमिट्टा, आंध्र प्रदेश कोडंडारामा मंदिर आंध्र प्रदेश के कडप्पा जिला में स्थित है. वोंतुडु और मित्तुडु द्वारा निर्मित, पूर्व लुटेरे जो निषाद वंश से राम के भक्त बन गए. यह मंदिर उनकी भक्ति के प्रमाण के रूप में निर्मित है. एरी-कथा रामर मंदिर- मदुरंथकम, तमिलनाडु तमिलनाडु के मदुरन्थाकम में स्थित, एरी-कथा रामर मंदिर रामायण कथा में महत्व रखता है. ऐसा माना जाता है कि रावण को हराने के बाद, भगवान राम, सीता और लक्ष्मण के साथ, पुष्पक विमानम पर अयोध्या वापस जाते समय मधुरांथाकम में रुके थे. राम तीरथ मंदिर- अमृतसर, पंजाब पंजाब के अमृतसर में स्थित, राम तीरथ मंदिर भगवान राम और सीता के पुत्र लव और कुश के जन्म से जुड़ा है. यह मंदिर अपने प्राचीन कुएं के लिए प्रसिद्ध है, जिसके बारे में माना जाता है कि इसमें उपचार करने की शक्तियां हैं. यह वह स्थान भी

Modi ji🙏writes on himself

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* Modi ji 🙏 writes on himself* My family of 8 lived in a 40x12 feet house – it was small, but enough for us. Our days began early, around 5 AM when my mother would provide traditional forms of curing and healing to newborns and small children. Through the night my brother and I would take turns to keep the ‘chula’ going for her to use. She didn’t have the fortune of getting an education, but God was kind and she had a special way of curing ailments. Mothers would line up outside our house every morning because she was known for her healing touch.  Then, I would open my father’s tea stall at the railway station, clean up and head off to school. As soon as school ended, I would rush back to help him, but what I really looked forward to was meeting people from all over the country. I would serve them tea and listen to their stories – that’s how I learnt to speak Hindi. I would hear some traders speak about ‘Bambai’ and wonder, ‘Will I ever get to see the city of d

कलियुग की यशोमती मैया

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पीली साड़ी में जो माता जी दिख रहीं हैं उनका नाम #यशोदा हैं…                           मात्र 20 वर्ष की ही थी तभी उनके पति धराधाम छोड़ गये… अकेली हो गई लेकिन हिम्मत नहीं टूटी… बाँके बिहारी लाल जी को अपना जीवन समर्पित कर दिया…                लगीं वृंदावन की गलियों में दर्शन को गये भक्तों के जूतों की सुरक्षा करने… बदले में भक्त भी उन्हें कुछ अर्पण कर देते… बीते 30 वर्षों से ऐसे ही थोड़े-थोड़े पैसे इकट्ठा कर के 51 लाख रुपये जमा हो गये … अब श्री राम मंदिर निर्माण की सूचना मिली तो इस सबरी ने अपने राम के मंदिर को 51,10,025/- रुपये समर्पित कर दिए। ये ही हैं असली #स्टेक_होल्डर्स_ऑफ_हिंदू_धर्म

Shri Ram Mandir in Ayodhya.

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The view of Shri Ram Mandir in Ayodhya. Some Facts about the temple Construction: Chief Architects - Chandrakant Sompura, Nikhil Sompura and Ashish Sompura. Design Advisors - IIT Guwahati, IIT Chennai, IIT Bombay, NIT Surat, Central Building Research Institute Roorkee, National Geo Research Institute Hyderabad, and the National Institute of Rock Mechanics. Construction Company - Larsen and Toubro (L&T)Project Management Company - Tata Consulting Engineers Limited ( TCEL) Sculptors - Arun Yogiraaj (Mysore), Ganesh Bhatt and Satyanarayan Pandey Total Area - 70 Acre (70% green Area) Temple Area - 2.77 Acre Temple Dimensions - Length – 380 Ft. Width – 250 Ft. Height – 161 Ft. Architectural Style - Indian Nagar Style Architectural Highlights - 3 storeys (floors), 392 pillars, 44 doors Now let's see how the temple will be a modern marvel: The temple complex consists of several independent infrastructures of its own which includes - 1. Sewage treatment plant 2. water treat

रिश्तों के बाज़ार

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: *कदम रुक गए जब पहुंचे*       *हम रिश्तों के बाज़ार में...* *बिक रहे थे रिश्ते*        *खुले आम व्यापार में..* *कांपते होठों से मैंने पूँछा,*        *"क्या भाव है भाई*        *इन रिश्तों का..?"*  *दुकानदार बोला:*  *"कौन सा लोगे..?*  *बेटे का ..या बाप का..?*  *बहिन का..या भाई का..?*  *बोलो कौन सा चाहिए..?*  *इंसानियत का..या प्रेम का..?*  *माँ का..या विश्वास का..?* *बाबूजी कुछ तो बोलो*       *कौन सा चाहिए* *चुपचाप खड़े हो*        *कुछ बोलो तो सही...* *मैंने डर कर पूछ लिया*       *"दोस्त का.."* *दुकानदार नम आँखों से बोला:*  *"संसार इसी रिश्ते*       *पर ही तो टिका है..."* *माफ़ करना बाबूजी*       *ये रिश्ता बिकाऊ नहीं है..* *इसका कोई मोल*        *नहीं लगा पाओगे,* *और जिस दिन*        *ये बिक जायेगा...* *उस दिन ये संसार उजड़ जायेगा*   एक शांत मन चुनौतियों के खिलाफ,* *सबसे बड़ा हथियार होता है..* : *क्षमा करना भी...*  *एक बहुत अच्छी औषधि है !*  *हम देते तो है किसी और को,* *लेकिन घाव हमारे हृदय के भर जाते हैं।* *🙏💞जय श्री कृष्णा💞🙏*      *🙏💞राध

Rama Nama Likhita Japa

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Rama Nama Likhita Japa ~ Swami Chinmayananda April 2, 2022Hindu Significance and Symbolism, RamayanaHinduism, Ramanavami, Ramayana [Excerpts from letters & articles by Swami Chinmayananda] JAPA is a training of the mind to fix itself to one line of thinking. We cannot say a word without a thought-form rising immediately; nor can we have a thought-form without its corresponding name. Try! In this close connection between ‘name’ and ‘form’ lies the underlying principle in the technique of Japa. Japa is a training of the mind to fix itself to one ‘name’ and ‘form’.  MAHAMANTRA is the “invocation of the Rama” in us!….Start today LIKHIT JAPA of “OM SRI RAMA JAYA RAMA JAYA JAYA RAMA”. Devotedly write “Om Sri Rama Jaya Rama Jaya Jaya Rama”, one or two pages a day, in any script. With steady concentration, let the hand write, the eyes watch, in murmurs the mouth repeat, and the ears listen to the sound of the mantra. Thus, more than one sense-organ is brought into one and the s