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Showing posts from March, 2024

स्त्री और पुरुष

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कई बार यूँ ही बैठी सोच में डूब जाती हूँ , बहुत से ख्याल है जो बार बार मस्तिष्क का दरवाजा खटखटाते है । कभी कभी लगता है जैसे कोई आरी सी चला रहा हो तन पर  इस समाज मे पुरुष का वर्चस्व है सभी जानते है   पुरुष ताकतवर है ये भी सबको पता है  एक पुरुष इतना ताकतवर है कि किसी भी नारी का सम्मान भंग  कर सकता है   जब चाहे औरत को मार सकता है उसे जलील कर सकता है   और तो और सिर्फ पुरुष में ही दम है कि किसी स्त्री का शील भंग कर सके , उसकी इज्जत खराब कर सके  इन सबके बावजूद भी वो बेचारा ही कहलाता है   जितने भी व्यंग और कटाक्ष है सब स्त्री पर किये जाते है    पुरुष बेचारा पत्नी के बोझ का मारा   जहां देखो बस रोता रहता है कि बीवी से परेशान है   जितने मजाक है सब औरतों पर जितनी गालियां है वो भी सब औरतों पर , ताने ,मार वो भी औरतों के लिए   क्या पुरुष सच मे इतना बेबस है । जब भी कोई मर्द अपनी पत्नी के ऊपर व्यंग करता है तो भूल जाता है कि वो पत्नी ही है जो उसे और उसके घर को संभालती है ।  अगर हम औरत ना हो तो क्या ये समाज चल पाएगा   बेचारा डरा हुआ पुरुष स्त्री से पर फिर भी कायदों में बंधे  हम  एक औरत है जो

रिश्तो में खटास मत आने दो

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पानी ने दूध से मित्रता की और उसमे समा गया जब दूध ने पानी का समर्पण देखा तो उसने कहा मित्र तुमने अपने स्वरुप का त्याग कर मेरे स्व रुप को धारण किया है अब मैं भी मित्रता निभाऊंगा और तुम्हे अपने मोल बिकवाऊंगा दूध बिकने के बाद जब उसे उबाला जाता है तब पानी कहता है अब मेरी बारी है मै मित्रता निभाऊंगा और तुमसे पहले मै चला जाऊँगा दूध से पहले पानी उड़ता जाता है जब दूध मित्र को अलग होते देखता है तो उफन कर गिरता है और आग को बुझाने लगता है, जब पानी की बूंदे उस पर छींट कर उसे अपने मित्र से मिलाया जाता है तब वह फिर शांत हो जाता है। पर इस अगाध प्रेम में थोड़ी सी खटास निम्बू की दो चार बूँद डाल दी जाए तो दूध और पानी अलग हो जाते हैं थोड़ी सी मन की खटास अटूट प्रेम को भी मिटा सकती है। रिश्तो में खटास मत आने दो।🙏🙏🙏🙏

आज का मोती

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[ *तरक्की के इस दौर में हम इतने आगे निकल चुके हैं..*  *कि  हाथ में पकड़े मोबाइल की अहमियत...*  *हमारे पास बैठे इंसान से भी ज़्यादा हो गई है..!!* 👌सुन्दर पंक्तियाँ👌 “” चेहरे की हंसी से गम को भुला दो कम बोलो पर सब कुछ बता दो ख़ुद ना रूठो पर सबको हंसा दो यही राज है जिन्दगी का जियो और जीना सिखा दो *क्या सीरत है, क्या सूरत है* *वो तो "ममता" की मूरत है!* *पाँव छुए और काम हो गया* *"माँ" खुद में शुभ मुहूर्त है!!*     *✍️एक दूसरे पर तीन एहसान जरूर करें....* *✅ नफा नहीं दे सकते,तो नुकसान न करें।* *✅ खुश नहीं कर सकते,तो दुखी न करें।* *✅ तारीफ नहीं कर सकते, तो बुराई न करें।।*                           *क्रोधमूलो मनस्तापः*         *क्रोधः संसारबन्धनम्।* *धर्मक्षयकरः क्रोधः*         *तस्मात्क्रोधं परित्यज॥*    *भावार्थ:* *क्रोध मन के दुःख का प्राथमिक कारण है, क्रोध संसार बंधन का कारण है,क्रोध धर्म का नाश करने वाला है,इसलिए क्रोध को त्याग दें।*                          💧 आज का मोती 💧* *✅ गिले शिकवों का कोई अंत नही..* *✅ पत्थर कहते है हम पानी की मार से टूट रहे है और प

बिना पानी के ज़िंदगी सूख भी सकती है*

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* ०प्रतिदिन विचार*                                                               -राकेश दुबे  28  03 2024 *बिना पानी के ज़िंदगी सूख भी सकती है*  यूँ  तो इस बार भी मौसम विभाग का अनुमान है कि मानसून की कृपा देश पर बनी रहेगी। ऐसा बीते दो साल भी हुआ उसके बावजूद बरसात के विदा होते ही देश के बड़े हिस्से में बूंद-बूंद के लिए मारामारी शुरू हो गई, इस संकट का सामना मैं भी वडोदरा (गुजरात) में कर रहा हूँ।  हर छोटे-बड़े शहर का जल स्रोत तो बारिश ही है और जलवायु परिवर्तन के कारण साल दर साल बारिश का अनियमित होना, बेसमय होना और अचानक तेजगति से होना घटित होगा ही। आंकड़ों के आधार पर हम भारतीय  पानी के मामले में पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा समृद्ध हैं, लेकिन चिंता का विषय यह है कि पूरे पानी का कोई 85 प्रतिधत बारिश के तीन महीनों में समुद्र की ओर बह जाता है और नदियां सूखी रह जाती हैं। यह सवाल देश में हर तीसरे साल खड़ा हो जाता है कि ‘‘औसत से कम’’ पानी बरसा या बरसेगा, अब क्या होगा? देश के 13 राज्यों के 135 जिलों की कोई दो करोड़ हेक्टर कृषि भूमि के किसान प्रत्येक दस साल में चार बार पानी के लिए त्राह

चोर पर लिखा एक निबंध

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चोर पर लिखा एक निबंध 👇  "चोर देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं"  लोगों को यह मजाक या गलत लग सकता है लेकिन यह वाकई ध्यान देने लायक विषय है।  चोरों के लिए तिजोरियाँ, अलमारियाँ और ताले हैं।  चोरों की वजह से घरों की खिड़कियों पर ग्रिल लगी होती हैं, दरवाजे लगे होते हैं, दरवाजे बंद होते हैं, इतना ही नहीं बल्कि बाहर सुरक्षा दरवाजे भी होते हैं।  चोरों के कारण घर/सोसायटी के चारों ओर एक परिसर, एक गेट, गेट पर 24 घंटे का चौकीदार और चौकीदार के लिए एक वर्दी होती है।  चोरों की वजह से न सिर्फ सीसीटीवी, मेटल डिटेक्टर बल्कि साइबर सेल भी हैं।  चोरों के कारण पुलिस है, पुलिस चौकी है, स्टेशन है, गाड़ियाँ हैं, डंडे हैं, राइफलें हैं, रिवाल्वर हैं और गोलियाँ हैं।  चोर के कारण ही अदालत है, अदालत में जज, वकील, क्लर्क और जमानतदार हैं।  चोरों के कारण जेलें हैं, जेलर हैं, जेलों में पुलिस है।  मोबाइल, लैपटॉप, कोई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, साइकिल, वाहन जैसी कई उपयोग में आने वाली चीजें चोरी हो जाती हैं तो लोग नई खरीद लेते हैं, जिससे देश की आर्थिक स्थिति को मजबूती मिलती है। सड़ जी जैसा चोर है तो देश विदे

कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन...

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* मल्टीप्लेक्स और ओ टी टी के इस दौर में यदि 80-90 के दशक की फिल्मों की बात करें तो, पूरा नजारा एक कहानी की तरह आँखों के सामने से गुजर जाता है.....☺️🤗🤗🤗* उस समय में फिल्मे देखने जाना रोमांच जैसा था और अपने पसंदीदा कलाकार की फिल्म देखने जाना तो और भी मजेदार अहसास था।  *फिल्में देखने का शौक और जेब में सीमित पैसा.....🙁* उस दौर में सिनेमा घरों में तीन ही क्लास हुआ करते थे.....  लोवर क्लास .. 1 रुपए 35 पैसे अपर क्लास ....1 रुपए 60 पैसे  और  बालकनी..... 3 रुपए 20 पैसे अख़बारों में एक पूरा पेज, सिनेमाघरों में लगी हुई फिल्मो के पोस्टर्स, उनके शोज तथा उनमे आने वाली भीड़ .. के वर्णन से भरा रहता था।  मसलन ....  अपार भीड़ का चौथा सप्ताह ... राज एयरकूल्ड टॉकीज मे शानदार 6 खेलों मे देखिये... सम्पूर्ण परिवार के देखने योग्य ... महिलाओं के विशेष मांग पर .. पुन: प्रदर्शित . एडवांस बुकिंग 1 घन्टे पहले शुरु.... अखबार मे सबसे पहले फिल्मों का पेज पढा जाना बहुत आम था और उपरोक्त सभी शब्द हमे बहुत रोमांचित करते थे। 🤔 कहीं-कहीं अपार गर्दी जैसे शब्दों का भी प्रयोग होता था.. कहीं-कहीं हीरो या खलनायक

पढ़ना व समझना,

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* जब फुर्सत हो तो पढ़ना व समझना,* ✒📕 *पहली बात,* *महाभारत में* *कर्ण ने श्री कृष्ण से पूछी...* मेरी माँ ने मुझे जन्मते ही त्याग दिया, क्या ये मेरा अपराध था कि मेरा जन्म एक अवैध बच्चे के रूप में हुआ? ✒📕 *दूसरी बात* *महाभारत में* *कर्ण ने श्रीकृष्ण से पूछी...* दोर्णाचार्य ने मुझे शिक्षा देने से मना कर दिया था क्योंकि वो मुझे क्षत्रीय नहीं मानते थे, क्या ये मेरा कसूर था. ✒📕 *तीसरी बात* *महाभारत में* *कर्ण ने श्री कृष्ण से पूछी...।* द्रौपदी के स्वयंवर में मुझे अपमानित किया  गया,  क्योंकि  मुझे  किसी राजघराने का कुलीन व्यक्ति नहीं समझा गया. ✒📕 *श्री कृष्ण मंद मंद मुस्कुराते* *हुए कर्ण को बोले, सुन...* हे कर्ण, मेरा जन्म जेल में हुआ था. ✒📕 मेरे पैदा होने से पहले मेरी मृत्यु मेरा   इंतज़ार   कर   रही   थी. ✒📕 जिस रात मेरा जन्म हुआ, उसी रात मुझे माता-पिता से अलग होना पड़ा. ✒📕 मैने गायों को चराया और गायों के गोबर को अपने हाथों से उठाया. ✒📕 जब मैं चल भी नहीं पाता था, तब मेरे ऊपर प्राणघातक हमले हुए. ✒📕       मेरे पास कोई सेना नहीं थी, कोई शिक्षा नहीं थी, कोई गुरुकुल नहीं था, को

Happy Holi

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 दूरियाँ दिल की मिटें, हर कहीं अनुराग हो। न द्वेष हो, न राग हो,ऐसा यहाँ पर फाग हो।। *ऋतुराज बसंत के आगमन और प्रकृति के नवश्रृंगार के उपरांत आत्मिक आनंद व विविधता की असीम अनुभूति सहित बहुरंगी सांस्कृतिक पहचान के प्रतीक रंगों व उमंगो के पावन होलीकोत्सव पर्व की आप सभी को सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएं....✍️* *महा कवि नीरज की कविता....* 🍂🍂🍂🍂🍂🍂🍂 करें जब पाँव खुद नर्तन, समझ लेना कि होली है,  हिलोरें ले रहा हो मन, समझ लेना कि होली है। किसी को याद करते ही अगर बजते सुनाई दें... कहीं घुँघरू कहीं कंगन, समझ लेना कि होली है। कभी खोलो अचानक, आप अपने घर का दरवाजा... खड़े देहरी पे हों साजन, समझ लेना कि होली है। तरसती जिसके हों दीदार तक को आपकी आंखें... उसे छूने का आये क्षण, समझ लेना कि होली है। हमारी ज़िन्दगी यूँ तो है 'इक काँटों भरा जंगल'... अगर लगने लगे मधुबन, समझ लेना कि होली है। बुलाये जब तुझे वो गीत गा कर ताल पर ढफ की... जिसे माना किये दुश्मन, समझ लेना कि होली है। अगर महसूस हो तुमको, कभी जब सांस लो 'नीरज'... हवाओं में घुला चन्दन, समझ लेना कि होली है।। *होली की हार्द

Sometimes

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I am sharing a Beautiful Poem   by Robert Drake  which I hope you will enjoy *Sometimes,* I feel I want to go back in time...  Not to change things, but to feel a couple of things twice.. *Sometimes,*  I wish I was a Baby for a while...  Not to be walked in the pram but to see my Mother's smile *Sometimes,*  I wish I could go back to school...  Not to become a child but to spend  more time with those friends, I never met after school.. *Sometimes,*  I wish I could be back in college...  Not to be a rebel but to really understand what I studied *Sometimes,*  I wish I was a Fresher at my work...  Not to do less work but to recall the joy of the first pay cheque. *Sometimes,*  I wish my kids were younger....  Not because they grew fast but to play with them a bit more. *Sometimes,* I feel I still had some more time to live...  Not to have a longer life but to know what I could give to others. *Since the times* that are gone can never come back, let's enjoy the moments

Eucalyptus oil

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*' Using Eucalyptus Oil on the Soles of your Feet'.An ancient but very effective therapy.*  1. A woman wrote, *"My grandfather is 87 years old, has no backache, no joint pain, no headache, no tooth loss,*    Soon after, he went to live in Kolkata there was another  elderly man there, who advised him to *apply eucalyptus oil on the soles of his feet before going to sleep*.    It has been the only source  for my good health he said."   2. A student said, *"my mother insisted on my applying eucalyptus oil in the same way. Then she elaborated... 'I had bad eyesight when I was young, and when I continued this process (smearing and massaging the soles of my feet with Eucalyptus oil before bedtime), the light in my eyes gradually brightened and returned to being more perfect and better' ...."*   3. A businessman wrote, *"I was on vacation in Chitral, and stayed in a hotel there. I couldn't sleep at night and so decided to go out, and  t

आज खुशी के दिवस

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आपकी खुशी का पैमाना क्या है !  दुनियां में बहुत सारी बातो  को याद दिलाने के लिए दिवस विशेष इजाद किया गया है ठीक वैसे ही जैसे किसी व्यक्ति का जन्मदिन होता है। बहुत से लोगो को आपत्ति होती हैं कि साल भर जो बाते होती रहती है उनको दिन विशेष तक सीमित करने का क्या औचित्य? मेरी भी सोच पहले ऐसे ही नकारात्मकता से भरी हुई थी लेकिन मैंने महसूस किया कि दिन विशेष होने से उसके आने के पहले और बाद में एक माहौल बनता है। आज का दिन विश्व में खुशी का दिवस है। दुनियां भर मे आंकलन होता है कि किस देश,राज्य,शहर का व्यक्ति सबसे अधिक खुश है। हम इस आंकलन में शामिल  नहीं है लेकिन हमारी खुशी का आंकलन हमे करना चाहिए,करना आना चाहिए। 1964के साल में एक फिल्म आई थी। राजश्री प्रोडक्शन की ये फिल्म थी -दोस्ती। एक विकलांग और एक दृष्टिहीन  किशोरों की कहानी थी। इस फिल्म को 6फिल्मफेयर अवार्ड्स मिले थे। इस फिल्म में एक अवसादिक गाना भी था राही मनवा "दुख" की चिंता क्यों सताती है,"दुख" तो अपना साथी है "सुख" है इक शाम ढलती आती है जाती है,"दुख" तो अपना साथी है  इस गाने को दुख से सु

A flashback

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दस साल पहिले ये नही थे १. राम मंदिर नहीं था  २. ३७० नहीं हटा था ३. यू पी आई नहीं था  ४. वन्दे भारत नहीं थी  ५. एक्सप्रेसवेज़ नहीं थे ६. कश्मीर में शांति नहीं थी  ७. सेमी कंडक्टर नहीं बनते थे  ८. घर घर गैस नहीं थी ९. घर घर पीने का पानी नहीं था १०. घर घर बिजली नहीं थी ११. सबके बैंक अकाउंट नहीं थे १२. ट्रिपल तलाक़ नहीं हटा था १३. इतने ऐमस नहीं थे १४. इतने एयरपोर्ट्स नहीं थे १५. इतनी फ्लाइट्स नहीं थीं १६. महाकाल कॉरिडोर नहीं था १७. काशी विश्वनाथ कॉरिडोर नहीं था १८. विश्व में ऐसी इज़्ज़त नहीं थी १९. विश्व का सबसे पॉपुलर लीडर नहीं था २०. आर्मी के पास आधुनिक हथियार नहीं थे २१. आर्मी के पास आधुनिक गाड़ियाँ नहीं थी २२. राफ़ेल नहीं थे २३. चिनूक हेलीकॉप्टर नहीं थे २४. पाकिस्तान और चीन की फटी नहीं रहती थी २५. एप्पल की फैक्ट्री नहीं थी २६. टेस्ला नहीं था २७. स्टार्ट अप्स नहीं थे इतने २८. आधार नहीं था २९. जी एस टी नहीं थी ३०. स्पोर्ट्स की इतनी फेसिलिटीज़ नहीं थी ३१. विश्व की चौथी अर्थव्यवस्था नहीं था भारत ३२. यू पी समृद्ध प्रदेश नहीं था पूरी रात बीत जाएगी लिस्ट बनाते बनाते बंधु 😅🙏🏾

कहानियां ही कहानियां

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*📖 कहानियां ही कहानियां 📖* *तीन दोस्त भंडारे में भोजन कर रहे थे...उनमें से पहला बोला --- "काश...हम भी ऐसे भंडारा कर पाते !" दूसरा बोला --- "हाँ...यार सैलरी तो आने से पहले ही जाने के रास्ते बना लेती है !" तीसरा बोला ---"खर्चे...इतने सारे होते है तो कहाँ से करें भंडारा !"*         *उनके पास बैठे एक महात्मा भंडारे का आनंद ले रहे थे । और वो उन तीनों दोस्तों की बातें भी सुन रहे थे, महात्मा उन तीनों से बोले ---"बेटा भंडारा करने के लिए धन नहीं केवल अच्छे मन की जरूरत होती है !"*       *वह तीनों आश्चर्यचकित होकर महात्मा की ओर देखने लगे !.. महात्मा ने सभी की उत्सुकता को देखकर हंसते हुए कहा --- बच्चों तुम.. रोज़ 5-10 ग्राम आटा लो और उसे चीटियों के स्थान पर खाने के लिए रख दो, देखना अनेकों चींटियां-मकौड़े उसे खुश होकर खाएँगे। बस हो गया भंडारा !* *चावल-दाल के कुछ दाने लो, उसे अपनी छत पर बिखेर दो और एक कटोरे में पानी भर कर रख दो, चिड़िया-कबूतर आकर खाएंगे। बस हो गया भंडारा !*      *गाय और कुत्ते को रोज़ एक-एक रोटी खिलाओ, और घर के बाहर उनके पीने के

प्रश्नोत्तर

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* हमारे ब्राह्मण परिवारों के हर बच्चे को मालूम होनी चाहिए ऐसी जानकारी:-* 1:- परशुराम जी के माता पिता का नाम बताइए? उत्तर:- रेणुका और जमदग्नि। 2:- परशुरामजी ने पृथ्वी को कितनी बार आततायी  विहीन कर दिया था? उत्तर:- इक्कीस बार। 3:- भगवान् परशुराम जी की गति किसके समान बताई गई है? उत्तर:- मन और वायु के समान। 4:- परशुराम जी के गुरु कौन थे? उत्तर:- शंकर भगवान्। 5:-परशुरामजी के प्रमुख शिष्यों के नाम बताएं। उत्तर:- भीष्म पितामह, गुरु द्रोणाचार्य, दानवीर कर्ण। 6:- परशुरामजी का अवतार कौन से युग में हुआ था? उत्तर:- त्रेता युग में। 7:- परशुराम जी किसके अवतार थे तथा कौन से अवतार थे? उत्तर:- भगवान विष्णु के छठे अवतार थे। 8:- परशुराम जी के पिता सप्तर्षियों के मंडल में कौन से ऋषि हुए? उत्तर:- सातवें ऋषि 9:- कैलाश पर्वत पर परशुराम जी का किसके साथ युद्ध हुआ और उसका क्या परिणाम रहा? उत्तर:- गणेश जी के साथ और उस युद्ध के परिणामस्वरूप गणेश जी का एक दांत टूट गया और वो एकदंत कहलाये। 10:- परशुराम जी किसके वंशज  थे? उत्तर:- ब्रह्मा जी के मानस पुत्र भृगु ऋषि के वंशज। 11:- परशुराम जी ने किस राजा का वध

थिओडर हर्जल"

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# स्वप्न_दृष्टा  साहित्य, कला और भाव प्रणव लेखन करने में प्रवीण एक यहूदी युवक था, जो यह मानता था कि नियति ने यहूदियों को धकेल कर जिस भी राज्य में पहुंचा दिया है, यहूदियों को उसके प्रति पूर्ण वफादार रहकर उसकी सेवा करनी चाहिए। ऐसा करके वो राज्य और उसकी जनता जहां वो रह रहे हैं, उसके प्रति करुणावान हो जायेगी और यहूदी उस करुणा के तले खुद को सुरक्षित और संरक्षित महसूस करेंगे। इतनी ही कामना एक यहूदी की होनी चाहिए, ऐसा वो युवक मानता था।  उसके उदार मन ने कभी सोचा भी नहीं था कि "भेड़ों की सदाशयता भेड़ियों के करुणा का आश्वासन नहीं होती।" 1890 का दशक था और ईस्वी सन् 1894 फ्रांस युद्ध में रूस से हार गया। फ्रेंच अधिकारियों को हार का दोषारोपण किसी न किसी पर करना था तो बलि का बकरा खोजा जाने लगा। फ्रेंच अहलकारों ने हार की पूरी जिम्मेदारी एक यहूदी अफसर "एल्फर्ड ड्रेफस" पर डाल दी और कहा कि गद्दारी इन यहूदियों के खून में है और ये रहम के लायक नहीं। यहूदी अफसर "एल्फर्ड ड्रेफस" का सार्वजनिक कोर्ट मार्शल किया गया। इधर उसे फ्रेंच अफसर बेइज्जत कर रहे थे उधर फ़्रेंच जनता

पीले पत्ते🍁

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`` पीले पत्ते🍁       टहनियों पर लगे पीले पत्ते मत तोड़ो तुम चंद रोज में ख़ुद वा ख़ुद झड़ जायेंगे  बैठा करो कुछ तो बुजुर्गों के पास तुम एक दिन ख़ुद ही ये चुप हो जायेंगे  खर्चने दो उन्हें बेहिसाब तुम यारों  एक दिन सब तुम्हारे लिए छोड़ जायेंगे  मत टोको उनको बार बार,बात दुहराने पर एक दिन हमेशा के लिए ख़ामोश हो जायेंगे  इनका आशीर्वाद सर पर ले लिया करो तुम वर्ना फ़िर ये तस्वीरों में ही नज़र आयेंगे  खिला दो उनको कुछ उनकी ही पसंद का फ़िर श्राद्ध में भी देखना खाने नहीं आयेंगे..।।           💐🙏🏻💐🙏🏻💐🙏🏻 *पीछे लौटकर ज़िंदगी को समझा जा सकता है*  पर  *ज़िंदगी जीने के लिए आगे जाना ज़रूरी है* 🙏🌹🙏  

गायत्री मंत्र

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गायत्री मंत्र क्यों और कब ज़रूरी है ? ★ सुबह उठते वक़्त 8 बार  👉 अष्ट कर्मों को जीतने के लिए  ★ भोजन के समय 1 बार  👉 अमृत समान भोजन प्राप्त होने के लिए                      ★ बाहर जाते समय 3 बार  👉 समृद्धि सफलता और सिद्धि के लिए ★ मन्दिर में 12 बार  👉 प्रभु के गुणों को याद करने के लिए   ★ छींक आए तब गायत्री मंत्र उच्चारण 1 बार 👉 अमंगल दूर करने के लिए                                            ★ सोते समय 7 बार  👉 सात प्रकार के भय दूर करने के लिए                                ॐ भूर्भुवः स्वःतत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्यः धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्। यह मंत्र सूर्य देवता (सवितुर) के लिये प्रार्थना रूप से भी माना जाता है। हे प्रभू! आप हमारे जीवन के दाता हैं। आप हमारे दुख़ और दर्द का निवारण करने वाले हैं आप हमें सुख़ और शांति प्रदान करने वाले हैं हे संसार के विधाता हमें शक्ति दो कि हम आपकी ऊर्जा से शक्ति प्राप्त कर सकें, कृपा करके हमारी बुद्धि को सही रास्ता दिखायें। मंत्र के प्रत्येक शब्द की व्याख्या गायत्री मंत्र के पहले नौं शब्द प्रभु के गुणों की व्याख्या करते हैं • ॐ

बस्तर - द नक्सल स्टोरी Preview

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बस्तर - द नक्सल स्टोरी  Preview  किसी अपने की लाश के टुकड़ों को सिर पर गठरी में ढोना कैसा लगता होगा... कभी सोचा है?    जब उस बिलखती निर्दोष स्त्री के पति को जिंदा रहते कुल्हाड़ी से काट- काट कर 36 टुकड़ों में छितराया  जा रहा था... वो देख रही थी! बेटे को नक्सली पहले ही उठाकर ले जा चुके थे और बेटी के जिंदा बचने की शर्त यही कि पति के खून से माओवादियों के विजय स्तंभ को रंगना पड़ेगा... वह भी अपने हाथों से! और जुर्म क्या था? अजी गांव के विद्यालय में तिरंगा लहराया था।  यही ’लाल सलाम’ है। असल में ‘लाल’ और ‘सलाम’ दोनों जुड़वा हैं। वो कश्मीर फाइल्स में पति के खून से सने चावल खिलाने की असली घटना का चित्रण याद है? या Isis द्वारा एक यजीदी मां को उसका बच्चा पकाकर खिलाने के समाचार याद हैं? अब ‘बस्तर’ में ‘लाल’ की कारस्तानी देखिए। दशकों तक हम अपने शहर में बैठकर आराम से चाय पीते हुए अख़बार पढ़ते रहे कि आज यहां और कल वहां नक्सलियों ने ब्लास्ट कर crpf का काफिला उड़ाया.. इतने  लोग भूने... कोई गांव जलाया... लेकिन असल में छितरी देह से बहता खून कैसा दिखता है और घने जंगल के बीच इन वहशियों के बीच में फंस जाना क