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Showing posts from December, 2023

गुलजार साहेब जी की कविता

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तेरे बगैर किसी और को देखा नहीं मैंने सुख गया वो तेरा गुलाब मगर फेका नहीं मैंने। जिन लोगो की हंसी खूबसूरत होती है याद रखना की उनके ज़ख्म बहुत गहरे होते हैं। मंजिल भी उसकी थी रास्ता भी उसका था एक हम अकेले थे काफिला भी उसका था। अपने दिल की हाल हर एक को मत बताया करो यंहा तमाशा बनने में देर नहीं लगती। इंसान कितना भी किस्मत वाला क्यों न हो फिर भी ज़िंदगी में कुछ खुवाईसे अधूरी रह जाती है। बड़ा गजब किरदार है मोहब्बत का अधूरी हो सकती है मगर ख़त्म नहीं। कहते हैं जो पा लिया वो मोहब्बत ही क्या जो सुलगता रहे वही इसक लाजवाब है आँखे तलाब नहीं फिर भी भर जाती है. दिल कांच नहीं फिर भी टूट जाता है और इंसान मौषम नहीं फिर भी बदल जाता है। आँशु का बूंद है ये ज़िंदगी का सफर कभी फूल में तो कभी धूल में। फुर्सत मिले तो कभी बैठकर सोचना तुम ही मेरे अपने हो या हम भी सिर्फ तुम्हारे हैं मुझे रिश्तो की लंबी कतारों से मतलब नहीं कोई दिल से हो मेरा तो एक शख्स भी काफी है जाने वाले को जाने दीजिये आज रुक भी गया तो कल चला जायेगा माफ़ी चाहता हूँ तेरा गुनहगार हू ऐ दिल, तुझे उसके हवाले किया जिसे तेरी क़दर नही थी ये तो दस

Sau Gram Zindagi" A Song Review

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Let’s start the day with Ronnie Screwvala& Sanjay Leela Bhansali’s romantic drama film *”Guzaarish”* Co written & screenplay & directed by Sanjay Leela Bhansali.  The film starred Hritik Roshan & Aishwarya Rai. They were supported by Shernaz Patel, Aditya Roy, Suhel Seth, Nafisa Ali, Rajit Kapur , Vijay Crishna, Monikangana Dutta, Makrand Deshpande, Swara Bhaskar, Ash Chandler, Priyanka Bose and Achint Kaur.  Sanjay Leela Bhansali described this film as a tribute to legendary singer Lata Mangeshkar. To prepare for his role, Hrithik Roshan studied about twenty paraplegic patients to understand their behavior and attitude. Years later Hrithik stated that perhaps the audience rejected the film due to Bhansali not making it commercial enough . The audience wanted Hrithik to have some scenes with his star image . Hrithik suggested to Bhansali to he shoot bare chested sea scenes in the flashback part. Bhansali refused saying he wanted to stay loyal to his subject.

सस्ता वेंटिलेटर - शंख

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सबसे सस्ता वेंटिलेटर - शंख 🐚🐚शंख बजाने से शरीर मेंq ऑक्सीजन की कभी कमी नहीं होगी , फेफड़े रहेंगे स्वस्थ .... 🔸शंख बजाने के हैं अद्भुत फायदे .. भारतीय परिवारों में और मंदिरो में सुबह और शाम शंख बजाने का  प्रचलन था और है। इस पुरातन   सैद्धान्तिक परम्परा को शायद हम भूल गये या उस प्राचीन विज्ञान के रहस्य को भौतिकवाद ने भुला दिया ,अब शंख प्रदर्शनीय रह गया । अगर हम रोजाना शंख बजाते है, तो इससे हमें काफी लाभ हो सकता है। इसके लाभ बताना एक पोस्ट में संभव नहीं , यहाँ कुछेक लाभ के बारे में प्राप्त जानकारीयां प्रस्तुत हैं ― शंख बजाने से श्वांस लेने की क्षमता में सुधार होता है। इससे हमारी थायरॉयड ग्रंथियों और स्वरयंत्र का व्यायाम होता है और बोलने से संबंधित किसी भी प्रकार की समस्याओं को ठीक करने में मदद मिलती है। शंख बजाने से झुर्रियों की परेशानी भी कम हो सकती है। जब हम शंख बजाते हैं, तो हमारे चेहरे की मांसपेशियां में खिंचाव आता है, जिससे झुर्रियां घटती हैं। शंख में सौ प्रतिशत कैल्शियम होता है। रात को शंख में पानी भरकर रखें और सुबह उसे अपनी त्वचा पर मालिश करें। इससे त्वचा संबंधी रोग

गणेश्वर शास्त्री🙏

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* ये पंडित गणेश्वर शास्त्री द्रविण हैं अयोध्या में श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त आप ने ही निकाला है इससे पहले काशी विश्वनाथ कॉरिडोर और राम मंदिर के शिलान्यास का मुहूर्त भी आपने निकाला था !* *ग्रह, नक्षत्र, योग, चौघड़ियों का काशी ही नहीं देश में इनसे बड़ा जानकार शायद ही कोई हो उनके परदादा ने दक्षिण से यहां आकर इसकी शुरुआत की थी !* *कहते हैं उनके दादा जब काशी पहुंचे तो यहां के पंडितों ने उनकी बकायदा परीक्षा ली थी, तब जाकर उन्हें काशी में रहने का मौका मिला था !* *यहां बच्चों को आचार्य बनने और कर्मकांड की पढ़ाई भी करवाई जाती है शहीद राजगुरु यहां के विद्यार्थी रह चुके हैं !* *राम मंदिर का मुहूर्त निकालने वाले पंडित तो हैं ही साथ में  बड़े से बड़े धर्मसंकट से निकालने का हुनर भी जानते हैं... !!* 🙏🏻🙏🏻🙏🏻

Jai Hind🙏

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Someone had been to Ladakh for a week long family trip.  Their local driver was a 28-year old chap named Jigmet. Jigmet's family consists of his parents, wife & two small girls! This was the conversation with Jigmet, during their journey in deep Himalayan Ranges! Prashant -: At the end of this week tourist season in Ladakh will end. Are you planning to go to Goa, the way Nepali workers from Hotels do? Jigmet -: No, I am local Ladakhi, so I won't go any where in winter! Prashant -:What work will you do in winter? Jigmet -: Nothing, will sit quietly at home (chuckles & winks!) Prashant -: For six months, up to next April? Jigmet -: I have one option for working. It's to go to Siachen! Prashant: Siachen? What will you do there? Jigmet -: Work as Loader for Indian Army! Prashant -: You mean, you will join Indian Army as Jawan? Jigmet -: No, I have crossed the age limit to join the Army. This is a contract job for Indian Army. With my few friends, also driver

My Humble Salutes🙏

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"I've been a sweeper since 30 years, and since 2 years I make my own brooms. A lot of people ask me why I continue to sweep the roads, if I can get a job easily as domestic help -- but I take a lot of pride in what I do. I feel I'm helping my country in my own way, no matter how small it may seem. I earn 15,000 Rupees a month and contribute to my family income. My children work at big companies but have never asked me to give my job up and I'm happy they're not embarrassed of me. Just a few weeks ago, my son took me to an office function with him and introduced me with pride and his colleagues gave me a lot of respect. For that matter, a lot of college kids thank me when they see me in the morning as well...in fact there are many times when they've helped me clean the road.” "What message would you like to give people?" "The next time you want to throw something out of your car window, think of me -- a 60 year old woman who sweeps to

Zindagi Itefaq hai .. Song Review

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Sharing information about a well known song from “Aadmi aur insaan”. the lyrics of Sahir Ludhianvi. Those days one tended to have quite a few songs beginning with the word “Zindagi”, and all these songs interpreted “Zindagi” (life) differently, much like how six blind men tried to figure out an elephant. Whereas other songs of the same era described “zindagi” as a “paheli “(puzzle), “naatak” (drama), “safar” (journey) etc, in this song “zindagi” is described as “ittefaq” (concidence). song was picturised as a party song on Mumtaz seen in a Helenesque outfit, with Dharmendra and Feroz Khan looking on. Music composed by Ravi. Song has a duet version too, which is sung by Asha Bhonsle and Mahendra kapoor this song is a multiple version song.

Do badan... A Movie Review

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Let’s start the day with Huda Bihari’s 1966 hit film *”Do Badan”* directed by Raj Khosla.  The film starred Manoj Kumar & Asha Parekh. They were supported by Simi Garewal, Manmohan Krishan, Mohan Chotti, Dhumal, Birbal and Pran.  The film was Heer Ranjha in a modern setting. Raj Khosla challenged Manoj Kumar to play the character of a blind man without the gestures and mannerism that actors usually used. This film was first offered to Sadhna ji, but she left the film because of her marriage. Actor Birbal was discovered on the sets of the film. His role was originally to be done by Gulshan Bawra. “Do Badan” was a movie full of some wonderful songs written by Shakeel Badayuni and composed by Ravi. The song “jab chali thandi hawa” sung by Asha Bhonsle and picturised on Asha Parekh was a sweet and melodious song to listen to. Asha Bhonsle has sung songs of many moods and many varieties, and she has come out with flying colours, whatever be the nature of the song. This song

ब्रह्म मुहूर्त

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*हिन्दू धर्म सनातन संस्कृति में ब्रह्म मुहूर्त में उठने की परंपरा क्यों ?*   *  रात्रि के अंतिम प्रहर को ब्रह्म मुहूर्त कहते हैं। हमारे ऋषि मुनियों ने इस मुहूर्त का विशेष महत्व बताया है। उनके अनुसार यह समय निद्रा त्याग के लिए सर्वोत्तम है।*   * ब्रह्म मुहूर्त में उठने से सौंदर्य,बल,विद्या, बुद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। *    सूर्योदय से चार घड़ी (लगभग डेढ़ घण्टे) पूर्व ब्रह्म मुहूर्त में ही जग जाना चाहिये। इस समय सोना शास्त्र निषिद्ध है। ब्रह्म का मतलब परम तत्व या परमात्मा। मुहूर्त यानी अनुकूल समय।   * रात्रि का अंतिम प्रहर अर्थात प्रात: 4 से 5.30 बजे का समय ब्रह्म मुहूर्त कहा गया है।*  “ब्रह्ममुहूर्ते या निद्रा सा पुण्यक्षयकारिणी”।  *अर्थात -* ब्रह्ममुहूर्त की निद्रा पुण्य का नाश करने वाली होती है।  *सिख धर्म* में इस समय के लिए बेहद सुन्दर नाम है *--"अमृत वेला",* जिसके द्वारा इस समय का महत्व स्वयं ही साबित हो जाता है।   *ईश्वर भक्ति के लिए यह महत्व स्वयं ही साबित हो जाता है।*   *ईश्वर भक्ति के लिए यह सर्वश्रेष्ठ समय है। इस समय उठने से मनुष्य को सौंदर्य,

दिन के आठ प्रहर कौन से हैं?*

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*दिन के आठ प्रहर कौन से हैं?* * हिन्दू धर्म में समय की धारणा बहुत ही वृहत्त तौर पे रही है। जो वर्तमान में सेकंड, मिनट, घंटे, दिन-रात, माह, वर्ष, दशक और शताब्दी त उसक सीमित हो गई है* लेकिन हिन्दू धर्म में एक अणु, तृसरेणु, त्रुटि, वेध, लावा, निमेष, क्षण, काष्‍ठा, लघु, दंड, मुहूर्त, प्रहर या याम, दिवस, पक्ष, माह, ऋतु, अयन, वर्ष (वर्ष के पांच भेद- संवत्सर, परिवत्सर, इद्वत्सर, अनुवत्सर, युगवत्सर), दिव्य वर्ष, युग, महायुग, मन्वंतर, कल्प, अंत में दो कल्प मिलाकर ब्रह्मा का एक दिन और रात, तक की वृहत्तर समय पद्धति निर्धारित है।   आठ प्रहर : हिन्दू धर्मानुसार दिन-रात मिलाकर 24 घंटे में आठ प्रहर होते हैं। औसतन एक प्रहर तीन घंटे या साढ़े सात घटी का होता है जिसमें दो मुहूर्त होते हैं।एक प्रहर एक घटी 24 मिनट की होती है। दिन के चार और रात के चार मिलाकर कुल आठ प्रहर।   दिन के चार प्रहर- 1.पूर्वान्ह, 2.मध्यान्ह, 3.अपरान्ह और 4.सायंकाल।   रात के चार प्रहर- 5.प्रदोष, 6.निशिथ, 7.त्रियामा एवं 8.उषा। आठ_प्रहर : एक प्रहर तीन घंटे का होता है।  सूर्योदय के समय दिन का पहला प्रहर प्रारंभ होता है जिसे

प्रकाण्ड विद्वान #अष्टावक्र

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प्रकाण्ड विद्वान #अष्टावक्र #अष्टावक्र इतने प्रकाण्ड विद्वान थे कि माँ के गर्भ से ही अपने पिताजी "कहोड़" को अशुद्ध वेद पाठ करने के लिये टोंक दिए जिससे क्रुद्ध होकर पिताजी ने आठ जगह से टेड़ें हो जाने का श्राप दे दिया था। पौराणिक_कथा . अष्टावक्र अद्वैत वेदान्त के महत्वपूर्ण ग्रन्थ अष्टावक्र गीता के ऋषि हैं। अष्टावक्र गीता अद्वैत वेदान्त का महत्वपूर्ण ग्रन्थ है। 'अष्टावक्र' का अर्थ 'आठ जगह से टेढा' होता है। कहते हैं कि अष्टावक्र का शरीर आठ स्थानों से टेढ़ा था। उद्दालक ऋषि के पुत्र का नाम श्‍वेतकेतु था। उद्दालक ऋषि के एक शिष्य का नाम कहोड़ था। कहोड़ को सम्पूर्ण वेदों का ज्ञान देने के पश्‍चात् उद्दालक ऋषि ने उसके साथ अपनी रूपवती एवं गुणवती कन्या सुजाता का विवाह कर दिया। कुछ दिनों के बाद सुजाता गर्भवती हो गई। एक दिन कहोड़ वेदपाठ कर रहे थे तो गर्भ के भीतर से बालक ने कहा कि पिताजी! आप वेद का गलत पाठ कर रहे हैं। यह सुनते ही कहोड़ क्रोधित होकर बोले कि तू गर्भ से ही मेरा अपमान कर रहा है इसलिये तू आठ स्थानों से वक्र (टेढ़ा) हो जायेगा। हठात् एक दिन कहोड़ राजा जनक

शौर्य सप्ताह" और "शोक सप्ताह"

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20 दिसम्बर से 27 दिसम्बर तक इन्हीं 7 दिनों में गुरु गोविंद सिंह जी का पूरा परिवार धर्म रक्षा के लिए बलिदान हो गया था। माता गूजरी ने भी ठन्डे बुर्ज में प्राण त्याग दिए। यह सप्ताह हमारे लिए "शौर्य सप्ताह" और "शोक सप्ताह" है लेकिन हम "क्रिसमस सप्ताह" मनाते हैं वहशी वजीर खां ने पूछा, इस्लाम कबूल करोगे या नहीं? 6 साल के छोटे साहिबजादे फतेह सिंह ने कहा, क्या मुसलमान बन जाने पर कभी नहीं मरेंगे? वजीर खां अवाक रह गया और उसके मुँह से एक शब्द नहीं लिकला साहिबजादे ने कहा कि जब मुसलमान बनकर भी मरना ही है तो अपने धर्म की खातिर क्यों न मरें वहशी दरिंदे वजीर खां ने दोनों साहिबजादों को दीवार में चिनवाने का आदेश दे दिया दीवार बनने लगी और जब दीवार 6 वर्षीय फ़तेह सिंह की गर्दन तक आ गयी तब 8 वर्षीय जोरावर सिंह रोने लगे फ़तेह सिंह ने कहा, जोरावर भैया तुम क्यों रो रहे हो जोरावर सिंह ने कहा, मैं इसलिए रो रहा हूँ कि मैं बड़ा हूं लेकिन धर्म के लिए तुम हमसे पहले बलिदान दे रहे हो गुरु गोविंद सिंह जी का पूरा परिवार 20 दिसंबर से 27 दिसंबर के बीच मात्र एक सप्ताह में धर्म रक्षा

कमाल है ना ?

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कमाल है ... आँखे तालाब नहीं, फिर भी, भर आती हैं ! तमन्नाएँ जिस्म नहीं फिर भी मर जाती हैं   ! होंठ कपड़ा नहीं , फिर भी, सिल जाते हैं ! दुःख कोई मांगता नहीं , फिर भी मिल जाते हैं  ! किस्मत सखी नहीं, फिर भी, रुठ जाती है ! हिम्मत  लाठी नहीं, फिर भी टूट जाती है   ! बुद्वि लोहा नहीं, फिर भी, जंग लग जाती है ! मेहनत हिना तो नहीं फिर भी रंग लाती  है   ! दुश्मनी बीज नही, फिर भी, बोयी जाती है  ! आस दौलत तो नहीं फिर भी खोई जाती है   ! आत्म-सम्मान शरीर नहीं, फिर भी घायल हो जाता है ! और इन्सान मौसम तो नही, फिर भी बदल जाता है !   कमाल है  ना  ?

एकादशी व्रत... क्यों

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एकादशी के दिन चावल खाना क्यों वर्जित है ?              वैसे वेदों पुराणों के अनुसार तो कुछ भी खाना एकादशी वाले दिन मना है लेकिन सामान्य लोग थोड़े बहुत नियमों का पालन अवश्य ही करें इसलिए भी चावल का परहेज अनिवार्य हैं।  वैज्ञानिक कारण : -              वैज्ञानिक तथ्यानुसार चावल में जल तत्व की मात्रा अधिक होती है और जल पर चंद्रमा का प्रभाव अधिक पड़ता है।                              चावल खाने से शरीर में जल की मात्रा बढ़ती है इससे मन विचलित और चंचल होता है जिससे व्रत पूरा करने में बाधा आती है।                   इसलिए एकादशी के दिन चावल और जौ से बनी चीजें खाना वर्जित माना गया है।                 वैज्ञानिकों के अनुसार एक दिन भोजन न करने से हमारा शरीर अधिक स्वस्थ बनता है।                 एक दिन भोजन न करने से हमारे शरीर के अंदर के अंगों को आराम मिलता है तथा शरीर पूर्णतया शुद्ध हो जाता है।  पौराणिक कथा : -                पौराणिक कथा के अनुसार माता शक्ति के क्रोध से बचने के लिए महर्षि मेधा ने शरीर का त्याग कर दिया था।                        उनके अंश पृथ्वी में समा गए और बाद में उसी

भगवान के साथ रोटी 🍁

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*🌳🦚आज की कहानी🦚🌳* *🍁 भगवान के साथ रोटी 🍁* एक 6 साल का छोटा सा बच्चा अक्सर भगवान से मिलने की जिद्द किया करता था। उसकी अभिलाषा थी, कि एक समय की रोटी वह भगवान के साथ खाए... एक दिन उसने 1 थैले में 5-6 रोटियां रखीं और भगवान को ढूंढने निकल पड़ा। चलते चलते वो बहुत दूर निकल आया, संध्या का समय हो गया... उसने देखा, नदी के तट पर 1 बुजुर्ग बूढ़ा बैठा है और ऐसा लग रहा था, जैसे उसी की प्रतीक्षा में वहां बैठा उसकी राह देख रहा हो... वो 6 साल का भोला बालक, बुजुर्ग बूढ़े के पास जा कर बैठ गया। अपने थैले में से रोटी निकाली और खाने लग गया। उसने अपना रोटी वाला हाथ बूढे की ओर बढ़ाया और मुस्कुरा के देखने लगा। बूढे ने रोटी ले ली। बूढ़े के झुर्रियों वाले चेहरे पर अजीब सी ख़ुशी आ गई, आंखों में ख़ुशी के आंसू भी थे... बच्चा बूढ़े को देखे जा रहा था। जब बूढ़े ने रोटी खा ली, बच्चे ने एक और रोटी बूढ़े को दी। बूढ़ा अब बहुत ख़ुश था। बच्चा भी बहुत ख़ुश था। दोनों ने आपस में बहुत प्यार और स्नेह केे पल बिताए... जब रात घिरने लगी, तो बच्चा अनुमति ले कर, घर की ओर चलने लगा। वो बार बार पीछे मुड़ कर देखता, तो पाता, बुजुर्ग बू

पुराने समय की लोकप्रिय अंक

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12 की करामात  12 यह पुराने समय की लोकप्रिय अंक  माप की द्वादश पद्धति  एक फुट = 12 इंच  एक दर्जन = 12 नग एक वर्ष = 12 महीने  नवग्रह की राशि = 12  तप = 12 वर्ष  शाला में अध्ययन = 12 वर्ष  घड़ी के अंक = 12 दिन के घंटे = 12 रात के घंटे = 12 किसी का नुक्सान मतलब 12 बज गए  बचा खुचा माल 12 के भाव बिक गया  नामकरण संस्कार 12 वें दिन  मृत व्यक्ति के धार्मिक संस्कार शुद्धि 12 वें दिन  अनुभवी आदमी 12 घाट का पानी पिया हुआ  ज्योतिर्लिंग = 12 कृष्ण जन्म 12 बजे रात  राम जन्म 12 बजे दिन  हिंदी में स्वर = 12 खड़ी  शादी में मेहमान = 12 ती  किसी किसी के चेहरे पर भी बजते हैं 12  क्या करें 12 की महत्ता दर्शाते समय याद आया कि महीना भी 12 वाँ ही है । 🤩  😊  😁  🫡  🥸  😄  😳  😉  🤩

सटीक परिभाषाएं

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कुछ हास्यास्पद किन्तु सटीक परिभाषाएं▪️ 1. *कार्यालय :-* वह स्थान जहां आप घर के तनावों से मुक्ति पाकर विश्राम कर सकते हैं। 2. *समिति :-* ऐसे व्यक्ति जो अकेले कुछ नहीं कर सकते, परंतु यह निर्णय मिलकर करते हैं कि साथ साथ कुछ नहीं किया जा सकता। 3. *श्रेष्ठ पुस्तक :-* जिसकी सब प्रशंसा करते हैं परंतु पढ़ता कोई नहीं है। 4. *परम आनंद : -* एक ऐसी अनुभूति जब आप अनुभव करते हैं कि आप एक ऐसी अनुभूति को अनुभव करने जा रहे हैं जो आपने पहले कभी अनुभव नहीं की है। 5. *कान्फ्रेन्स रूम : -* वह स्थान जहां हर व्यक्ति बोलता है, कोई नहीं सुनता है और अंत में सब असहमत होते हैं। 6. *समझौता : -* किसी चीज को बांटने का वह तरीका जिसमें हर व्यक्ति यह समझता है कि उसे बड़ा हिस्सा मिला। 7. *अधिकारी : -* वह जो आपके पहुंचने के पहले ऑफिस पहुंच जाता है और यदि कभी आप जल्दी पहुंच जाएं तो काफी देर से आता है। 8. *व्याख्यान : -* सूचना को स्थानांतरित करने का एक तरीका जिसमें व्याख्याता की डायरी के नोट्स, विद्यार्थियों की डायरी में बिना किसी के दिमाग से गुजरे पहुंच जाते हैं। 9. *अपराधी : -* दुनिया के बाकी लोगों जैसा ही मनुष

1973 hit film *”Kahani Kismat Ki”

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Let’s start the day with Arjun Hingorani’s 1973 hit film *”Kahani Kismat Ki”* screenplay & directed by Arjun Hingorani. The film starred Dharmendra and Rekha. They were supported by Ajit, Rajendranath, Jayshree T, Sulochana, Shetty, Bharat Bhushan, Abhi Bhattacharya and Arjun Hingorani.  A cute song from 1973. Rekha, a raw teenager was an ugly duckling and an immature youngster at that time,who was not expected to go very far in Bollywood. She would later turn over a new leaf in 1978. But that was far off in the future. This movie was only her third movie, and here she was paired with a leading actor for the first time. Her earlier two heroes were debutants Navin Nischol and Randheer Kapoor. The picturisation of the song shows Dharmendra, who has won over Rekha, expressing his love for her in a rather unsophisticated way, and that puts Rekha in an embarrasing position, when Dharmedra publicly announces that the girl standing next to him loves him for a long time. Words

Newton's Law of Marriage

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There is always a woman behind the man achieving success : Newton was a brilliant man.  Then he got married. As is the norm with every marriage, initial phase was extended honeymoon. Being a thinker, Newton would sit on his working desk and think and ponder about the working of the universe.  “Hello my dear.” His wife would croon while bringing him tea to his desk.  It was almost after eight months that she asked him to get his tea from the kitchen. “Oh yes.” He responded while deep in his thoughts. He kept sitting and thinking. It was after one hour that his wife went to the kitchen and discovered the tea still sitting on the shelf. Tea was cold. It made Mrs Newton hot with anger. “What is it with you?” she almost shouted. “You keep on sitting on that chair day in and day out without moving and I have to move all over the house to finish the chores.” Newton was amazed at the observation of his wife and postulated his first law. “A body that is at rest, will keep resting. A

ज़माना खो गया

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“खो गयी वो......”चिठ्ठियाँ”जिसमें “लिखने के सलीके” छुपे होते थे “कुशलता” की कामना से शुरू होते थे बडों के “चरण स्पर्श” पर खत्म होते थे...!! “और बीच में लिखी होती थी “जिंदगी” नन्हें के आने की “खबर” “माँ” की तबियत का दर्द और पैसे भेजने का “अनुनय” “फसलों” के खराब होने की वजह...!! कितना कुछ सिमट जाता था एक “नीले से कागज में”... जिसे नवयौवना भाग कर “सीने” से लगाती और “अकेले” में आंखो से आंसू बहाती ! “माँ” की आस थी “पिता” का संबल थी बच्चों का भविष्य थी और गाँव का गौरव थी ये “चिठ्ठियां” “डाकिया चिठ्ठी” लायेगा कोई बाँच कर सुनायेगा देख देख चिठ्ठी को कई कई बार छू कर चिठ्ठी को अनपढ भी “एहसासों” को पढ़ लेते थे...!! अब तो “स्क्रीन” पर अंगूठा दौडता हैं और अक्सर ही दिल तोडता है “मोबाइल” का स्पेस भर जाए तो सब कुछ दो मिनट में “डिलीट” होता है... सब कुछ “सिमट” गया है 6 इंच में जैसे “मकान” सिमट गए फ्लैटों में जज्बात सिमट गए “मैसेजों” में “चूल्हे” सिमट गए गैसों में और इंसान सिमट गए पैसों में 🙏

आपसी प्रेम

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*💐 आपसी प्रेम 💐* एक सुनार से लक्ष्मी जी रूठ गई और जाते वक्त बोली मैं जा रही हूँ और मेरी जगह  नुकसान आ रहा है, तैयार  हो जाओ। लेकिन  मै तुम्हे अंतिम भेट जरूर देना चाहती हूँ। मांगो जो भी इच्छा हो। सुनार बहुत समझदार था। उसने विनती की कि नुकसान आए तो आने दो, लेकिन उससे कहना की मेरे परिवार में आपसी प्रेम बना रहे।बस मेरी यही इच्छा है। लक्ष्मीजी ने *तथास्तु*  कहा और अंतर्ध्यान हो गयी। कुछ दिन के बाद सुनार की सबसे छोटी बहू  खिचड़ी बना रही थी। उसने नमक आदि डाला नवनीत और अन्य काम करने लगी। तभी दूसरे लड़के की बहू आई और उसने भी बिना चखे नमक डाला और चली गई। इसी प्रकार तीसरी, चौथी  बहुएं आई और नमक डालकर चली गई। उनकी सास ने भी ऐसा किया। शाम को सबसे पहले सुनार आया। पहला निवाला मुह में लिया। देखा बहुत ज्यादा नमक है, लेकिन वह समझ गया कि नुकसान (हानि) आ चुका है। चुपचाप खिचड़ी खाई और चला गया। इसके बाद बङे बेटे का नम्बर आया। पहला निवाला  मुह में लिया और पूछा *पिता जी ने खाना खा लिया क्या कहा उन्होंने ?* सभी महिलाओं ने उत्तर दिया :- *हाँ खा लिया, कुछ नही बोले।* अब लड़के ने सोचा जब पिता जी ही कुछ 

घोंसले से ज्ञान

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*श्री टी.एन.  शेषन मुख्य चुनाव आयुक्त थे।*  *अपनी पत्नी के साथ यूपी की यात्रा पर जाते समय उनकी पत्नी ने सड़क किनारे एक पेड़ पर बया (एक प्रकार की चिड़िया)का घोंसला देखा और कहा,*   *”यह घोंसला मुझे ला दो;  मैं घर को सजाकर रखना चाहतीं हूँ।”*   *श्री शेषन साहब ने साथ चल रहे सुरक्षा गार्ड से इस घोंसले को नीचे उतारने को कहा। सुरक्षा गार्ड ने चढ़ने की कोशिश की लेकिन असफल रहे, फिर पास ही भेड़-बकरियां चरा रहे एक अनपढ़ लड़के से कहा कि अगर तुम यह घोंसला निकालकर ला दोगे तो मैं तुम्हें बदले में दस रुपये दूंगा।  लेकिन लड़के ने मना कर दिया।  श्री शेषनसाहब स्वयं गये और लड़के को पचास रुपये देने की पेशकश की, लेकिन लड़के ने घोंसला लाने से इनकार कर दिया और कहा कि* *"साहब, इस घोंसले  में चिड़ीया के बच्चे हैं। शाम को जब उसकी "माँ" खाना लेकर आएगी और यहां बच्चे नहीं मिलेंगे तो वह बहुत उदास होगी, इसलिए तुम कितना भी पैसा दे दो, मैं घोंसला नहीं उतारूंगा"*   *इस घटना के बारे में श्री टी.एन.  शेषनसाहब लिखते हैं कि....*  *मुझे जीवन भर इस बात का अफ़सोस रहा कि एक पढ़े-लिखे आईएएस में वो

Zindagi Hansne Gane Ke Liye Hai"

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Let’s start the day with B R Chopra’s 1975 hit action film *”Zameer”* directed by Ravi Chopra.  The film starred Amitabh Bachchan, Vinod Khanna & Saira Banu. They were supported by Madan Puri, Indrani Mukherjee, Ramesh Deo, Minoo Mumtaz, Jagdish Raj and Shammi Kapoor.  This film may have been inspired by the plot of the film "Bombai Ka Babu" (1960) starring Dev Anand. "Bombai Ka Babu" (1960) itself was probably an adaptation of the short story "A Double-Dyed Deceiver" by O. Henry. The short story had been adapted earlier for the silent crime drama of the same title in 1920. This movie shares a number of similarities with "Parvarish" that was released two years later. In both movies, Shammi Kapoor and Indirani Mukherjee play husband and wife and in both movies Vinod Khanna is their real son while Amitabh Bachchan is their adopted son. Ravi Chopra 's first film as director with a big star cast and also Shammi Kapoor's first

शुगर कम करने वाली रोटियां

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भारतीय भोजन में गेहूं की रोटियों का महत्वपूर्ण स्थान है, लेकिन डायबिटीज के मरीजों के लिए ये लाभकारी नहीं हैं। ऐसे में आप अपनी डेली डाइट में गेहूं की जगह दूसरे आटों को शामिल कर इस रोग को कंट्रोल कर सकते हैं।बिगड़ी हुई लाइफस्टाइल और खानपान के कारण भारत में डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारी तेजी से पैर पसार रही है। चिंता की बात ये है कि कुछ साल पहले तक बढ़ती उम्र में होने वाली यह बीमारी अब हर उम्र के लोगों को अपनी गिरफ्त में ले रही है, जिसमें बच्चे भी शामिल हैं। वहीं विज्ञान के विकास के बावजूद इस गंभीर बीमारी का स्थाई इलाज अभी तक नहीं खोजा जा सका है। ऐसे में बहुत जरूरी है कि डायबिटीज के मरीज अपनी डाइट का विशेष ध्यान रखें, क्योंकि इसी के माध्यम से वे अपने ब्लड शुगर को कंट्रोल कर सकते हैं। इनमें से सबसे जरूरी है सही आटे का चयन करना। आज हम आपको बता रहे हैं ऐसे आटे जो आपकी डायबिटीज को कंट्रोल करने में मददगार बनेंगे। इसलिए जरूरी है आटे पर ध्यान देना दरअसल, भारत के अधिकांश हिस्सों में भोजन में रोटी और चावल को मुख्य रूप से शामिल किया जाता है। डायबिटीज के मरीजों को अत्यधिक चावल के सेवन से बच

दुखद की घटना

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🙏🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🙏 * काकोरी कांड का ऐतिहासिक दिन  (9.8.1925)* *9 अगस्त 1925 को रेल से ले जाये जा रहे सरकारी खजाने को क्रान्तिकारियों द्वारा लखनऊ के पास काकोरी रेलवे स्टेशन के पास लूट लिया था। यह कांड​ काकोरी काण्ड के नाम से ​भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के​ ईतिहास मे प्रसिद्ध है. क्रान्तिकारियों द्वारा ब्रिटिश राज के विरुद्ध भयंकर युद्ध छेड़ने की खतरनाक मंशा से हथियार खरीदने के लिये ब्रिटिश सरकार का ही खजाना लूट लेने के लिए  पूरी योजना बनाई गयी ​वह स्वतंत्रता संग्राम का तब तक का सबसे दुस्साहसी कारनामा था जिससे अंग्रेज सरकार सकते में आ गई थी.* *कल्पना करिए, अंग्रेजों के खजाने को लूट लेना वह भी चलती रेल से और उसकी सुरक्षा व्यवस्था को तोड़कर कितने साहस, शौर्य, संकल्प और सुनियोजिम रणनीति की जरुरत होगी वह भी अपना कोई निजी स्वार्थ नहीं. क्रान्तिकारियों द्वारा चलाए जा रहे आजादी के आन्दोलन को गति देने के लिये धन की तत्काल व्यवस्था की जरूरत के ​थी.* *शाहजहाँपुर में हुई बैठक के दौरान राम प्रसाद बिस्मिल ने अंग्रेजी सरकार का खजाना लूटने की योजना बनायी थी। इस योजना

परोपकार का फल !!

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         *♨️ आज की प्रेरक प्रसंग ♨️*                  *!! परोपकार का फल !!* ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ एक बार एक गाँव में कुछ ग्रामीण मिलकर एक सांप को मार रहे थे, तभी उसी रस्ते से संत एकनाथ का निकलना हुआ। भीड़ को देख संत एकनाथ भी वहां आ पहुंचे, बोले – भाइयों इस प्राणी को क्यों मार रहे हो, कर्मवश सांप होने से क्या यह भी तो एक आत्मा है। तभी भीड़ में खड़े एक युवक ने कहा – “आत्मा है तो फिर काटता क्यों है ?” व्यक्ति की बात सुनकर संत एकनाथ ने कहा – तुम लोग सांप को बेवजह मरोगे तो वह भी तुम्हे कटेगा ही, अगर तुम सांप को नहीं मरोगे तो वह भी तुम्हें क्यों काटेगा। ग्रामीण संत एकनाथ का काफी आदर सम्मान करते थे इसलिए संत की बात सुनकर लोगों ने सांप को छोड़ दिया। कुछ दिनों बाद एकनाथ शाम के वक़्त घाट पर स्नान करने जा रहे थे। तभी उन्हें रास्ते में सामने फन फैलाए एक सांप दिखाई दिया। संत एकनाथ ने सांप को रास्ते से हटाने की काफी कोशिश की लेकिन वह टस से मस न हुआ। आखिर में एकनाथ मुड़कर दुसरे घाट पर स्नान करने चले गए। उजाला होने पर लौटे तो देखा, बरसात के कारण वहां एक गड्डा हो गया था, अगर सांप ने ना

एक कविता

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आज एक कवि मित्र ने इस कविता के लिए ऊपर की चार पंक्तियां दी थीं कि इन्हें लेकर तीन अंतरों का गीत लिखना है, तो उन्हें लिखकर भेजा - सोचा यहां भी सांझा कर लें🙂🙏💐 प्रिये तुम्हारे मोहजाल में  मैं खुद को ही भूल रहा हूं । नहीं इधर का, नहीं उधर का, जीवन  मध्ये  झूल रहा हूं ।। बहुत बुलाना तुमको चाहा बहुत मनाना तुमको चाहा । लेकिन तुमने एक न मानी मुझे भूल जाना ही चाहा ।। अब यादों की भूल भुलैया में ख़ुद को ही भूल रहा हूं । नहीं इधर का, नहीं उधर का जीवन मध्ये झूल रहा हूं ।। काश कभी तो मुड़कर तुमने एक नज़र भर देखा होता । कुछ विश्वास मेरे संकल्पों पर भी तो ठहराया होता ।। टूट गए संकल्प प्रेम के अब ख़ुद को ही भूल रहा हूं । नहीं इधर का, नहीं उधर का जीवन मध्ये झूल रहा हूं ।। मन में आस लिए बैठा हूं एक अरदास लिए बैठा हूं । कभी कहीं तुम मिल जाओगे ये विश्वास लिए बैठा हूं ।। इसी आस अरदास में खोया मैं ख़ुद को ही भूल रहा हूं । नहीं इधर का, नहीं उधर का जीवन मध्ये झूल रहा हूं ।। ----- कात्यायनी  अंहकार सत्य सुनने की क्षमता खत्म कर देता है

दोस्तों से ज्ञान

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* तमन्ना ने जिंदगी के आँचल में* *सर रख कर पूछा:* *"मै कब पूरी होउंगी?"* *जिंदगी ने हँसकर जवाब दिया:* *"जो पूरी हो जाये वो तमन्ना ही क्या।"* *अपनी नेकी छुपाना, आपकी "सोच" का इम्तेहान है..* _*और दूसरों के गुनाह छुपाना..* *आप के "किरदार"* *का इम्तेहान है......* [*जाहिर हो जाये, तो वो दर्द कैसा ...* *ख़ामोशी न जाने, तो हमदर्द कैसा....*  सोचने वाली बात है। रावण को जलाने से पहले हुम् खुद उसे बना कर खड़ा करते हैं। [*ज़िन्दगी जीने के दो उसुल :* *रहो तो फूलों की तरह...*  और  *बिखरो तो ख़ुशबू की तरह !!* [ *भारत माता की जय* 🇮🇳 ‼️ *ठाकुर बाँकेबिहारी महाराज की जय*‼️ 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹       *꧁!! Զเधॆ Զเधॆ !!꧂* 🍁 *जहां जितना मुमकिन न हो उस जगह झुक जाने में कोई बुराई नहीं* 🍁          🌹 *सुप्रभात*    *आपका दिन मंगलमय रहे*      *जय हिंद   वन्दे मातरम*              🌹🙏🙏🌹   🪴🪴🪴🪴🪴🪴🪴🪴  *😡छल में बेशक बल है लेकिन माफ़ी आज भी हल है 🙏* *🌹🌹*  *👉 *🌹🌹* *☝हर मर्ज़ का इलाज नहीं दवाखाने में.!!कुछ दर्द चले जाते है दोस्तो के साथ मुस्कुराने में.!!*

नरेंद्र दमोरदास मोदी🙏

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कोई व्यक्ति कहीं से आ गया और प्रधानमंत्री बन गया... नहीं, ऐसा नहीं होता है। आप नरेंद्र दामोदर दास मोदी के आलोचक  हैं या प्रशंसक हैं.. ये बात जान लेनी चाहिए कि, इस व्यक्ति ने संघर्ष किया है,  कड़ा संघर्ष, भीषण संघर्ष। इतना Effortlessly किया है.. कि उन्हें खुद कभी इसका भान ही नहीं हुआ। बात तब की है, जब वो 21 वर्ष के थे। 2 वर्ष हिमालय में बिता कर आ चुके थे, 1-2 दिन घर में रहे और फिर घर छोड़ दिया। अहमदाबाद आकर चाचा के पास रहने लगे। गीता मंदिर स्टेट ट्रांसपोर्ट्स बस अड्डे पर, उनके चाचा कैंटीन चलाते थे। नरेंद्र मोदी किशोरावस्था में RSS में सक्रिय रहे थे, ऐसे में अहमदाबाद में भी उन्होंने संघ से संपर्क पुनः जोड़ा। इसी दौरान प्रान्त प्रचारक लक्ष्मणराव ईनामदार (वकील साहब) से उनकी मुलाकात हुई। उसी दौरान एक सत्याग्रह में गिरफ्तार होकर जेल भी गए। नरेंद्र मोदी ने चाचा के घर रहना छोड़ दिया और वकील साहब के घर रहने लगे। सोचिए, एक 22 साल का लड़का वकील साहब के घर पर रहने गया, जहाँ एक दर्जन से अधिक लोग पहले से ही रह रहे थे। वो लड़का सुबह उठ कर सबको जगाता था। सबके लिए चाय बनाता था चाय पिलाता था