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Showing posts from February, 2023

A Must Read

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5 mint nikaalo aur padho *1. सुबह उठ कर कैसा पानी पीना चाहिए*?     उत्तर -     हल्का गर्म *2.  पानी पीने का क्या तरीका होता है*?     उत्तर -    सिप सिप करके व नीचे बैठ कर *3. खाना कितनी बार चबाना चाहिए*?      उत्तर. -    32 बार *4.  पेट भर कर खाना कब खाना चाहिए*?      उत्तर. -     सुबह *5.  सुबह का नाश्ता कब तक खा लेना चाहिए*?      उत्तर. -    सूरज निकलने के ढाई घण्टे तक *6.  सुबह खाने के साथ क्या पीना चाहिए*?            उत्तर. -     जूस *7.  दोपहर को खाने के साथ क्या पीना चाहिए*?     उत्तर. -     लस्सी / छाछ *8.  रात को खाने के साथ क्या पीना चाहिए*?     उत्तर. -     दूध *9.  खट्टे फल किस समय नही खाने चाहिए*?     उत्तर. -     रात को *10. आईसक्रीम कब खानी चाहिए*?        उत्तर. -      कभी नही *11. फ्रिज़ से निकाली हुई चीज कितनी देर बाद*       *खानी चाहिए*?       उत्तर. -    1 घण्टे बाद *12. क्या कोल्ड ड्रिंक पीना चाहिए*?        उत्तर. -      नहीं *13.  बना हुआ खाना कितनी देर बाद तक खा*       *लेना चाहिए*?       उत्तर. -     40 मिनट *14.  रात को कितना खाना खाना चाहिए*?        

सुपुत्र

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जब एक शख्स लगभग पैंतालीस वर्ष के थे तब उनकी पत्नी का स्वर्गवास हो गया था। लोगों ने दूसरी शादी की सलाह दी परन्तु उन्होंने यह कहकर मना कर दिया कि पुत्र के रूप में पत्नी की दी हुई भेंट मेरे पास हैं, इसी के साथ पूरी जिन्दगी अच्छे से कट जाएगी। पुत्र जब वयस्क हुआ तो पूरा कारोबार पुत्र के हवाले कर दिया। स्वयं कभी अपने तो कभी दोस्तों के ऑफिस में बैठकर समय व्यतीत करने लगे। पुत्र की शादी के बाद वह ओर अधिक निश्चित हो गये। पूरा घर बहू को सुपुर्द कर दिया। पुत्र की शादी के लगभग एक वर्ष बाद दोहपर में खाना खा रहे थे, पुत्र भी लंच करने ऑफिस से आ गया था और हाथ–मुँह धोकर खाना खाने की तैयारी कर रहा था। उसने सुना कि पिता जी ने बहू से खाने के साथ दही माँगा और बहू ने जवाब दिया कि आज घर में दही उपलब्ध नहीं है। खाना खाकर पिताजी ऑफिस चले गये। थोडी देर बाद पुत्र अपनी पत्नी के साथ खाना खाने बैठा। खाने में प्याला भरा हुआ दही भी था। पुत्र ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और खाना खाकर स्वयं भी ऑफिस चला गया। कुछ दिन बाद पुत्र ने अपने पिताजी से कहा- ‘‘पापा आज आपको कोर्ट चलना है, आज आपका विवाह होने जा रहा है।’’ प

सुंदर कहानी💖

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एक छोटी सी कहानी ... बहुत समय पहले की बात है , किसी गाँव में एक किसान रहता था .  वह रोज़ भोर में उठकर दूर झरनों से स्वच्छ पानी लेने जाया करता था .  इस काम के लिए वह अपने साथ दो बड़े घड़े ले जाता था , जिन्हें वो डंडे में बाँध कर अपने कंधे पर दोनों ओर लटका लेता था . उनमे से एक घड़ा कहीं से फूटा हुआ था ,  और दूसरा एक दम सही था . इस वजह से रोज़ घर पहुँचते -पहुचते किसान के पास डेढ़ घड़ा पानी ही बच पाता था . ऐसा दो सालों से चल रहा था . सही घड़े को इस बात का घमंड था कि वो पूरा का पूरा पानी घर पहुंचता है और उसके अन्दर कोई कमी नहीं है ,   वहीँ दूसरी तरफ फूटा घड़ा इस बात से शर्मिंदा रहता था कि वो आधा पानी ही घर तक पंहुचा पाता है और किसान की मेहनत बेकार चली जाती है .   फूटा घड़ा ये सब सोच कर बहुत परेशान रहने लगा और एक दिन उससे रहा नहीं गया ,   उसने किसान से कहा ,   “ मैं खुद पर शर्मिंदा हूँ और आपसे क्षमा मांगना चाहता हूँ ?” “क्यों ? “ ,   किसान ने पूछा , “ तुम किस बात से शर्मिंदा हो ?” “शायद आप नहीं जानते पर मैं एक जगह से फूटा हुआ हूँ ,   और पिछले दो सालों से मुझे जितना पानी घर पहुँचा

! दो पोटली !!

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                   एक बार भगवान ने जब इंसान की रचना की तो उसे दो पोटली दी। कहा एक पोटली को आगे की तरफ लटकाना और दूसरी को कंधे के पीछे पीठ पर। आदमी दोनों पोटलियां लेकर चल पड़ा। हां, भगवान ने उसे ये भी कहा था कि आगे वाली पोटली पर नजर रखना पीछे वाली पर नहीं। समय बीतता गया। वह आदमी आगे वाली पोटली पर बराबर नजर रखता। आगे वाली पोटली में उसकी कमियां थीं और पीछे वाली में दुनिया की। वे अपनी कमियां सुधारता गया और तरक्की करता गया। पीछे वाली पोटली को इसने नजरंदाज कर रखा था। एक दिन तालाब में नहाने के पश्चात, दोनों पोटलियां अदल बदल हो गई। आगे वाली पीछे और पीछे वाली आगे आ गई। अब उसे दुनिया की कमियां ही कमियां नजर आने लगी। ये ठीक नहीं, वो ठीक नहीं। बच्चे ठीक नहीं, पड़ोसी बेकार है, सरकार निक्कमी है आदि-आदि। अब वह खुद के अलावा सब में कमियां ढूंढने लगा। परिणाम ये हुआ कि कोई नहीं सुधरा,पर उसका पतन होने लगा। वह चक्कर में पड़ गया कि ये क्या हुआ है? वो वापस भगवान के पास गया।भगवान ने उसे समझाया कि जब तक तेरी नजर अपनी कमियों पर थी,तू तरक्की कर रहा था।जैसे ही तूने दूसरों में मीन-मेख निकालने शुरू कर द

व्यर्थ का क्रोध

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एक साँप, एक बढ़ई की औजारों वाली बोरी में घुस गया। घुसते समय, बोरी में रखी हुई बढ़ई की आरी उसके शरीर में चुभ गई और उसमें घाव हो गया, जिससे उसे दर्द होने लगा और वह विचलित हो उठा। गुस्से में उसने उस आरी को अपने दोनों जबड़ों में जोर से दबा दिया। अब उसके मुख में भी घाव हो गया और खून निकलने लगा। अब इस दर्द से परेशान हो कर, उस आरी को सबक सिखाने के लिए, अपने पूरे शरीर को उस साँप ने उस आरी के ऊपर लपेट लिया और पूरी ताकत के साथ उसको जकड़ लिया। इस से उस साँप का सारा शरीर जगह जगह से कट गया और वह मर गया। ठीक इसी प्रकार कई बार हम तनिक सा आहत होने पर आवेश में आकर सामने वाले को सबक सिखाने के लिए अपने आप को अत्यधिक नुकसान पहुंचा देते हैं। *शिक्षा:-* क्रोध से हानि और पछतावे के अतिरिक्त कुछ और प्राप्त नहीं होता।             *सदैव प्रसन्न रहिये - जो प्राप्त है, पर्याप्त है।* *जिसका मन मस्त है - उसके पास समस्त है।।* ✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️

! कमजोरी ही शक्ति !!*

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वो बड़े इत्मीनान से गुरु के सामने खड़ा था। गुरु अपनी पारखी नजर से उसका परीक्षण कर रहे थे। नौ दस साल का छोकरा, बच्चा ही समझो। उसे बाया हाथ नहीं था, किसी बैल से लड़ाई में टूट गया था। तुझे क्या चाहिए मुझसे? गुरु ने उस बच्चे से पूछा। उस बच्चे ने गला साफ किया। हिम्मत जुटाई और कहा- मुझे आपसे कुश्ती सीखनी है। एक हाथ नहीं और कुश्ती लड़नी है? अजीब बात है। क्यूं? स्कूल में बाकी लड़के सताते हैं मुझे और मेरी बहन को। टुंडा कहते हैं मुझे। हर किसी की दया की नजर ने मेरा जीना हराम कर दिया है गुरुजी। मुझे अपनी हिम्मत पे जीना है। किसी की दया नहीं चाहिए। मुझे खुद की और मेरे परिवार की रक्षा करनी आनी चाहिए। ठीक बात। पर अब मैं बूढ़ा हो चुका हूं और किसी को नहीं सिखाता। तुझे किसने भेजा मेरे पास? कई शिक्षकों के पास गया मैं। कोई भी मुझे सिखाने को तैयार नहीं। एक बड़े शिक्षक ने आपका नाम बताया। तुझे वो ही सीखा सकते हैं। क्योंकि उनके पास वक्त ही वक्त है और कोई सीखने वाला भी नहीं है ऐसा बोले वो मुझे। वो गुरूर से भरा जवाब किसने दिया होगा ये उस्ताद समझ गए। ऐसे अहंकारी लोगों की वजह से ही खल प्रवृत्ति के लोग

जीवन सत्य

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शहर से कुछ दूरी पर बसे एक मोहल्ले में रुचिका अपने हस्बैंड के साथ रहती थी. उसके ठीक बगल में एक बुजर्ग व्यक्ति अकेले ही रहा करते थे, जिन्हें सभी “दादा जी” कह कर बुलाते थे। एक बार मोहल्ले में एक पौधे वाला आया. उसके पास कई किस्म के खूबसूरत, हरे-भरे पौधे थे। रुचिका और दादाजी ने बिलकुल एक तरह का पौधा खरीदा और अपनी-अपनी क्यारी में लगा दिया. रुचिका पौधे का बहुत ध्यान रखती थी. दिन में तीन बार पानी डालना, समय-समय पर खाद देना और हर तरह के कीटनाशक का प्रयोग कर वह कोशश करती की उसका पौधा ही सबसे अच्छा ढंग से बड़ा हो। दूसरी तरफ दादा जी भी अपने पौधे का ख़याल रख रहे थे, पर रुचिका के तुलना में वे थोड़े बेपरवाह थे… दिन में बस एक या दो बार ही पानी डालते, खाद डालने और कीटनाशक के प्रयोग में भी वे ढीले थे। समय बीता. दोनों पौधे बड़े हुए। रुचिका का पौधा हरा-भरा और बेहद खूबसूरत था. दूसरी तरफ दादा जी का पौधा अभी भी अपने सर्वश्रेष्ठ रूप में नहीं आ पाया था। यह देखकर रुचिका मन ही मन पौधों के विषय में अपनी जानकारी और देखभाल करने की लगन को लेकर गर्व महसूस करती थी। फिर एक रात अचानक ही मौसम बिगड़ गया. हवाएं तूफ़ा

💐💐हार-जीत का फैसला💐💐*

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*🌳🦚आज की कहानी🦚🌳* * 💐💐हार-जीत का फैसला💐💐* बहुत समय पहले की बात है। आदि शंकराचार्य और मंडन मिश्र के बीच सोलह दिन तक लगातार शास्त्रार्थ चला। शास्त्रार्थ में निर्णायक थीं- मंडन मिश्र की धर्म पत्नी देवी भारती।  हार- जीत का निर्णय होना बाक़ी था, इसी बीच देवी भारती को किसी आवश्यक कार्य से कुछ समय के लिये बाहर जाना पड़ गया।  लेकिन जाने से पहले देवी भारती ने दोनों ही विद्वानों के गले में एक- एक फूल माला डालते हुए कहा, ये दोनों मालाएँ मेरी अनुपस्थिति में आपके हार और जीत का फैसला करेंगी। यह कहकर देवी भारती वहाँ से चली गईँ। शास्त्रार्थ की प्रकिया आगे चलती रही।  कुछ देर पश्चात् देवी भारती अपना कार्य पुरा करके लौट आईं। उन्होंने अपनी निर्णायक नजरों से शंकराचार्य और मंडन मिश्र को बारी-बारी से देखा और अपना निर्णय सुना दिया। उनके फैसले के अनुसार आदि शंकराचार्य विजयी घोषित किये गये और उनके पति मंडन मिश्र की पराजय हुई थी।  सभी दर्शक हैरान हो गये कि बिना किसी आधार के इस विदुषी ने अपने पति को ही पराजित करार दे दिया। एक विद्वान नें देवी भारती से नम्रतापूर्वक जिज्ञासा की- हे ! देवी आप तो शा

Mathematics And Word Play

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Ha Ha. A real mathematician can mathematically mathematise mathematics in a mathematical mathematiculation. So if a mathematician can mathematise mathematics in a mathematical mathematiculation, why can't you mathematically mathematise mathematics in a mathematical mathematiculation like the mathematician who mathematically mathematises mathematics in a mathematical mathematiculation?

॥🌹कर्मों की खेती 🌹॥*

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*‼️ धार्मिक चिंतन ‼️* *॥🌹कर्मों की खेती 🌹॥* 👉 *मनुष्य जीवन एक खेत है, जिसमें कर्म बोए जाते हैं और उन्हीं के अच्छे-बुरे फल काटे जाते हैं । जो अच्छे कर्म करता है, वह अच्छे फल पाता है, बुरे कर्म करने वाला बुराई समेटता है । कहावत है- *"आम बोएगा वह आम खाएगा, बबूल बोएगा वह काँटे पाएगा ।" बबूल बोकर जिस तरह आम प्राप्त करना प्रकृति का सत्य नहीं, उसी प्रकार *"बुराई के बीज बोकर भलाई पा लेने की कल्पना भी नहीं की जा सकती ।"* 👉 *मनुष्य-जीवन में भी इस सत्य के अतिरिक्त और कुछ नहीं हो सकता, *"वैसे ही बुराई का प्रतिफल बुराई न हो, ऐसा आज तक न कभी हुआ, न आगे होगा ।" इतिहास साक्षी है, *"कार्य कभी कारण रहित नहीं होते और कोई भी परिणाम कभी अपने आप नहीं बनते वरन् वह व्यक्ति के कर्मों की कलम से लिखे जाते हैं ।" अच्छा या बुरा भाग्य अपने ही कर्म का फल होता है ।* 👉 *व्यक्ति, समाज या राष्ट्र बुराई से पनपा, *"यह एक भ्रम है ।" जीवन हर क्षण का लेखा-जोखा रखता है । जल कीचड़ से बहेगा, वह दुर्गंध रहित नहीं होगा, जल होने का भ्रम उत्पन्न करके भी वह पेय नहीं

*💐💐प्रभु प्रेम💐💐*

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* 🌳🦚आज की कहानी🦚🌳* *💐💐प्रभु प्रेम💐💐* उड़ीसा में बैंगन बेचनेवाले की एक बालिका थी | दुनिया की दृष्टि से उसमें कोई अच्छाई नहीं थी | न धन था, न रूप |                                               किन्तु दुनिया की दृष्टिसे नगण्य उस बालिका को संत जयदेव गोस्वामी जी का पद गीत गोविंदम बहुत ही भाता था | वह दिन-रात उसको गुनगुनाती रहती थी और भगवान के प्रेम में डूबती-उतराती रहती थी |  वह घर का सारा काम करती, पिता-माता की सेवा करती और दिनभर जयदेव जी का पद गुनगुनाया करती और भगवान की याद में मस्त रहती |  पूर्णिमा की रात थी, पिताजी ने प्यारी बच्ची को जगाया और आज्ञा दी कि बेटी ! अभी चाँदनी टिकी है, ईसी प्रकाश में बैंगन तोड़ लो जिससे प्रातः मैं बेच आऊँ |  वह गुनगुनाती हुई सोयी थी और गुनगुनाती हुई जाग गयी | जागने पर इस गुनगनाने में उसे बहुत रस मिल रहा था |  वह गुनगुनाती हुई बैंगन तोड़ने लगी, कभी इधर जाती, कभी उधर; क्योंकि चुन-चुनकर बैंगन तोड़ना था | उस समय एक ओर तो उसके रोम-रोम से अनुराग झर रहा था और दूसरी ओर कण्ठ से गीतगोविन्द के सरस गीत प्रस्फुटित हो रहे थे |  प्रेमरूप भगवान् इसके पीछे क

सद विचार

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अरमान सिर्फ उतने ही अच्छे हैं!* *जिनमें.* *स्वाभिमान गिरवी रखने की* *ज़रूरत ना पड़े!!!*    यूरोप का एक देश है नार्वे .... वहां कभी जाईयेगा तो यह सीन आम तौर पर पाईयेगा.. एक रेस्तरां है .. उसके कैश काउंटर पर एक महिला आती है और कहती है -"5 Coffee, 1 Suspension"..फिर वह पांच कॉफी के पैसे देती है और चार कप कॉफी ले जाती है ... थोड़ी देर बाद .... एक और आदमी आता है ,कहता है- "4 Lnch , 2 Suspension" ! वह चार Lunch का भुगतान करता है और दो Lunch packets ले जाता है... फिर एक और आता है ...आर्डर देता है - "10 Coffee , 6 Suspension" !! वह दस के लिए भुगतान करता है, चार कॉफी ले जाता है... थोड़ी देर बाद.... एक बूढ़ा आदमी जर्जर कपड़ों में काउंटर पर आकर पूछता है- "Any Suspended Coffee ??" काउंटर-गर्ल मौजूद कहती है- "Yes !!"और एक कप गर्म कॉफी उसको दे देती है ... कुछ देर बाद वैसे ही एक और दाढ़ी वाला आदमी अंदर आता है,पूछता है- "Any Suspended Lunch ??" तो काउंटर पर मौजूद व्यक्ति गर्म खाने का एक पार्सल और पानी की एक बोतल उसको दे देता है ...

एक कहानी

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एक बार एक आदमी ने बहुत तपस्या की । भगवान उसके तप से प्रसन्न हो गए और पूछा क्या वरदान चाहिए ?? उस आदमी ने कहा...प्रभु, मुझे कोई ऐसी चीज दीजिए जिससे जो कुछ भी मांगो तुरंत मिल जाए । भगवान ने उसे एक पत्थर दिया और कहा इससे तुम जो कुछ मांगोगे वह तुम्हें मिल जाएगा । वह आदमी पत्थर लेकर मुड़ ही रहा था कि भगवान ने कहा रुको , एक और वरदान भी है । तुम इस पत्थर से जो अपने लिए मांगोगे तुम्हारे पड़ोसी को उसका दुगना मिलेगा । वह आदमी चिल्लाया भगवान यह क्या वरदान हुआ...मेरे पड़ोसी को मिलेगा तो फिर मुझे क्या फायदा हुआ , वह तो बिना मेहनत के दुगना पा जाएगा । तब तक भगवान अंतर्धान हो गए । वह आदमी बहुत उदास मन से घर लौटा और पत्थर को बक्से में बंद करके रख दिया कि कुछ नहीं मांगूंगा क्योंकि पड़ोसी को मुफ़्त में दुगुना मिल जाएगा । कुछ दिन बाद इलाके में सूखा पड़ा , अनाज नहीं हुआ , सबको खाने के लाले पड़ गए । पत्नी ने कहा....पत्थर से खाना मांगो तो उस आदमी ने कहा कि नहीं पड़ोसी को डबल मिलेगा , हम नहीं मांगेंगे । पत्नी ने जब उसे डांटा तो वो पत्थर निकाल कर लाया और फ़िर हाथ जोड़कर कहा कि हमें एक थाली खाना दे दो

Take a U Turn

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Suprabhatam:-                                                Don’t ever rule out the option of U-turn in your life, because one day you will need it! The moment you realize that you are going to the wrong direction, turn to the right direction instantly, with a beautiful U-turn! Wisdom requires a flexible mind. The measure of intelligence is in the ability to change to the varied circumstance. The measure of a person’s strength is not in his muscular power or strength, but it is his flexibility and adaptability. Life is a movement, more life is there where more flexibility is there. The more fluid you are, the more you are alive. Stay committed to your decisions, but stay flexible in your approach.                                             *.                                                              Be Happy!! Keep Smiling!!                   💐Vande Mataram!!💐