आज की कहानी💐

*💐आज की कहानी💐*
सुप्रभातम्* 🌅🌄🕉️
 *नमस्कार🙏
कहानी से सीख की सुप्रभात कहानी में आप सभी का स्वागत है!
प्रतिदिन कहानियों का आनंद लेने के लिए*,

*(((( कर्मों का लेन देन ))))*
.
अधिकांश शास्त्रों में वर्णित है कि बेटा बन कर, बेटी बनकर, दामाद बनकर और बहू बनकर वही आता है जिसका हमारे साथ कर्मों का लेना देना होता है। लेना देना नही होगा तो नही
.
एक फौजी था, जो अनाथ था। जो अपना वेतन फौज में जमा करता जा रहा था।
.
थोड़े दिन में एक सेठ जी फौज में माल सप्लाई करते थे उनका परिचय हो गया।
.
सेठजी ने कहा जो तुम्हारे पास पैसा है, वह उतने के उतने ही पड़े हैं, तुम मुझे दे दो मैं कारोबार में लगा दूं तो पैसे से पैसा बढ़ जायेगा, इसलिए तुम दे दो।
.
फौजी ने सेठजी को पैसा दे दिया। सेठ जी ने कारोबार में लगा दिया।
.
कारोबार उनका चमक गया, खूब कमाई होने लगी, कारोबार बढ़ गया।
.
थोड़े ही दिन युद्ध में शुरू हो गया। फौजी घोड़ी पर चढ़कर लड़ने गया। वह जितनी जोर जोर से लगाम खींचे उतनी ही तेज घोड़ी भागे। 
.
खीेंचते खींचते उसके गल्फर तक कट गये लेकिन लेकिन वो दौड़कर दुश्मनों के गोल में जाकर खड़ी हो गई। 
.
दुश्मनों ने वार किया, फौजी भी मर गया, घोड़ी भी मर गई।
.
अब सेठजी को मालूम हुआ कि फौजी मर गया तो सेठ जी बहुत खुश हुए कि.. 
.
उसका कोई वारिस तो है नहीं, अब मेरे पास पैसा भी हो गया, कारोबार भी चमक गया, लेने वाला भी नहीं रहा तो सेठजी बहुत खुश हुए।
.
तब तक कुछ ही दिन के बाद सेठजी के घर में लड़का पैदा हो गया, अब सेठजी और खुश, कि भगवान की बड़ी दया है। 
.
खूब पैसा भी हो गया, कारोबार भी हो गया, लड़का भी हो गया, लेने वाला भी मर गया सेठजी बहुत खुश। लड़का होशियार था पढ़ने में समझदार था ।
.
सेठजी ने उसे पढ़ाया लिखाया, जब वह पढ़ लिखकर बड़ा हो गया तो सोचा कि अब ये कारोबार सम्हाल लेगा, चलो अब इसकी शादी कर दें।
.
शादी करते ही घर में आ गई बहुरानी, दुल्हन आ गई। अब उसने सोचा कि चलो, बच्चे की शादी हो गई अब कारोबार सम्हालेगा।
.
लेकिन कुछ दिन में बेटे की तबियत खराब हो गई।
.
अब सेठ जी डाॅक्टर के पास, हकीम के पास, वैद्य के पास दौड़ रहे हैं। वैद्य जी जो दे रहे हैं दवा खिला रहे हैं और दवा असर नहीं कर रही, बीमारी बढ़ती ही जा रही।
.
पैसा बरबाद हो रहा है और बीमारी बढ़ती ही जा रही है।
.
रोग ठीक नही हो रहा,पैसा खूब लग रहा है।अब अन्त में डाॅक्टर ने कह दिया कि ला-इलाज मर्ज हो गया है।
.
डाॅक्टरों के जवाब देने पर सेठजी निराश होकर बच्चे को लेकर रोते हुए आ रहे।
.
रास्ते में एक आदमी मिला। कहा अरे सेठजी क्या हुआ बहुत दुखी लग रहे हो ?
.
सेठजी ने कहा, बेटा जवान था, हमने सोचा बुढ़ापे में मदद करेगा।
.
अब ये बीमार हो गया शादी होते ही। हमने इसके लिये खूब पैसा लगा दिया। जिसने जितना मांगा उतना दिया..
.
लेकिन आज डाॅक्टरों ने जवाब दे दिया। अब ये बचेगा नहीं। असाध्य रोग हो गया। अब इसका अंतिम समय है।
.
आदमी ने कहा अरे सेठजी, "तुम क्यों दिल छोड़ रहे हो। मेरे पड़ोस में वैद्य जी दवा देते हैं। दो आने की पुड़िया खाकर मुर्दा भी उठकर खड़ा हो जाता है। जल्दी से तुम वैद्य जी की दवा ले आओ।"
.
सेठजी दौड़कर गये, दो आने की पुड़िया ले आये और पैसा दे दिया।
.
पुड़िया ले आये बेटे को खिलाई। वह पुड़िया खाते ही मर गया।
.
जब बच्चा मर गया अब सेठजी रो रहे हैं, सेठजी और उनके परिवार के साथ साथ पूरे गाँव वालों की आँखों में भी आँसू थे।
.
तब तक एक सिद्ध महात्मा जी आ गये। उन्होनें सबके रोने का कारण पूछा।
.
लोगों ने बताया,- "इस सेठ का एक ही जवान लड़का था वो भी मर गया इसलिए सब लोग रो रहे हैं। सब दुखी हो रहे हैं।"
.
महात्मा बोले- "सेठजी रोना क्यों?"
.
सेठजी बोले, "महाराज जिसका जवान बेटा मर जाये वो रोयेगा नही तो क्या करेगा।"
.
महात्मा कहने लगे, "और उस दिन तो आप बड़े खुश थे।
.
सेठजी बोले, "किस दिन?"
.
महात्मा बोले,"फौजी ने जिस दिन पैसा दिया था।
.
"सेठ समझ गए कि यह सिद्ध महात्मा हैं।
.
वह कहने लगे,"हां कारोबार के लिए पैसा मिला था तो खुशी तो थी।"
.
महात्मा व्यंग्य से बोले कि "और उस दिन तो आपकी खुशी का ठिकाना ही नही था।"
.
बोले कि "किस दिन ?"
.
"अरे जिस दिन फौजी मर गया, सोचा कि अब तो पैसा भी नहीं देना पड़ेगा। माल बहुत हो गया, कारोबार खूब चमक गया, अब देना भी नहीं पड़ेगा बहुत खुश थे।"
.
फिर महात्मा कहने लगे, "अरे सेठजी, वहीं फौजी पैसा लेने के लिए बेटा बन कर आ गया।
.
पढ़ने में, लिखने में, खाने में, पहनने में और शौक मे, श्रृंगार में जितना लगाना था लगाया। शादी ब्याह में सब लग गया।
.
और ब्याज दर ब्याज लगाकर डाक्टरों को दिलवा दिया। 
.
"अब जब दो आने पैसे बच गये वो भी वैद्य जी को दिलवा दिये और पुड़िया खाकर चल दिया। जब कर्मो का लेना देना पूरा हुआ गया।"
.
सेठजी रोने लगे कि, "हमारे साथ तो कर्मो का लेन देन था। चलो हमारे साथ तो जो हुआ सो हुआ। 
.
लेकिन वो जवान बहुरानी घर में रो रही है, जवानी में उसको धोखा देकर, विधवा बनाकर चला गया उसका क्या जुर्म था कि उसके साथ ऐसा गुनाह किया।"
.
महात्मा बोले... "यह वही घोड़ी है। जिसने जवानी में उसको धोखा दिया इसने भी जवानी में उसको धोखा दे दिया।"
.
हमारे साथ जिसके जितने जितने कर्मो के लेन देन के सम्बन्ध हैं, उतनी देर वे लोग हमारे साथ भावों और व्यवहार का आदान प्रदान करते हैं।
.
यदि वे अच्छे होते हैं तो हमारी सन्तान दीर्घायु और उत्तम आचरण वाली होती है अन्यथा अल्पायु या जीवन भर दुखी करने के लिए उत्पन्न होती है।
.
जैसा बोते हैं वैसा काटते हैं। तभी कुछ लोग धनी और साधन सम्पन्न और कुछ दो जून की रोटी के लिए तरस जाते हैं।
.
कुछ बच्चे स्वस्थ और वैभव में पलते है। यहाँ तक कि पालतू जानवरों को भी बच्चों जैसा लाड प्यार, उत्तम भोजन और आरामदेह बिस्तर और वस्त्र पहनने को मिलते हैं।
.
*हाँ, जिनकी आध्यात्मिकता में रूचि होती है, परोपकारी और नम्र स्वभाव के होते हैं, गलत कर्मों से दूर रहने की यथासंभव कोशिश करते हैं...*
.
*ईश्वर के स्मरण को दिनचर्या में समय देते हैं, ईश्वर की रजा में राजी रहते हैं उनके पिछले बुरे कर्मों का भुगतान सूली से काँटे के रूप में ईश्वर द्वारा कृपा से हो जाता है।*
.
*यानि दो किलो का कष्ट दो ग्राम में भुगतान हो जाता है।*
.
सभी भारतीय शास्त्र इन तथ्यो का प्रतिपादन करते हैं।
.
*हमें नहीं पता, हम पिछले जन्म में कौनसे कर्म करके आए हैं। यदि हम पुनर्जन्म में विश्वास करते हैं, और अपनी आत्मा का कल्याण चाहते हैं तो ईश्वर-स्मरण को अपनी दिनचर्या में महत्वपूर्ण स्थान देना चाहिए।*
.
जिससे हमारे कर्म अच्छे रहें, सोच सकारात्मक रहे और हम कष्ट के भागी न बनें।
.
यदि पिछले अधिक नकारात्मक कर्मों के कारण कष्ट झेलना जरूरी हो भी जाए तो उसकी भयावता ईश्वर कृपा से कम हो जाए।

~~~~~~~~~~~~~~~~~
 ((((((( जय जय श्री राधे )))))))
~~~~

Comments

Popular posts from this blog

Science of Namaste 🙏

Children And Animals

World Record of Excellence – England 🌟