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Showing posts from April, 2023

सुंदर कविता

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* मुंशी प्रेमचंद जी की एक "सुंदर कविता", जिसके एक-एक शब्द को, बार-बार "पढ़ने" को "मन करता" है-_* ख्वाहिश नहीं, मुझे मशहूर होने की,"         _आप मुझे "पहचानते" हो,_         _बस इतना ही "काफी" है।_😇 _अच्छे ने अच्छा और_ _बुरे ने बुरा "जाना" मुझे,_         _जिसकी जितनी "जरूरत" थी_         _उसने उतना ही "पहचाना "मुझे!_ _जिन्दगी का "फलसफा" भी_ _कितना अजीब है,_         _"शामें "कटती नहीं और_   -"साल" गुजरते चले जा रहे हैं!_ _एक अजीब सी_ _'दौड़' है ये जिन्दगी,_    -"जीत" जाओ तो कई_  -अपने "पीछे छूट" जाते हैं और_ _हार जाओ तो,_ _अपने ही "पीछे छोड़ "जाते हैं!_😥 _बैठ जाता हूँ_ _मिट्टी पे अक्सर,_         _मुझे अपनी_         _"औकात" अच्छी लगती है।_ _मैंने समंदर से_ _"सीखा "है जीने का तरीका,_         _चुपचाप से "बहना "और_         _अपनी "मौज" में रहना।_ _ऐसा नहीं कि मुझमें_ _कोई "ऐब "नहीं है

सनातन गड़ी

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12:00 बजने के स्थान पर आदित्य लिखा हुआ है, जिसका अर्थ यह है- सूर्य 12 प्रकार के होते हैं। 1:00 बजने के स्थान पर ब्रह्म् लिखा हुआ है, इसका अर्थ यह है- ब्रह्म् (ईश्वर) एक ही होता है। यानी एको ब्रह्म् द्वितीयो नास्ति। 2:00 बजने की स्थान पर अश्विन और लिखा हुआ है, जिसका तात्पर्य यह है कि अश्विनी कुमार दो हैं। एक- नासत्य और दूसरे- दस्त्र। 3:00 बजने के स्थान पर त्रिगुण: लिखा हुआ है, जिसका तात्पर्य है कि गुण तीन प्रकार के हैं- सतोगुण, रजोगुण, तमोगुण। 4:00 बजने के स्थान पर चतुर्वेद लिखा हुआ है, जिसका तात्पर्य है कि वेद चार होते हैं- ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद। 5:00 बजने के स्थान पर पंचप्राणा लिखा हुआ है, जिसका तात्पर्य है कि प्राण पाँच प्रकार के होते हैं- प्राण, अपान, व्यान, उदान और समान। 6:00 बजने के स्थान पर षड्र्स लिखा हुआ है, इसका तात्पर्य है कि रस छ: प्रकार के होते हैं- मधुर, अम्ल, लवण, कटु, तिक्त और कषाय। 7:00 बजे के स्थान पर सप्तॢष लिखा हुआ है, इसका तात्पर्य है कि सप्त यानी सात ऋषि हुए हैं- वशिष्ठ, कश्यप, अत्रि, जमदग्नि, गौतम, विश्वामित्र और भारद्वाज। 8:00 बजने के स

Hilarious Apology Letter.....

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I can't control my laughing............. Hope you all enjoy the same. 😃😃😃 Hilarious Apology Letter..... A School Master from a remote rural area in Bihar was transferred to a new School in Mumbai. He reported for duty two days after the actual date of joining. Consequently he was asked for an explanation in writing... Deer sur, If small small mistakes getting inside my letter, I big you pardon, ass I am not a good englis speaker. This is my fist vijit to Bombai. Stickly speaking, I wanted to joint your school more fastly, but for the following region, too much time lost in getting slipper reservation in three-tyre compartment. I tolded I has head ache problem due to migration. Still the clerk rejected to give ticket to I and my sun. I putted a complain on station masterji. He said I to go to the lady clerk. At first she also rejected. I then pressed her for long time and finally with great difficulty she gave a birth to my son.  Anyway I thanked the station master al

! चालाक मछली !!*

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एक बार की बात है, एक मछुआरा था। वह रोज़ तालाब में जाकर मछली पकड़ता था। जिसे बेचकर वह अपना गुजारा करता था। कभी उसके जाल में बहुत सारी मछली आती थी और कभी कम। एक दिन वह तालाब पर मछली पकड़ने के लिए गया। वह अपना जाल लगाकर कुछ देर बैठ गया। कुछ देर के बाद जब उसने अपना जाल निकाला तो उसके जाल में बहुत सारी मछली थी। वह बहुत खुश हुआ। उसने वह सारी मछली बाज़ार ले जाकर बेच दी। जिससे उसको अच्छे पैसे मिले। अगले दिन वह उसी उम्मीद से तालाब गया।  उसने अपना जाल तालाब में डाला और कुछ देर इंतज़ार किया। कुछ देर के बाद उसके जाल में कुछ सरसराहट सी होने लगी। जब उसने अपना जाल खींचा तो उसमें एक छोटी सी मछली थी। जब वह उस मछली को निकालने लगा तो वह मछली मछुआरे से बोली तुम मुझे छोड़ दो नहीं तो पानी के बिना मैं मर जाउंगी। उसकी इस बात को मछुआरे ने अनसुना कर दिया। मछली मछुआरे से बोली अगर तुम मुझको छोड़ दोगे तो मैं अपने सभी साथी मछलियों को कल तुम्हारे लिए बुलाकर लाऊंगी जिससे तुम बहुत सारी मछली पकड़ सकते हो। मछुआरे को मछली की बात फ़ायदेमन्द लगी। उसने सोचा अगर मुझे एक छोटी सी मछली के बदले बहुत सारी मछली मिलती है तो यह अ

*🦚आज की कहानी🦚*

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*🦚 आज की कहानी🦚* *💐न माया मिली न राम💐* किसी गाँव में दो दोस्त रहते थे। एक का नाम हीर था। दूसरे का मोती. दोनों में गहरी दोस्ती थी और वे बचपन से ही खेलना-कूदना, पढना-लिखना हर काम साथ करते आ रहे थे। जब वे बड़े हुए तो उनपर काम-धंधा ढूँढने का दबाव आने लगा. लोग ताने मारने लगे कि दोनों निठल्ले हैं और एक पैसा भी नही कमाते। एक दिन दोनों ने विचार-विमर्श कर के शहर की ओर जाने का फैसला किया. अपने घर से रास्ते का खाना पीना ले कर दोनों भोर होते ही शहर की ओर चल पड़े। शहर का रास्ता एक घने जंगल से हो कर गुजरता था. दोनों एक साथ अपनी मंजिल की ओर चले जा रहे थे. रास्ता लम्बा था सो उन्होंने एक पेड़ के नीचे विश्राम करने का फैसला किया. दोनों दोस्त विश्राम करने बैठे ही थे की इतने में एक साधु वहां पर भागता हुआ आया. साधु तेजी से हांफ रहा था और बेहद डरा हुआ था। मोती ने साधु से उसके डरने का कारण पूछा। साधु ने बताय कि-आगे के रास्ते में एक डायन है और उसे हरा कर आगे बढ़ना बहुत मुश्किल है, मेरी मानो तुम दोनों यहीं से वापस लौट जाओ। इतना कह कर साधु अपने रास्ते को लौट गया। हीरा और मोती साधु की बातों को सुन कर

JAI BHAGWAN JI

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"" JAI BHAGWANJI"" कल दोपहर मैं बैंक में गया था तो वहाँ एक बुजुर्ग भी अपने काम से आये थे। वहाँ वह कुछ ढूंढ रहे थे! मुझे लगा शायद उन्हें पैन चाहिये! इसलिये उनसे पुछा तो, वह बोले *"बीमारी के कारण मेरे हाथ काँप रहे हैं और मुझे पैसे निकालने की स्लिप भरनी है, उसके लिये मैं देख रहा हूँ कि कोई मदद कर दे!"* मैंने बोला *"आपको कोई आपत्ति न हो तो मैं आपकी स्लिप भर देता हूँ!"*    उन्होंने मुझे स्लिप भरने की अनुमति दे दी! मैंने उनसे पूछकर स्लिप भर दी! रकम निकाल कर उन्होंने मुझसे पैसे गिनने को कहा तो मैंने पैसे भी गिन दिये! हम दोनों एक साथ ही बैंक से बाहर आये तो, बोले *"साॅरी तुम्हें थोड़ा कष्ट तो होगा परन्तु मुझे रिक्षा करवा दो इस भरी दोपहरी में रिक्षा मिलना बड़ा कष्टकारी होता है!"* मैंने बोला *"मुझे भी उसी ओर जाना है, मैं आपको कार से घर छोड़ देता हूँ!"*      वह तैयार हो गये। हम उनके घर पहूँचे!  60'×100' के प्लाट पर बना हुआ घर तो क्या, बंगला कह सकते हो! घर में उनकी वृद्ध पत्नी थीं! वह थोड़ी डर सी गई कि इनको कुछ हो तो नह

लल्लू के बच्चे

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🐒🐒🐒 लल्लू के बच्चे 🐒🐒🐒 (सार्थक व्यंग्य) कलेक्टर के घर के सामने लल्लू ने घर खरीद लिया😀दोनों के दो दो बच्चे थे....  एक दिन मोहल्ले में आइसक्रीम बेचने वाला आया तो लल्लू के बच्चों ने बोला:- हमें आइसक्रीम खानी है😀 लल्लू ने झट 20 रूपये दिये और कहा:-  जाओ खा लो....... आइसक्रीम वाला कलेक्टर के घर के सामने पहुंचा, तो उसके बच्चों ने भी आइसक्रीम खाने के लिए कहा.    कलेक्टर बोला:-  बच्चों ! यह डर्टी होती है,अच्छी नहीं है.बीमार हो जाओगे और बच्चे बेचारे मन मसोस कर बैठ गए🤔  दो दिन बाद रेवड़ी गजक वाला मोहल्ले में आया.फिर लल्लू के बच्चों ने गजक खाने की इच्छा जताई तो लल्लू ने झट 20 रूपये दिये और बच्चों ने गजक खा ली😀 अब गजक वाला कलेक्टर के घर के पास पहुंचा तो उसके बच्चों ने भी गजक खाने की जिद करी🤔 कलेक्टर ने कहा:- बेटा !इस पर डस्ट लगी होती है.बीमारी हो जाती है😎 बच्चे फिर मुँह लटका कर बैठ गए.... 😭 कुछ दिन बाद मोहल्ले में मदारी आया,जो बंदर नचा रहा था😀 लल्लू के बच्चों ने कहा:-हमें बंदर के साथ खेलना है😀 लल्लू ने मदारी को 50 रूपये दिए और थोड़ी देर बच्चों को बंदर से खेलने को कह दिया.

आज की अमृत कथा*

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* आज की अमृत कथा* *🦚🦜राधा रानी का चिंतन,,,,🦜🦚* *तीन साधु थे, यात्रा कर रहे थे यमुना किनारे उनमें तीसरा साधु जो था वो बुढा था, वृद्ध था, उसने कहा ''भाई हम इस गाँव के बाहर मन्दिर में आसन लगा के यहां रहेगे'' तुम तो जवान हो, तुम चलेे जाओ। तो दो जवान साधु आगे गये l चलते-चलते संध्या हो गयी दोनों साधुओं ने सोचा अब बरसाना आ रहा है, राधा रानी जी का गाँव, क्या करेंगे ? मांगेगे कहाँ ?*   *बोले मांगना कहाँ हम तो राधारानी के मेहमान है l  माता खिलाएगी तो खा लेंगे नहीं तो मन्दिर में आरती के समय कहीं कुछ प्रसाद मिलेगा वो खा के पानी पिलेगें..!* *साधुओं ने हंसी हंसी में ऐसा कहा, वो साधु पहुंच गये बरसाना और बरसाना में आरती हुई, उस दिन मन्दिर में उत्सव भी हुआ था l*  *साधु बाबा बोले मांगेगे तो नहीं राधारानी के मेहमान है, ऐसे कह कर साधु सो गये।*  *रात्रि में 11 बजे राधारानी जी के पुजारी को राधारानी जी ने ऐसा जगाया, राधा रानी बोली ''मेहमान हमारे भूखे हैं, तू सो रहा है।* *''पुजारी जी ने पूछा मेहमान कौन है ?* *राधा रानी जी ने कहा वह दो साधु...* *पुजारी के तो होश-

Safar'' (1971)

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  “ Zindagi ka safar”, is the title song of the movie “Safar'' (1971) and has Rajesh Khanna and Sharmila Tagore playing the lead pair.  Other star cast includes Ashok Kumar, Feroze Khan, IS Johar, Aruna Irani, Nadira  and others. The film was produced by Mushir Riaz and directed by Asit Sen.  Lyrics were penned by Indeevar and music was composed by Kalyanji-Anandji. The film is based on a Bengali film ‘Chalachal’ which was also directed by Asit Sen in 1956 based on a Bengali novel written by Ashutosh Mukherjee. This is one the 15 solo super-hits of Rajesh Khanna during the period 1969-71 and I can say that his performance is the highlight of the movie apart from the super-hit songs.  It can be said that he virtually carried the film on his shoulders, giving the best performance (even better than that of ‘Anand’) as a person living with cancer and hanging onto life by a slender thread. I posted a couple of songs from this movie earlier.  This was one of the most succ

Baahon Mein Chale Aao.. Wonderful Song

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It’s Sunday so let’s start with one of my favourites, Tahir Hussain’s 1973 romantic thriller *”Anamika”* directed by Raghunath Jhalani.  The film starred Sanjeev Kumar and Jaya Bhaduri along with Iftekhar, Helen, A K Hangal, Achala Sachdev, Rajesh Behal, Narendra Nath and Asrani.  The film was remade in Telugu in 1977 as Kalpana. This movie has been produced by Aamir Khan's father Tahir Hussein Khan who is Nasir Hussein's younger brother The song bahome chale aa as is Lata Mangeshkar's favorite song. She must sing it in every show of hers. Anamika is one of the best movies of Sanjeev Kumar and Jaya Bhaduri. They play the romantic lead opposite each other for the second time after Koshish. They have also been cast as father-daughter in Parichay and would later play father-in-law and daughter-in-law in Sholay. That is a wide spectrum. The movie was hit and the 12th highest grossing film of 1973. Rakesh Bedi signed the film right after graduating from the film inst

Think...

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                *🙏भगवान🙏* *🙏द्रौपदी के स्वयंवर में जाते वक्त श्री कृष्ण" अर्जुन को समझाते हुए कहते हैं कि,*  *हे पार्थ तराजू पर पैर संभलकर रखना, संतुलन बराबर रखना, लक्ष्य मछली की आंख पर ही केंद्रित हो उसका खास खयाल रखना,* *तो अर्जुन ने कहा,*  *🙏"हे प्रभु " सब कुछ अगर मुझे ही करना है, तो फिर आप क्या करोगे ⁉️* *वासुदेव हंसते हुए बोले,* *हे पार्थ जो आप से नहीं होगा वह मैं करुंगा,* *🙏पार्थ ने कहा , प्रभु ऐसा क्या है जो मैं नहीं कर सकता, ⁉️* *वासुदेव फिर हंसे और बोले,* *जिस अस्थिर, विचलित, हिलते हुए पानी में तुम मछली का निशाना साधोगे, उस विचलित "पानी" को स्थिर "मैं" रखूंगा* *कहने का तात्पर्य यह है कि आप चाहे कितने ही निपुण क्यूँ ना हो, कितने ही बुद्धिवान क्यूँ ना हो, कितने ही महान एवं विवेकपूर्ण क्यूँ ना हो, लेकिन आप स्वयं हरेक परिस्थिति के ऊपर पूर्ण नियंत्रण नहीं रख सकते..* *आप सिर्फ अपना प्रयास कर सकते हो, लेकिन उसकी भी एक सीमा है और जो उस सीमा से आगे की बागडोर संभलता है उसी का नाम*            *🙏"भगवान"*🙏    *🙏🙏🏻🙏🏿जय जय

आज का भगवद् चिंतन🌹

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🌹 आज का भगवद् चिंतन🌹 🙏जय श्री राम🙏           हनुमान जी का जीवन हमें शिक्षा देता है कि सेवा ही वो मार्ग है जिससे जगत तो क्या जगदीश को भी जीता जा सकता है। प्रभाव से नहीं स्वभाव से ही किसी को जीता है।         विद्यावान गुणी अति चतुर - हमारी सारी विद्या और सारे गुणों का समर्पण अगर श्री राम जी कार्य के लिए नहीं है तो वह ज्ञान बोझ है। हनुमान जी तो राम काज के लिए ही सारे सद्गुणों का उपयोग करते हैं।         विभीषण ने पूछा कि मै इतना राम नाम जप करता हूँ तो भी प्रभु श्री राम मेरे ऊपर कृपा और मुझे दर्शन क्यों नहीं देते हैं ? हनुमान जी ने कहा कि तू राम नाम तो जपता है पर राम जी का काम नहीं करता। राम नाम जपने के साथ-साथ जिस दिन रामजी का काम भी करने लगेगा , दर्शन हो जायेंगे।       हनुमान जी को तो राम काज की सूचना मिली और सोचना बंद। सेवा, सुमिरन, सहजता और इतना सब करने के बाद भी निराभिमानिता ये सब हनुमान जी से हमें सीखने को मिलते हैं। सारे कार्य स्वयं करते हैं पर श्रेय सारे वानरों को दिलाते हैं। जिसने अपने मान का हनु कर रखा है, वहीं श्री हनुमान जी हैं। 🙏🌸🌹🏵🌷💮🌹🌻🌼🙏

Age is just a number

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C Radhakrishna Rao retired at the age of sixty and went to live with his daughter in America along with his grandchildren.  There, at the age of 62, he became a professor of statistics at the University of Pittsburgh and at the age of 70, he became the head of the department at the University of Pennsylvania.  US citizenship at the age of 75. National Medal For Science at the age of 82, a White House honor.  Today, at the age of 102, he received the Nobel Prize in Statistics.  In India, the government has already honored him with Padma Bhushan (1968) and Padma Vibhushan (2001).  Rao says: No one asks after retirement in India.  Colleagues also respect power and not scholarship.   At the age of 102, receiving a Nobel while in good physical condition, it is probably the first example.  An event that should be taken into account by all of us !

Superhit film Daag 1973

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Yash Chopra produced and directed 1973 super hit romantic drama film, Daag: A Poem of Love. Story by Gulshan Nanda.  The film starred Rajesh Khanna and Sharmila Tagore and Rakhee. They were supported by Achala Sachdev, A K Hangal, Iftekhar, Jagdish Raj, Manmohan Krishan, Madan Puri, Kader Khan, Master Raju, Baby Pinky and Prem Chopra.  The only movie co-starring the two Bengali tigresses Sharmila Tagore and Raakhee Gulzar. This was the first film produced by Yash Chopra under his banner Yash Raj Films. His friend and financier, Gulshan Rai, warned him about a lukewarm box-office response and released the film in a low profile manner. Within six days of the film's release, the no. of prints had to be tripled. Dilip Kumar who played lead in 1952 film Daag gave the film's Muhurat clap. Rajesh Khanna's second film with Yash Chopra after the acclaimed Ittefaq, and his first film under the YRF banner. Years later he worked in VIJAY, his last film under the banner oppo

एक सच बात

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कुछ बातें जो आज भी दिल में ही है। बात उन दिनों की है जब मैं स्कूल में पढ़ा करता था। मैंने अपने घरवालों को मार्कशीट दिखाई जिसमें मुझे गणित में 100 में से 90 अंक प्राप्त हुए थे। घर वालों ने मार्कशीट देखी और मुझे पीटने लगे तुम इतने समझदार कब से हो गए, जरूर 9 के 90 करें है.... "0" अपने आप बढ़ाते  हो कमीने  बोल बोल कर मुझे को पीट रहे थे और मैं रो रहा था, मैं हाथ जोड़ जोड़ कर बोल रहा था कि मैंने "0" नहीं बढ़ाया । मगर घरवाले कुछ सुनने के मूड में नहीं थे और मुझे पीटे जा रहे थे। आज भी मैं इतने सालों बाद यही कहूंगा कि मैंने "0" नहीं बढ़ाया था, *मैंने "9" बढ़ाया था ।* 😂🤣😂😭🤣😂

Sharabhi”* 1964

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Sharing the review of the Bollywood film sharabi 1964.Its story screenplay is  directed by Raj Rishi.  The film starred Dev Anand and Madhubala with Daisy Irani, Sulochana  and Lalita Pawar.  Most of the shooting of Sharabi was completed in 1958, and it was slated to release in late 1958. Madhubala fell sick during the filming and thus the shooting came to a halt. Following temporary recovery, she went to London along with her husband Kishore Kumar for her treatment, the film still incomplete. She finished her work in Sharabi in early 1964. For Madhubala, although the film released five years before her death, it was her final release in her lifetime Some part of Sharabi film shooted at bhowra colliery JHARIA dhanbad in the shop of Kedarnath Pannalal Aabhushan shop. What a nice movie.Great one. Dev Anand, Madhubala and Lalita Pawar and even junior artists performed a great job. Bollywood today lacks such kind of movies but this stunning movie, made about 52 years before fit

Awesome Tips for Life

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What is Intelligent Living?    Silently hear everyone. Accept what is good. Reject and forget to remember what is bad. This is the way to live intelligently in life. It is not always possible to have nothing but what we like and what we want. The world is a mixture. Accept all and take only what you want. Reject the rest and live happily.    In Kṛṣṇa’s days there were Duryodhanas. In Rāma’s days there were Rāvaṇas. Among friends some will be good for some time; others bad at times; still others bad always.  You have all but to accept only the good as your friends. You try to be always good to all at all times.     Never brood over things that have happened or worry over things yet to happen. Live in the present intelligently. Face life with a tranquil heart full of prayer and Īśvara smaraṇa (remembrance of the Lord).     Of course the mind will now and then go back to its ruts. It will. It must. It is natural. But by right discrimination and Īśvara smaraṇa level up the old

सेनापति तात्या टोपे*

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🇮🇳🚩🇮🇳🚩🇮🇳🚩🇮🇳🚩🇮🇳🚩 *🇮🇳🚩आज पुन्य तिथि है भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के रणनीतिकार और सेनापति तात्या टोपे* 🚩🇮🇳🚩🇮🇳🚩🇮🇳🚩🇮🇳🚩🇮🇳 *🇮🇳🚩भारत की स्वतन्त्रता के प्रथम युद्ध में जिन देशभक्तों ने अपनी आहुति प्रदान की थी उनमे तात्या टोपे का अन्यतम स्थान है |*  *🇮🇳🚩उनकी शूरता और उनके त्याग की कहानी बड़ी प्रेरणादायक है | वे देश की सेवा के लिए ही धरती की गोद में आये थे और देश की सेवा करते हुए फाँसी के तख्ते पर चढ़ गये | उन्होंने अपने हाथो से फाँसी का फंदा अपने गले में डालते हुए कहा था “मै पुराने वस्त्र छोडकर नये वस्त्र धारण करने जा रहा हु | मै अम्र हु | मैंने जो कुछ किया है अपने देश और मातृभूमि के लिए किया है” |* *🇮🇳🚩तात्या टोपे  के शौर्य और चातुर्य की प्रशंसा स्वयं अंग्रेजो तक ने की है | तात्या टोपे का जन्म 1814 ई. में नासिक के पास जाबालि में एक ब्राह्मण वंश में हुआ था | उनके पिता का नाम पांडूरंगराव और माता का नाम रुक्मणबाई था | उनके पिता पूना में बाजीराव पेशवा के दरबार में रहते थे | बाजीराव जब पुन छोडकर बिठुर चले गये तो वे भी अपने कुटुंब को लेकर बिठ

माता-पिता

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माता-पिता किसी ने पूछा कि दुनियाँ में सबसे मुश्किल काम क्या है? बड़ा कठिन सवाल है बहुत विचार कर वह मुस्कराया और फिर कुछ सोचकर कहा मेरी नजर में दुनियाँ का सबसे मुश्किल काम है! अपनी आँखों के सामने माता-पिता को बूढ़ा होते हुए देखना! ये वो समय होता है जब हम कुदरत के इस लिखे को टाल नहीं पाते! माता पिता के वो खूबसूरत से चेहरे जब झुर्रियों से भर जाते हैं तो दिल भर आता है! उंगली पकड़कर चलाने वाले जब खुद चल नहीं पाते तो दिल भर आता है! सहारा देने वाले जब खुद सहारे की तलाश में घूमते हैं तो दिल भर आता है! रास्ता दिखाने वालों को जब अपने ही रास्ते वीरान नजर आते हैं तो दिल भर आता है! हंसकर बोलने वाले जब खामोश रहने लगते हैं तो दिल भर आता है! अपने बच्चों की नजर उतारने वालों की जब नजरें धुंधला जाती हैं तो दिल भर आता है! अगर ईश्वर मुझे कुछ मांगने के लिए कहें तो मैं ये मांगू! हे ईश्वर किसी के भी माता पिता को कमजोर, बीमार, लाचार न करना, उनकी जितनी भी जिंदगी है वो सेहतमंद रहें!

कठोर सत्य

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जीवन का कठोर सत्य भगवान विष्णु गरुड़ पर बैठ कर कैलाश पर्वत पर गए। द्वार पर गरुड़ को छोड़ कर खुद शिव से मिलने अंदर चले गए। तब कैलाश की अपूर्व प्राकृतिक शोभा को देख कर गरुड़ मंत्रमुग्ध थे कि तभी उनकी नजर एक खूबसूरत छोटी सी चिड़िया पर पड़ी। चिड़िया कुछ इतनी सुंदर थी कि गरुड़ के सारे विचार उसकी तरफ आकर्षित होने लगे। उसी समय कैलाश पर यम देव पधारे और अंदर जाने से पहले उन्होंने उस छोटे से पक्षी को आश्चर्य की द्रष्टि से देखा। गरुड़ समझ गए उस चिड़िया का अंत निकट है और यमदेव कैलाश से निकलते ही उसे अपने साथ यमलोक ले जाएँगे। गरूड़ को दया आ गई। इतनी छोटी और सुंदर चिड़िया को मरता हुआ नहीं देख सकते थे। उसे अपने पंजों में दबाया और कैलाश से हजारो कोश दूर एक जंगल में एक चट्टान के ऊपर छोड़ दिया, और खुद बापिस कैलाश पर आ गया। आखिर जब यम बाहर आए तो गरुड़ ने पूछ ही लिया कि उन्होंने उस चिड़िया को इतनी आश्चर्य भरी नजर से क्यों देखा था। यम देव बोले "गरुड़ जब मैंने उस चिड़िया को देखा तो मुझे ज्ञात हुआ कि वो चिड़िया कुछ ही पल बाद यहाँ से हजारों कोस दूर एक नाग द्वारा खा ली जाएगी। मैं सोच रहा था कि वो इतनी ज

ईमेल इनबॉक्स

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 भी मैं ज़िन्दगी से निराश हो जाता हूँ तो अपना ईमेल का इनबॉक्स खोल कर देख लेता हूँ...😐 यहां मुझे पता चलता है कि... 1) 8 बैंक मुझे आसान शर्तो पर लोन देने के लिए तैयार हैं.. 2) दो विदेशी लोग मुझे बिना किसी वजह 1 करोड़ पाउंड और 50 लाख डॉलर देना चाहते हैं.. 3) 10 कम्पनियों के पास मेरे लिए बढ़िया नौकरी के आफर हैं.. 4) 3 मैट्रिमोनियल वेबसाइटों के पास मेरी शादी के लिए लड़कियों के उम्दा प्रोफ़ाइल हैं.. 5) डॉ बत्रा मुझे यकीन दिलाते हैं कि वो सिर के बालों का झड़ना रोक देंगे.. 6) 5 यूनिवर्सिटीज मुझे अलग अलग विषयों में डिग्री देना चाहते हैं.. 7) रिया, पायल, पूनम और बबिता के 40-50 मेल आए हैं.. वो अकेला महसूस कर रही हैं और मुझसे मिलना चाहती हैं..🙈 साला ज़िन्दगी में और क्या चाहिए...🤔🤔🤔 🤣🤣🤣🤣😂😂

छुट्टियों की एसाइनमेंट

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* चेन्नई के एक स्कूल ने अपने बच्चों को छुट्टियों का जो एसाइनमेंट दिया वो पूरी दुनिया में वायरल हो रहा है.*  वजह बस इतनी कि उसे बेहद सोच समझकर बनाया गया है. इसे पढ़कर अहसास होता है कि हम वास्तव में कहां आ पहुंचे हैं और अपने बच्चों को क्या दे रहे हैं. अन्नाई वायलेट मैट्रीकुलेशन एंड हायर सेकेंडरी स्कूल ने बच्चों के लिए नहीं बल्कि पेरेंट्स के लिए होमवर्क दिया है, जिसे हर एक पेरेंट को पढ़ना चाहिए. उन्होंने लिखा- पिछले 10 महीने आपके बच्चों की देखभाल करने में हमें अच्छा लगा.आपने गौर किया होगा कि उन्हें स्कूल आना बहुत अच्छा लगता है. अगले दो महीने उनके प्राकृतिक संरक्षक यानी आप उनके साथ छुट्टियां बिताएंगे. हम आपको कुछ टिप्स दे रहे हैं जिससे ये समय उनके लिए उपयोगी और खुशनुमा साबित हो. - अपने बच्चों के साथ कम से कम दो बार खाना जरूर खाएं. उन्हें किसानों के महत्व और उनके कठिन परिश्रम के बारे में बताएं. और उन्हें बताएं कि अपना खाना बेकार न करें. - खाने के बाद उन्हें अपनी प्लेटें खुद धोने दें. इस तरह के कामों से बच्चे मेहनत की कीमत समझेंगे. - उन्हें अपने साथ खाना बनाने में मदद करने दें. उ

🙏🏼 *छोड़ दीजिए* 🙏🏼

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😊 *बढ़ती उम्र में इन्हें छोड़  दीजिए।।* 😊 एक दो बार समझाने से यदि कोई नहीं समझ रहा है तो सामने वाले को समझाना , 🙏🏼   *छोड़ दीजिए*  🙏🏼 बच्चे बड़े होने पर वो ख़ुद के निर्णय लेने लगें तो उनके पीछे लगना , 🙏🏼 *छोड़ दीजिए।*  🙏🏼 गिने चुने लोगों से अपने विचार मिलते हैं, यदि एक दो से नहीं मिलते तो उन्हें  🙏🏼 *छोड़ दीजिए।*  🙏🏼  एक उम्र के बाद कोई आपको न पूंछे या कोई पीठ पीछे आपके बारे में गलत कह रहा है तो दिल पर लेना , 🙏🏼   *छोड़ दीजिए।*  🙏🏼  अपने हाथ कुछ नहीं, ये अनुभव आने पर भविष्य की चिंता करना , 🙏🏼   *छोड़ दीजिए।*  🙏🏼  यदि इच्छा और क्षमता में बहुत फर्क पड़ रहा है तो खुद से अपेक्षा करना, 🙏🏼   *छोड़ दीजिए।*  🙏🏼 हर किसी का पद, कद, मद, सब अलग है इसलिए तुलना करना , 🙏🏼   *छोड़ दीजिए।*  🙏🏼  बढ़ती उम्र में जीवन का आनंद लीजिए, रोज जमा खर्च की चिंता करना , 🙏🏼   *छोड़ दीजिए।*  🙏🏼 उम्मीदें होंगी तो सदमे भी बहुत होंगे, यदि सुकून से रहना है तो उम्मीदें करना , *🙏 छोड़ दीजिए। 🙏* 🌹🙏🌹

एक सच्ची कहानी

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* बेईमानी का पैसा शरीर के एक एक अंग फाड़कर निकलता है।* *एक सच्ची कहानी* रमेश चंद्र शर्मा जो पंजाब के एक शहर में एक मेडिकल स्टोर चलाते थे,उन्होंने अपने जीवन का एक पृष्ठ खोल कर सुनाया जो पाठकों की आँखें भी खोल सकता है और शायद उस पाप से,जिस में वह भागीदार बना, उससे भी बचा सकता है। रमेश चंद्र शर्मा का मेडिकल स्टोर जो कि अपने स्थान के कारण काफी पुराना और अच्छी स्थिति में था। लेकिन जैसे कि कहा जाता है कि *धन एक व्यक्ति के दिमाग को भ्रष्ट कर देता है* और यही बात रमेश चंद्र जी के साथ भी घटित हुई। रमेश जी बताते हैं कि मेरा मेडिकल स्टोर बहुत अच्छी तरह से चलता था और मेरी आर्थिक स्थिति भी बहुत अच्छी थी। अपनी कमाई से मैंने जमीन और कुछ प्लॉट खरीदे और अपने मेडिकल स्टोर के साथ एक क्लीनिकल लेबोरेटरी भी खोल ली। लेकिन मैं यहां झूठ नहीं बोलूंगा। मैं एक बहुत ही लालची किस्म  का आदमी था क्योंकि मेडिकल फील्ड में दोगुनी नहीं बल्कि कई गुना कमाई होती है। शायद ज्यादातर लोग इस बारे में नहीं जानते होंगे कि मेडिकल प्रोफेशन में 10 रुपये में आने वाली दवा आराम से 70-80 रुपये में बिक जाती है। लेकिन अगर कोई मु

कर्म की फल......

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पुलस्त्य ऋषि के वँशज और  ऋषि  विश्रवा का पुत्र रावण सर्व शक्तिमान था, सभी देवीय शक्तियां उसके अधीन थीं।  लेकिन उसके राक्षसी कर्मों ने उसके खानदान सहित अंत करा दिया।  दुर्योधन ने एक अबला स्त्री को दिखा कर अपनी जंघा ठोकी थी, तो भीम द्वारा  उसकी जंघा तोड़ कर दो हिस्से में चीर कर मार डाला गया । दु:शासन ने छाती ठोकी तो उसकी छाती फाड़ दी गयी उसकी छाती फाड़कर  द्रोपदी ने अपने बाल उसके रक्त से धोये थे ।  महारथी कर्ण ने एक असहाय स्त्री के अपमान का समर्थन किया, उसने मरते हुए असहाय अभिमन्यु को पानी माँगने पर पानी देने से मना कर दिया था  तो श्रीकृष्ण ने असहाय दशा में ही उसका वध कराया।  भीष्म ने यदि प्रतिज्ञा में बंध कर एक स्त्री के अपमान को देखने और सहन करने का पाप किया, तो असँख्य तीरों में बिंध कर अपने पूरे कुल को एक-एक कर मरते हुए भी देखा ।  सजा तो पाँडवों को भी मिली,, उन्होनें एक असहाय स्त्री को जुऐं में दाँव पर लगाया।   स्त्री की अस्मिता दाँव पर लगने का फल अश्वत्थामा द्वारा सोते में  पाँडव पुत्रों की हत्या में हुआ। अश्वत्थामा, भगवान श्रीकृष्ण के श्राप से माथे पर घाव लेकर अभी तक घूम र

Gratitude- A Poem

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Gratitude by Edgar Albert Guest Be grateful for the kindly friends that walk along your way, Be grateful for the skies of blue that smile from day to day, Be grateful for the health you own, the work you find to do, For round about you there are men less fortunate than you. Be grateful for the growing trees, the roses soon to bloom, The tenderness of kindly hearts that shared your days of gloom, Be grateful for the morning dew, the grass beneath your feet, The soft caresses of your babes and all their laughter sweet. Acquire the grateful habit, learn to see how blessed you are, How much there is to gladden life, how little life to mar! And what if rain shall fall to-day and you with grief are sad, Be grateful that you can recall the joys that you have had. Kind Regards

दान धन से नहीं, मन से होता है*।

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* एक बुज़ुर्ग शिक्षिका भीषण गर्मियों के दिन में बस में सवार हुई, पैरों के दर्द से बेहाल, लेकिन बस में सीट न देख कर जैसे – तैसे खड़ी हो गई।*   *कुछ दूरी ही तय की थी बस ने कि एक उम्रदराज औरत ने बड़े सम्मानपूर्वक आवाज़ दी, "आ जाइए मैडम, आप यहाँ बैठ जाएं” कहते हुए उसे अपनी सीट पर बैठा दिया। खुद वो गरीब सी औरत बस में खड़ी हो गई। मैडम ने दुआ दी, "बहुत-बहुत धन्यवाद, मेरी बुरी हालत थी सच में।"*उस गरीब महिला के चेहरे पर एक सुकून भरी मुस्कान फैल गई।* *कुछ देर बाद शिक्षिका के पास वाली सीट खाली हो गई।  लेकिन महिला ने एक और महिला को, जो एक छोटे बच्चे के साथ यात्रा कर रही थी और मुश्किल से बच्चे को ले जाने में सक्षम थी, को सीट पर बिठा दिया।* *अगले पड़ाव पर बच्चे के साथ महिला भी उतर गई, सीट खाली हो गई, लेकिन नेकदिल महिला ने बैठने का लालच नहीं किया* । *बस में चढ़े एक कमजोर बूढ़े आदमी को बैठा दिया जो अभी - अभी बस में चढ़ा था।* *सीट फिर से खाली हो गई। बस में अब गिनी – चुनी सवारियां ही रह गईं थीं। अब उस अध्यापिका ने महिला को अपने पास बिठाया और पूछा, "सीट कितनी बार खाली हुई

गुरु-कृपा क्या है?*

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* गुरु-कृपा क्या है?* पैसा, आलीशान घर, महंगी गाड़ियां और धन-दौलत गुरु-कृपा नहीं है।   इस जीवन में अनेक संकट और विपदाएं जो हमारी जानकारी के बिना ही गायब हो जाती हैं,  *वह गुरु-कृपा है।*  कभी-कभी सफ़र के दौरान भीड़ वाली जगह में धक्का-मुक्की के बावजूद हम किसी तरह से गिरते-गिरते बच जाते हैं और संतुलन बना लेते हैं। वह संतुलन जिसने हमें गिरने से बचाया,  *वह गुरु-कृपा है।*  जब कभी एक समय का भोजन भी मिलना मुश्किल हो, फिर भी हमें पेट भर खाने को मिले,  *वह गुरु-कृपा है।*    जब आप अनेक मुश्किलों के बोझ तले दबे हों, फिर भी आप इनका सामना करने का सामर्थ्य महसूस करें,  *वह सामर्थ्य गुरु-कृपा है।*  जब आप बिल्कुल हार मानने ही वाले हों और ये सोच लें कि अब सब कुछ ख़त्म हो चुका है। तभी, उसी क्षण, आपको आशा की एक किरण दिखाई देने लगे और आप फिर से संघर्ष के लिए तैयार हो जाएं,  *वह आशा गुरु-कृपा है।*  जब विपत्ति के समय आपके सभी सगे-संबंधी आपको अकेला छोड़ दें, एक गुरु-बंधु (कोई मित्र या गुरु को मानने वाला भाई-बहन) आए और आपसे कहे- “तुम आगे बढ़ो, हम तुम्हारे साथ हैं।”,  *उस गुरु-बंधु के हिम्मत देने वा

K. L. Saigal Biography

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Kundanlal Saigal, often abbreviated as K. L. Saigal, was an Indian singer and actor who is considered the first superstar of the Hindi film industry, which was centred in Kolkata during Saigal's time, but is currently centred in Mumbai *Born:* 11 April 1904, Jammu *Died:* 18 January 1947, Jalandhar *Spouse:* Asha Rani (m. 1935–1947) *Children:* Nina, Bina, Durgesh Nandani, Madan Mohan K.L. Saigal was a musical maestro of the Hindi film industry whose beautiful renditions of songs enchanted the audience with his melodious voice. Popularly known as Kundan Lal Saigal, Saigal was born on the 12th of April in the year of 1904 in Jammu. At the tender age of 12, Kundan Lal Saigal had cast a magical spell on Maharaja Pratap Singh with his enchanting musical rendition. During the later years of his life, Saigal moved to Jalandhar, where he adopted the Punjabi style of singing songs. However, he had to undergo lots of hardship before he rose to stardom. In his initial days of car

Beautiful Message.

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* Beautiful  Message. Not  to be  missed!!* *YOUNG  and  OLD*  *When YOUNG,*  *I was WORRIED about MY PIMPLES.* *When I am OLD,* *I am WORRIED about MY WRINKLES.* *When I was YOUNG,* *I was WAITING to HOLD someone's HAND.* *When OLD,* *I am WAITING for SOMEONE to HOLD MY HAND.* *When YOUNG,*  *I wanted my parents to leave me alone* *When I AM OLD* *I am worried to be left alone* *When I was YOUNG,* *I HATED being ADVISED.* *When OLD,* *there is NO ONE around to TALK or ADVISE.* *When YOUNG,* *I ADMIRED BEAUTIFUL THINGS.* *When I am OLD,*  *I see BEAUTY in THINGS around ME.* *When I was YOUNG,* *I felt I was ETERNAL.* *When I am OLD,* *I know SOON it will be MY TURN.* *When I was YOUNG,* *I CELEBRATED the MOMENTS.* *When I am OLD,* *I am CHERISHING MY MEMORIES.* *When I was YOUNG,* *I found it DIFFICULT to WAKE UP.* *When OLD,* *I find it DIFFICULT to SLEEP.* *When I was YOUNG,* *I WANTED to be a HEART - THROB.* *When OLD,* *I am WORRIED when will MY HEART STOP.* *At EXT

आज के युग की यशोदा मां"* 🙏

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*" पीली साड़ी गले में कृष्ण भगवान की कंठमाला…, आज के युग की  यशोदा मां"* 🙏   शायद आप लोग इन्हें नहीं जानते लेकिन बहुत शीघ्र ही पूरा भारतवर्ष इन्हे जान जाएगा…, धर्म के प्रति इनकी भक्ति वह त्याग के आगे हमारी सभी पूजा अर्चना छोटी रह जाती हैं…!     मथुरा में श्री बांके बिहारी मंदिर के बाहर पिछले 30 वर्षों से मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं के जूते चप्पलों की रखवाली करने वाली इन माता का नाम यशोदा है…!   मात्र 20 वर्ष की आयु में इनके पति की मृत्यु हो गई थी, आज माताजी 50 साल की हो चुकी हैं, इस दौरान माताजी ने श्रद्धालुओं के जूते चप्पलों की रखवाली करके  51  लाख  10  हजार  25  रुपए 50 पैसे इकट्ठा करके, 40 लाख  रुपए की रकम से एक गौशाला मंदिर धर्मशाला का निर्माण कर डाला…!             धर्म क्या है यह इन यशोदा मां से जानिए…!? आप लोगों ने पैसों के पीछे भागने वाली फिल्मी सितारों नेताओं खेल सेलिब्रिटी को शेयर करके बहुत फेमस किया, आइए अब हम सब मिलकर यशोदा मां को प्रसिद्ध  करते हैं और इन्हें इनका वास्तविक सम्मान दिलाते हैं…!! *"कृपया सभी बन्धु इस संदेश को ज्यादा से ज्यादा प्रस

A N O S O G N O S I A*

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*A N O S O G N O S I A* What is it? Anosognosia, is a temporary forgetfulness, according to French Professor, Bruno Dor, of the Institute of Memory and Alzheimer's Disease (IMMA), La Pitié-Salpêtrière, Hospital, in Paris. He addresses the subject in a rather reassuring way: "If anyone is aware of his memory problems --he does not have Alzheimer's." 1. I forget the names of families; 2. I do not remember where I put some things; It often happens in people 60 years and older, where they complain that they lack memory. "The information is always in the brain, it is the "processor" --that is lacking." This is "Anosognosia" or temporary forgetfulness. Half of people 60 and older have some symptoms that are due to age, rather than disease. The most common cases are: 1. forgetting the name of a person; 2. going to a room in the house and not remembering why we were going there; 3. a blank memory for a movie title or actor\actress;

Do it Now..

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" Later" - Talk to you later. - I'll call you later. - See you later. - We'll walk later. "I'll tell you later." We leave everything for later, but forget that "later" does not belong to us. - Later, our loved ones are no longer with us. - Later, we don't hear them and we don't see them. - Later, they are just memories. - Later, the day becomes night, the force becomes helpless, the smile becomes a grimace, and life becomes death. "Later" becomes "too late." Do it now ♥️ Author Unknown.