स्त्री और पुरुष
कई बार यूँ ही बैठी सोच में डूब जाती हूँ , बहुत से ख्याल है जो बार बार मस्तिष्क का दरवाजा खटखटाते है । कभी कभी लगता है जैसे कोई आरी सी चला रहा हो तन पर इस समाज मे पुरुष का वर्चस्व है सभी जानते है पुरुष ताकतवर है ये भी सबको पता है एक पुरुष इतना ताकतवर है कि किसी भी नारी का सम्मान भंग कर सकता है जब चाहे औरत को मार सकता है उसे जलील कर सकता है और तो और सिर्फ पुरुष में ही दम है कि किसी स्त्री का शील भंग कर सके , उसकी इज्जत खराब कर सके इन सबके बावजूद भी वो बेचारा ही कहलाता है जितने भी व्यंग और कटाक्ष है सब स्त्री पर किये जाते है पुरुष बेचारा पत्नी के बोझ का मारा जहां देखो बस रोता रहता है कि बीवी से परेशान है जितने मजाक है सब औरतों पर जितनी गालियां है वो भी सब औरतों पर , ताने ,मार वो भी औरतों के लिए क्या पुरुष सच मे इतना बेबस है । जब भी कोई मर्द अपनी पत्नी के ऊपर व्यंग करता है तो भूल जाता है कि वो पत्नी ही है जो उसे और उसके घर को संभालती है । अगर हम औरत ना ह...