कौन है ये चम्पतराय ..??*
*१९७५ में इँदिरा गाँधी द्वारा थोपे गए आपातकाल के समय, बिजनौर के धामपुर स्थित आर एस एम डिग्री कॉलेज में एक युवा प्रोफेसर चंपत राय, बच्चों को फिजिक्स पढ़ा रहे थे, तभी उन्हें गिरफ्तार करने वहां पुलिस पहुंची क्योंकि, वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े थे ..।।*
*अपने छात्रों के बीच बेहद लोकप्रिय चंपत राय जानते थे की, उनके वहाँ गिरफ्तार होने पर क्या हो सकता है ..।। पुलिस को भी अनुमान था की, छात्रों का कितना अधिक प्रतिरोध हो सकता है ..।।*
*प्रोफ़ेसर चंपत राय ने पुलिस अधिकारियों से कहा, आप जाइये मैं बच्चों की क्लास खत्म करके, पुलिस थानेमें आ जाऊँगा ..।। पुलिस वाले इस व्यक्ति के शब्दों के वजन को जानते थे ..।। अतः वे लौट गए ..।।*
*क्लास खत्म कर, बच्चों को शांति से घर जाने के लिए कह कर, प्रोफेसर चंपत राय घर पहुँचे ..।। माता पिता के चरण छू कर आशीर्वाद लिया और, लंबी जेल यात्रा के लिए शांतीसे थाने पहुंच गए ..।।*
*१८ महीने उत्तर प्रदेश की विभिन्न जेलों में, बेहद कष्टकारी जीवन व्यतीत कर जब वे जेल से बाहर निकले, तो इस दृढ़प्रतिज्ञ युवा के आत्मबल को, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर-संघचालक श्री रज्जू भैया ने पहचाना और श्री राममंदिर की लड़ाई के लिए, अयोध्या को तैयार करने का जिम्मा उनके कंधों पर डाल दिया ..।।*
*चंपत राय ने अपनी सरकारी नौकरी को लात मार दी और, राम-काज में जुट गए ..।। वे अवध के गाँव गाँव गये हर द्वार खटखटाया। स्थानीय स्तर पर ऐसी युवा फौज खड़ी की, जो हर स्थिति से लड़ने को तत्पर थी ..।। अयोध्या के हर गली कूँचे ने चंपत राय को पहचान लिया और, हर गली कूंचे को चंपत रायने भी पहचान लिया। उन्हें अवध के इतिहास, वर्तमान, भूगोल की ऐसी जानकारी हो गई की, उनके साथी उन्हें 'अयोध्या की एनसाइक्लोपीडिया' उपनाम से बुलाने लगे ..।।*
*बाबरी मस्जिदकी ध्वंस से पूर्व से ही, चंपत राय जी ने राम मंदिर पर "डॉक्यूमेंटल एव्हिडन्स" जुटाने प्रारम्भ किये। लाखों पेज के डॉक्यूमेंट पढ़े और सहेजे ..।। एक एक ग्रंथ पढ़ा और संभाला ..।। उनका घर इन कागजातों से पूरा भर गया ..।। साथ ही, हर जानकारी उंन्हे कंठस्थ भी हो गई ..।। ज्येष्ठ वकील श्रीमान के. परासरण जी और अन्य साथी वकील, जब जन्मभूमि की कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए मैदान में उतरे, तो उन्हें अकाट्य सबूत देने वाले यहीं श्रीमान चंपत राय जी थे ..।।*
*६ दिसंबर १९९२ को, मंच से बड़े बड़े दिग्गज नेता कारसेवकों को अनुशासन का पाठ पढ़ा रहे थे ..।। तमाम निर्देश दिए जा रहे थे। बाबरी ढांचे को नुकसान न पहुँचाने की कसमें दी जा रहीं थीं ..।। उस समय, चंपत राय जी मंच से कुछ दूर, स्थानीय युवाओं के साथ थे ..।।*
*एक पत्रकार ने श्रीमान चंपत राय जी से पूछा ..*
*"अब क्या होगा ..??"*
*उन्होंने हँस कर उत्तर दिया ..*
*"ये राम की वानर सेना है ..!! सीटी की आवाज पर पी. टी. करने यहां नहीं आयी है। ये जो करने आयी है, करके ही जाएगी ..!!"*
*इतना कह कर, उन्होंने एक बेलचा अपने हाथ में लिया और बाबरी ढांचे की ओर बढ़ गये,श ..!! फिर सिर्फ "जय श्री राम" का नारा गूंजता रहा, और .. इतिहास रचा गया ..!!*
*आदरणीय चंपत राय को युं ही राम मंदिर ट्रस्ट का सचिव नहीं बना दिया गया है ..।। उन्होंने रामलल्ला के श्रीचरणों में अपना सम्पूर्ण जीवन अर्पित किया है। प्यार से उन्हें लोग "रामलला का पटवारी" भी कहते हैं ..!!*
*यह व्यक्ति सनातन का योद्धा है। कोई मुंह फाड़ बकवास करता कायर नहीं ..!!*
*बाबरी विध्वंस के मुकदमों में कल्याण सिंह जी के बाद चंपत राय ने ही अदालत और जन-सामान्य दोनों के सामने, सदैव खुल कर उस घटना का दायित्व अपने ऊपर लिया ..!!*
*श्रीमान चम्पत राय जी कह चुके हैं ..*
*'जैसे ही राममंदिर का शिखर देख लेंगे, युवा पिढ़ी को मथुरा की ज़िम्मेदारी निभाने को प्रेरित करने में जुट जाएंगे' ..!!*
*श्रीमान चंपत राय जी, धर्म की छोटी से छोटी चीजों का ध्यान रखने वाले तपस्वी और विद्वान हैं ..!!*
*एक बार वे किसी काम से काशी में किन्हीं के यहां रुके, तब रात्रीमें देखा, तो पाया की, पलंग का डायरेक्शन कुछ ऐसा था की, सोते हुए उनके पैर दक्षिण की तरफ हो रहे थे ..!! उन्हें एक रात को भी यह स्वीकार नहीं था ..!! रात में ही उन्होंने बैड का डायरेक्शन ठीक करवाया, तभी सोए ..!! जो धोती कुर्ता पहनकर भारत का गाँव गाँव नापने वाला व्यक्ति, अपने निजी जीवन में हिन्दू जीवनचर्या की छोटी छोटी बातों का हठ के साथ पालन करता है, वह श्रीराममंदिर के संदर्भ में किस हद तक विचारशील और जुझारू होगा, समझा जा सकता है ..!!*
*वास्तव में इन पर उंगली उठाने वाले, इनके पाँव की धूल के समान भी नहीं हैं ..!!*
*🙏जय जय श्री राम 🙏*
*कृपया यह जानकारी सभी सनातनी हिन्दू भाईयों को होनी चाहिए ..!! इसलिए, इस संदेश को जन-जन तक पहुंचाने में ज़रूर सहयोग करें 🙏 ..!!*
🙏 🪷 🙏
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