रिश्तों के बाज़ार

: *कदम रुक गए जब पहुंचे*
      *हम रिश्तों के बाज़ार में...*

*बिक रहे थे रिश्ते*
       *खुले आम व्यापार में..*

*कांपते होठों से मैंने पूँछा,* 
      *"क्या भाव है भाई*
       *इन रिश्तों का..?"*

 *दुकानदार बोला:*

 *"कौन सा लोगे..?*

 *बेटे का ..या बाप का..?*

 *बहिन का..या भाई का..?*

 *बोलो कौन सा चाहिए..?*

 *इंसानियत का..या प्रेम का..?*

 *माँ का..या विश्वास का..?*

*बाबूजी कुछ तो बोलो*
      *कौन सा चाहिए*

*चुपचाप खड़े हो*
       *कुछ बोलो तो सही...*

*मैंने डर कर पूछ लिया*
      *"दोस्त का.."*

*दुकानदार नम आँखों से बोला:* 

*"संसार इसी रिश्ते*
      *पर ही तो टिका है..."*

*माफ़ करना बाबूजी*
      *ये रिश्ता बिकाऊ नहीं है..*

*इसका कोई मोल*
       *नहीं लगा पाओगे,*

*और जिस दिन*
       *ये बिक जायेगा...*

*उस दिन ये संसार उजड़ जायेगा*

 

एक शांत मन चुनौतियों के खिलाफ,*
*सबसे बड़ा हथियार होता है..*

: *क्षमा करना भी...*
 *एक बहुत अच्छी औषधि है !*
 *हम देते तो है किसी और को,*
*लेकिन घाव हमारे हृदय के भर जाते हैं।*
*🙏💞जय श्री कृष्णा💞🙏*
     *🙏💞राधे राधे💞🙏*

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