गुलजार साहेब जी की कविता



तेरे बगैर किसी और को देखा नहीं मैंने
सुख गया वो तेरा गुलाब मगर फेका नहीं मैंने।

जिन लोगो की हंसी खूबसूरत होती है
याद रखना की उनके ज़ख्म बहुत गहरे होते हैं।

मंजिल भी उसकी थी रास्ता भी उसका था
एक हम अकेले थे काफिला भी उसका था।

अपने दिल की हाल हर एक को मत बताया करो
यंहा तमाशा बनने में देर नहीं लगती।

इंसान कितना भी किस्मत वाला क्यों न हो
फिर भी ज़िंदगी में कुछ खुवाईसे अधूरी रह जाती है।

बड़ा गजब किरदार है मोहब्बत का
अधूरी हो सकती है मगर ख़त्म नहीं।

कहते हैं जो पा लिया वो मोहब्बत ही क्या
जो सुलगता रहे वही इसक लाजवाब है

आँखे तलाब नहीं फिर भी भर जाती है.
दिल कांच नहीं फिर भी टूट जाता है
और इंसान मौषम नहीं फिर भी बदल जाता है।

आँशु का बूंद है ये ज़िंदगी का सफर
कभी फूल में तो कभी धूल में।

फुर्सत मिले तो कभी बैठकर सोचना
तुम ही मेरे अपने हो या हम भी सिर्फ तुम्हारे हैं

मुझे रिश्तो की लंबी कतारों से मतलब नहीं
कोई दिल से हो मेरा तो एक शख्स भी काफी है

जाने वाले को जाने दीजिये
आज रुक भी गया तो
कल चला जायेगा

माफ़ी चाहता हूँ
तेरा गुनहगार हू ऐ दिल,
तुझे उसके हवाले किया
जिसे तेरी क़दर नही थी

ये तो दस्तूर है
जो जितने पास है
वो उतना ही दूर है

हम चाय पीकर कुल्हड़ नहीं तोड़ पाते
दिल तो खैर बहुत दूर की बात है

खुशियाँ चाहे किसी के साथ भी बाँट ले पर
अपने गम किसी भरोसेमंद के साथ ही बांटने चाहिए

तुम्हें मोहब्बत कहां थी
तुम्हें तो सिर्फ़ आदत थी
मोहब्बत होती तो हमारा
पल भर का बिछड़ना भी
तुम्हे सुकून से जीने नहीं देता।

Comments

Popular posts from this blog

Science of Namaste 🙏

Dil To Hai Dil”

Children And Animals