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Showing posts from April, 2025

भाग्य में लिखा मिट नहीं सकता

* 🌳🦚आज की कहानी🦚🌳* *💐💐भाग्य में लिखा मिट नहीं सकता💐💐* चंदन नगर का राजा चंदन सिंह बहुत ही पराक्रमी एवं शक्तिशाली था । उसका राज्य भी धन-धान्य से पूर्ण था । राजा की ख्याति दूर-दूर तक फैली थी । एक बार चंदन नगर में एक ज्योतिषी पधारे । उनका नाम था भद्रशील । उनके बारे में विख्यात था कि वह बहुत ही पहुंचे हुए ज्यातिषी हैं और किसी के भी भविष्य के बारे में सही-सही बता सकते हैं । वह नगर के बाहर एक छोटी कुटिया में ठहरे थे । उनकी इच्छा हुई कि वह भी राजा के दर्शन करें । उन्होंने राजा से मिलने की इच्छा व्यक्त की और राजा से मिलने की अनुमति उन्हें सहर्ष मिल गई । राज दरबार में राजा ने उनका हार्दिक स्वागत किया । चलते समय राजा ने ज्योतिषी को कुछ हीरे-जवाहरात देकर विदा करना चाहा, परंतु ज्योतिषी ने यह कह कर मना कर दिया कि वह सिर्फ अपने भाग्य का खाते हैं । राजा की दी हुई दौलत से वह अमीर नहीं बन सकते । राजा ने पूछा - "इससे क्या तात्पर्य है आपका गुरुदेव ?" "कोई भी व्यक्ति अपनी किस्मत और मेहनत से गरीब या अमीर होता है । यदि राजा भी किसी को अमीर बनाना चाहे तो नहीं बना सकता । राजा की दौलत भी ...

शांति मंत्र जाप के क्या लाभ है?

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सनातन धर्म में मंत्रों का विशेष महत्व है। यह मंत्र बहुत शक्तिशाली और कल्याणकारी माने जाते हैं। मान्यताओं के अनुसार, इन मंत्रों का जाप करने से इंसान की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं तथा उनके जीवन में आ रही समस्याएं दूर हो जाती हैं। घर की सुख-समृद्धि से लेकर जीवन में शांति तक के लिए सनातन धर्म में कई मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। अगर आप अपने जीवन में तथा परिवार में शांति का वास करना चाहते हैं तो आपको शांति मंत्र का उच्चारण अवश्य करना चाहिए। शांति मंत्र एक तरह का प्रार्थना है जो पूजा, यज्ञ या तप से पहले या बाद में उच्चारित किया जाता है। हिंदू ग्रंथ उपनिषद में कई शांति मंत्रों का उल्लेख किया गया है जिनके एकमात्र उच्चारण से लोगों को परम शांति की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि, इन मंत्रों का उच्चारण करने से जीवन में आ रही सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं। यहां पढ़ें, शांति मंत्र और जानें इससे जुड़ी सभी महत्वपूर्ण बातें। शांति मंत्र ॐ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्षॅं शान्ति:, पृथ्वी शान्तिराप: शान्तिरोषधय: शान्ति:। वनस्पतय: शान्तिर्विश्र्वे देवा: शान्तिर्ब्रह्म शान्ति:, सर्वॅंशान्ति:,...

खाओ मण भर, छोड़ो न कण भर*

* रामायण के अनुसार सीता खोज के समय हनुमानजी ने जब रावण की रसोई मेंं प्रवेश किया तब रावण की जूठी थाली देख कर हनुमानजी समझ गये कि रावण की मृत्यु निकट आ गई है, क्योंकि रावण ने थाली में दही जूठा छोड़ रखा था।* *भोजन में जूठा छोड़ने वाले की आयु कम होती जाती है। शायद इसी कारण से हमारे पूर्वज खाना खाकर थाली में पानी डाल कर फिर जूठन को घोल कर पी जाया करते थे।* *विद्वानों के अनुसार थाली में जूठा भोजन छोड़ना मां अन्नपूर्णा और मां लक्ष्मी का अपमान माना जाता है। ऐसा करने से आर्थिक स्थिति कमजोर होती है। साथ ही घर आती लक्ष्मी भी रूठ कर चली जाती है।* *भोजन जूठा छोड़ने वाले बच्चे पढ़ाई में कमजोर होते चले जाते हैं। मन पढ़ाई से धीरे धीरे पूरी तरह हट जाता है। इसलिए बच्चे पहली बार में जितना खा सकते हैं उतना ही परोसें।* *थाली में जूठा भोजन छोड़ने से शनि का प्रकोप झेलना पड़ सकता है। इसके साथ ही चंद्रमा की भी अशुभ दृष्टि व्यक्ति के जीवन पर पड़ने लग जाती है। चंद्रमा की भी अशुभ दृष्टि की वजह से मानसिक बीमारियां भी व्यक्ति को घेर लेती हैं।* *इसके अलावा यदि आप यात्रा के दौरान जूठा भोजन फेंकते हैं तो आपके काम कभी नहीं बन...

भाग्य में लिखा मिट नहीं सकता

* 🌳🦚आज की कहानी🦚🌳* *💐💐भाग्य में लिखा मिट नहीं सकता💐💐* चंदन नगर का राजा चंदन सिंह बहुत ही पराक्रमी एवं शक्तिशाली था । उसका राज्य भी धन-धान्य से पूर्ण था । राजा की ख्याति दूर-दूर तक फैली थी । एक बार चंदन नगर में एक ज्योतिषी पधारे । उनका नाम था भद्रशील । उनके बारे में विख्यात था कि वह बहुत ही पहुंचे हुए ज्यातिषी हैं और किसी के भी भविष्य के बारे में सही-सही बता सकते हैं । वह नगर के बाहर एक छोटी कुटिया में ठहरे थे । उनकी इच्छा हुई कि वह भी राजा के दर्शन करें । उन्होंने राजा से मिलने की इच्छा व्यक्त की और राजा से मिलने की अनुमति उन्हें सहर्ष मिल गई । राज दरबार में राजा ने उनका हार्दिक स्वागत किया । चलते समय राजा ने ज्योतिषी को कुछ हीरे-जवाहरात देकर विदा करना चाहा, परंतु ज्योतिषी ने यह कह कर मना कर दिया कि वह सिर्फ अपने भाग्य का खाते हैं । राजा की दी हुई दौलत से वह अमीर नहीं बन सकते । राजा ने पूछा - "इससे क्या तात्पर्य है आपका गुरुदेव ?" "कोई भी व्यक्ति अपनी किस्मत और मेहनत से गरीब या अमीर होता है । यदि राजा भी किसी को अमीर बनाना चाहे तो नहीं बना सकता । राजा की दौलत भी ...

वो शाम कुछ अजीब थी.. सफर फिल्म

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वो शाम कुछ अजीब थी ये शाम भी अजीब है वो कल भी पास पास थी वो आज भी करीब है झुकी हुई निगाह में कहीं मेरा ख़याल था दबी दबी हँसीं में इक हसीन सा गुलाल था मैं सोचता था मेरा नाम गुनगुना रही है वो न जाने क्यूँ लगा मुझे के मुस्कुरा रही है वो वो शाम कुछ अजीब थी  मेरा ख़याल हैं अभी झुकी हुई निगाह में खुली हुई हँसी भी है दबी हुई सी चाह में मैं जानता हूँ मेरा नाम गुनगुना रही है वो यही ख़याल है मुझे के साथ आ रही है वो वो शाम कुछ अजीब थी ये शाम भी अजीब है वो कल भी पास पास थी वो आज भी करीब है *सफर*

धन्य है किरण बाईसा 🙏

भारत की बेटियां रील बनाना छोड़ो  अकबर की महानता का गुणगान तो कई इतिहासकारों ने किया है लेकिन अकबर की औछी हरकतों का वर्णन बहुत कम इतिहासकारों ने किया है  अकबर अपने गंदे इरादों से प्रतिवर्ष दिल्ली में नौरोज का मेला आयोजित करवाता था जिसमें पुरुषों का प्रवेश निषेध था अकबर इस मेले में महिला की वेष-भूषा में जाता था और जो महिला उसे मंत्र मुग्ध कर देती थी उसे दासियाँ छल कपटवश अकबर के सम्मुख ले जाती थी एक दिन नौरोज के मेले में महाराणा प्रताप की भतीजी छोटे भाई महाराज शक्तिसिंह की पुत्री मेले की सजावट देखने के लिए आई जिनका नाम बाईसा किरणदेवी था जिनका विवाह बीकानेर के पृथ्वीराज जी से हुआ  बाईसा किरणदेवी की सुंदरता को देखकर अकबर अपने आप पर काबू नही रख पाया और उसने बिना सोचे समझे दासियों के माध्यम से धोखे से जनाना महल में बुला लिया जैसे ही अकबर ने बाईसा किरणदेवी को स्पर्श करने की कोशिश की किरणदेवी ने कमर से कटार निकाली और अकबर को ऩीचे पटकर छाती पर पैर रखकर कटार गर्दन पर लगा दी और कहा नींच... नराधम तुझे पता नहीं मैं उन महाराणा प्रताप की भतीजी हुं जिनके नाम से तुझे नींद नहीं आती है बोल त...

कर्पूर आरती का अर्थ और महत्व

# कर्पूर आरती का अर्थ और महत्व "कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्। सदा वसंतं हृदयारविंदे भवं भवानीसहितं नमामि।।" "मंदारमालाकुलतालकायै कपालमालांकितशेखराय। दिव्याम्बरायै च दिगंबराय नम: शिवायै च नम: शिवाय।।" कर्पूर आरती का संबंध कर्पूर (कपूर) से नहीं इस आरती को अक्सर "कर्पूर आरती" कहा जाता है, लेकिन इसका कपूर से कोई संबंध नहीं है। केवल इसकी शुरुआत "कर्पूरगौरं" शब्द से होती है, इसलिए इसे यह नाम दिया गया है। यह भगवान शिव और माता पार्वती की एक अत्यंत सुंदर स्तुति है। इसका अर्थ समझने से यह और अधिक आनंददायक हो जाता है। शब्दार्थ और व्याख्या: 1. कर्पूरगौरं – कपूर के समान श्वेत, पवित्र, गौरवर्ण वाली (माँ पार्वती) 2. करुणावतारं – करुणा के साक्षात अवतार (भगवान शिव) 3. संसारसारं – संसार के सार (अर्थात् जो संसार का आधार हैं) 4. भुजगेन्द्रहारं – जिनके गले में भुजंगराज (सर्प) का हार सुशोभित है (शिव) 5. सदा वसंतं हृदयारविंदे – जो सदा भक्तों के हृदय के कमल में निवास करते हैं 6. भवं – भगवान शिव 7. भवानिसहितं – माता भवानी (पार्वती) सहित 8. नमामि – नमन क...