Posts

Showing posts from August, 2025

Humour

I went to a Inter-Religion Integration Seminar.  The Bishop came, laid his hands on my hand and said, “By the will of Jesus Christ, you will walk today!” I smiled and told him I was not paralysed. The Rabbi came, laid his hands on my hand and said, “By the will of God Almighty, you will walk today! I was less amused when I told him there was nothing wrong with me. The Mullah came, took my hands and said, “Insha Allah, you will walk today!” I snapped at him, “There’s nothing wrong with me” The Hindu sadhu came and said "Beta, you will walk on your legs today." I said "Babaji - nothing wrong with my legs" The Buddhist Monk came, held my hands and said, “By the will of The Great Buddha, you will walk today!” I rudely told him there was nothing wrong with me. After the Seminar, I stepped outside and found my car had been stolen.  I believe in all Religions now.....

आवारा*_फिल्म रिव्यू

_* आवारा*_फिल्म review 14 दिसंबर 1951 निर्माता- राज कपूर निर्देशक- राज कपूर गीत- शैलेंद्र (S), हसरत जयपुरी (HJ) संगीत- शंकर, जयकिशन कलाकार- राज कपूर, नरगिस, पृथ्वीराज कपूर, लीला चिटनीस, के एन सिंह, कुक्कू, लीला मिश्रा, शशि कपूर, बेबी जुबेदा, बी एम व्यास, दीवान बसवेश्वरनाथ कपूर                      यह फ़िल्म हिन्दी सिनेमा की एक माइल स्टोन समझी जाती है.. बहोत बड़ी ब्लॉकबस्टर.. विदेशों में भी धूम मचायी इस फ़िल्म ने..फिल्म दक्षिण एशिया में रातों-रात सनसनी बन गई..और विदेशों में सोवियत संघ, पूर्वी एशिया, अफ्रीका, कैरेबियन, मध्य पूर्व और पूर्वी यूरोप में और भी बड़ी सफलता मिली इसे..चीन में भी इस फिल्म ने 100 मिलियन से अधिक टिकट बेचे..फिल्म में राज कपूर के घर से कुछ कलाकार भी थे जैसे की उनके छोटे भाई शशि कपूर, उनके पिता पृथ्वीराज कपूर और पृथ्वीराज कपूर के पिता दीवान बसवेश्वरनाथ कपूर..पहले तो ये फिल्म राज कपूर और के ए अब्बास मिलकर बना रहे थे..के ए अब्बास ये फिल्म दिलीप कुमार और अशोक कुमार को लेकर बनाना चाहते थे और महबूब खान से निर्देशित करना चाह...

Phoolon Se Dosti Hai👍 song Review

*बिना किताबों की*       *जो पढ़ाई सीखी*         *जाती है, उसे*     *"जिंदगी" कहते है....!!!?* 🌹 *सुप्रभात*🌹 Let’s start the day with Homi & J. B. H. Wadia’s 1960 drama film *”Duniya Jhukti Hai”* directed by J. B. H. Wadia.  The film starred Sunil Dutt and Shyama. They were supported by Kum Kum, B. M. Vyas, Wasti, Agha and Daisy Irani.  In old Hindi movies, especially those of 1950s and 1960s, we often see songs picturised on “Taanga” The beats of the horse was made famous by the great O. P. Nayyar when he gave one of his musician 2 shells of dried coconut and asked him to imitate the rhythm of the horse’s gait.   “Taanga” was actually a mode of public transport in India those days. With time, Taanga has all but vanished as a mode of public transport in India. But they have not become extinct. One can still find them in some small towns of India.  The most famous Tanga in Hindi films belonged to Basanti drawn by h...

मानव इतिहास का एकमात्र नायक..कन्हैया... कन्हैया...

Image
कटे जंजीर खुले दरवाजे....*_  आपने कभी सोचा है, कि वे जेल में ही क्यों जन्मे ? भादो की काली अँधेरी रात में जब वे आये, तो सबसे पहला काम यह हुआ कि जंजीरे कट गयीं। जन्म देने वाले के शरीर की भी, और कैद करने वाली कपाटों की भी। वस्तुतः वह आया ही था जंजीरे काटने... हर तरह की जंजीर! जन्म लेते ही वह बेड़ियां काटता है। थोडा सा बड़ा होता है, तो लज्जा की जंजीरे काटता हैं। ऐसे काटता है कि सारा गांव चिल्लाने लगता है- कन्हैया हम तुमसे बहुत प्रेम करते हैं। सब चिल्लाते हैं- बच्चे, जवान, बूढ़े, महिलाएं, लड़कियां सब... कोई भय नहीं, कोई लज्जा नही! वह प्रेम के बारे में सबसे बड़े भ्रम को दूर करता है, और सिद्ध करता है कि प्रेम देह का नही हृदय का विषय है। माथे पर मोरपंख बांधे आठ वर्ष की उम्र में रासलीला करते उस बालक के प्रेम में देह है क्या? मोर पंख का रहस्य जानते हैं? मोर के सम्बन्ध में लोक की एक प्राचीन धारणा है कि वह मादा से शारीरिक सम्बन्ध नही बनाता। मेघ को देख कर नाचते मोर के मुह से गाज़ गिरती है, और वही खा कर मोरनी गर्भवती होती है। यह वैज्ञानिक रूप से सत्य न भी हो, पर युगों से लोक की मान्यता यह...

!! चार मोमबत्तियां !!*

* ♨️ आज का प्रेरक प्रसंग ♨️*            *!! चार मोमबत्तियां !!* ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ रात का समय था। चारों ओर पूरा अंधेरा छाया हुआ था। केवल एक ही कमरा प्रकाशित था। वहाँ चार मोमबत्तियाँ जल रही थी। चारों मोमबत्तियाँ एकांत देख आपस में बातें करने लगी। पहली मोमबत्ती बोली, “मैं शांति हूँ, जब मैं इस दुनिया को देखती हूँ, तो बहुत दु:खी होती हूँ। चारों ओर आपा-धापी, लूट-खसोट और हिंसा का बोलबाला है। ऐसे में यहाँ रहना बहुत मुश्किल है। मैं अब यहाँ और नहीं रह सकती।” इतना कहकर मोमबत्ती बुझ गई। दूसरी मोमबत्ती भी अपने मन की बात कहने लगी, “मैं विश्वास हूँ, मुझे लगता है कि झूठ, धोखा, फरेब, बेईमानी मेरा वजूद ख़त्म करते जा रहे हैं। ये जगह अब मेरे लायक नहीं रही। मैं भी जा रही हूँ।” इतना कहकर दूसरी मोमबत्ती भी बुझ गई। तीसरी मोमबत्ती भी दु:खी थी। वह बोली, “मैं प्रेम हूँ, मैं हर किसी के लिए हर पल जल सकती हूँ। लेकिन अब किसी के पास मेरे लिए वक़्त नहीं बचा। स्वार्थ और नफरत का भाव मेरा स्थान लेता जा रहा है। लोगों के मन में अपनों के प्रति भी प्रेम-भावना नहीं बची। अब ये सहना मेरे बस क...

नाथूराम गोडसे 2014 की पोस्ट

आखिर क्या कारण है जो कुछ लोग गोडसे को हीरो और गाँधी को विलेन मानते है कुछ तथ्य पेश है- अगर रोना चाहे तो बिलकुल पढे :- क्या थी विभाजन की पीड़ा ? विभाजन के समय हुआ क्या क्या ? विभाजन के लिए क्या था विभिन्न राजनैतिक पार्टियों दृष्टिकोण ? क्या थी पीड़ा पाकिस्तान से आये हिन्दू शरणार्थियों की … मदन लाल पाहवा और विष्णु करकरे की? क्या थी गोडसे की विवशता ? क्या गोडसे नही जानते थे की आम आदमी को मरने में और एक राष्ट्रपिता को मरने में क्या अंतर है ? क्या होगा परिवार का ? कैसे कैसे कष्ट सहने पड़ेंगे परिवार और सम्बन्धियों को और मित्रों को ? क्या था गांधी वध का वास्तविक कारण ? क्या हुआ 30 जनवरी की रात्री को … पुणे के ब्राह्मणों के साथ ? क्या था सावरकर और हिन्दू महासभा का चिन्तन ? क्या हुआ गोडसे के बाद नारायण राव आप्टे का .. कैसी नृशंस फांसी दी गयी उन्हें l यह लेख पढने के बाद कृपया बताएं कैसे उतारेगा भारतीय जनमानस हुतात्मा नाथूराम गोडसे जी का कर्ज…. आइये इन सब सवालों के उत्तर खोजें …. पाकिस्तान से दिल्ली की तरफ जो रेलगाड़िया आ रही थी, उनमे हिन्दू इस प्रकार बैठे थे जैसे माल की बोरिया एक के ऊपर एक रची ज...

मैं कौन हूँ?* (Who Am I ? )

एक मन का अंतरद्वंद   *मैं कौन हूँ?* (Who Am I ? )  *सेवानिवृत्ति के बाद* , न कोई नौकरी, न कोई दिनचर्या, और एक शांत घर, जो अब सिर्फ सन्नाटे की गूंज है… मैंने अंततः अपने असली अस्तित्व को खोजना शुरू किया। मैं कौन हूँ? मैंने बंगले बनवाए, छोटे-बड़े कई निवेश किए, पर आज, चार दीवारों में सिमट गया हूँ। साइकिल से मोपेड, मोपेड से बाइक, बाइक से कार तक की रफ्तार और स्टाइल का पीछा किया — पर अब, धीरे-धीरे चलता हूँ, वो भी अकेले, अपने कमरे के भीतर। प्रकृति मुस्कराई और पूछा, "तुम कौन हो, प्रिय मित्र?" मैंने कहा, "मैं... बस मैं हूँ।" राज्य देखे, देश देखे, महाद्वीपों की सैर की, पर आज, मेरी यात्रा ड्राइंग रूम से रसोईघर तक सीमित है। संस्कृतियाँ और परंपराएँ सीखी, पर अब, केवल अपने ही परिवार को समझने की इच्छा है। प्रकृति फिर मुस्कराई, "तुम कौन हो, प्रिय मित्र?" मैंने उत्तर दिया, "मैं... बस मैं हूँ।" कभी जन्मदिन, सगाई, शादियाँ धूमधाम से मनाईं — पर आज, सब्ज़ियाँ खरीदने के लिए सिक्के गिनता हूँ। प्रकृति ने फिर पूछा, "तुम कौन हो, प्रिय मित्र?" मैंने कहा, "मैं.....

मोबाइल.. एक निर्जीव खिलौना

मैं बिस्तर पर से उठा, अचानक छाती में दर्द होने लगा मुझे... हार्ट की तकलीफ तो नहीं है. ..? ऐसे विचारों के साथ. ..मैं आगे वाले बैठक के कमरे में गया...मैं देखा कि मेरा पूरा परिवार मोबाइल में व्यस्त था... """""""""""""""""""""""""" मैने... पत्नी को देखकर कहा..."थोड़ा छाती में आज रोज से ज़्यादा दर्द हो रहा है...डाॅक्टर को बताकर आता हूँ।". .."हाँ मगर सँभलकर जाना...काम हो तो फोन करना"   मोबाइल में देखते देखते ही पत्नी बोली... मैं... एक्टिवा की चाबी लेकर पार्किंग में पहुँचा... पसीना, मुझे बहुत आ रहा था...ऐक्टिवा स्टार्ट नहीं हो रही थी... ऐसे वक्त्त... हमारे घर का काम करने वाला ध्रुव सायकिल लेकर आया... सायकिल को ताला मारते ही उसने मुझे सामने खड़ा देखा..."क्यों साब ऐक्टिवा चालू नहीं हो रही है?.....मैंने कहा "नहीं..." "आपकी तबीयत ठीक नहीं लगती साब... इतना पसीना क्यों आया है? साब... इस हालत में स्कूटर को किक नहीं मारते....मैं किक ...

रक्षा बंधन की कहानी🙏

🙏🌻   *शुभ मध्याह्न काल* 🌱🙏 "महादेवी! दरवाजा खोलो!!  "कौन? " मैं, सूर्यकांत." " अरे ,आप, निराला जी ! अंदर अंदर आइए .कैसे आना हुआ?  "अरे तुम भूल गई.. आज रक्षाबंधन है ना!" " हां  हां, बैठिए बैठिए" -"नहीं पहले तो मुझे दुइ  रुपये दो." "दो रुपये क्यों"? " एक रुपया  मुझे तांगे वाले को देना है और एक रुपया    तुम्हें रक्षाबंधन के बाद देना है." निराला और महादेवी वर्मा का यह संवाद हिंदी साहित्य की एक अनूठी  ऐतिहासिक घटना है. महादेवी वर्मा इस घटना को कभी नहीं भूली जीवन  और वह लोगों को बार-बार सुनाकर कर हंसती थी .महादेवी वर्मा के  जीवनी कार दूधनाथ सिंह  ने अपनी किताब में इस किस्से का कुछ ऐसा ही  जिक्र किया है.     दरअसल  ,यह घटना हिंदी साहित्य एक भाई और एक बहन के बीच अद्भुत प्रेम की घटना है जो राखी के दिन व्यक्त होती है लेकिन इसके पीछे एक करुणा जनक कहानी छुपी हुई है. करुणा जनक इसलिए की भाई इतना  फक्कड़ कि  उसके  पास पैसे नहीं होते थे  कि वह बहन को राखी का इनाम दे सके लेकिन वह हर साल अपनी बहन ...

Think about these words🙏

बस ये सोच कर जिंदगी जिया करें... 🙋🏻‍♀️ 🌹 कि आप गुलाब जामुन है...  🌹 और आपसे नफ़रत करने वाले... 🌹 शुगर के मरीज़... 🌹 *HOW COME ALL THE DESTRUCTIVE WORDS BEGIN WITH  THE LETTER "D"???* Check this out: Disease Destroy Delete Divorce Disappoint Death Disaster Debt Disrupt Demise Dementia Depression Demons Devil Dubious Diarrhea Demolish Doubt Dangerous Defeat Desperate Deform Dispute Detention Drunkard Dracula Distress Disable Devour Diabolic Distrust Distract Diabetes Disagree Deficit Defecate Dismember Dislocate Disorganize . . And . *DONALD TRUMP* 😳😳😜🤣🤣

अपना कार को संभालो

कार पार्क करने के बाद फोटो क्यों लेना चाहिए 1. गाड़ी की लोकेशन याद रखने के लिए बड़े रेलवे स्टेशन पर पार्किंग एरिया बहुत बड़ा होता है और गाड़ी कहां खड़ी की थी, भूल जाना आम बात है। फोटो में पास के बोर्ड, पोल नंबर, साइनबोर्ड या आसपास की दुकानें/दृश्य मदद करती हैं। लाभ: लौटने पर गाड़ी आसानी से ढूंढी जा सकती है। 2. चोरी या नुकसान होने पर सबूत के लिए अगर गाड़ी के साथ कोई हादसा (जैसे चोरी, तोड़फोड़, डेंट, स्क्रैच, टायर पंचर) होता है, तो आपके पास उस समय की स्थिति का फोटो प्रूफ रहेगा। लाभ: पुलिस FIR, इंश्योरेंस क्लेम या पार्किंग अथॉरिटी में शिकायत करते वक्त ये फोटो काम आएगा। 3. दिन, समय और पार्किंग कंडीशन रिकॉर्ड करने के लिए ज्यादातर मोबाइल कैमरा फोटो खींचते समय डेट और टाइम स्टैम्प सेव करता है। अगर आपसे पूछा जाए कि आपने कब गाड़ी पार्क की थी, तो आप आसानी से दिखा सकते हैं। लाभ: पार्किंग विवाद, टोइंग की स्थिति या गलत चालान से बचाव। 4. गलत चालान या टोइंग का बचाव कई बार गलत जगह पर गाड़ी नहीं लगाई होती, फिर भी चालान कट जाता है या गाड़ी टो हो जाती है। उस स्थिति में फोटो से यह साबित कर सकते हैं कि आपने...

भारतीय सैनिक को सलाम" 🙏

* साल था 1959, जगह थी अमृतसर.  भारतीय सेना के कुछ अधिकारी और उनकी पत्नियाँ अपने एक सहकर्मी को छोड़ने के लिए रेलवे स्टेशन गए।  कुछ मनचलों ने महिलाओं पर अभद्र टिप्पणी की और उनके साथ छेड़छाड़ की कोशिश की.  सेना के अधिकारियों ने उन गुंडों का पीछा किया जो पास के सिनेमा थिएटर में शरण लिए हुए थे।*  _मामले की सूचना कमांडिंग ऑफिसर कर्नल ज्योति मोहन सेन को दी गई थी। घटना के बारे में जानने पर, कर्नल ने सिनेमा हॉल को सैनिकों से घेरने का आदेश दिया।  सभी गुंडों को घसीट कर बाहर निकाला गया और गुंडों का सरदार इतना मदमस्त और सत्ता के नशे में चूर था;  जो कोई और नहीं बल्कि तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के करीबी सहयोगी और पंजाब के मुख्यमंत्री प्रताप सिंह कैरों के बेटे थे।_  _सभी गुंडों को उनके अंडरवियर उतारकर अमृतसर की सड़कों पर घुमाया गया और बाद में छावनी में नजरबंद कर दिया गया।  अगले दिन, मुख्यमंत्री क्रोधित हो गए और उन्होंने अपने बेटे को भारतीय सेना की कैद से छुड़ाने की कोशिश की।_  तुम्हें पता है क्या हुआ?  *_उनके वाहन को वीआईपी वाहन के रूप में छा...

झुमका गिरा रे बरेली के बाजार में..

Image
*‘मेरा साया’* हा सिनेमा १९६६ चा.   *'झुमका गिरा रे बरेली के बाजार में...!’* हे या सिनेमातील अतिशय गाजलेले गाणे. या गाण्यात *बरेलीच्या बाजारात नायिकेचा झुमका हरवलाय. पण ५४ वर्षांनी तो सापडला आहे.* आता तो पहायला बरेलीलाच जावे लागेल.   *बरेली हे उत्तरप्रदेशातील एक शहर.* ५४ वर्षापूर्वी  केवळ या गाण्यामुळे संपूर्ण भारतात प्रसिद्धिस आले.  त्याबद्दल *बरेली विकास प्राधिकरणाने शहरातील एन एच २४ वर झीरो पॉइंट येथे एक झुमका  उभा केलेला आहे.  त्याची ऊंची १४ फूट व वजन आहे २०० किलोग्रॅम. पितळ व तांब्याचा हा झुमका बनवला आहे  गुडगावच्या एका कारागिराने. त्याची किंमत आहे १८ लाख रुपये.*         या ठिकाणांचे नाव आहे  *“झुमका तिराहा.”*  ५४ वर्षांनी म्हणजे २०२० मध्ये झुमक्याचे हे स्मारक उभे राहिले आणि आता पर्यटकांचे आकर्षण स्थळ झाले आहे.               या गाण्याचे गीतकार आहेत *राजा मेहंदी अली खान.* गायिका *आशा*, संगीतकार – *मदन मोहन.* पडद्यावर गीत सादर केलय बहारदार नृत्य करून *दिव...

प्रभु जी🙏 दया करो🙏

Image
☀ 𝐉𝐀𝐘 𝐒𝐇𝐑𝐈 𝐑𝐀𝐌 ☀ Shri Ram said: “It is My promise and duty to give all protection to one who surrenders unto Me without reservation.”~Ramayana Lanka-kanda 18.33

Table for One🙏

Image
👆👆 is the dining table in Indian Military Academy, Dehradun being decorated even today. Details 👇  The "Table for One" in Captain Vikram Batra  mess at IMA is a memorial dedicated to soldiers missing in action or taken as POW. It is symbolic representation of their sacrifices, with each items on the table signifying a poignant aspect of their experience   CHAIR Represents the solitary confinement and hardship faced by a prisoner of war  UNLIT Candle It symbolizes the unwavering spirit of the missing soldiers despite their capture and potential torture  UNTURNED plate and empty glass It signifies the uncertainity of their return and the finality of their absence   RED ROSE Represents the enduring hope and patience of their families, who are still waiting for their loved ones  LEMON and Salt It symbolizes the bitterness of their families' fate and the tears they shed due to uncertainity  RED Ribbon It represents the support ...

प्रभु जी🙏 दया करो🙏

Image
☀ 𝐉𝐀𝐘 𝐒𝐇𝐑𝐈 𝐑𝐀𝐌 ☀ Shri Ram said: “It is My promise and duty to give all protection to one who surrenders unto Me without reservation.”~Ramayana Lanka-kanda 18.33

देशी vs विदेशी

बूंदी खीर बर्फी घेवर चूरमा रबड़ी रेबड़ी फीणी जलेबी आम रस कलाकंद रसगुल्ला रसमलाई नानखटाई मावा बर्फी पूरण पोली मगज पाक मोहन भोग मोहन थाल खजूर पाक मीठी लस्सी गोल पापड़ी बेसन लड्डू शक्कर पारा मक्खन बड़ा काजू कतली सोहन हलवा दूध का शर्बत गुलाब जामुन गोंद के लडडू नारियल बर्फी तिलगुड़ लडडू आगरा का पेठा गाजर का हलवा 50 तरह के पेडे 50 तरह की गज़क 20 तरह का हलवा 20 तरह के श्रीखंड  *इससे भी अधिक तरह की मिठाइयां बनाने वाले देश में 'कुछ मीठा हो जाये'* ---- के नाम पर केवल *"चाॅकलेट" और कैडबरी*🤔 और वो भी 3 माह पुरानी, साथ मे  5% प्रिजरवेटीव नामक जहर फ्री. *विचारणीय. रक्षाबंधन आ रहा है, निर्णय आपको करना है. ध्यान में रहे.*🙏🏻

Song of The Day

Let’s start the day with  Dev Anand’s 1971 musical drama film *”Haré Rama Haré Krishna”* written and directed by Dev Anand.  The film starred Dev Anand, Mumtaz and Zeenat Aman. They were supported by Prem Chopra, Rajendranath, Sudhir, Kishore Sahu, Achala Sachdev, Iftekhar, Raj Kishore, Indrani Mukerjee, Jr. Mehmood, Baby Guddi and Master Satyajit.  Mumtaz did not want to play the role of Dev Anand's sister and insisted she play the role opposite Dev Anand. Everyone kept telling her that the film was about a brother and sister. Zeenat ended up with the better role causing Mumtaz to be bitter. During the making of Prem Pujari in Nepal Dev Anand saw a hippie girl puffing a cigarette and got the idea for his next film. HRHK was born. He decided that the girl would be called Jashwin and the story would be based on her. After Prem Pujari becoming a hit, Dev wanted S.D.Burman for the music and his discovery Zaheeda for the role, but both refused. They found HRHK too western. S....

दोस्त और दोस्ती*

* दोस्त और दोस्ती* दोस्त का कोई ɢᴇɴᴅᴇʀ नहीं होता और दोस्ती का कोई ꜰᴏᴜɴᴅᴇʀ नहीं होता मन मिल जाने की बात है सारी कब क्यूँ कहाँ का कोई ᴄᴀʟᴇɴᴅAʀ नहीं होता !! बिन कहे देख पाता है  परेशानी दिल की रिश्तों जैसा इसमें कोई ʙʟᴜɴᴅᴇʀ नहीं होता! साथ निभाने की कोई सीमा नहीं होती छोड़ जाने का कोई ᴡᴏɴᴅᴇʀ नहीं होता ! साथ देते हैं दोस्त  आखिरी सांस तक क्योंकि दोस्ती का कोई ᴛᴇɴᴅᴇʀ नहीं होता ! दोस्त हैं ऑक्सीजन ज़िन्दगी की परन्तु इस गैस का कोई ᴄyʟIɴᴅᴇʀ नहीं होता ! पहचान लें जो आँख का ऑंसू बारिशों में भी वो दोस्त है कोई ᴀʟʟ ʀᴏᴜɴᴅᴇʀ नहीं होता ! खींच लेते हैं दोस्त हर परेशानी की चादर इन जैसा कोई ᴀʟᴇxAɴᴅᴇʀ नहीं होता ! लाइफ लाइन हैं दोस्त ज़िन्दगी की और दोस्ती का कोई ɢᴇɴᴅᴇʀ नहीं होता !!!! सुप्रभात  सभी, उम्र में जो अपने को मुझसे बड़ा समझते हैं उन दोस्तों को समर्पित 🕉️🙏💓🌹🥭🍇😆

मित्रों पर कविता

* कदम रुक गए जब पहुंचे*       *हम रिश्तों के बाज़ार में...* *बिक रहे थे रिश्ते*        *खुले आम व्यापार में..* *कांपते होठों से मैंने पूँछा,*        *"क्या भाव है भाई*        *इन रिश्तों का..?"*  *दुकानदार बोला:*  *"कौन सा लोगे..?*  *बेटे का ..या बाप का..?*  *बहिन का..या भाई का..?*  *बोलो कौन सा चाहिए..?*  *इंसानियत का..या प्रेम का..?*  *माँ का..या विश्वास का..?* *बाबूजी कुछ तो बोलो*       *कौन सा चाहिए* *चुपचाप खड़े हो*        *कुछ बोलो तो सही...* *मैंने डर कर पूछ लिया*       *"दोस्त का.."* *दुकानदार नम आँखों से बोला:*  *"संसार इसी रिश्ते*       *पर ही तो टिका है..."* *माफ़ करना बाबूजी*       *ये रिश्ता बिकाऊ नहीं है..* *इसका कोई मोल*        *नहीं लगा पाओगे,* *और जिस दिन*        *ये बिक जायेगा...* *उस दिन ये संसार उजड़ जायेगा*  *सभी मित्रों को समर्पित* ❤...

❤️🌹लड्डू-बाफले🌹❤️

*🌹 लड्डू-बाफले🌹* बहुत कम लोग जानते हैं कि *'दाल-बाफले' शब्द चलन में ही नहीं था, मूलतः 'लड्डू-बाफले' कहा जाता था*  पर  कुछ *घाघ और मक्खीचूस* प्रजाति के लोगों ने *लड्डू का खर्च बचाने के चक्कर में इसे दाल बाफले बना मारा*।  लड्डू काटने में *खूंखार सेकुलर जीवों* ने भी षडयंत्र में प्राण पण से सहयोग किया ।  चूंकि लड्डू में केशर होती है तो *'केशरिया' सहन कैसे हो*, हटाओ केशरिया, हटाओ लड्डू । कुछ *मरकुटले व्यक्ति* भी साथ हो गए होंगे *जिनसे घी में तर बाफले* खाते नहीं बनते ।  जिन्हें एक पूरा बाफला खाने में पसीना आ जाता है ऐसे फिसड्डी क्या खाकर लड्डू खाएंगे?  तो लड्डू को विस्थापित कर दिया।😰 कुछ *अनाड़ी रसोइयों* ने भी इस कुचक्र को घुमाने में हथेली लगाई।  ये *बाफले साथ में चावल* बना लेते हैं।  अब चावल से ही पेट भर जाए तो लड्डू का सामना किस मुँह से करेगा कोई ?  ये बताओ भैया ये चावल का लड्डू बाफले के साथ क्या काम ? जोड़ ही नहीं बनती । आज एक बार फिर से पूरी थाली बताई जा रही है लड्डू बाफले ।  *धर्म मे आस्था रखने वाले श्रद्धालु ध्यान से श्रवण कर पुण्य लाभ ...