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Showing posts from November, 2025

प्रशंसा करना भी सीखे ||

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|| प्रशंसा करना भी सीखे ||           प्रशंसा करना भी सीखिये क्योंकि दूसरों की प्रशंसा से हमें उनका प्रेम और सम्मान सहज में ही प्राप्त हो जाता है। जीवन में केवल दूसरों के निंदक मत बनो अपितु कभी किसी के द्वारा कुछ अच्छा कार्य किया जा रहा हो तो खुले हृदय से उसकी प्रसंशा भी अवश्य करो। जब भी और जहाँ भी दूसरों की प्रशंसा करने का अवसर प्राप्त हो उससे कभी मत चूको। जब तक हमारे मन में दूसरों की प्रशंसा का भाव जागृत नहीं होता तब तक हमारी चेतना भी कुण्ठित बनी रहती है।         केवल इतना महत्वपूर्ण नहीं है कि दूसरे आपकी प्रशंसा करें अपितु यह ज्यादा महत्वपूर्ण है, कि आपके मुख से भी दूसरों की प्रशंसा के बोल निकलें। स्वयं की ज्यादा प्रशंसा सुनने से अहम पैदा होता है और यही अहम हमारे जीवन के कल्याण मार्ग में अवरोधक का कार्य करता है व जीवन के प्रगति पथ को बाधित कर देता है। केवल दूसरों की प्रशंसा प्राप्ति के लिए भी अच्छे कार्य मत करो क्योंकि जो अच्छे कार्य करते हैं वे स्वतः ही दूसरों की प्रशंसा के पात्र बन ।  🙏🏻 *🌹!! Զเधे Զเधे !!🌹*?...

आज का चिंतन*

*आज का चिंतन* 1. *टायर चलने पर घिसते हैं, लेकिन पैर के तलवे जीवनभर दौड़ने के बाद भी नए जैसे रहते हैं।*   2. *शरीर 75% पानी से बना है, फिर भी लाखों रोमकूपों के बावजूद एक बूंद भी लीक नहीं होती।*   3. *कोई भी वस्तु बिना सहारे नहीं खड़ी रह सकती, लेकिन यह शरीर खुद को संतुलित रखता है।*   4. *कोई बैटरी बिना चार्जिंग के नहीं चलती, लेकिन हृदय जन्म से लेकर मृत्यु तक बिना रुके धड़कता है।* 5. *कोई पंप हमेशा नहीं चल सकता, लेकिन रक्त पूरे जीवनभर बिना रुके शरीर में बहता रहता है।*   6. *दुनिया के सबसे महंगे कैमरे भी सीमित हैं, लेकिन आंखें हजारों मेगापिक्सल की गुणवत्ता में हर दृश्य कैद कर सकती हैं।*   7. *कोई लैब हर स्वाद टेस्ट नहीं कर सकती, लेकिन जीभ बिना किसी उपकरण के हजारों स्वाद पहचान सकती है।*   8. *सबसे एडवांस्ड सेंसर भी सीमित होते हैं, लेकिन त्वचा हर हल्की-से-हल्की संवेदना को महसूस कर सकती है।*   9. *कोई भी यंत्र हर ध्वनि नहीं निकाल सकता, लेकिन कंठ से हजारों फ्रीक्वेंसी की आवाजें पैदा हो सकती हैं।*   10. *कोई डिवाइस प...

Do Deewane Shahar Mein".. Song of the Evening 💕💕💕

Let’s start the day and week with Bhimsen’s 1977 drama film *”Gharaonda”* directed by Bhimsen.  The film starred Amol Palekar and Zarina Wahab. They were supported by Dr Shreeram Lagoo, Dina Phatak, T. P. Jain, Sudha Chopra, Sadhu Meher and Jalal Agha.  Here is a fantastic song from “Gharonda”. Neither the movie, nor the song were mainstream ones by the standards of 1977, but this song and this movie struck the right chords in the hearts of the audience. This movie was a small budget movie in which the characters actually looked real life with real life problems. The characters in this movie for example were shown struggling to find a home of their own. The singers are Bhupinder and Runa Laila. Bhupinder Singh was around in Hindi movie songs from 1960s, during whic time he sang a few songs as well as played guitar in several songs. Runa Laila, on the other hand was a Bangladeshi singer. Bollywood producers, who were so much “phoren” obsessed those days that even a Bangladeshi ...