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Showing posts from May, 2025

जरूर पढ़े

*जिन्दगी एक रात हैं। जिसमे न जाने कितने ख्वाब है* *जो मिल गया वो अपना हैं जो टूट गया वो सपना है*               सुप्रभात  मित्र 🫶❤️☕ अगर लोग आपके प्रशंसक हैं तो यह आपकी योग्यता है परंतु लोग आपसे जलते हैं तो यह आपका जलवा है दिल में जगह बनाने के लिए दिल तक जाना होता है रिश्ते यूं ही खास नहीं हो जाते पहले इनको बेवजह निभाना होता है जिंदगी में पराया कोई नहीं होता सिर्फ मन का वहम है भरोसा रूका तो इंसान पराया हो जाता है और सांसे रूकी तो शरीर पराया हो जाता है इंसान हमेशा अपने भाग्य को कोसता रहता है यह जानते हुए भी कि भाग्य के लिए उत्तरदायी उसके अपने कर्म ही होते हैं जो उसके स्वयं के हाथों में होते हैं सुलझा हुआ इंसान वह है जो अपने जीवन के निर्णय स्वयं ही लेता है और उन निर्णय के परिणामों के लिए किसी अन्य व्यक्ति को दोष कभी नहीं देता* 💚💚💚💚💚💚💚

आज कल की दुनिया

आया दौर फ्लैट कल्चर का,देहरी, आंगन, धूप नदारद। हर छत पर पानी की टंकी,ताल, तलैया, कूप नदारद।। लाज-शरम चंपत आंखों से,घूँघट वाला रूप नदारद। पैकिंग वाले चावल, दालें,डलिया,चलनी, सूप नदारद।। 🤨🤨 बढ़ीं गाड़ियां, जगह कम पड़ी, सड़कों के फुटपाथ नदारद। लोग हुए मतलबपरस्त सब,मदद करें वे हाथ नदारद।। मोबाइल पर चैटिंग चालू,यार-दोस्त का साथ नदारद। बाथरूम, शौचालय घर में,कुआं, पोखरा ताल नदारद।। 🤨🤨 हरियाली का दर्शन दुर्लभ,कोयलिया की कूक नदारद। घर-घर जले गैस के चूल्हे,फुँकनी वाली फूंक नदारद।। मिक्सी, लोहे की अलमारी,सिलबट्टा, संदूक नदारद। मोबाइल सबके हाथों में,विरह, मिलन की हूक नदारद।। 🤨🤨 बाग-बगीचे खेत बन गए,जामुन, बरगद, रेड़ नदारद। सेब, संतरा, चीकू बिकतेगूलर, पाकड़ पेड़ नदारद।। ट्रैक्टर से हो रही जुताई,जोत-जात में मेड़ नदारद। रेडीमेड बिक रहा ब्लैंकेट,पालों के घर भेड़ नदारद।। 🤨🤨 लोग बढ़ गए, बढ़ा अतिक्रमण,जुगनू, जंगल, झाड़ नदारद। कमरे बिजली से रोशन हैं,ताखा, दियना, टांड़ नदारद।। चावल पकने लगा कुकर में,बटलोई का मांड़ नदारद। कौन चबाए चना-चबेना,भड़भूजे का भाड़ नदारद।। 🤨🤨 पक्के ईंटों वाले घर हैं,छप्पर और खपरैल नदारद। ट...

मृत्यु क्यों आवश्यक है

मृत्यु क्यों आवश्यक है  हर कोई मृत्यु से डरता है, लेकिन जन्म और मृत्यु सृष्टि के नियम हैं... यह ब्रह्मांड के संतुलन के लिए आवश्यक है। इसके बिना, मनुष्य एक-दूसरे पर हावी हो जाते। कैसे? इस कहानी से जानिए...   एक बार, एक राजा एक संत के पास गया, जो राज्य के बाहर एक पेड़ के नीचे बैठे थे। राजा ने पूछा, "हे स्वामी! क्या कोई औषधि है जो अमरता दे सके? कृपया मुझे बताएं।"   संत ने कहा, "हे राजा! आपके सामने जो दो पर्वत हैं, उन्हें पार कीजिए। वहाँ एक झील मिलेगी। उसका पानी पीने से आप अमर हो जाएंगे।"    राजा ने पर्वत पार कर झील पाई। जैसे ही वह पानी पीने को झुके, उन्होंने कराहने की आवाज सुनी। आवाज का पीछा करने पर उन्होंने एक बूढ़े और कमजोर व्यक्ति को दर्द में देखा।    राजा ने कारण पूछा, तो उस व्यक्ति ने कहा, "मैंने इस झील का पानी पी लिया और अमर हो गया। जब मेरी उम्र सौ साल की हुई, तो मेरे बेटे ने मुझे घर से निकाल दिया। मैं पचास साल से यहाँ पड़ा हूँ, बिना किसी देखभाल के। मेरा बेटा मर चुका है, और मेरे पोते अब बूढ़े हो चुके हैं। मैंने खाना-पीना बंद कर दिया है, फिर भी जीवित...

चेतावनी🙏

Sir By Dr. Vinod (AIIMS) सभी परिवार के सदस्य कृपया ध्यान दें 1 कोई भी खाली पेट न रहे 2 उपवास न करें 3 रोज एक घंटे धूप लें 4 AC का प्रयोग न करें 5गरम पानी पिएं, गले को गीला रखें 6 सरसों का तेल नाक में लगाएं 7 घर में कपूर वह गूगल जलाएं  आप सुरक्षित रहे । घर पर रहे i 8.* आधा चम्मच सोंठ हर सब्जी में पकते हुए डालें.. 9. रात को दही ना खायें 10. बच्चों को और खुद भी रात को एक एक कप हल्दी डाल कर दूध पिएं 11. हो सके तो एक चम्मच चवनप्राश खाएं 12. घर में कपूर और लौंग डाल कर धूनी दें 13 सुबह की चाय में एक लौंग डाल कर पिएं 14 फल में सिर्फ संतरा ज्यादा से ज्यादा खाएं 15 आंवला किसी भी रूप में चाहे अचार , मुरब्बा,चूर्ण इत्यादि खाएं। यदि आप Corona  को हराना चाहते हो तो कृप्या करके ये सब अपनाइए। हाथ जोड़ कर प्रार्थना है आप सबसे, आगे अपने जानने वालों को भी यह जानकारी भेजें। दूध में हल्दी आपके शरीर में इम्यूनिटी को बढ़ाएगा। ........ सभी आईटी सैल इस पोस्ट को जमकर के शेयर करें  सभी से मेरी अपील है इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें रातों रातो हमे यह मैसिज सभी को पहुचाना है

वीर सावरकर जयंती आज

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वीर सावरकर जयंती आज  ********************** भारत हर साल 28 मई को स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर “वीर” सावरकर की जयंती के उपलक्ष्य में वीर सावरकर जयंती मनाता है। सावरकर हिंदू समुदाय के विकास के लिए गतिविधियों में शामिल थे। उन्होंने देश में जाति व्यवस्था के उन्मूलन की वकालत की और दूसरे धर्मों में धर्मांतरित लोगों के पुनः धर्मांतरण का अनुरोध किया।  एक राजनीतिज्ञ, कार्यकर्ता और लेखक होने के नाते, सावरकर ने अपने जीवनकाल में कई भूमिकाएँ निभाईं, और कहा जाता है कि उन्होंने 1922 में रत्नागिरी में हिरासत में रहने के दौरान हिंदुत्व की हिंदू राष्ट्रवादी राजनीतिक विचारधारा विकसित की थी। वे हिंदू महासभा में अग्रणी व्यक्ति बन गए। बाद में; उनके अनुयायियों ने उनके नाम में उपसर्ग 'वीर' (जिसका अर्थ है बहादुर) जोड़ दिया। सावरकर के जीवन का महिमामंडन काफी विवादास्पद रहा है, खासकर वर्तमान भारतीय राजनीतिक माहौल में।  वीर सावरकर का प्रारंभिक जीवन ====================== सावरकर का जन्म 28 मई 1883 को महाराष्ट्र के नासिक शहर के पास भगूर गाँव में एक मराठी हिंदू चितपावन ब्राह्मण परिवार में...

Life These days..

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I guess the reason why Our grandparents lasted 50 years together, It was because they didn't have 3,573 friends In the same mood as "followers" Giving opinions, advice and personal messages. Today, when a relationship has Problems, just comfort ourselves With the fact that we have "more options" And more people we like. Having this fake feeling of security. We believe in "pleasure for many". No one is struggling anymore to hold Something! Everything is replaced. There are studies that show that A serious relationship these days Due to the abuse of technology and Information has a maximum duration of only 2-3 years. Because we know how easy and Replacement is normal. Without understanding that love is the only thing worth living. #sharedpost

facility at *Gopal Mansion*

** Radhakishan Damani*,  the promoter of *DMart*, has created a facility at *Gopal Mansion* near *Metro Cinema Queens Road Mumbai* containing 53 rooms for stay of family of patients undergoing treatment in Mumbai. It was inaugurated yesterday. It's very nicely done.  May refer for any such genuine need for well wishers.  Address: Gopal Mansion 50, Queen Road (Cinema Lane) Near Metro Cinema Mumbai 400 020 Contact Details: Whattsup App. Mobile 91 88799 86893 e.mail: fd@gopalmansion.com gm@gopalmansion.com Tel No: 022 22055001/02 www.gopalmansion.com Rates are  Very Reasonable Breakfast 30 Lunch Thaali 75 Dinner Thaali  75 Rooms at   800 Kitchen and Dining Very Spacious. Please share widely. Hi All.. If you have relatives in Mumbai then pl. share this information to all. *We provide TIFFIN to  patients & relatives without any charges.* Area - South Mumbai Hospitals:- Jaslok, Saifee, Bombay, Nair, J.J, all near to Mumbai Central and VT.... Contact...

Honey Bees

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Did you know that honey contains a substance that helps the human brain work better? - Did you know that honey is the ONLY food on earth that can sustain human life alone? - Did you know that a teaspoon of honey is enough to sustain human life for 24 hours? - Did you know that propolis produced by bees is the most powerful natural antibiotic? -Did you know that honey has no expiration date? - Did you know that to gain 1 kg. treasure, do you need the nectar of more than 1,000,000 flowers? - Did you know that there is a special wooden spoon for honey, and not a metal one? -Did you know that bee grazing is the healthiest food in the world? - Did you know that pollen can have over 1500 colours and shades? - Did you know that the bodies of the world's great emperors were buried in coffins of gold and then covered with honey to avoid rotting? - Did you know that bees are the ONLY insects that produce food for humans? - Did you know that the mother (queen) puts twice her weigh...

संगीता भाबर 🙏

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*शाष्टांग दण्डवत प्रणाम है साक्षात देवी को* चित्र में दिखाई दे रही आपको लड़की पहनावे और रहन-सहन से भले ही पिछड़ी और गंवार जान पड़े, लेकिन उसकी हिन्दू धर्म के प्रति निष्ठा अनन्य है। इस लड़की ने तमाम सीमाओं को लांघते हुए ऐसा करतब कर दिखाया है कि आप भी जानकर हैरान होंगे और इस बहन पर गर्व करने से खुद को नहीं रोक पाएंगे। मध्यप्रदेश झबुआ की रहने संगीता भाबर की शादी १७ अप्रैल को आशीष मचार से हुई। विदाई के बाद जब वह ससुराल पहुँची तो उसे घर के मंदिर ले जाया गया जहाँ संगीता ने देखा कि मंदिर में क्रास लटका हुआ है। क्रास देखकर उसका विश्वास टूट गया। उसने जब अपने पति से बात की तो पता लगा कि पूरा झबुआ गांव बीस साल पहले ही ईसाई हो चुका है। बस बाहरी दिखावे के लिए वो खुद को हिन्दू बताते हैं।  संगीता ने अपने ससुराल वालों को १८ अप्रैल को ही बता दिया कि वह केवल हिन्दू धर्म को मानने वालों के साथ रहेगी। उसने हिन्दू से शादी करनी थी न कि किसी और धर्म को मानने वाले से। जब ससुराल वालों ने उसकी बात नहीं मानी तो वह घर छोड़कर चली आई और थाने जाकर शिकायत कर दी। ससुराल वाले जेल गए। फिर पूरे झबुआ के ग्र...

हकीकत

कभी फुर्सत मिले, तो उन रास्तों पर लौटना, जहाँ-जहाँ तुम्हारे कदम पड़े थे। उन शहरों को देखना, जिन्हें तुमने कभी अपना माना था। उन दफ्तरों की ओर जाना, जहाँ कभी तुम्हारा नेमप्लेट लगा था। उन चौखटों को छूना, जिनके भीतर कभी तुम्हारी दुनिया बसती थी। तब देखोगे— तुम्हारी कुर्सी पर कोई और बैठा होगा, तुम्हारे कमरे में किसी और की फाइलें होंगी, तुम्हारे क्वार्टर की खिड़की से कोई और निहार रहा होगा। जिन गलियों में तुम्हारी हुकूमत थी, वहाँ अब कोई तुम्हें पहचानने वाला भी न होगा। समय की यही चाल है, जो आज तुम्हारा है, कल किसी और का होगा। पचास बरस बाद, अगर तुम लौटकर यहाँ आओ, तो शायद दरवाज़े पर खड़े बच्चे से अपना नाम पूछो, और वह अनजान निगाहों से 'कौन?' कहकर दरवाज़ा बंद कर ले। प्रिय सेवानिवृत्त मित्र, यही हक़ीक़त है, यही है दुनिया का दस्तूर।        🙏

एक जमाना था...*

* एक जमाना था...* *खुद ही स्कूल जाना पड़ता था क्योंकि साइकिल बस आदि से भेजने की रीत नहीं थी, स्कूल भेजने के बाद कुछ अच्छा बुरा होगा ऐसा हमारे मां-बाप कभी सोचते भी नहीं थे...*  *उनको किसी बात का डर भी नहीं होता था,* *🤪 पास/नापास यही हमको मालूम था... % से हमारा कभी भी संबंध ही नहीं था...* *😛 ट्यूशन लगाई है ऐसा बताने में भी शर्म आती थी क्योंकि हमको ढपोर शंख समझा जा सकता था...* 🤣🤣🤣 *किताबों में पीपल के पत्ते, विद्या के पत्ते, मोर पंख रखकर हम होशियार हो सकते हैं ऐसी हमारी धारणाएं थी...* *☺️☺️ कपड़े की थैली में...बस्तों में..और बाद में एल्यूमीनियम की पेटियों में...* *किताब कॉपियां बेहतरीन तरीके से जमा कर रखने में हमें महारत हासिल थी.. ..*  *😁 हर साल जब नई क्लास का बस्ता जमाते थे उसके पहले किताब कापी के ऊपर रद्दी पेपर की जिल्द चढ़ाते थे और यह काम...* *एक वार्षिक उत्सव या त्योहार की तरह होता था....*.  *🤗  साल खत्म होने के बाद किताबें बेचना और अगले साल की पुरानी किताबें खरीदने में हमें किसी प्रकार की शर्म नहीं होती थी..* *क्योंकि तब हर साल न किताब बदलती थी और न ही पाठ्...

एक प्रार्थना 🙏

*!! हे परमेश्वर!!* कोई आवेदन नहीं किया था,  किसी की सिफारिश नहीं थी, फिर भी यह *स्वस्थ शरीर प्राप्त हुआ।* सिर से लेकर पैर के *अंगूठे तक*  हर क्षण  *रक्त* प्रवाह हो रहा है.... न जाने कौनसा *यंत्र* लगाया है  कि निरंतर  *हृदय* धड़कता है... हजार-हजार मेगापिक्सल वाले  दो-दो *कैमरे* के रूप में 2 आँखें संसार के दृश्य कैद कर रही हैं। *दस-दस हजार* टेस्ट करने वाली  *जीभ*  सेंकड़ो  संवेदनाओं का अनुभव कराने वाली *त्वचा* नाम की सेंसर प्रणाली*  अलग-अलग *फ्रीक्वेंसी की* आवाज पैदा करने वाली  *स्वर प्रणाली*  उन फ्रीक्वेंसी का *कोडिंग-डीकोडिंग* करने वाले  *कान* नाम का यंत्र इस शरीर की विशेषता हैं। पचहत्तर प्रतिशत जल से भरा शरीर * *लाखों रोमकूप होने के बावजूद कहीं भी लीक नहीं होता...*  बिना किसी सहारे मैं सीधा खड़ा रह सकता हूँ।*. गाड़ी के टायर चलने पर घिसते हैं,  पर  *पैर के तलवे* जीवन भर चलने के बाद आज तक नहीं घिसे --अद्भुत* ऐसी रचना है। हे परमात्मा आप ही इसके संचालक हैं।आप हीं निर्माता। *स्मृति,शक्ति,शांति ये सब भगवान आप देते ...

गंगा उल्टी बहती हैं l🙏🙏🙏

आपको बता दें कि वाराणसी मे मणि कर्णिका घाट से तुलसी घाट तक गंगा उल्टी बहती हैं. इन दोनों घाटों के बीच की दूरी 1.5 किलोमीटर है और इतनी दूरी में करीब 45 घाट पड़ते हैं. गंगा के उल्टी बहने के पीछे धार्मिक और भौगोलिक दोनों कारण हैं. पहले हम धार्मिक कारण पर बात करते हैं - वाराणसी में गंगा नदी उल्टी बहने के पीछे धार्मिक कारण: पुराणों के अनुसार, स्वर्ग से जब धरती पर गंगा उतरी थीं तो बहाव इतना तेज था कि वाराणसी के घाट पर तपस्या कर रहे भगवान दत्तात्रेय का आसन और कमंडल डेढ़ किलोमीटर तक आगे बह गया, जिसे वापस करने के लिए गंगा वापस लौटकर आती हैं और उन्हें उनकी वस्तुएं लौटाती हैं और उनसे क्षमा मांगती हैं. तब से गंगा नदी काशी में डेढ़ किलोमीटर तक उल्टी बहती हैं, फिर सामान्य हो जाती हैं.  वाराणसी में गंगा नदी उल्टी बहने के पीछे भौगोलिक कारण : वैसे गंगा नदी दक्षिण से उत्तर की ओर बहती हैं, लेकिन जब काशी में प्रवेश करती हैं, तो इसका बहाव धनुष के आकार का हो जाता है, जिसके कारण गंगा दक्षिण से पूर्व की ओर मुड़ जाती है, इसके बाद पूर्वोत्तर की तरफ. ऐसा इस स्थान का घुमावदार होने के कारण है, जिसके कारण डेढ़ ...

जय हो मोदी जी🙏

*बरसों बाद केंद्रीय स्तर पर नरेंद्र मोदीजी जैसे नेता को देखकर यह महसूस होता है कि जैसे सर पर किसी अभिभावक का हाथ है ।*  👉🏽कुछ लोग चाहे कितनी ही आलोचना करें लेकिन पिछले ग्यारह बरसों का इतिहास बताता है कि ऐसा एक भी दिन नहीं गया जब यह लगा हो कि यह देश अनाथ है ।  👉🏽यही भारत था और वही मनमोहन मौनीज था और वही सोनिया गांधी थी कि यह देश नट बोल्ट उखड़ी हुई बैलगाड़ी जैसा लगता था । 👉🏽आज तो नहीं लेकिन आज से कई दशकों बाद इस बात का संज्ञान आने वाली पीढ़ी लेगी और किसी मोदीजी जैसे प्रधानमंत्री को ही ढूंढेगी ।  संभव है कि तरस भी जाए । 👉🏽इस एक व्यक्ति ने शिव शंकर की तरह सारा ज़हर अपने भीतर उतार लिया । और, अपना नीला कंठ लिए यह व्यक्ति फिर एक अभिभावक की तरह देश को संबोधित करने आ रहा है ।  👉🏽मुझे इस व्यक्ति की आलोचना से अपने विश्वास पर कोई चोट नहीं पहुंचती । क्योंकि आलोचना तो हेडगेवार जी की भी होती है, परम पूज्य गुरुजी की भी, वीर सावरकर की भी, लाल बहादुर शास्त्री जी की अटल जी की भी । यह लोग आलोचना से "इम्यून" हो चुके लोग हैं । इनका महान योगदान इस देश की नस नस में रक्त बनकर बहता ...