एक प्रार्थना 🙏
*!! हे परमेश्वर!!*
कोई आवेदन नहीं किया था,
किसी की सिफारिश नहीं थी,
फिर भी यह *स्वस्थ शरीर प्राप्त हुआ।*
सिर से लेकर पैर के *अंगूठे तक*
हर क्षण
*रक्त* प्रवाह हो रहा है....
न जाने कौनसा *यंत्र* लगाया है
कि निरंतर
*हृदय* धड़कता है...
हजार-हजार मेगापिक्सल वाले
दो-दो *कैमरे* के रूप में 2 आँखें संसार के दृश्य कैद कर रही हैं।
*दस-दस हजार* टेस्ट करने वाली
*जीभ*
सेंकड़ो संवेदनाओं का अनुभव कराने वाली *त्वचा* नाम की सेंसर प्रणाली*
अलग-अलग *फ्रीक्वेंसी की* आवाज पैदा करने वाली
*स्वर प्रणाली*
उन फ्रीक्वेंसी का *कोडिंग-डीकोडिंग* करने वाले
*कान* नाम का यंत्र इस शरीर की विशेषता हैं।
पचहत्तर प्रतिशत जल से भरा शरीर *
*लाखों रोमकूप होने के बावजूद कहीं भी लीक नहीं होता...*
बिना किसी सहारे मैं सीधा खड़ा रह सकता हूँ।*.
गाड़ी के टायर चलने पर घिसते हैं, पर
*पैर के तलवे* जीवन भर चलने के बाद आज तक नहीं घिसे --अद्भुत* ऐसी रचना है।
हे परमात्मा आप ही इसके संचालक हैं।आप हीं निर्माता।
*स्मृति,शक्ति,शांति ये सब भगवान आप देते हैं।*
आप ही भीतर बैठ कर
*शरीर की संरचना* चला रहे हैं।
*अद्भुत* है यह सब,
*अविश्वसनीय।*
ऐसे *शरीर रूपी* मशीन में हमेशा आप ही हैं,
इसका अनुभव कराने वाली *आत्मा* भगवान आप हैं।
यह आपका खेल मात्र है। मैं आपके खेल का निश्छल,
*निस्वार्थ आनंद* का हिस्सा रहूँ!...
ऐसी *सद्बुद्धि* मुझे दीजिए!!
आप ही यह सब संभालते हैं
इसका *अनुभव* मुझे हमेशा रहे!!!
प्रतिदिन पल-पल
*कृतज्ञता से आपका ऋणी होने का स्मरण*,
चिंतन हो,
यही परमेश्वर के चरणों में प्रार्थना है..!!🙏 !!
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