गंगा उल्टी बहती हैं l🙏🙏🙏
आपको बता दें कि वाराणसी मे मणि कर्णिका घाट से तुलसी घाट तक गंगा उल्टी बहती हैं. इन दोनों घाटों के बीच की दूरी 1.5 किलोमीटर है और इतनी दूरी में करीब 45 घाट पड़ते हैं. गंगा के उल्टी बहने के पीछे धार्मिक और भौगोलिक दोनों कारण हैं. पहले हम धार्मिक कारण पर बात करते हैं -
वाराणसी में गंगा नदी उल्टी बहने के पीछे धार्मिक कारण:
पुराणों के अनुसार, स्वर्ग से जब धरती पर गंगा उतरी थीं तो बहाव इतना तेज था कि वाराणसी के घाट पर तपस्या कर रहे भगवान दत्तात्रेय का आसन और कमंडल डेढ़ किलोमीटर तक आगे बह गया, जिसे वापस करने के लिए गंगा वापस लौटकर आती हैं और उन्हें उनकी वस्तुएं लौटाती हैं और उनसे क्षमा मांगती हैं. तब से गंगा नदी काशी में डेढ़ किलोमीटर तक उल्टी बहती हैं, फिर सामान्य हो जाती हैं.
वाराणसी में गंगा नदी उल्टी बहने के पीछे भौगोलिक कारण :
वैसे गंगा नदी दक्षिण से उत्तर की ओर बहती हैं, लेकिन जब काशी में प्रवेश करती हैं, तो इसका बहाव धनुष के आकार का हो जाता है, जिसके कारण गंगा दक्षिण से पूर्व की ओर मुड़ जाती है, इसके बाद पूर्वोत्तर की तरफ. ऐसा इस स्थान का घुमावदार होने के कारण है, जिसके कारण डेढ़ किलोमीटर की दूरी में भंवर बन जाता है और मणिकर्णिका से तुलसी घाट तक देवी गंगा उल्टी बहती हैं l
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