मिर्ची से भी तीखी..20 लाइनें ;

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व्यंग्यकार ; हरिशंकर परसाई जी के, आज से लगभग 50  साल‌ पहले के रचित व्यंग्य लेखों से, 20 लाइनें ; आज भी ताजा हैं, और कुछ लोगों को  ' मिर्ची  से भी तीखी ' लगेंगी..

🎈       1-  लडक़ों को अपना   ईमानदार बाप, 
' निकम्मा ' लगता है।

🎈       2-  " दिवस," कमजोर  का  ही मनाया जाता है, जैसे कि " हिंदी दिवस ",  " महिला दिवस ", 
" अध्यापक दिवस ",  " मजदूर दिवस "।  कभी 
' थानेदार दिवस ' ; नहीं मनाया जाता।

🎈       3- व्यस्त आदमी को अपना काम करने में, जितनी अक्ल की जरूरत पड़ती है. उससे ज्यादा अक्ल बेकार आदमी को, ' समय काटने में ' लगती है।

🎈       4-  जिनकी हैसियत है, वे ' एक से ; ज्यादा बाप ' रखते हैं। एक ; घर में, एक ; दफ्तर में, एक ; बाजार में, एक - एक ; " हर राजनीतिक दल " में।

🎈       5- आत्मविश्वास, कई प्रकार का होता है. धन का, बल का, ज्ञान का। लेकिन ' मूर्खता का आत्मविश्वास,' सर्वोपरि होता है ।

🎈        6- सबसे निरर्थक आंदोलन, ' भ्रष्टाचार के विरोध ' का होता है। यह मनोरंजन, राजनीतिक पार्टी कभी - कभी खेल लेती है, जैसे  क्रिकेट या कबड्डी के मैच।

🎈        7- रोज विधानसभा के बाहर एक बोर्ड पर, ‘ आज का बाजार भाव ’ लिखा रहे। उन विधायकों की सूची bhee चिपकी रहे, जो बिकने को तैयार हैं। इससे खरीददार को भी सुविधा होगी, और माल को भी।

🎈        8- हमारे लोकतंत्र की यह ' ट्रेजेडी और कॉमेडी ' है, कि कई लोग जिन्हें आजन्म जेलखाने में रहना चाहिए, वे जिन्दगी भर संसद या विधानसभा में बैठते हैं।

🎈        9- विचार जब लुप्त हो जाता है, या प्रकट करने में बाधा होती है, या किसी के विरोध से भय लगने लगता है, तब तर्क का स्थान ; ' हुल्लड़ या गुंडागर्दी ' ले लेती है।

🎈       10- धन उधार देकर समाज का शोषण करने वाले धनपति को,  जिस दिन " महा - जन "  कहा गया होगा, उस दिन ही ; ' मनुष्यता की हार ' हो गई।

🎈       11-  हम मानसिक रूप से, ' दोगले नहीं ; तिगले ' हैं। संस्कारों से " सामन्तवादी " हैं, जीवन मूल्य " अर्द्ध-पूंजीवादी " हैं, और बातें ; " समाजवाद की " करते हैं।

🎈      12-  फासिस्ट संगठन की विशेषता होती है, कि ' दिमाग ; सिर्फ नेता के पास ' होता है. बाकी 
" सब कार्यकर्ताओं के पास ;  सिर्फ शरीर " होता है।

🎈        13- बेइज्जती में अगर दूसरे को भी शामिल कर लो, तो ' आधी इज्जत ' बच जाती है।

🎈       14-  दुनिया में भाषा, अभिव्यक्ति के काम आती है। इस देश में, ' दंगे के काम ' आती है।

🎈       15- जब ' शर्म की बात ;  गर्व की ' बन जाए, तब समझो कि जनतंत्र ; बढिय़ा चल रहा है।

🎈         16- जो  पानी छानकर पीते हैं, वो 
' आदमी का खून ' बिना छाने पी जाते हैं।

🎈       17-  सोचना ; एक रोग है. जो ' इस रोग से मुक्त और स्वस्थ हैं,' वे धन्य हैं।

🎈        18- हीनता के रोग में, ' किसी के अहित का इंजेक्शन,' बड़ा कारगर होता है।

🎈        19-  नारी-मुक्ति के इतिहास में, यह वाक्य अमर रहेगा कि ‘ एक की कमाई से ; पूरा नहीं पड़ता ’

🎈        20- एक बार कचहरी चढ़ जाने के बाद ; सबसे बड़ा काम है, ' अपने ही वकील से ; अपनी रक्षा ' करना।

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