वो शाम कुछ अजीब थी.. सफर फिल्म

वो शाम कुछ अजीब थी
ये शाम भी अजीब है
वो कल भी पास पास थी
वो आज भी करीब है

झुकी हुई निगाह में
कहीं मेरा ख़याल था
दबी दबी हँसीं में इक
हसीन सा गुलाल था
मैं सोचता था
मेरा नाम गुनगुना रही है वो
न जाने क्यूँ लगा मुझे
के मुस्कुरा रही है वो
वो शाम कुछ अजीब थी 

मेरा ख़याल हैं अभी
झुकी हुई निगाह में
खुली हुई हँसी भी है
दबी हुई सी चाह में
मैं जानता हूँ
मेरा नाम गुनगुना रही है वो
यही ख़याल है मुझे
के साथ आ रही है वो

वो शाम कुछ अजीब थी
ये शाम भी अजीब है
वो कल भी पास पास थी
वो आज भी करीब है

*सफर*

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