व्यर्थ का क्रोध



एक साँप, एक बढ़ई की औजारों वाली बोरी में घुस गया। घुसते समय, बोरी में रखी हुई बढ़ई की आरी उसके शरीर में चुभ गई और उसमें घाव हो गया, जिससे उसे दर्द होने लगा और वह विचलित हो उठा।

गुस्से में उसने उस आरी को अपने दोनों जबड़ों में जोर से दबा दिया। अब उसके मुख में भी घाव हो गया और खून निकलने लगा।

अब इस दर्द से परेशान हो कर, उस आरी को सबक सिखाने के लिए, अपने पूरे शरीर को उस साँप ने उस आरी के ऊपर लपेट लिया और पूरी ताकत के साथ उसको जकड़ लिया। इस से उस साँप का सारा शरीर जगह जगह से कट गया और वह मर गया।

ठीक इसी प्रकार कई बार हम तनिक सा आहत होने पर आवेश में आकर सामने वाले को सबक सिखाने के लिए अपने आप को अत्यधिक नुकसान पहुंचा देते हैं।

*शिक्षा:-*
क्रोध से हानि और पछतावे के अतिरिक्त कुछ और प्राप्त नहीं होता।            

*सदैव प्रसन्न रहिये - जो प्राप्त है, पर्याप्त है।*
*जिसका मन मस्त है - उसके पास समस्त है।।*
✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️

Comments

Popular posts from this blog

Dil To Hai Dil”

❤Love your Heart❤

Happy Birthday Dear Osho