भागवत चिंतन🙏
The more grateful you are, the more beauty you will see. Acknowledging the good that you already have in your life will lead you to a life in abundance. 𝓝𝓾𝓻𝓽𝓾𝓻𝓮 𝔂𝓸𝓾𝓻 𝓼𝓸𝓾𝓵 𝔀𝓲𝓽𝓱 𝓹𝓸𝓼𝓲𝓽𝓲𝓿𝓮 𝓽𝓱𝓸𝓾𝓰𝓱𝓽𝓼 𝓪𝓷𝓭 𝓲𝓷𝓽𝓮𝓻𝓷𝓪𝓵 𝓱𝓪𝓹𝓹𝓲𝓷𝓮𝓼𝓼 𝔀𝓲𝓵𝓵 𝓫𝓵𝓸𝓼𝓼𝓸𝓶 𝓫𝓮𝓯𝓸𝓻𝓮 𝔂𝓸𝓾𝓻 𝓮𝔂𝓮𝓼 🌹🌹
*🌴१७ सितंबर २०२५ बुधवार 🌴*
*🥀आश्विन कृष्णपक्षएकादशी २०८२🥀*
➖➖➖➖‼️➖➖➖➖
*‼️ऋषि चिंतन ‼️*
➖➖➖➖‼️➖➖➖➖
*मृत्यु के समय कष्ट नहीं होता है*
➖➖➖➖‼️ ➖➖➖➖
👉 *"मृत्यु" के दुःख में शरीरों का नष्ट होना कारण नहीं वरन जीवन के वास्तविक स्वरूप की जानकारी न होना ही कारण है।* ऐसे कितने - ही बलिदानी, वीर हुए हैं जो फाँसी की कोठरी में रहते हुए दिन-- दिन अधिक मोटे होते गए, वजन बढ़ता गया और फाँसी के फंदे को देखते अपने हाथों गले से लगाया तथा खुशी के गीत गाते हुए मृत्यु के तख्ते पर झूल गए। *कवि "गंग" को जब मृत्युदंड दिया गया और जिस समय उन्हें पैरों तले कुचल डालने को खूनी हाथी छोड़ा गया तो वे प्रसन्नता से फूल उठे और उन्होंने कल्पना की कि देवताओं की सभा में कोई "छंद" बनाने वाले की आवश्यकता हुई है, इसलिए मुझ कवि "गंग" को लेने के लिए हाथी रूपी गणेश आए हैं।* कितने ही महात्मा समाधि लेकर अपना शरीर त्याग देते हैं। *उन्हें मरने में कोई अनोखी बात दिखाई नहीं पड़ती।*
👉 *कई व्यक्ति सोचते हैं कि मरते समय भारी "कष्ट" होता है, इसलिए उस "कष्ट" की पीड़ा से डरते हैं।* यह भी मृत्यु समय की वस्तुस्थिति से जानकारी न होने के कारण है। आमतौर से लोग मृत्यु से कुछ समय पूर्व बीमार रहते हैं। *बीमारी में जीवनीशक्ति घटती है और इंद्रियों की चेतना शिथिल होकर ज्ञान-तंतु संज्ञा शून्य होते जाते हैं, फलस्वरूप दुःख की अनुभूति पूरी तरह नहीं हो पाती ।* प्रसूता स्त्रियाँ या लंघन के रोगी गर्मी की ऋतु में रात को भी अकसर बंद घरों में सोते हैं, पर उन्हें गरमी का वैसा कष्ट नहीं होता जैसा कि स्वस्थ मनुष्य को होता है। *स्वस्थ मनुष्य रात को बंद कमरे में नहीं सो सकता, पर रोगी सो जाता है। कारण यह है कि रोगी के ज्ञानतंतु शिथिल हो जाने के कारण गरमी अनुभव करने की शक्ति मंद पड़ जाती है। रोगियों को स्वाद का भी ठीक-ठीक अनुभव नहीं होता, स्वादिष्ट चीजें भी कड़वी लगती हैं, क्योंकि जिह्वा के ज्ञानतंतु निर्बल पड़ जाते हैं।* रोगजन्य निर्बलता धीरे-धीरे इतनी बढ़ जाती है कि मृत्यु से कुछ समय पूर्व मनुष्य संज्ञा-शून्य हो जाता है औ बिना किसी कष्ट के उसके प्राण निकल जाते हैं। *जो कुछ कष्ट मिलना होता है रोग-काल में ही मिल जाता है।* डॉक्टर लोग जब कोई बड़ा ऑपरेशन करते हैं तो रोगी को क्लोरोफार्म सुंघाकर बेहोश कर देते हैं ताकि उसे कष्ट न हो। *दयालु परमात्मा भी आत्मा से शरीर को अलग़ करने का आपरेशन करते समय संज्ञाशून्यता का क्लोरोफार्म सुँघा देता है ताकि हमें मृत्यु का कष्ट न हो ।*
➖➖➖➖‼️➖➖➖➖
*"गायत्री के चौदह रत्न"* पृष्ठ ३५
*🍁।।पं श्रीराम शर्मा आचार्य।।🍁*
➖➖➖‼️➖➖➖➖
जय श्री कोटड़ी श्याम चारभुजा नाथ की 💞💞
*जय श्री कृष्णा,,।🙏*
*"कृष्णभक्ति" तो भक्त के हृदय में उठा ऐसा परम और सहज अहसास है, जो बुद्धि से नहीं सिर्फ प्रेम से महसूस किया जा सकता है...!*
*"ना करूं तुझको याद तो खुद की,*
*साँसों में उलझ जाता हूँ मैं,,**
*प्रेम से, श्री श्याम श्याम बोलता हूं और,,*
*खुद को तेरे करीब पाता हूं मैं",,*🙏🏼🙏🏼💐💐
Comments
Post a Comment