म्यूजिक कंपोजर सलिल चौधरी
1961 में सुनील दत्त और आशा पारेख की एक फिल्म ‘छाया’ का एक एक ऐसा गाना जिसकी धुन म्यूजिक कंपोजर को 30 सालों तक याद रही। बाद में उन्होंने उस पर ये सुपरहिट गाना बनाया जो आज भी पसंद किया जाता है।
साल 1961 में सुनील दत्त और आशा पारेख की एक फिल्म आई थी ‘छाया’। इस फिल्म की कहानी के साथ गाने भी जबरदस्त हिट हुए थे। लेकिन एक ऐसा गाना भी था जिसकी धुन म्यूजिक कंपोजर सलिल चौधरी को 30 सालों से याद थी। इस फिल्म में उन्हें उस धुन को इस्तेमाल करने का मौका मिला और उन्होंने बना दिया उस दौर का सबसे शानदार गीत। हाल में सोशल मीडिया पर भी ये गीत वायरल हुआ था और कई हजारों रील्स बनाई गई थी। उस धुन को याद रखने की कहानी मजेदार है।
दरअसल, फिल्म ‘छाया’ के म्यूजिक डायरेक्टर सलिल चौधरी उस समय सिर्फ 13 साल के थे और अपने पिता के साथ असम में अपने पिता के साथ रहा करते थे। उसी दौरान सलिल के पिता के एक दोस्त हुआ करते थे जिनका नाम था डॉक्टर मलोनी जो आयरिश थे। सलिल के पिता और डॉक्टर मालोनी ने साथ में कई साल बिताए। लेकिन जब उन्हें अपने देश आयरलैंड वापस जाना हुआ तो अपने दोस्त को कीमती खजाना दे गए। वो खजाना था वेस्टर्न क्लासिकल म्यूजिक के ग्रामोफोन रिकॉर्ड्स।
पिता काम में बिजी रहते और जवान हो रहे सलिल वेस्टर्न म्यूजिक में डूबे रहते। उन्हीं दिनों सलिल ने मोजार्ट की 40th सिम्पफोनी को सुना। वेस्टर्न क्लासिकल म्यूजिक की यह धुन सलिल के दिमाग में घर कर गई। 30 सालों बाद जब फिल्म छाया आई तो उन्होंने इस फिल्म में सुनील दत्ता और आशा पारेख पर फिल्माए गाने में उस धुन का इस्तेमाल किया।
जो धुन सलिल को 30 सालों तक याद रही थी वो थी ‘इतना ना मुझसे तू प्यार बढ़ा के मैं एक बादल आवारा।’ इस गीत के बोल राजिंदर किशन ने लिखे थे और गाना कंपोज़ किया था सलिल चौधरी ने। इस गीत को लता मंगेशकर और तलत महमूद ने गाया था।
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