पेड़ों की समस्या 👍👍👍

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*♨️ आज का प्रेरक प्रसंग ♨️*

          *!! पेड़ों की समस्या !!*
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एक राजा बहुत दिनों बाद अपने बगीचे में सैर करने गया, पर वहां पहुँच उसने देखा कि सारे पेड़-पौधे मुरझाए हुए हैं। राजा बहुत चिंतित हुआ, उसने इसकी वजह जानने के लिए सभी पेड़-पौधों से एक-एक करके सवाल पूछने लगा।

ओक वृक्ष ने कहा, वह मर रहा है क्योंकि वह देवदार जितना लंबा नहीं है। राजा ने देवदार की और देखा तो उसके भी कंधे झुके हुए थे क्योंकि वह अंगूर लता की भांति फल पैदा नहीं कर सकता था। अंगूर लता इसलिए मरी जा रही थी कि वह गुलाब की तरह खिल नहीं पाती थी।

राजा थोड़ा आगे गया तो उसे एक पेड़ नजर आया जो निश्चिंत था, खिला हुआ था और ताजगी में नहाया हुआ था।

राजा ने उससे पूछा, “बड़ी अजीब बात है, मैं पूरे बाग़ में घूम चुका लेकिन एक से बढ़कर एक ताकतवर और बड़े पेड़ दुखी हुई बैठे हैं लेकिन तुम इतने प्रसन्न नज़र आ रहे हो… ऐसा कैसे संभव है ?”

पेड़ बोला, “महाराज, बाकी पेड़ अपनी विशेषता देखने की बजाय स्वयं की दूसरों से तुलना कर दुखी हैं, जबकि मैंने यह मान लिया है कि जब आपने मुझे रोपित कराया होगा तो आप यही चाहते थे कि मैं अपने गुणों से इस बागीचे को सुन्दर बनाऊं, यदि आप इस स्थान पर ओक, अंगूर या गुलाब चाहते तो उन्हें लगवाते! इसीलिए मैं किसी और की तरह बनने की बजाय अपनी क्षमता के अनुसार श्रेष्ठतम बनने का प्रयास करता हूँ और प्रसन्न रहता हूँ।”

*शिक्षा:-*
हम अक्सर दूसरों से अपनी तुलना कर स्वयं को कम आंकने की गलती कर बैठते हैं। दूसरों की विशेषताओं से प्रेरित होने की बजाय हम अफ़सोस करने लगते हैं कि हम उन जैसे क्यों नहीं हैं।

हम सभी में कुछ ऐसी योग्यता है, जो अन्य लोगो में नहीं है। जरुरत है तो सिर्फ उसे पहचानने की और उस गुणवत्ता को और विकसित कर अपने क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने की। अगर हम यकीन कर ले की हम सफल हो सकते है, तो इससे दूसरे भी हम पर विश्वास करने लगते है। इंसान की सबसे बड़ी कमजोरी खुद का मूल्यांकन कम करने की होती है। हमें अपनी कमिया पता होना अच्छी बात है। इनसे हमें यह पता चलता है की हमें किस क्षेत्र में सुधार करना है।

हमेशा अपने गुणों, अपनी योग्यताओं पर ध्यान केन्द्रित करें। यह जान लें, आप जितना समझते हैं, आप उससे कहीं बेहतर हैं। बड़ी सफलता उन्हीं लोगों का दरवाजा खटखटाती है जो लगातार खुद के सामने ऊंचे लक्ष्य रखते हैं, जो अपनी कार्यक्षमता सुधारना चाहते हैं।

*सदैव प्रसन्न रहिये - जो प्राप्त है, पर्याप्त है।*
*जिसका मन मस्त है - उसके पास समस्त है।।*
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