कुछ मत खरीदो!

🙏 रविवार की प्रेरणादायक कहानी 🙏
"कुछ मत खरीदो!"


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निशा ऑफिस से घर लौटते समय एक साइकिल की दुकान पर रुकी। उसके आठ साल के बेटे को एक नई, नीली गियर वाली साइकिल और एक हेलमेट चाहिए था। लेकिन जब उसने दुकान में महंगे-महंगे मॉडल देखे, तो वह असमंजस में पड़ गई।

निशा और रवि अमेरिका के बोस्टन के पास एक छोटे से शहर में रहते थे। दोनों IT सेक्टर में काम करते थे। उन्हें लगता था कि सेल में चीज़ें खरीदने से पैसे की बचत होती है, इसलिए वे अक्सर ज़रूरत से ज़्यादा खरीद लिया करते थे। धीरे-धीरे, घर इतना भर गया कि अलमारियाँ भी कम पड़ने लगीं।

पर्स, चप्पलें, जूते, फूलदान, असली और नकली फूल, पौधे, किताबें, कॉफी मेकर, कपड़े, टोपी, फोटो फ्रेम, खिलौने—हज़ारों चीज़ें हर कोने में जमा थीं।

साइकिल देखते हुए निशा ने दो महिलाओं की बातचीत सुनी— "पाँच साल के बच्चे के लिए इतनी महंगी साइकिल लेने की क्या ज़रूरत!"
"‘Buy Nothing’ में बच्चों की साइकिल मिल जाएगी।"

निशा चौंकी।
महिला बोली, "जब तक बच्चा बड़ा न हो जाए, तब तक बड़ी साइकिल मत लो। Buy Nothing का फायदा उठाओ!"

उत्सुकता से निशा ने पूछा, “ये Buy Nothing क्या है?”

उन्होंने एक पते और नंबर की पर्ची दी—“वहाँ रेबेका मिलेंगी, वह सब समझा देंगी।”

निशा उस पते पर गई। एक मुस्कुराती हुई लगभग 50 साल की महिला ने उसका स्वागत किया।

“मैं रेबेका हूँ—Buy Nothing में आपका स्वागत है!”

निशा ने पूछा, “ये Buy Nothing असल में है क्या?”

रेबेका ने चश्मा ठीक करते हुए बताया:
“छह-सात साल पहले, मैं बहुत बड़ी आर्थिक तंगी में थी। मैंने लोगों से कुछ चीज़ें उधार माँगना शुरू किया। कुछ लोगों ने मुझे खाना तक दिया। जब मेरी हालत सुधरी, तब मैंने और मेरी एक दोस्त ने मिलकर यह फ़ेसबुक ग्रुप शुरू किया।”

“आज हमारे लोकल Buy Nothing ग्रुप में हज़ार से ज़्यादा सदस्य हैं। (शामिल होने के लिए एक मामूली फीस और कुछ सवालों के जवाब देने होते हैं—इसकी पुष्टि मैं फिर करूँगी।)

अगर आपको कुछ चाहिए, तो संभावना है कि किसी के पास वह चीज़ होगी। उसे इस्तेमाल करें, और फिर लौटा दें।

कुछ खरीदने की ज़रूरत नहीं।
जो आपके पास फालतू है, उसे दे दीजिए।
दूसरों से अपनी ज़रूरत की चीज़ें ले लीजिए।
इससे पैसे की बचत होती है, पर्यावरण को लाभ होता है, और मानवीय रिश्तों में जुड़ाव आता है।

बस व्यक्तिगत स्वच्छता की चीज़ें ही ख़रीदनी चाहिए।”

“हर शहर का अपना ग्रुप होता है। आज दुनियाभर में 1.6 मिलियन से भी ज़्यादा लोग इससे जुड़े हैं!”


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वहीं, निशा ने Buy Nothing फेसबुक ग्रुप जॉइन किया और पूछा, “क्या किसी के पास नीली गियर वाली साइकिल है?”

कुछ ही देर में 30–40 जवाब और तस्वीरें आ गईं।
उसने एक साइकिल पसंद कर ली—सात गियर वाली!

लोग वहाँ बेबी क्रिब, बीच चेयर, व्हीलचेयर, बच्चों के खिलौने, किताबें—सब कुछ आपस में बाँट रहे थे।

और वो भी बिना एक भी पैसा खर्च किए—बिना किसी बहस या टकराव के!

रेबेका ने मुस्कुरा कर कहा:
“लोगों की परवाह करना सीखो। चीज़ों से कम लगाव रखो। बस इतना याद रखो।”

"सारा संसार मेरा घर है" — इस सोच को जीते हुए, निशा सात-गियर वाली नीली साइकिल घर ले आई।
रवि हैरान रह गया।

रेबेका के शब्द उसके दिल में गूंज रहे थे:
“इतनी चीज़ें जमा क्यों करते हो?
आख़िर में तो कुछ भी साथ नहीं ले जाओगे।”

अब निशा ने अपने फालतू सामानों को Buy Nothing ग्रुप में देना शुरू किया।
लोग उन चीज़ों का उपयोग करने लगे।

अब वह अपने शहर के बहुत से लोगों को जानती है।
विचारों का आदान-प्रदान हो रहा है।
चूंकि वह भारत से दूर है, फिर भी यहाँ उसे मामा, मौसी, भाई जैसे रिश्ते मिलने लगे हैं।


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हम पूरी ज़िंदगी चीज़ें जमा करते रहते हैं,
जबकि जानते हैं कि आख़िर में कुछ भी साथ नहीं ले जाएंगे।

अब निशा ने तय किया है कि वह चीज़ों की जगह
स्नेह, दोस्ती और मानवीय रिश्ते जमा करेगी।


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क्या हम भी Buy Nothing का जीवन दर्शन अपनाएँ?

🌱 कुछ दें!
🌿 कुछ उगाएँ!
🎨 कुछ बनाएँ!
🎁 कुछ दान करें!

🔵 "कुछ मत खरीदो!"


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🌞 आपको और आपके परिवार को एक सुंदर सप्ताह की शुभकामनाएँ! 🙏💫

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