राजेशखन्ना !
राजेशखन्ना !
आनंद मरा नहीं,
आनंद मरते नहीं !
बाबु मोशाय !
जिंदगी लंबी नहीं,
बडी होनी चाहिये !
बाबु मोशाय !
जिंदगी और मौत उपरवाले के हाथ में हैं।
ईस को ना आप बदल सकते है, ना मैं !
हम सब तो रंगमंच की कठपुतलियां है,
जिस की डोर उस उपरवाले के हाथ में है
कब, कौन, कैसे उठेगा, ये कोई नहीं बता सकता !
हा..हा..हा...!
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