पैसा

*गुड मॉर्निंग एवरीवन*
19.05.25😊🌷🙏🏻

*ये जो थोड़े से हैं पैसे,*
*खर्च तुम पर करूँ कैसे*
फिल्म *पापा कहते हैं* के एक गीत का ये कमाल का मुखड़ा है। जब जावेद अख्तर से पूछा गया था कि आपका सबसे पसंदीदा गाना कौनसा है तो उन्होंने इसी गाने का नाम लिया था। असल में ये बेबसी का गाना है, मजबूरी का गाना है। एक प्रेमिका को पैसों की ज़रूरत है और प्रेमी की जेब खाली है। *खाली जेब प्यार की दुश्मन होती है।* 

थोड़े से *पैसों की ज़रूरत हम सबको* है, पैसे *बस हमेशा थोड़े से कम पड़ जाते* हैं। चमचमाते शीशों के पीछे से झांकते सपने हमें आकर्षित करते हैं, कदम बढ़ते हैं और फिर जेब में पड़े सिक्के खनखना कर रोक लेते हैं!

(२) शाहरुख़ खान ने कभी कहा था कि मैं बस इतना अमीर होना चाहता हूँ कि अगर मुझे दो शर्ट खरीदने की इच्छा हो तो एक शर्ट मुझे पैसों की कमी की वजह से छोड़नी ना पड़े। 
थोड़ी सी कमी की वजह से हम ज़रूरत के काम अगले महीने के लिए टाल देते हैं, लेकिन अगले महीने भी ज़रूरत मुंह फाड़े खड़ी रहती है। 

राजपाल यादव ने कभी कहा था कि मुंबई में फ्लैट खरीदने के लिए पंद्रह लाख रुपये हमेशा कम पड़ेंगे, जब तक हम वो पंद्रह लाख जोड़ते हैं, बिल्डर कीमत बढ़ा देते हैं। व्यापार हमेशा सपनों को चबा जाता है।  

सपने हमेशा आगे भागते रहते हैं, हम झोली लेकर उनके पीछे। झोली खोलकर सपने खरीदने की कोशिश करते हैं तो फिर वही!

(३)
फिर हम *दूसरा फलसफा अपनाते* हैं! 
*थोड़ा है थोड़े की ज़रूरत है, ज़िंदगी फिर भी यहाँ खूबसूरत है!*
(फिल्म: खट्टा मीठा)

ये सपनों का गाना है, जिसमें हर इंसान अपने सपने देख रहा है। एक लड़की अपनी शादी का सपना देख रही है और एक बेरोजगार लड़का पैसे कमा कर अपनी माँ को देने का, एक नौजवान खिलाड़ी बनने का और एक माँ खुश परिवार का...   

सपनों को पूरा करने के पीछे ये जो पैसों की बंदिश लगायी गयी है ना, इसने करोड़ों जिंदगियां बर्बाद की है। लाखों की प्रतिभा को पैरों तले कुचला है। 

सबसे पहले ज़रूरत होती है एक आईडिया की और उसके बाद उसके प्रेजेंटेशन की, जब इन दोनों में कामयाबी मिल जाए तो मुंह फाड़े ज़रूरत सामने आती है, पैसे की... दुःख इस बात का है कि जो विचार इस दुनिया में और पूंजी पैदा कर सकते थे, वो पूंजी की कमी की वजह से किशोरावस्था में ही दम तोड़ देते हैं।      

(४)
मोहम्मद रफ़ी इसी पैसे के लिए शैलेन्द्र के लिखे लफ्ज़ गाते हैं, 
“दुनिया की गाड़ी का पहिया, 
तू चोर तू ही सिपहिया
राजों का राजा रुपैया....
बूढों की तू जवानी, 
बचपन की दिलकश कहानी,
तेरे बिना दूध पानी...    
दौलत का मज़हब चलाके, 
हम एक मन्दिर बनाके
पूजेंगे तुझको बिठाके...”
(फिल्म: काला बाजार)

साहिर के शब्दों को मुकेश गाते हैं:
“जेबें हैं अपनी खाली, 
क्यूँ देता वरना गाली,
वो संतरी हमारा, 
वो पासबां हमारा...” 
(फिल्म: फिर सुबह होगी)

गुलज़ार के लिखे शब्दों को किशोर कुमार अपनी आवाज़ में:, 
“जिस दिन पैसा होगा वो दिन कैसा होगा 
उस दिन पहिये घूमेंगे और किस्मत के लब चूमेंगे”         

*सपने कायम रहते हैं, पैसे कम रह जाते हैं, क्या किया जाए?*
   ***(Cc+Cv)***

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