सुनार की तकदीर
*❄️ आज का प्रेरक प्रसंग ❄️*
*!! सुनार की तकदीर !!*
~~~~~~~~~
एक बार किसी देश का राजा अपनी प्रजा का हाल-चाल पूछने के लिए गाँवों में घूम रहा था।
घूमते-घूमते उसके कुर्ते के सोने के बटन की झालर टूट गई, उसने अपने मंत्री से पूछा, कि इस गांव में कौन सा सुनार है, जो मेरे कुर्ते में नया बटन बना सके?
उस गांव में सिर्फ एक ही सुनार था, जो हर तरह के गहने बनाता था, उसको राजा के सामने ले जाया गया।
राजा ने कहा, कि तुम मेरे कुर्ते का बटन बना सकते हो ?
सुनार ने कहा, हुज़ूर यह कोई मुश्किल काम थोड़े ही है ! उसने, कुर्ते का दूसरा बटन देखकर, नया बना दिया। और राजा के कुर्ते में फिट कर दिया।।
राजा ने खुश होकर सुनार से पूछा, कि कितने पैसे दूं ?
सुनार ने कहा :- "महाराज रहने दो, छोटा सा काम था।"
उसने, मन में सोचा, कि सोना राजा का था, उसने तो सिर्फ मजदूरी की है। और राजा से क्या मजदूरी लेनी है...!
राजा ने फिर से सुनार को कहा कि, नहीं-नहीं, बोलो कितने दूं ?
सोनार ने सोचा, की दो रूपये मांग लेता हूँ। फिर मन में विचार आया, कि कहीं राजा यह न सोच ले कि एक बटन बनाने का मेरे से दो रुपये ले रहा है, तो गाँव वालों से कितना लेता होगा, और कोई सजा न दे दे। क्योंकि उस जमाने में दो रुपये की कीमत बहुत होती थी।
सुनार ने सोच-विचार कर, राजा से कहा कि :- "महाराज जो भी आपकी इच्छा हो, दे दो।"
अब राजा तो राजा था। उसको अपने हिसाब से देना था। कहीं देने में उसकी इज्जत ख़राब न हो जाये और, उसने अपने मंत्री को कहा, कि इस सुनार को दो गांव दे दो, यह हमारा हुक्म है।
यहाँ सोनी जी, सिर्फ दो रुपये की मांग का सोच रहे थे, मगर, राजा ने उसको दो गांव दे दिए।
इसी तरह, जब हम प्रभु पर सब कुछ छोड़ते हैं, तो वह अपने हिसाब से देता है और मांगते हैं तो सिर्फ हम मांगने में कमी कर जाते हैं। देने वाला तो पता नहीं क्या देना चाहता है, लेकिन, हम अपनी हैसियत से बड़ी तुच्छ वस्तु मांग लेते हैं.।
इसलिए संत-महात्मा कहते है, ईश्वर को सब कुछ अपना सर्मपण कर दो, उनसे कभी कुछ मत मांगों, जो वो अपने आप दें, बस उसी से संतुष्ट रहो। फिर देखो उसकी लीला। वारे के न्यारे हो जाएंगे। जीवन मे धन के साथ "सन्तुष्टि" का होना जरूरी है..!!
*सदैव प्रसन्न रहिये।*
*जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।*
🙏🙏🙏🙏🌳🌳🌳🙏🙏🙏🙏🙏
Comments
Post a Comment