पा लेने की बेचैनी और खो देने का डर !
*पा लेने की बेचैनी और खो देने का डर !
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हर व्यक्ति अपने-अपने जीवन में एक के बाद एक उपलब्धियां पाकर संतोष और खुशी अर्जित करता जाता है और आगे बढ़ता रहता है। परंतु उसकी यह चाहत है कि थमने का नाम ही नहीं लेती और हम सब एक विशिष्ट उम्र के बाद भी एक के बाद एक उपलब्धियां हासिल करने में ही लगे रहते हैं। मुझे लगता है कि हमें कहीं ना कहीं तो रुकना होगा या अपनी इच्छाओं पर कुछ हद तक नियंत्रण पाकर कम से कम धीरे तो होना ही होगा, अन्यथा एक दिन ईश्वर ही हमें रोक देगा।
मेरे हम उम्र सभी साथियों ने अपने जीवन में सभी प्रकार की भौतिक पारिवारिक मानसिक रूप से आनंद देने वाली कई उपलब्धियां अब तक प्राप्त कर ली है। इनमें से भौतिक उपलब्धियों की अंधी दौड़ में हम एक के बाद एक वस्तुएं जमा करते जाते हैं चाहे घरेलू सामान हो, कपड़े हो, निजी उपयोग का समान हो, विलासिता की चीजे हो या और भी कुछ। यहां तक की कई बार तो हम एक ही तरह की एक से अधिक वस्तुएं भी अपने घर में सुरक्षित रखते हैं और हमसे इन चीजों का मोह कम ही नहीं होता। परंतु क्या कभी आपने सोचा है कि आपने जितने जतन से इन चीजों को खरीद कर उनकी देखभाल की है, क्या आपके बाद इनको इतनी अदब से संभाल कर रखा जाएगा ? तो मैं समझता हूं कि बिल्कुल नहीं...!
क्योंकि आज की युवा पीढ़ी को आपके द्वारा एकत्र की गई भौतिक वस्तुओं में जरा भी रुचि नहीं है। ज्यादातर परिवारों में बच्चों को आपके द्वारा एकत्र की गई भौतिक वस्तुओं की जरूरत ही नहीं है। ना तो वे आपके जैसे मध्यम स्तर के शहरों में रहते हैं और ना ही उन्हें कभी यहां आना है। मैं अपने एक परिचित के बारे में जानता हूं जिनकी मृत्यु के बाद उनका रिहायशी मकान बच्चों द्वारा बेच दिया गया और खरीददार को खाली मकान उपलब्ध कराने की शर्त के चलते दो दिन के लिए घर को खुला छोड़ दिया गया ताकि जिसे जो चाहिए वह आकर ले जाए। लोगों में सामान को लूट कर ले जाने की होड सी लग गई। अब सोचिए कितनी बेअदबी भी लोगों ने उनके द्वारा सहेज कर रखे गए सामान की उठा पटक की होगी। इसलिए कहता हूं कि अभी भी देर नहीं हुई है जब तक आपकी सांस चल रही है तब तक अपने हाथों से ही अपने अधीनस्थ नौकर चाकर या गरीब बस्तियों में रहने वाले लोगों को यह सामान आप स्वयं अपने हाथों से दान करें अर्थात बिना किसी कीमत के, तो आपको एक विशेष आनंद की अनुभूति होगी और यह आनंद आपको लंबे समय तक निश्चित रूप से स्वस्थ रखेगा साथ ही आपके द्वारा दी गई वस्तु का उपयोग होते देखकर भी आपको एक अलग प्रकार का संतोष प्राप्त होगा।
इस दिशा में सोचिए शायद आप भी मेरी बात से सहमत होंगे क्योंकि
*पा लेने की बेचैनी और खो देने का डर,
बस इतना ही तो है जिंदगी का सफर।
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यदि हम जीवन के इस पड़ाव पर इस बेचैनी और डर से दूरी बना सके तो जीवन का आनंद विलक्षण होगा इसमें कोई दो राय नहीं !
डॉ मुकुंद फाटक, भोपाल
9584216075
11/3/2025
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