संगीत सम्राट रविंद्र जैन
2. गूंजता सुर
3. संवेदनशील कवि
रविंद्र जैन की सबसे यादगार कृतियों में रामानंद सागर की 'रामायण' (1987) का संगीत शामिल है। उनके द्वारा रचित भजन और संगीतमय प्रस्तुति ने 'रामायण' को एक अमर कृति बना दिया। "रामायण" के भजन जैसे "रामजी की निकली सवारी" और "मंगल भवन अमंगल हारी" आज भी हर भारतीय के दिल में बसे हुए हैं।
उनका भक्ति संगीत लोगों को ईश्वर से जोड़ने का कार्य करता है। उनके द्वारा गाए गए भजनों ने लाखों लोगों के मन में श्रद्धा और भक्ति की भावना को प्रबल किया।
रविंद्र जैन केवल एक संगीतकार नहीं, बल्कि एक प्रेरणा थे। उन्होंने हमें सिखाया कि जीवन में आने वाली चुनौतियाँ केवल हमारी परीक्षा लेती हैं, लेकिन अगर हम समर्पण और मेहनत से आगे बढ़ें, तो सफलता निश्चित है। उनकी संगीतमय विरासत सदैव जीवित रहेगी और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देती रहेगी।
उनका जीवन एक संदेश है कि "संगीत और भक्ति किसी भी कमी को शक्ति में बदल सकते हैं।" वे भले ही आज हमारे बीच न हों, लेकिन उनकी स्वर-साधना और भक्ति संगीत सदा अमर रहेगा।
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