होलाष्टक कितने घातक हैं जानिए
🚩होलाष्टक कितने घातक हैं जानिए
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हम सब जानते हैं हिरण्यकशिपु राक्षस ने ब्रह्मा जी की तपस्या कर वरदान पा लिया अंदर- बाहर- ऊपर- नीचे-दिन-रात्रि -मानव-पशु -अस्त्र-शस्त्र से ना मरुं। अत्याचार कर त्रिलोकी जीत लिया उसका पुत्र प्रहलाद भगवान नारायण का भक्त हुआ उसे मारने अनेक उपाय किए अंत में अपनी बहिन डुंडा राक्षसी जिसे अग्नि देव से अग्नि में ना जलने का दुशाला प्राप्त हुआ था उसे ओढ़कर भक्त प्रहलाद को गोद में बिठा जलती चिता में बैठ गई किंतु नारायण विष्णु जी की कृपा से प्रहलाद बच गया डुंडा राक्षसी की होलिका दहन हो गई। हम लोग दहन से पूर्व होली का पूजन करते हैं यह डुंडा राक्षसी का पूजन नहीं उस पवित्र अग्नि जिसने प्रहलाद को बचाया और भक्त प्रहलाद की पूजन करते हैं। अब मूल विषय पर आते हैं।
🪔होलिका दहन फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा से 8 दिन पूर्व होलाष्टक लग जाते हैं जो समाज के लिए काफी घातक होते हैं। ब्रह्मा जी से वरदान पाकर तारकासुर त्रिलोकी में आतंक मचा रहा था नवग्रह,देव, किन्नर गंधर्व आदि सभी दुखी पीड़ित थे उसने वरदान मांगा कि मैं शिवपुत्र के हाथों ही मारा जाऊंगा अन्यथा नहीं, और शिवजी अखंड तपस्या में लीन थे इधर हिमाचल पुत्री पार्वती जी शिव जी से विवाह के लिए तपस्या कर रही हैं । तारकासुर से पीड़ित होकर सभी देवताओं ने रती- कामदेव को शिव तपस्या भंग करने प्रेरित किया अतः कामदेव अपने वाहन तोते पर सवार होकर फाल्गुन शुक्ल अष्टमी के दिन आम के वृक्ष में छिपकर पुष्पों के धनुष से वाण संधान कर शिव समाधि भंग कर दी। शिवजी ने तपस्या भंग करने के अपराध में कामदेव को तीसरे नेत्र की क्रोधाग्नि मे भस्म कर दिया था। अर्थात पूर्णमासी को प्रहलाद को जलाने होलिका अग्नि में बाद में बैठी इससे पूर्व अष्टमी को ही कामदेव की होलिका दहन हो गई, जिससे सारे देवता, नवग्रह पीड़ित दुखी एवं क्रोधित हो गए। सारी सृष्टि में हाहाकार मच गया, इन आठ दिनों में उनका रोष बहुत बढ़ा जिससे नवग्रह की दृष्टि क्रूर हो गई । इसीलिए होलाष्टक में शुभ मंगल कार्य करने का निषेध है क्योंकि उनमें तिथि- वार-नक्षत्र- मुहूर्त- ग्रह आदि की अनुकूलता देखी जाती है और इन दिनों में नवग्रह कुपित रहने के कारण दोष दृष्टि देते हैं। जैंसे :- अष्टमी तिथि को चंद्रमा, नवमी को सूर्य, दशमी को शनि, एकादशी को शुक्र, द्वादशी को गुरु, त्रयोदशी को बुध, चतुर्दशी को मंगल एवं पूर्णमासी को राहु- केतु कुपित दृष्टि डालते हैं । इस कारण कोई भी वह कार्य जिसमें मुहूर्त देखा जाता है होलिका दहन पूर्णिमा तक नहीं किये जाते। अन्यथा इनका दुष्परिणाम स्वयं व्यक्ति को भोगना होगा।
🪔एक और अति महत्वपूर्ण बात :- हमारे यहां परंपरा है नई बहू पहली होली ससुराल में नहीं मनातीं क्यों :- अष्टमी के दिन शिव जी ने कामदेव को भस्म कर दिया रति अकेली रह गई पति वियोग में विलाप करती इन आठ दिनों में शिवजी की कठोर तपस्या में रत रही। जिससे होली पूर्णिमा के दिन शिवजी ने प्रसन्न होकर वरदान दिया कि तुम्हारा पति कामदेव द्वापर में श्री कृष्ण पुत्र प्रद्युम्न के रूप में शरीर भाव से प्राप्त होगा तब तक अनंग वायु रूप से तुम्हारे साथ रहेगा और जगत को व्यापेगा। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि होलाष्टक के 8 दिनों में कामदेव भस्म हो गया इस कारण रति से उनका वियोग हो गया, नवग्रह पीड़ित और दुखी होकर कुदृष्टि डालने लगे ऐंसे में नव विवाहित दंपति काम-वासना- -रति- परिणय क्रिया करेंगे तो उनकी भावी संतान पर कुदृष्टि पढ़ने से वह अपंग- अपाहिज या बिन मस्तिष्क-चेतना जन्म लेगी जो दोष कारक होगी। ऐंसा ही दोष ग्रहण काल में रति क्रिया करने से, एवं गर्भवती स्त्री के ग्रहण दर्शन छाया से संतान में उत्पन्न हो जाते हैं। इसलिए कहा गया की दुल्हन ससुराल की पहली होली नहीं देखती अतः नव विवाहिता अपने पिता के घर चली जाती है।
🪔दुर्गा सप्तशती के प्रथम अध्याय में 79वें श्लोक में चार महारात्रियोंका विषय आता है।
कालरात्रिर्महारत्रिर्मोहरात्रिश्च दारुणा ।
त्वं श्रीस्तवमीश्वरी त्वंह्रीस्त्वं वुद्धिबोधलक्षणा।।
इसमें दारुण रात्रि होलिका दहन पूर्णिमा की रात्रि को कहा गया है जो तंत्र मंत्र मारण की सिद्धि के लिए सर्वोत्तम रात्रि है। होलिका दहन की भस्म को- चिता भस्म समान माना गया है जो भगवान शिव को अति प्रिय है। इसे वर्ष पर्यंत घर में सुरक्षित रखने, शिवजी को चढ़ाने, रोगी को लगाने- स्नान आदि करने के लिए, नजर टोने-टोटके दोष निवारण के लिए प्रयोग किया जाता है। होलिका दहन के अगले दिवस भस्म को छानकर इसमें चमेली का तेल मिलाकर शरीर पर मर्दन कर स्नान करने मे लाभकारी है। आशा है विषय समझ आया होगा। इति शुभम 🙏आप सभी को होलिका उत्सव पंच दिवसीय पर्व की बहुत-बहुत बधाई। यह पर्व भारत राष्ट्र में सत्य सनातन हिंदू समाज के लिए प्रेम🌹 सत्य🪷 करुणा 💐 और शक्ति प्रदायक हो 🦚 भारत हिंदू राष्ट्र की जय🌹💐🪷🪔🇮🇳🙏 गहन शोध परक लेख प्रस्तुत है आशा है गृहण करेंगे
✍️दिनेश चन्द्र गर्ग {आध्यात्मिक} सिरोंज 464228🦜🦜🦜🦜🦜🦜🦜🦜🦜
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