हार्दिक शुभ कामनाएं🙏

माघ मकरगत रबि जब होई। तीरथपतिहिं आव सब कोई।।
देव दनुज किंनर नर श्रेंनी। सादर मज्जहिं सकल त्रिबेनीं।।
पूजहिं माधव पद जलजाता। परसि अखय बटु हरषहिं गाता।।

 माघ में जब सूर्य मकर राशि पर जाते हैं तब सब लोग तीर्थराज प्रयाग को आते हैं। देवता, दैत्य, किन्नर और मनुष्यों के समूह सब आदरपूर्वक त्रिवेणी में स्नान करते हैं। वेणीमाधव के चरणकमलों को पूजते हैं और अक्षयवट का स्पर्श कर उनके शरीर पुलकित होते हैं। 
संक्रान्ति शब्द में ही लगाव है, जुड़ाव है। यह शीत और वसंत की सन्धि है, आकाश और धरती का मिलन है, लोक और शास्त्र का समन्वय है, पोषण और त्याग का समवेत है। इस पर्व में जाने कितने ही अर्थ समाए हैं। यदि त्यौहार की बात करें तो होली में तन-मन है, दीपावली में मन-धन है, पर संक्रान्ति तन-मन-धन का पर्व है। पहले तन का स्नान, फिर धन का दान और मन की उड़ान।
इस शुभकामना और आशा के साथ कि उत्तरायण का सूर्य आपके स्वप्नों को नयी ऊष्मा प्रदान करे, आपके यश एवं कीर्ति में उत्तरोत्तर वृद्धि हो, आप सभी परिजनों सहित स्वस्थ रहें और दीर्घायु हों।।

Comments

Popular posts from this blog

Dil To Hai Dil”

Happy Birthday Dear Osho

Science of Namaste 🙏