मैथी

जाड़े को ताड़ें मैथी की गर्मी के साथ। मैथी भारतीय गृहणियों द्वारा जांची परखी वह घरेलू औषधि है, जिसका लोहा विज्ञान भी मानता है। 
             मैथी के बीज मसाले, सब्जी व टॉनिक की तरह,  तथा पत्ते साग और पराठे में प्रयोग किये जाते हैं। हर एक का अपना अलग महत्व है। इसकी शक्ति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि छाछ और कढ़ी जैसे शीतल प्रवत्ति वाले भोज्य पदार्थ भी मैथी पड़ते ही शीत ऋतु में सेवन योग्य हो जाते हैं। 
           
ये तो हुयी बड़े बुजुर्गों की सीख, चलिये कुछ अपनी सुनाता हूँ। मैथी के बीज याने मैथी दाना भारतीय मसालों में अग्रिम पंक्ति पर आता है। छाछ, कढ़ी जैसे व्यंजन बने, और इनमे मैथीदाना न पड़े तो जैसे मजा ही नही आता है। कई वैज्ञानिक शोध भी इसके पक्ष में गवाही देते नजर आते हैं कि इसके प्रयोग से कोलेस्ट्रॉल में कमी आकर हृदय रोगमुक्त होता है। मशाले में शामिल होने के कारण यह तो सभी जानते हैं कि ये भोजन को पचाने में अहम भूमिका निभाते हैं। लेकिन ये बहुत कम लोग जानते होंगे कि यह पेनक्रियाज के लेंगरहेंस की बीटा को उत्तेजित कर इन्सुलिन निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यही इन्सुलिन भोजन में मौजूद आवश्यकता से अधिक शर्करा को ग्लाइकोजन नामक संचित ऊर्जा में बदल देता है, जिसका उपयोग आवश्यकता के समय किया जा सके। सरल भाषा में कहें तो मधुमेह को नियंत्रित करने की लाजबाब शक्ति इसके पास है। हाँ लेकिन एक बात बता दूँ, कि उपचार से दृष्टिकोण से पराठे नही चलेंगे, इस तरह तो आप मेरी तरह पेटू बन जायेंगे 😜। उपचार की चर्चा अलग से किसी और मंच पर। 
            इसकी भाजी को भोजन में शामिल करने पर मैग्नीज, फॉस्फोरस, आयरन, कैल्शियम, पोटेशियम, जिंक, प्रोटीन, फाइबर, विटामिन सी आदि की उपस्थिति के कारण शरीर की गतिविधियां सुचारू रूप से संचालित होती हैं, और इम्युनिटी में वृद्धि होती है। छाछ/ कढ़ी आदि को मैथी दाने से बघार लगा देने से उसकी शीतल प्रवत्ति दूर होकर यह ठंड में खाने के लिये भी उपयुक्त को जाता है। मैथी दाने में पर्याप्त मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट पाये जाते हैं, ये त्वचा के लिए बेहद फ़ायदेमंद मने जाते है। इसीलिये इसके बीजों को भिगोकर इसका पानी पीना और फूले हुये बीजों का पेस्ट चेहरे पर लगाना आपकी त्वचा को निखारकर आपकी उम्र को एक ही स्थान पर ठहरने को मजबूर कर सकता है। जो इसका नियमित उपयोग करते हैं। उनके लिए उम्र महज एक नम्बर होती है। 

मैथी की भाजी बनाना बहुत आसान है, साथ ही पराठे भी कई विधियों से बनाये जाते हैं। सामान्यतः पराठे बनाने के लिए मैथी की ताजी पत्तियों को छाँटकर, छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें। इन्हें इच्छानुसार रोटियाँ बनाने वाले आटे में डालकर गूँथ लें। अब इन्हें थोड़ी मात्रा में तेल लगाकर सेक दें। यह सबसे आशान विधि है। मैथी के दाने पानी मे भिगोकर तेल मसालों के साथ तरी वाली सब्जी बनायें और सेवन करें। यह आपको सर्दियों में होने वाले रोगों से बचाने का अचूक नुस्खा है। 
         मैथी की पत्तियाँ स्वतंत्र रूप से भाजी की तरह, आलू के साथ सब्जी की तरह और सबसे अधिक पराठे के रूप में पसंद की जाती है। बड़े बुजुर्गों की माने तो इसकी तासीर गर्म होती है, जिसके कारण शीत ऋतु ऋतु में इसे खाना उत्तम होता है। वैसे ठंड के मौसम के अलावा अन्य मौसम में इससे वो स्वाद भी नही आता है। गर्मियों में तो बकायदा थोड़ा कसैलापन महसूस होता है। ठंड के मौसम में यह शरीर को अंदरूनी गर्मी पहुँचाकर शीत के प्रभाव से शरीर को दूर रखती है। एक बात कहूँ, छाछ या कढ़ी में जब तक मैथी दाना न डाला जाये तब तक असली स्वाद नही आता है। 
धन्यवाद
डॉ. विकास शर्मा 
वनस्पति शास्त्र विभाग
शासकीय महकविद्यालय चौरई 
जिला छिंदवाड़ा (म.प्र.)

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