पता नही चला

*उन सभी को नमन*
*जो अपने परिवार के लिए*
*21 से 55 वर्ष घर सम्भालने  में*
*व्यस्त रहे । आज उनके*.       
*लिए समर्पित एक*
*छोटी सी रचना*  
*भेज रहा हूं । 🙏*

*कैसे कटा 21 से 55* 
*तक का यह सफ़र,* 
*पता ही नहीं चला ।*😔

*क्या पाया, क्या खोया,*
*क्यों खोया,*
*पता ही नहीं चला !*😒

*बीता बचपन,* 
*गई जवानी* 
*कब आया बुढ़ापा,* 
*पता ही नहीं चला ।*🤔

*कल बेटे थे,* 
*कब ससुर बन गये,* 
*पता ही नहीं चला !*😊

*कब पिता से* 
*नाना  एवं दादा  बन गये,* 
*पता ही नहीं चला ।* 😜

*कोई कहता सठिया गया,*
*कोई कहता छा गया,* 
*क्या सच है,* 
*पता ही नहीं चला !*😉

*पहले माँ बाप की चली,*
*फिर पत्नी की चली,* 
*फिर चली बच्चों की,* 
*अपनी कब चली,* 
*पता ही नहीं चला !*😀

*पत्नी कहती* 
*अब तो समझ जाओ,* 
*क्या समझूँ,* 
*क्या न समझूँ,* 
*न जाने क्यों,* 
*पता ही नहीं चला !*🤷‍♀️
        
*दिल कहता जवान हूँ मैं,*
*उम्र कहती है नादान हूँ मैं,* 
*इस चक्कर में कब* 
*घुटनें घिस गये,* 
*पता ही नहीं चला !*😱

*सफेद हो  गये बाल,* 
*लटक गये गाल,* 
*लग गया चश्मा,* 
*कब बदली यह सूरत* 
*पता ही नहीं चला !*

*समय बदला,* 
*मैं बदला* 
*बदल गई* *मित्र-*
*मंडली भी* 
*कितने छूट गये,* 
*कितने रह गये दोस्त ,* 
*पता ही नही चला*😨

*कल तक अठखेलियाँ*
*करते थे दोस्तों  के साथ,* 
*कब सीनियर सिटिज़न* 
*की लाइन में आ गये,* 
*पता ही नहीं चला !*😒

*बहु, जमाईं, नाते, पोते,*
*खुशियाँ आई,* 
*कब मुस्कुराई उदास*
*ज़िन्दगी,*
*पता ही नहीं चला ।*😊

*जी भर के जी लो प्यारे दोस्तों*
*फिर न कहना कि ..*
*पूरी उम्र कब बीत गई*😢

*"मुझे पता ही नहीं चला*😇
*🙏🌹🌹 🙏*
*सभी दोस्तों को समर्पित

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