पता ही नहीं चला !
*जो अपने परिवार के लिए*
*21 से 60 वर्ष घर सम्भालने में*
*व्यस्त रहे । आज उनके*.
*लिए समर्पित एक*
*छोटी सी रचना*
*भेज रहा हूं । 🙏*
*कैसे कटा 21 से 60*
*तक का यह सफ़र,*
*पता ही नहीं चला ।*😔
*क्या पाया, क्या खोया,*
*क्यों खोया,*
*पता ही नहीं चला !*😒
*बीता बचपन,*
*गई जवानी*
*कब आया बुढ़ापा,*
*पता ही नहीं चला ।*🤔
*कल बेटे थे,*
*कब ससुर बन गये,*
*पता ही नहीं चला !*😊
*कब पिता से*
*नाना एवं दादा बन गये,*
*पता ही नहीं चला ।* 😜
*कोई कहता सठिया गया,*
*कोई कहता छा गया,*
*क्या सच है,*
*पता ही नहीं चला !*😉
*पहले माँ बाप की चली,*
*फिर पत्नी की चली,*
*फिर चली बच्चों की,*
*अपनी कब चली,*
*पता ही नहीं चला !*😀
*पत्नी कहती*
*अब तो समझ जाओ,*
*क्या समझूँ,*
*क्या न समझूँ,*
*न जाने क्यों,*
*पता ही नहीं चला !*🤷♀️
*दिल कहता जवान हूँ मैं,*
*उम्र कहती है नादान हूँ मैं,*
*इस चक्कर में कब*
*घुटनें घिस गये,*
*पता ही नहीं चला !*😱
*सफेद हो गये बाल,*
*लटक गये गाल,*
*लग गया चश्मा,*
*कब बदली यह सूरत*
*पता ही नहीं चला !*
*समय बदला,*
*मैं बदला*
*बदल गई* *मित्र-*
*मंडली भी*
*कितने छूट गये,*
*कितने रह गये दोस्त ,*
*पता ही नही चला*😨
*कल तक अठखेलियाँ*
*करते थे दोस्तों के साथ,*
*कब सीनियर सिटिज़न*
*की लाइन में आ गये,*
*पता ही नहीं चला !*😒
*बहु, जमाईं, नाते, पोते,*
*खुशियाँ आई,*
*कब मुस्कुराई उदास*
*ज़िन्दगी,*
*पता ही नहीं चला ।*😊
*जी भर के जी लो प्यारे दोस्तों*
*फिर न कहना कि ..*
*पूरी उम्र कब बीत गई*😢
*मुझे पता ही नहीं चला।*😇
*🙏🌹🌹 🙏*
Comments
Post a Comment