शास्त्रों में वर्णित ये कार्य न करें।

*🛕जय श्री राम🙏*

*🍁शास्त्रों में वर्णित ये कार्य न करें।🍁*

१-- सूर्य उदय के बाद ना उठें।
२-- शैय्या पर भोजन ना करें।
३-- दक्षिण दिशा की और मुंह करके भोजन ना करें।
४--खडे होकर जल ना पीएं।
५--अग्नि- कन्या- ब्राह्मण - गाय को भूलकर पैर से ना छुंए।
६--जुआ ना खेलें।
७-- मदिरा ना पीएं।
८-- पर स्त्री समागम ना करें।
९--अधिक भोजन ना करें।
१०-- बासी दुर्गंध युक्त भोजन ना करें।
११--देहली पर ना बैठें।
१२-- दिन में स्त्री समागम ना करें।
१३-- मांसाहार ना करें।
१४--देर रात्रि भोजन ना करें।
१५--झूठ ना बोलें।
१६--शुभ कार्यों में विलम्ब ना करें।
१७--विवाह अधिक आयु में ना करें।
१८--भ्रूण हत्या ना करें।
१९-- कच्चे फल ना तोडें।
२०-- सूर्यास्त के बाद वृक्ष के पत्ते फल और टहनी ना तोडें।
२१--दूसरे का गेट और दीवार फांदकर ना जाएं।
२२--अग्निहोत्र को जल से ना बुझाएं।
२३-- नदियों को दूषित ना करें।
२४--नाखून ना चबाएं।
२५-- बे वजह सिर ना खुजलाएं।
२६--जल में मल - मूत्र त्याग ना करें और ना ही कुल्ला करें।
२७--उत्तर दिशा में सिर करके ना सोएं।
२८--अन्न की थाली को पैर ना मारें।
२९-- क्रोध की अवस्था में भोजन ना करें।
३०--भोजन करते समय बातें ना करें।
३१--बिना बताए भोजन के समय किसी के घर ना जाएं।
३२-- दीपक को फूंक मारकर ना बुझाएं।
३३--कन्या से अपने पैर ना दबवाएं।
३४--भोजन करने के बाद उछल कूद ना करें।
३५--नव प्रसूता गाय का दूध १० दिन तक ना पीएं।
३६--स्त्री पति से पहले भोजन ना करें।
३७-- बांझ स्त्री का तिरस्कार ना करें।
३८-- गर्भवती महिला को प्रताड़ित ना करें।
३९-- अपनी प्रशंसा ना करें।
४०-- अपनी कमजोरी दूसरों को ना बताएं।
४१-- बीमार होने पर मैथुन ना करें।
४२--अतिथियों का अपमान ना करें।
४३-- पूस - माघ - श्रावण - श्राद्ध - उपवास में स्त्री समागम ना करें।
४४--वृक्ष की जड और तने में मूत्र त्याग ना करें।
४५-- सोए हुए को लांघकर ना जाएं।
४६--गुरु पत्नी को कु दृष्टि से ना देखें।
४७--भोजन के लिए लडाई ना करें।
४८-- प्रसाद जब भी मिलें बांट कर ग्रहण करें।
४९-- भोजन करते समय कोई बगल में बैठा हो उसे भी भोजन के लिए अवश्य पूछें।
५० -- दूसरों से छिपा छिपाकर कोई वस्तु ना खाएं।
५१-- उत्तेजक गानों के आवेश में नृत्य ना करें।
५२--अन्न के तुरंत बाद अधिक जल‌ ना पीएं।
५३-- जो पैर छुए उसे आशीर्वाद और मंगल दें।
५४-- घर आए व्यक्ति को जल‌ अवश्य पूछें।
५५-- क्षमा मांगने में विलम्ब ना करें।


*सदैव प्रसन्न रहिये।*
*जो प्राप्त है, वो पर्याप्त है।।*
🙏🙏🙏🌳🌳🌳🙏🙏🙏

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