राजा का स्वप्न और शब्दों की शक्ति



        *♨️ आज की प्रेरणा प्रसंग ♨️*

*🌷राजा का स्वप्न और शब्दों की शक्ति🌷* 

एक बार की बात है, एक राजा ने रात में एक विचित्र स्वप्न देखा। उसने देखा कि उसके सारे दाँत टूट गए हैं, बस सामने का एक बड़ा दाँत बचा हुआ है। सुबह होते ही राजा चिंतित हो उठा और अपने दरबार में जाकर स्वप्न का फल जानने की इच्छा जताई। राजा के मंत्रियों ने सुझाव दिया कि राज्य के स्वप्न विशेषज्ञों को बुलाया जाए और स्वप्न का फलादेश पूछा जाए। राज्यभर में घोषणा की गई कि जो भी राजा के स्वप्न का सही फल बताएगा, उसे उचित इनाम दिया जाएगा। कई विद्वान दरबार में आए, लेकिन कोई भी राजा को संतुष्ट नहीं कर सका।
एक दिन काशी से विद्या प्राप्त एक विद्वान दरबार में आया और राजा से कहा, "महाराज, मैं आपके स्वप्न का सही फल बता सकता हूँ।"
राजा ने उत्सुकता से उसे अपना स्वप्न सुनाया। विद्वान ने गहरी सोच के बाद कहा, "महाराज, आपका स्वप्न बहुत अशुभ है। इसके फलस्वरूप आपके परिवार के सभी सदस्य आपके सामने ही मर जाएंगे और अंत में आपकी मृत्यु होगी।"
राजा यह सुनकर क्रोधित हो गया और विद्वान को तुरंत जेल में डालने का आदेश दिया।
अगले दिन एक साधारण व्यक्ति दरबार में आया और राजा से कहा, "महाराज, कृपया मुझे अपना स्वप्न बताइए, मैं उसका फल जानने की कोशिश करूंगा।"
राजा ने पुनः अपना स्वप्न सुनाया। 
व्यक्ति ने थोड़ी देर सोचने के बाद कहा, "महाराज, यह स्वप्न बहुत शुभ है। इसका अर्थ है कि हम सभी प्रजा जन पर ईश्वर की विशेष कृपा है कि आप जैसे धर्मात्मा, पुण्यात्मा और प्रजापालक राजा को दीर्घायु (लंबी आयु) दी हैं। राजन आपके परिवार में आपकी आयु सबसे लंबी होगी। इस राज्य का यह सौभाग्य है कि आप कई वर्षो तक राज्य करेगें।"
राजा इस फलादेश को सुनकर अत्यंत प्रसन्न हुआ और उस साधारण व्यक्ति को विशेष सम्मान के साथ बहुत सारा धन-दौलत इनाम में दिया।
यद्यपि दोनों ही व्यक्तियों ने स्वप्न का एक ही फलादेश दिया था, लेकिन पहले व्यक्ति को बंदी बनाकर जेल में डाल दिया गया, जबकि दूसरे को सम्मानित किया गया। *क्यों?*
क्योंकि पहले व्यक्ति ने, भले ही वह विद्वान था, अपने शब्दों का चयन ठीक से नहीं किया और अपने उत्तर में कठोर और अशुभ शब्दों का प्रयोग किया। 
वहीं दूसरा व्यक्ति, जो साधारण था, उसने अपने शब्दों का चयन बहुत सोच-समझकर किया और अपने उत्तर में सकारात्मक और सजीव भाषा का प्रयोग किया।

*👉शिक्षा*

इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि हमारी बोलचाल,बातचीत और व्यवहार में शब्दों का विशेष महत्व होता है। सही और सम्मानजनक शब्दों के प्रयोग से हमारे संवाद में मिठास आती है,जिससे दुश्मनों के दिलों में भी प्यार जगाया जा सकता है। वहीं गलत और कठोर शब्दों का प्रयोग हमारे अपनों के दिलों में भी नफरत और दूरी पैदा कर सकता है। इसलिए हमेशा सोच-समझकर और सम्मानजनक शब्दों का प्रयोग करें।

*सदैव प्रसन्न रहिये - जो प्राप्त है, पर्याप्त है।*
*जिसका मन मस्त है - उसके पास समस्त है।।*

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