शालिग्राम भगवान

🚩शालिग्राम भगवान के विभिन्न रूप और नाम‼️
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● जिस शालिग्राम शिला के द्वार में दो चक्र के चिह्न हों और जिसका वर्ण श्वेत हो, उसकी 'वासुदेव' संज्ञा है।
● जिस उत्तम शिला का रंग लाल हो और जिसमें दो चक्रों के चिह्न संलग्न हों, उसे भगवान 'संकर्षण' का श्री विग्रह जानना चाहिए।
 जिसमें चक्र का सूक्ष्म चिह्न हो, अनेक छिद्र हों, नील वर्ण हो और आकृति बड़ी दिखाई देती हो, वह 'प्रद्युम्न' की मूर्ति है।
● जहाँ कमल का चिह्न हो, जिसकी आकृति गोल और रंग पीला हो तथा जिसमें दो-तीन रेखाएं शोभा पा रही हों, वह 'अनिरुद्ध' का श्रीअंग है।
● जिसकी कांति काली, नाभि उन्नत और जिसमें बड़े- बड़े छिद्र हों, उसे 'नारायण' का स्वरूप समझना चाहिए।
● जिसमें कमल और चक्र का चिह्न हो, पृष्ठ भाग में छिद्र हो और जो बिंदु से युक्त हो, वह शालिग्राम 'परमेष्ठी' नाम से प्रसिद्ध है।
 जिसमें चक्र का स्थूल चिह्न हो, जिसकी कान्ति श्याम हो और मध्य में गदा जैसी आकृति हो, उसकी 'विष्णु' संज्ञा है।
● 'नृसिंह' विग्रह में चक्र का स्थूल चिह्न होता है और उसमें पाँच बिंदु सुशोभित होते हैं।
● 'वाराह' विग्रह में शक्ति नामक अस्त्र का चिह्न होता है, दो चक्र होते हैं, कान्ति इंद्रनील मणि के समान नीली होती है और तीन स्थूल रेखाओं से चिह्नित होता है।
● जिसका पृष्ठभाग ऊँचा हो, जो गोलाकार आवर्त चिह्न से युक्त एवं श्याम वर्ण हो, उस शालिग्राम की 'कूर्म' (कच्छप) संज्ञा है।
● जो अंकुश की सी रेखा से सुशोभित, नीलवर्ण व बिंदुयुक्त हो, उस शालिग्राम शिला को 'हयग्रीव' कहते हैं।
● जिसमें एक चक्र और कमल का चिह्न हो, जो मणि के समान प्रकाशमान तथा पुच्छाकार रेखा से सुशोभित हो, उस शालिग्राम को 'वैकुण्ठ' समझना चाहिए।
● जिसकी आकृति बड़ी हो, जिसमें तीन बिंदु शोभा पाते हों, जो कांच के समान श्वेत और भरा-पूरा हो, वह शालिग्राम शिला मत्स्यावतार भगवान की मूर्ति मानी जाती है।
● जिसमें वनमाला का चिह्न और पाँच रेखाएँ हों, उस गोलाकार शालिग्राम शिला को 'श्रीधर' कहते हैं।
● गोलाकार, अत्यंत छोटी, नीली एवं बिन्दुयुक्त शालिग्राम शिला की 'वामन' संज्ञा है।
● जिसकी कान्ति श्याम हो, दाएं भाग में हार की रेखा, बाएं भाग में बिंदु का चिह्न हो, उस शालिग्राम शिला को ' त्रिविक्रम' कहते हैं।
● जिसमें सर्प के शरीर का चिह्न हो, अनेक प्रकार की आभाएँ दिखती हों तथा जो अनेक मूर्तियों से मण्डित हो, वह शालिग्राम शिला 'अनन्त' (शेषनाग) कही गई है।
● जो स्थूल हो, जिसके मध्यभाग में चक्र का चिह्न हो तथा अधोभाग में सूक्ष्म बिंदु शोभा पा रहा हो, उसकी 'दामोदर' संज्ञा है।
● एक चक्र वाले शालिग्राम को 'सुदर्शन', दो चक्र वाले को 'लक्ष्मीनारायण', तीन चक्र वाले को 'अच्युत' अथवा 'त्रिविक्रम', चार चक्र वाले को 'जनार्दन', पाँच चक्र वाले को 'वासुदेव', छः चक्र वाले को 'प्रद्युम्न', सात चक्र वाले को 'संकर्षण', आठ चक्र वाले को 'पुरुषोत्तम',
नौ चक्र वाले को 'नवव्यूह', दस चक्र वाले को 'दशावतार', ग्यारह चक्र वाले को 'अनिरुद्ध', द्वादश चक्र वाले को 'द्वादशात्मा' तथा इससे अधिक चक्रों से युक्त होने पर उसे 'अनन्त' कहते हैं।
~अग्निपुराण

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