Exclusive कविता

पहले *भटूरे* को फुलाने के लिये 
उसमें *ENO* डालिये

फिर *भटूरे* से फूले पेट को 
पिचकाने के लिये *ENO* पीजिये 

*जीवन के कुछ गूढ़ रहस्य*
*आप कभी नहीं समझ पायेंगे*

*पांचवीं* तक *स्लेट* की बत्ती को 
*जीभ* से चाटकर *कैल्शियम* की 
कमी पूरी करना हमारी स्थाई आदत थी
*लेकिन*
इसमें *पापबोध* भी था कि कहीं 
*विद्यामाता* नाराज न हो जायें ...!!!☺️

*पढ़ाई* के *तनाव* हमने 
*पेन्सिल* का पिछला हिस्सा 
चबाकर मिटाया था ...!!!😀

*पुस्तक* के बीच *पौधे की पत्ती* 
और *मोरपंख* रखने से हम 
*होशियार* हो जाएंगे ...
ऐसा हमारा *दृढ विश्वास* था. 😀

*कपड़े* के *थैले* में *किताब-कॉपियां*
जमाने का *विन्यास* हमारा 
*रचनात्मक कौशल* था ...!!!☺️🙏🏻

हर साल जब नई *कक्षा* के *बस्ते बंधते*
तब *कॉपी किताबों* पर *जिल्द* चढ़ाना 
हमारे जीवन का *वार्षिक उत्सव* मानते थे ...!!!☺️

*माता - पिता* को हमारी *पढ़ाई* की 
कोई *फ़िक्र* नहीं थी, न हमारी *पढ़ाई* 
उनकी *जेब* पर *बोझा* थी ...☺️💕
*सालों साल* बीत जाते पर *माता - पिता* के 
*कदम* हमारे *स्कूल* में न पड़ते थे ...!!!😀

एक *दोस्त* को *साईकिल* के 
बिच वाले *डंडे* पर और *दूसरे* को 
*पीछे कैरियर* पर *बिठा* कर 
हमने कितने रास्ते *नापें* हैं, 
यह अब याद नहीं बस कुछ 
*धुंधली* सी *स्मृतियां* हैं ...!!!💕

*स्कूल* में *पिटते* हुए और 
*मुर्गा* बनते हमारा *ईगो* 
हमें कभी *परेशान* नहीं करता था 
दरअसल हम जानते ही नही थे 
कि, *ईगो* होता क्या है❓️💕

*पिटाई* हमारे *दैनिक जीवन* की 
*सहज सामान्य प्रक्रिया* थी😰😀
*पीटने वाला* और *पिटने वाला* दोनो *खुश* थे,
*पिटने वाला* इसलिए कि हमे *कम पिटे*
*पीटने वाला* इसलिए *खुश* होता था 
कि *हाथ साफ़* हुवा ...!!!😀

हम अपने *माता - पिता* को कभी नहीं बता पाए 
कि हम उन्हें कितना *प्यार* करते हैं, क्योंकि 
हमें *"आई लव यू"* कहना आता ही नहीं था ...!!!
😰😀💕
आज हम *गिरते- सम्भलते*, *संघर्ष* 
करते दुनियां का हिस्सा बन चुके हैं, 
कुछ *मंजिल* पा गये हैं तो 
कुछ न जाने *कहां खो* गए हैं ...!!!😰

हम दुनिया में कहीं भी हों 
लेकिन यह सच है, 
हमे *हकीकतों* ने *पाला* है, 
हम सच की दुनियां में थे ...!!!
😰
*कपड़ों* को *सिलवटों* से बचाए रखना
और *रिश्तों* को *औपचारिकता* से 
बनाए रखना हमें कभी आया ही नहीं ...
इस मामले में हम सदा *मूर्ख* ही रहे ...!!!
😰
अपना अपना *प्रारब्ध* झेलते हुए 
हम आज भी *ख्वाब* बुन रहे हैं, 
शायद *ख्वाब बुनना* ही 
हमें *जिन्दा* रखे है वरना 
जो *जीवन* हम *जीकर* आये हैं 
उसके सामने यह *वर्तमान* कुछ भी नहीं ...!!!
😰
हम *अच्छे* थे या *बुरे* थे 
पर हम सब साथ थे *काश* 
वो समय फिर लौट आए ...!!!
😰😰
"एक बार फिर अपने *बचपन* के *पन्नो* 
को पलटिये, सच में फिर से जी उठेंगे”...💕
  
और अंत में ...

हमारे *पिताजी* के समय में *दादाजी* गाते थे ...

*मेरा नाम करेगा रोशन*
*जग में मेरा राज दुलारा*💕

हमारे *ज़माने* में हमने गाया ...

*पापा कहते है बड़ा नाम करेगा*💕

अब *हमारे बच्चे* गा रहे हैं …

*बापू सेहत के लिए ...*
*तू तो हानिकारक है*। 😰😰

*सही / वास्तव* में हम 
*कहाँ से कहाँ* आ गए ...???😰

*एक बार मुड़ कर तो देखिये ...*😊🙏

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