Doctors का ग़ुलाम मत बनो
मैं जब भी गेहूँ पिसवाने जाता हूँ तो जो सबसे मोटे चमकीले गेहूँ होते हैं , उन्हें नहीं लेता क्योंकि मुझे पता है कि इनके उत्पादन में अत्यधिक chemical खाद का प्रयोग किया गया है , insecticide और weedicide इसमें भर भर कर डाला गया होगा ।
इनके प्रयोग से कैंसर और तमाम तरह
मैं ऐसे गेहूं का चुनाव करता हूँ जो बहुत साधारण होता है जिसे कहीं कोने में पड़ा होता है ।
मैं जब भी टमाटर लेने जाता हूँ तो जो लाल लाल मोटे चमड़े के चमकीले टमाटर दिखते हैं उन्हें भूल कर भी नहीं लेता क्योंकि मुझे पता है कि वह कितने रासायनिक खादों की उत्पत्ति हैं ।
मैं हमेशा छोटे छोटे गोल और नारंगी और पीले देसी टमाटरों का ही उपयोग करता हूँ ।
मैं जब भी करेला लेने जाता हूँ तो कभी भी बड़े बड़े चमकीले करेले नहीं लेता , उनकी जगह छोटे छोटे कुछ गोल करेले एक नीचे टूटा मोटे लेंस का चश्मा लगाए बैठी अम्मा से लेता हूँ ।
मैं जब भी लौकी लेता हूँ तो बड़े , मोटे और सपाट लौकी नहीं लेता , उनको देखकर डर सा लग जाता है । मैं हमेशा पतले , हल्के हरे और थोड़े मुड़े लौकी ही लेता हूँ क्योंकि मुझे पता है कि वास्तविक लौकी यही है ।
मैं जब भी केले लेता हूँ तो बड़े बड़े , बिना चित्ती के केले नहीं लेता । हमेशा छोटे बहुत चित्तीदार केले लेता हूँ जिनकी सुगंध दूर तक जाती है ।
मैं जब भी सेब लेता हूँ , जिनको बहुत cream powder पोतकर दुल्हन की तरह सजाकर logo लगाकर चमकदार बना कर रखा जाता है उसको कभी नहीं लेता , क्योंकि मुझे पता है कि इनका जन्म किस विधि से हुआ है । तो मैं सदा थोड़े हरे , छोटे और मुड़े सेब ही लेता हूँ ।
हालांकि मुझे सेब बिल्कुल पसंद नहीं है ।
ऐसे ही मैं जब संतरे लेता हूँ तो बड़े बड़े बिल्कुल भी नहीं देसी छोटे छोटे खट्टे मीठे संतरे ही लेता हूँ जिनको उगाने में देसी तकनीक का प्रयोग किया गया होता है ।
जब तरबूज लेता हूँ तो लोगों की Criteria होती है कि बहुत लाल और बहुत मीठा हो । लेकिन मेरा यह नहीं होता , जो बहुत लाल होता है , उसे मैं देखता तक नहीं , जो हद से ज्यादा मीठा लगे , उसे भी नहीं लेता । जो प्राकृतिक लाल दिखता है और ऊपर हरा या पीला दाग दिखता है और थोड़ा गोल छोटा होता है , मैं अधिकतर उसे ही लेता हूँ ।।
इसीलिए जब भी मैं बहुत चमकदार , बहुत ही मोटे सुंदर फल सब्जियाँ देखता हूँ , वहीं सावधान हो जाता हूँ कि ये सौंदर्य के वेश में छुपे कालनेमि हैं जो बस हमारे घर के अंदर प्रवेश मात्र चाहते हैं ।।
मैं ऐसे ही RO का पानी नहीं पीता । एक जगह RO या Himalaya का बोतल बन्द पानी होगा और एक जगह छल छल करके Tubewell से पानी खेतों में जा रहा होगा तो मैं Tubewell के ताजे पानी को ही पिऊँगा ।
क्योंकि मुझे पता है RO का पानी शरीर को बर्बाद करता है और हड्डियों के सभी रोगों की मम्मी है ।
इसी तरह अन्न अनाज आदि मैं कभी पैकेट बन्द नहीं लेता , खुला जो होता है , जिसको कोई नहीं पूछता , मैं उसे लेता हूँ ।
आजकल जितना दिखावा है , उसके पीछे उतनी ही आतंकी वृत्ति होती है ।
इसी तरह जो संत महापयरुष का वेश धरकर बहुत ही मीठा और सबके मन की बात करे , जीभ से शहद टपके , तो वहीं सावधान हो जाएं कि यह घोर पाखण्डी और अंदर से खाली है ।
क्योंकि संत महापुरुषों की वाणी सदा चोट करेगी । वह हृदय को ऐसे बेन्धती हैं मानो किसी ने तलवार मारी हो । वह कभी आपके मन मुताबिक बात नहीं करेगा , वह सदा सत्य से अवगत कराएगा और आपके झूठे तिलिस्म को तोड़ेगा जिससे आपके सदियों के बनाये अवधारणा टूटेंगी और आप सही मार्ग पर आएंगे । वह यह नहीं देखेगा कि अमुक व्यक्ति से मुझे कितना और क्या लाभ होगा , वह बस वही बोलेगा जिससे आपका झूठा संसार नष्ट हो , उसके लिए भले आप दीवार पर अपना सिर पटक कर फोड़ ही क्यों न लें ।
वह सदा निर्भीकता में ही रहेगा ।
तो इस तरह इन सब बातों का पालन करने के कारण हमारा घर आज तक कभी भी दवाईयों और Doctors का ग़ुलाम नहीं रहा ।
आज भी मेरे पिता और माता जी 65 cross कर रहे हैं लेकिन एक भी दवा की गोली पूरे घर में खोजे नहीं मिलेगी ।
मेरी माँ तो आज भी तीन चार floor तक आराम से चढ़ती उतरती और साथ ही साथ सफाई इत्यादि करती हैं ।
Maid का दूर दूर तक हमारे घर में नाम ओ निशान नहीं ।
आज हमारा लाखों का दवाई का खर्चा इसीलिए बचता है क्योंकि हम देसी खाद्यान्न और सब्जियाँ या फल का प्रयोग करते हैं।
आप लोगों से भी यही निवेदन है कि चमक दमक में कम फँसे और एकमात्र देसी , प्राकृतिक खाद्यान्न का ही प्रयोग करें अन्यथा अगर करना चाहते हैं तो बैंक में लाखों रुपये doctor के लिए और अस्वस्थ्यता या रोग के कारण जो मानसिक तनाव और अवसाद उत्पन्न होगा , उसके लिए सदा तैयार रहिये ।
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