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Showing posts from April, 2024

आपसी प्रेम

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       *♨️आज की प्रेरणा प्रसंग♨️*              *🌷आपसी प्रेम🌷* एक सुनार से लक्ष्मी जी रूठ गई और जाते वक्त बोली मैं जा रही हूँ और मेरी जगह  नुकसान आ रहा है, तैयार  हो जाओ। लेकिन  मै तुम्हे अंतिम भेट जरूर देना चाहती हूँ। मांगो जो भी इच्छा हो। सुनार बहुत समझदार था। उसने विनती की कि नुकसान आए तो आने दो, लेकिन उससे कहना की मेरे परिवार में आपसी प्रेम बना रहे।बस मेरी यही इच्छा है। लक्ष्मीजी ने *तथास्तु*  कहा और अंतर्ध्यान हो गयी। कुछ दिन के बाद सुनार की सबसे छोटी बहू  खिचड़ी बना रही थी। उसने नमक आदि डाला और अन्य काम करने लगी। तभी दूसरे लड़के की बहू आई और उसने भी बिना चखे नमक डाला और चली गई। इसी प्रकार तीसरी, चौथी  बहुएं आई और नमक डालकर चली गई। उनकी सास ने भी ऐसा किया। शाम को सबसे पहले सुनार आया। पहला निवाला मुह में लिया। देखा बहुत ज्यादा नमक है, लेकिन वह समझ गया कि नुकसान (हानि) आ चुका है। चुपचाप खिचड़ी खाई और चला गया। इसके बाद बङे बेटे का नम्बर आया। पहला निवाला  मुह में लिया और पूछा *पिता जी ने...

विचार करना

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 मँज़िले बड़ी ज़िद्दी होती हैँ , हासिल कहाँ नसीब से होती हैं !* *मगर वहाँ तूफान भी हार जाते हैं , जहाँ कश्तियाँ ज़िद पर होती हैँ !*   *भरोसा ” ईश्वर ” पर है, तो जो लिखा है तकदीर में, वो ही पाओगे !* *मगर , भरोसा अगर ” खुद ” पर है ,तो ईश्वर वही लिखेगा , जो आप चाहोगे !!!* : ~"सत्य की राह बहुत ही कठिन है और जब हम सत्य की राह पर चले तो हमे बहुत ही एकाग्र और नम्र होना चाहिए क्यूकी सत्य के माध्यम से ही ईश्वर का बोध होता है.!" ~रामकृष्ण_परमहंस  : *रिश्तों की बगिया में एक रिश्ता नीम के पेड़ जैसा भी होना चाहिए..!* *जो सीख भले ही कड़वी देता हो पर तकलीफ में मरहम भी बनता है..!!* मित्रता में सभी विचार, सभी इच्छाएं, सभी उम्मीदें जो जन्मतीं हैं उन्हें आपस में साझा किया जाना चाहिए, क्योंकि वे अगर व्यक्त न की जाएं तो हम बड़ी खुशी से वंचित रह जाते हैं।" ~ ख़लील जिब्रान 🍁 *सुप्रभात*🍁

बस खाली मुट्ठी बाकी है।*

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* तीन   पहर   तो   बीत   गये,*            *बस  एक  पहर ही बाकी है।*           * जीवन हाथों से फिसल गया,*            *बस  खाली  मुट्ठी  बाकी  है।* *सब  कुछ पाया इस जीवन में,* *फिर   भी   इच्छाएं  बाकी  हैं* *दुनिया  से  हमने   क्या  पाया,* *यह लेखा - जोखा बहुत हुआ,*  *इस  जग  ने हमसे क्या पाया,* *बस   ये   गणनाएं   बाकी  हैं।*            *इस भाग-दौड़  की  दुनिया में*           *हमको इक पल का होश नहीं,*            *वैसे तो  जीवन  सुखमय  है,*            *पर फिर भी क्यों संतोष नहीं !* *क्या   यूं   ही  जीवन  बीतेगा,* *क्या  यूं  ही  सांस...

लाजवाब रचना

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पता नहीं, किस रचनाकार की रचना है। लेकिन, है लाजवाब...। *शब्द* शब्द *रचे* जाते हैं,  शब्द *गढ़े* जाते हैं,   शब्द *मढ़े* जाते हैं,    शब्द *लिखे* जाते हैं,     शब्द *पढ़े* जाते हैं,      शब्द *बोले* जाते हैं,       शब्द *तौले* जाते हैं,        शब्द *टटोले* जाते हैं,         शब्द *खंगाले* जाते हैं,                ... इस प्रकार शब्द *बनते* हैं,  शब्द *संवरते* हैं,   शब्द *सुधरते* हैं,    शब्द *निखरते* हैं,     शब्द *हंसाते* हैं,      शब्द *मनाते* हैं,       शब्द *रुलाते* हैं,        शब्द *मुस्कुराते* हैं,         शब्द *खिलखिलाते* हैं,          शब्द *गुदगुदाते* हैं,            शब्द *मुखर* हो जाते हैं            शब्द *प्रखर* हो जाते हैं       ...

एक सीख

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दिल को छू जाने वाली story  ऑफिस से निकल कर शर्मा जी ने  स्कूटर स्टार्ट किया ही था कि उन्हें याद आया,  . पत्नी ने कहा था 1 किलो जामुन  लेते आना।  . तभी उन्हें सड़क किनारे बड़े और ताज़ा जामुन बेचते हुए  एक बीमार सी दिखने वाली बुढ़िया दिख गयी। . वैसे तो वह फल हमेशा "राम आसरे फ्रूट भण्डार" से ही लेते थे,  पर आज उन्हें लगा कि क्यों न  बुढ़िया से ही खरीद लूँ ? . उन्होंने बुढ़िया से पूछा, "माई, जामुन कैसे दिए"  . बुढ़िया बोली, बाबूजी 40 रूपये किलो,  शर्माजी बोले, माई 30 रूपये दूंगा।  . बुढ़िया ने कहा, 35 रूपये दे देना,  दो पैसे मै भी कमा लूंगी।  . शर्मा जी बोले, 30 रूपये लेने हैं तो बोल,  बुझे चेहरे से बुढ़िया ने,"न" मे गर्दन हिला दी। . शर्माजी बिना कुछ कहे चल पड़े  और राम आसरे फ्रूट भण्डार पर आकर  जामुन का भाव पूछा तो वह बोला 50 रूपये किलो हैं  . बाबूजी, कितने दूँ ?  शर्माजी बोले, 5 साल से फल तुमसे ही ले रहा हूँ,   ठीक भाव लगाओ।  . तो उसने सामने लगे बोर्ड की ओर इशारा कर दिया।...

सुंदर कविता

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* अच्छी थी, पगडंडी अपनी।* *सड़कों पर तो, जाम बहुत है।।* *फुर्र हो गई फुर्सत, अब तो।* *सबके पास, काम बहुत है।।* *नहीं जरूरत, बूढ़ों की अब।* *हर बच्चा, बुद्धिमान बहुत है।।*    *उजड़ गए, सब बाग बगीचे।* *दो गमलों में, शान बहुत है।।* *मट्ठा, दही, नहीं खाते हैं।* *कहते हैं, ज़ुकाम बहुत है।।* *पीते हैं, जब चाय, तब कहीं।* *कहते हैं, आराम बहुत है।।* *बंद हो गई, चिट्ठी, पत्री।* *फोनों पर, पैगाम बहुत है।।* *आदी हैं, ए.सी. के इतने।* *कहते बाहर, घाम बहुत है।।* *झुके-झुके, स्कूली बच्चे।* *बस्तों में, सामान बहुत है।।* *नही बचे, कोई रिश्तेदार ।* *अकड़ का, एहसान बहुत है।।* *सुविधाओं का, ढेर लगा है।* *पर इंसान, परेशान बहुत है।।* 🙏🏻👏🏻🎊💃🕺🎊👏🏻🙏🏻

बात चीत

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एक गांव में दो बुजुर्ग बातें कर रहे थे.... पहला :- मेरी एक पोती है, शादी के लायक है... BA किया है, नौकरी करती है, कद - 5"2 इंच है.. सुंदर है कोई लडका नजर मे हो तो बताइएगा.. दूसरा :- आपकी पोती को किस तरह का परिवार चाहिए...?? पहला :- कुछ खास नही.. बस लडका MA/M.TECH किया हो, अपना घर हो, कार हो, घर मे एसी हो, अपने बाग बगीचा हो, अच्छा job, अच्छी सैलरी, कोई लाख रू. तक हो... दूसरा :- और कुछ... पहला :- हाँ सबसे जरूरी बात.. अकेला होना चाहिए.. मां-बाप,भाई-बहन नही होने चाहिए.. वो क्या है लडाई झगड़े होते है... दूसरे बुजुर्ग की आँखें भर आई फिर आँसू पोछते हुए बोला - मेरे एक दोस्त का पोता है उसके भाई-बहन नही है, मां बाप एक दुर्घटना मे चल बसे, अच्छी नौकरी है, डेढ़ लाख सैलरी है, गाड़ी है बंगला है, नौकर-चाकर है.. पहला :- तो करवाओ ना रिश्ता पक्का.. दूसरा :- मगर उस लड़के की भी यही शर्त है की लडकी के भी मां-बाप,भाई-बहन या कोई रिश्तेदार ना हो... कहते कहते उनका गला भर आया.. फिर बोले :- अगर आपका परिवार आत्महत्या कर ले तो बात बन सकती है.. आपकी पोती की शादी उससे हो जाएगी और वो बहुत सुखी रहेगी.....

Greater than Ram .... is the name of Ram!"

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When Valmiki completed his Ramayana, Narada wasn't impressed. 'It is good, but Hanuman's is better', he said. 'Hanuman has written the Ramayana too!', Valmiki didn't like this at all, and wondered whose Ramayana was better. So he set out to find Hanuman. In Kadali-vana, grove of plantains, he found Ramayana inscribed on seven broad leaves of a banana tree. He read it and found it to be perfect. The most exquisite choice of grammar and vocabulary, metre and melody. He couldn't help himself. He started to cry. 'Is it so bad?' asked Hanuman.. 'No, it is so good', said Valmiki.. 'Then why are you crying?' asked Hanuman. 'Because after reading your Ramayana no one will read my Ramayana,' replied Valmiki. Hearing this Hanuman simply tore up the seven banana leaves stating  "Now no one will ever read Hanuman's Ramayana.'" Valmiki was shocked to see this action of Hanuman and asked him why he did this...

Doctors का ग़ुलाम मत बनो

मैं जब भी गेहूँ पिसवाने जाता हूँ तो जो सबसे मोटे चमकीले गेहूँ होते हैं , उन्हें नहीं लेता क्योंकि मुझे पता है कि इनके उत्पादन में अत्यधिक chemical खाद का प्रयोग किया गया है , insecticide और weedicide इसमें भर भर कर डाला गया होगा । इनके प्रयोग से कैंसर और तमाम तरह मैं ऐसे गेहूं का चुनाव करता हूँ जो बहुत साधारण होता है जिसे कहीं कोने में पड़ा होता है । मैं जब भी टमाटर लेने जाता हूँ तो जो लाल लाल मोटे चमड़े के चमकीले टमाटर दिखते हैं उन्हें भूल कर भी नहीं लेता क्योंकि मुझे पता है कि वह कितने रासायनिक खादों की उत्पत्ति हैं । मैं हमेशा छोटे छोटे गोल और नारंगी और पीले देसी टमाटरों का ही उपयोग करता हूँ । मैं जब भी करेला लेने जाता हूँ तो कभी भी बड़े बड़े चमकीले करेले नहीं लेता , उनकी जगह छोटे छोटे कुछ गोल करेले एक नीचे टूटा मोटे लेंस का  चश्मा लगाए बैठी अम्मा से लेता हूँ । मैं जब भी लौकी लेता हूँ तो बड़े , मोटे और सपाट लौकी नहीं लेता , उनको देखकर डर सा लग जाता है । मैं हमेशा पतले , हल्के हरे और थोड़े मुड़े लौकी ही लेता हूँ क्योंकि मुझे पता है कि वास्तविक लौकी यही है । मैं जब भी केले लेता हूँ तो बड़...