खाली पीपे

*❤️ खाली पीपे ❤️*


*एक बहुत बड़ा सौदागर नौका लेकर दूर-दूर के देशों में लाखों-करोड़ों रुपए कमाने के लिए जाता रहता था।*

*एक दिन उसके मित्रों ने उससे कहा- तुम नौका में घूमते रहते हो। तुम्हारी नौका पुराने जमाने की है, तूफान आते हैं, खतरे होते हैं और नौकाएं डूब जाती हैं, तुम तैरना तो सीख लो।*

*सौदागर ने कहा- तैरना सीखने के लिए मेरे पास समय कहां है?*

*मित्रों ने कहा- ज्यादा समय की जरूरत नहीं है। गांव में एक कुशल तैराक है, जो कहता है कि तीन दिनों में ही वो तैरना सिखा देगा।*

*सौदागर ने कहा- वो जो कहता है ठीक ही कहता होगा, लेकिन मेरे पास तीन दिन कहां हैं? तीन दिनों में तो मैं लाखों का कारोबार कर लेता हूं। तीन दिनों में तो लाखों रूपए यहां से वहां हो जाते हैं। कभी फुर्सत मिलेगी, तो जरूर सीख लूंगा।*

*फिर भी उसके मित्रों ने कहा- खतरा बहुत बड़ा है। तुम्हारा जीवन निरंतर नौका पर है, किसी भी दिन खतरा हो सकता है और तुम तो तैरना भी नहीं जानते हो।*

*सौदागर ने कहा- कोई और सस्ती तरकीब हो तो बताओ, इतना समय तो मेरे पास नहीं है।*

*तो उसके मित्रों ने कहा- कम से कम दो पीपे अपने पास रख लो। कभी जरूरत पड़ जाए, तो उन्हें पकड़कर तुम तैर तो सकोगे।*

*सौदागर ने दो खाली पीपे मुंह बंद करवाकर अपने पास रख लिए। उनको हमेशा अपनी नौका में जहां वो सोता था, वहीं पर रखता था।*

*एक दिन वो घड़ी आ गई। तूफान उठा और उसकी नौका डूबने लगी। सौदागर चिल्लाया- मेरे पीपे कहां हैं?*

*उसके नाविकों ने बताया- वो तो आपके बिस्तर के पास ही रखे हुए हैं।*

*इतना कहकर बाकी नाविक कूद गए, क्योंकि वे तैरना जानते थे।*

*वो सौदागर अपने पीपों के पास गया। वे दो खाली पीपे भी वहां थे जो उसने तैरने के लिए रखे थे और दो स्वर्ण मुद्राओं से भरे पीपे भी थे, जिन्हें वो लेकर आ रहा था। उसका मन डांवाडोल होने लगा कि कौन से पीपे लेकर कूदे, स्वर्ण मुद्राओं से भरे या खाली? फिर उसने देखा कि नौका डूबने वाली है। वो सोचने लगा, भला खाली पीपे लेकर कूदने से क्या होगा और उसने अपने स्वर्ण मुद्राओं से भरे पीपे लिए और कूद गया।*

*वही हुआ, और वो सौदागर डूबकर मर गया।वो सौदागर तैरने के लिए समय नहीं निकाल सका था। क्या हम समय निकाल सके हैं? उसे तो मौका भी मिल गया था और वो खाली पीपे लेकर कूद सकता था, लेकिन वो भरे पीपे लेकर कूदा।*

*यही हाल हमारा है। अभी थोड़ा व्यापार संभाल लें, थोड़ा मकान देख लें, परिवार में मेरे बिना सब चौपट हो जाएगा और थोड़ा उसको भी देख लें, बस ऐसे ही हम अपना जीवन निकाल रहे हैं। तैरना कब सीखेंगे? हम इस संसार सागर में टूटी हुई नौका में बैठे हैं।*

*सभी संत-महात्मा पुकार-पुकार के कह रहे हैं, लेकिन हमारे पास समय ही नहीं है। यहां तक कि दो खाली पीपे भी हमने साथ नहीं रखे हैं, सत्संग के और सेवा के। उनको भी हमने अहंकार और दौलत के दिखावे से भर रखा है। क्योंकि जिनको जीवन भर दिखावे, अहंकार और दौलत से भरे-भरे होने की आदत होती है, वे एक क्षण भी खाली होने को राजी नहीं हो सकते।*


*राधे-राधे🙏*

Comments

Popular posts from this blog

Dil To Hai Dil”

Secret Mantra For Happiness

Happy Birthday Dear Osho