संकीर्तन की पद्धति
हमारी उपचार योजना आध्यात्मिक रूप से बीमार सब लोगों के लिए है। जब किसी को रोग होता है तो उस समय गरीब और अमीर का भेद नहीं रहता। उन दोनों को एक ही अस्पताल में भर्ती करवाया जाता है। जिस प्रकार अस्पताल को ऐसे स्थान पर होना चाहिए जिससे वह गरीब-अमीर दोनों के लिए सुगम हो, उसी प्रकार संकीर्तन भी ऐसे स्थान पर होना चाहिए जिससे सबको उसका लाभ मिल सके। चूँकि प्रत्येक व्यक्ति भौतिक रूप से रोगग्रस्त है इसलिए सबको इसका लाभ मिलना चाहिए। तो सकिर्तन की पद्धति सबके लिए है, क्योंकि यह गरीबी अमीरी की परवाह किये बिना सबके हृदयों को शुद्ध करती है। यदि किसी अपराधी को वास्तव में सुधारना है तो हमें उसके ह्रदय में परिवर्तन लाना होगा । [...] तो हमारी पद्धति ह्रदय को शुद्ध करने के लिए है। तब इस संसार की सब समस्याओं का समाधान हो जायेगा ।
*-[ ग्रंथ संदर्भ: “आत्म-साक्षात्कार विज्ञान" से, शिकागो पुलिस विभाग के जनसम्पर्क अधिकारी के साथ एक वार्ता का अंश ]*
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