बहुत सुंदर प्रयास*

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                  *बहुत सुंदर प्रयास*
           *एक बार ध्यान से पढ़िएगा*
                      🌸🌸🌸

*कभी हिन्दी वर्णमाला का क्रमबद्ध इतना सुन्दर प्रयोग कि आप अद्भुत अद्वितीय अविस्मरणीय कह उठेंगे...*

 _यह कविता जिसने भी लिखी प्रशंसनीय है।_
 _हिन्दी वर्णमाला का क्रम से कवितामय प्रयोग-बेहतरीन है।_
            _*वंदन करते हैं उस कवि का*_

     *अ* चानक
     *आ* कर मुझसे
     *इ* ठलाता हुआ पंछी बोला
     *ई* श्वर ने मानव को तो
     *उ* त्तम ज्ञान-दान से तौला
     *ऊ* पर हो तुम सब जीवों में
     *ऋ* ष्य तुल्य अनमोल
     *ए* क अकेली जात अनोखी
     *ऐ* सी क्या मजबूरी तुमको
     *ओ* ट रहे होंठों की शोख़ी
     *औ* र सताकर कमज़ोरों को
     *अं* ग तुम्हारा खिल जाता है
     *अ:* तुम्हें क्या मिल जाता है.?
     *क* हा मैंने- कि कहो
     *ख* ग आज सम्पूर्ण
     *ग* र्व से कि- हर अभाव में भी
     *घ* र तुम्हारा बड़े मजे से
     *च* ल रहा है
     *छो* टी सी- टहनी के सिरे की
     *ज* गह में, बिना किसी
     *झ* गड़े के, ना ही किसी
     *ट* कराव के पूरा कुनबा पल रहा है
     *ठौ* र यहीं है उसमें
     *डा* ली-डाली, पत्ते-पत्ते
     *ढ* लता सूरज
     *त* रावट देता है
     *थ* कावट सारी, पूरे
     *दि* वस की-तारों की लड़ियों से
     *ध* न-धान्य की लिखावट लेता है
     *ना* दान-नियति से अनजान अरे
     *प्र* गतिशील मानव
     *फ़* रेब के पुतलो
     *ब* न बैठे हो समर्थ
     *भ* ला याद कहाँ तुम्हें
     *म* नुष्यता का अर्थ.?
     *य* ह जो थी, प्रभु की
     *र* चना अनुपम...
     *ला* लच-लोभ के 
     *व* शीभूत होकर
     *श* र्म-धर्म सब तजकर
     *ष* ड्यंत्रों के खेतों में
     *स* दा पाप-बीजों को बोकर
     *हो* कर स्वयं से दूर
     *क्ष* णभंगुर सुख में अटक चुके हो
     *त्रा* स को आमंत्रित करते
     *ज्ञा* न-पथ से भटक चुके हो।
     *श्रे* ष्ठ पथ पर बढ़े चलो। 

*अंग्रेजी के अल्फाबेट्स पर बहुत कुछ पढ़ा होगा... पहली बार हिंदी में ।*
                            🙏

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