आत्मा की भोजन

आत्मिक कल्याण विनय शब्द पुष्प ---
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हमें अपने जीवन में अपने शरीर के भोजन के साथ साथ, अपनी आत्मा के भोजन पर भी ध्यान देना चाहिए, क्योंकि हम अपने शरीर के भोजन का ध्यान तो अपने पिछले हजारों लाखों जन्मों से रखते चले आ रहे हैं,जबकि हमें अपनी आत्मा के भोजन का ध्यान रखने का अवसर केवल इस मानव शरीर में ही मिला है । 

        अतः श्रीराम चरित मानस के अनुसार हमें अपनी आत्मा का भोजन, भगवान का भजन,का ध्यान रखने का अवसर इस मानव शरीर में ही, भगवान ने उनकी बड़ी दया से प्रदान किया है । इस संदर्भ में गोस्वामी संत तुलसीदास जी ने श्रीराम चरित मानस में चौपाई लिखी है --

उमा कहहुं मैं अनुभव अपना  ।
सत हरि भजन,जगत सब सपना । ।

अर्थात भगवान शिव जी माता पार्वती जी से कहते हैं कि, मैं अपने अनुभव की बात कहता हूं कि, इस संसार में केवल भगवान श्री राम जी का भजन ही सत्य है,शेष सभी संसार, स्वप्न के समान है  ।  अतः हमें  इस भौतिक संसार में अपनी जीवात्मा के आत्मिक कल्याण के लिए केवल भगवान के भजन का ही सहारा लेना चाहिए, जिससे हमारी जीवात्मा भगवान के परमधाम को प्राप्त कर सकें और उसे संसार में बार-बार के आवागमन  से मुक्ति प्राप्त हो सके,जो हमारे मानव जीवन का लक्ष्य है  ।

     हमारे चाहने पर संसार का सबसे बड़ा धन,संतोष धन प्रदान करने वाली,जय मां संतोषी जी, आप सब पर अपनी अनंत कृपा बनाए रखने की कृपा करें, यही शुभ शुक्रवार के दिन हमारी शुभ मंगल कामनाएं हैं  ।

राम ही राम जी 🚩 शुभोदय 🙏😊

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