प्रतियोगिता........*

*आज की अमृत कथा*

*प्रतियोगिता........*
👌👌👌✍️👌👌👌
आज सुबह मॉर्निंग वॉक पर,एक व्यक्ति को मुझ से  आगे देखा।मुझ से आधा "किलोमीटर" आगे था।अंदाज़ा लगाया कि, मुझ से थोड़ा "धीरे" ही भाग रहा था। एक अजीब सी "खुशी" मिली। मैं पकड़ लूंगा उसे और यकीन था। 
मैं तेज़ और तेज़ चलने लगा,आगे बढ़ते हर कदम के साथ,मैं उसके "करीब" पहुंच रहा था। कुछ ही पलों में मैं उससे बस सौ क़दम पीछे था।निर्णय ले लिया था कि, मुझे उसे "पीछे" छोड़ना है। थोड़ी "गति" बढ़ाई। अंततः कर मैंने पीछे दिया।
उसके पास पहुंच,उससे "आगे" निकल गया।"आंतरिक हर्ष" की "अनुभूति" कि मैंने उसे "हरा" दिया।

बेशक उसे नहीं पता था,कि हम "दौड़" लगा रहे थे।मैं जब उससे "आगे" निकल गया अनुभव हुआ कि दिलो-दिमाग "प्रतिस्पर्धा"पर, इस हद तक केंद्रित था कि -
*घर का मोड़" छूट गया,*
*मन का "सकून" खो गया,*
*आस-पास की "खूबसूरती और हरियाली" नहीं देख पाया,उनका आनंद नहीं ले पाया।अच्छा मौसम की "खुशी" को भूल गया।*
               और
*तब समझ में आया कि यही तो होता है जीवन में भी।जब हम अपने साथियों को, पड़ोसियों को,दोस्तों को, परिवार के सदस्यों को, प्रतियोगी समझते हैं।उनसे बेहतर करना चाहते हैं।प्रमाणित करना चाहते हैं कि, हम उनसे अधिक सफल  अथवा अधिक महत्वपूर्ण है।*

*👉बहुत महंगा" पड़ता है।क्योंकि हम अपनी खुशी भूल जाते हैं।अपना समय और ऊर्जा उनके पीछे भागने में गवां देते हैं।इस सब में अपना मार्ग और मंज़िल तक भूल जाते हैं।हम भूल जाते हैं कि नकारात्मक प्रतिस्पर्धाएं कभी ख़त्म नहीं होंगी।हमेशा कोई न कोई आगे होगा।किसी के पास बेहतर नौकरी होगी।बेहतर गाड़ी,बैंक में अधिक रुपए, ज़्यादा पढ़ाई,सुन्दर पत्नी, ज़्यादा संस्कारी बच्चे,बेहतर परिस्थितियां और बेहतर हालात।इस सब में एक एहसास ज़रूरी है कि बिना प्रतियोगिता किए हर इंसान "श्रेष्ठतम" हो सकता है।*

कुछ लोग अपने को असुरक्षित महसूस करते हैं क्योंकि वह अत्याधिक ध्यान देते हैं दूसरों पर- 
*कहां जा रहे हैं?*
*क्या कर रहे हैं?*
*क्या पहन रहे हैं?*
*क्या बातें  कर रहे हैं?*

*जो है,उसी में ❤️ खुश रहे- लंबाई,वज़न या व्यक्तित्व..को स्वीकार करे और समझे कि आप कितने भाग्यशाली है।आकांक्षाएँ नियंत्रित रखे।स्मरण रहे कि भाग्य में कोई "प्रतिस्पर्धा" नहीं है। सबका अपना-अपना भाग्य है। तुलना और प्रतियोगिता हर खुशी को चुरा लेती हैं।इसलिए अपनी "दौड़" खुद लगाये,बिना किसी प्रतिस्पर्धा के,इससे असीम सुख-आनंद मिलता है,मन में और जीवन में शांति (serenity) रहती है,शायद इसी को "मोक्ष" कहते है।आप भी स्वस्थ,सुखद,आनंदमयी ज़िन्दगी जीये,जीते जी "मोक्ष" प्राप्त करें,इस सांसारिक परिवेश में रहते हुए,तुलना और प्रतियोगिता रहित जीवन के साथ..!!*

   *🙏🏿🙏🏽🙏🏾जय श्री कृष्ण*🙏🏻🙏🏼🙏

Comments

Popular posts from this blog

Dil To Hai Dil”

❤Love your Heart❤

Happy Birthday Dear Osho