मदर्स -डे

*(मदर्स -डे)*
                        
*गुरुजी ने कहा कि मां के पल्लू पर निबन्ध लिखो...*
*तो लिखने वाले छात्र ने क्या खूब लिखा...*
*"पूरा पढ़िएगा आपके दिल को छू जाएगा"*

आदरणीय गुरुजी,
मां के पल्लू का सिद्धांत मां को गरिमामई
छवि प्रदान करने के लिए था।

इसके साथ ही...यह गरम बर्तन को
चूल्हे से हटाते समय गरम बर्तन को
पकड़ने के काम भी आता था।

पल्लू की बात ही निराली थी,
पल्लू पर तो बहुत कुछ 
लिखा जा सकता है।

पल्लू...बच्चों का पसीना, आंसू पोंछने,
गंदे कान, मुंह की सफाई के लिए भी
इस्तेमाल किया जाता था।

मां इसको अपना हाथ पोंछने के लिए
तौलिए के रूप में भी
इस्तेमाल करती थी।

खाना खाने के बाद 
पल्लू से मुंह साफ़ करने का
अपना ही आनन्द होता था।

कभी आंख में दर्द होने पर
मां अपने पल्लू को गोल बनाकर,
फूंक मारकर, गरम कर के,
आंख पर लगा देती थी,
दर्द उसी समय गायब हो जाता था।

मां की गोद में सोने वाले बच्चों के लिए
उसकी गोद गद्दा और उसका पल्लू
चादर का काम करता था।

जब भी कोई अनजान घर में आता
तो बच्चा उसको
मां के पल्लू की ओट लेकर देखता था।

जब भी बच्चों को किसी बात पर
शर्म आती, वो पल्लू से अपना
मुंह। ढांककर, छुप जाता था।

जब बच्चों को बाहर जाना होता,
तब "मां का पल्लू"
एक मार्गदर्शक का काम करता था।

जबतक बच्चे ने हाथ में पल्लू
थाम रखा होता, तो सारी कायनात
उसकी मुट्ठी में होती थी।

जब मौसम ठंडा होता था...
मां इसको चारों ओर लपेटकर
ठंड से बचाने की कोशिश करती।
और जब बारिश होती तो
मां अपने पल्लू से ढांक लेती।

पल्लू~~ऐपरण का काम भी करता था।
मां इसको हाथ तौलिया के रूप में भी
इस्तेमाल कर लेती थी।

पल्लू का उपयोग पेड़ से गिरने वाले
मीठे जामुन और सुगंधित फूलों को
लाने के लिए किया जाता था।

पल्लू में दान, धान, प्रसाद भी
संकलित किया जाता था।

पल्लू घर में रखे सामान से
धूल हटाने में भी सहायक होता था।

कभी कोई वस्तु खो जाए, तो
एकदम से पल्लू में गांठ लगाकर
निश्चिंत हो जाना कि
जल्द ही मिल जायेगी।

पल्लू में गांठ लगाकर मां
एक चलता फिरता बैंक या 
तिजोरी रखती थी, और अगर
सब कुछ ठीक रहा, तो कभी कभी
उस बैंक से कुछ पैसे भी मिल जाते थे।

*मुझे नहीं लगता कि विज्ञान पल्लू का विकल्प ढूंढ पाया है!*

*मां का पल्लू कुछ और नहीं, बल्कि एक जादुई एहसास है!*

स्नेह और संबंध रखने वाले अपनी मां के इस प्यार और स्नेह को हमेशा महसूस करते हैं, जोकि आज की पीढ़ियों की समझ में आता है
कि नहीं............

*अब जींस पहनने वाली मां, पल्लू कहां से लायेंगी...पता नहीं..... !!*

*!! मां दिवस की शुभकामनाएं !!*
🙏🙏

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