दुसरों की मदद करते रहें
कल रात मैंने एक
"सपना" देखा.!
मेरी Death हो गई....
जीवन में कुछ अच्छे कर्म किये होंगे
इसलिये यमराज मुझे
स्वर्ग में ले गये...
धर्मराज ने
मुस्कुराकर
मेरा स्वागत किया...
मेरे हाथ में
Bag देखकर पूछने लगे
''इसमें क्या है..?"
मैंने कहा...
''इसमें मेरे जीवन भर की कमाई है, पांच करोड़ रूपये हैं ।"
धर्मराज जी ने
'MP-04-03032023'
नम्बर के Locker की ओर
इशारा करते हुए कहा-
''अपनी अमानत इसमें रख दीजिये..!'' और आगे की कार्रवाई के लिए चित्रगुप्त से मिलने को कहा।
मैंने Bag रख दी...और श्री चित्रगुप्त से मिला।
उन्होने मुझे एक Room दिया, थोड़ी देर बाद...
मैं Fresh होकर
Market में निकला...
देवलोक के
Shopping मॉल मे
अद्भुत वस्तुएं देखकर
मेरा मन ललचा गया..!
मैंने कुछ चीजें पसन्द करके
Basket में डाली,
और काउंटर पर जाकर
उन्हें दो हजार की
करारे नोटें देने लगा...
Manager ने
नोटों को देखकर कहा,
''यह करेंसी यहाँ नहीं चलती..!''
यह सुनकर
मैं हैरान रह गया..!
मैंने तुरंत श्री चित्रगुप्त जी के पास
Complaint की
चित्रगुप्त जी ने मुस्कुराते हुए कहा कि,
''आप व्यापारी होकर
इतना भी नहीं जानते..?
कि आपकी करेंसी
बाजु के देश
पाकिस्तान,
श्रीलंका,
और बांगलादेश में भी
नही चलती...
और आप
मृत्युलोक की करेंसी
स्वर्गलोक में चलाने की
मूर्खता कर रहे हो..?''
यह सब सुनकर
मुझे मानो साँप सूंघ गया..!
मैं जोर जोर से दहाड़े मार कर रोने लगा.
और परमात्मा से
दरखास्त करने लगा,
''हे ईश्वर.ये...
क्या हो गया.?''
''मैंने कितनी मेहनत से
ये पैसा कमाया..!''
''दिन नही देखा,
रात नही देखा,"
'' बस पैसा कमाया...किसी भी तरीके से!!
''माँ बाप की सेवा नही की,
बस पैसा कमाने में लगा रहा,
बच्चों की परवरिश पर भी ठीक से ध्यान नही दी,
पैसा कमाया....
पत्नी की सेहत की ओर भी
ध्यान नही दिया बस,
पैसा कमाया...!''
''रिश्तेदार,
भाईबन्धु,
परिवार और
यार दोस्तों से भी
किसी तरह की
हमदर्दी न रखते हुए
पैसा कमाया.!!"
''जीवन भर हाय पैसा
हाय पैसा किया...!
ना चैन से सोया,
ना चैन से खाया...
बस,
जिंदगी भर पैसा कमाया.!''
''और यह सब
व्यर्थ हो गया..?''
''है ईश्वर,
अब क्या होगा..!''
चित्रगुप्त जी ने कहा,-
''रोने से
कुछ हासिल होने वाला
नहीं है.!! "
"जिन जिन लोगो ने
यहाँ जितना भी पैसा लाया,
सब रद्दी हो गया।"
"जमशेद जी टाटा के
55 हजार करोड़ रूपये,
बिरला जी के
47 हजार करोड़ रूपये,
धीरू भाई अम्बानी के
29 हजार करोड़
अमेरिकन डॉलर...!
सबका पैसा यहां रद्धी पड़ा है...!"
मैंने श्री चित्रगुप्त जी से पूछा-
"फिर यहां पर
कौनसी करेंसी
चलती है..?"
श्री चित्रगुप्त जी ने कहा-
*"धरती पर अगर*
*कुछ अच्छे कर्म*
*किये है...!*
*जैसे किसी दुखियारे को*
*मदद की,*
*किसी रोते हुए को*
*हंसाया,*
*किसी अनाथ बच्चे को*
*पढ़ा लिखा कर*
*काबिल बनाया...!*
*किसी को*
*व्यसनमुक्त किया...!*
*किसी अपंग स्कूल, वृद्धाश्रम या*
*मंदिरों में दान धर्म किया...!" किसी की स्वार्थ से परे जाकर भलाई की*
*ये सब भी बिना स्वार्थ /तारीफ की इच्छा के*
"ऐसे पूण्य कर्म करने वालों को
यहाँ पर एक *Credit Card*
मिलता है...!
और
उसे प्रयोग कर आप यहाँ
स्वर्गीय सुख का उपभोग ले सकते है..!''
मैंने कहा,
*"हे ईश्वर....!*
मुझे यह ठीक से पता
नहीं था.
इसलिए मैंने अपना जीवन पैसे कमाने में
व्यर्थ ही गँवा दिया.!!"
"हे ईश्वर,
मुझे थोडा आयुष्य दीजिये..!''
और मैं गिड़गिड़ाने लगा.!
श्री चित्रगुप्त जी को मुझ पर दया आ गई.!!
उन्होने तथास्तु कहा
और मेरी नींद खुल गयी..!
मैं जाग गया..!
अब मैं वो दौलत कमाऊँगा
जो वहाँ चलेगी..!!
*जो प्राप्त है-पर्याप्त है।💐*
*सदैव प्रसन्न रहें- दुसरों की मदद करते रहें।🙏🙏*
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