मूँगफली....
ठंड में मूँगफली खाने के बाद मैंने कुछ तथ्य इकट्ठे किए हैं । तथ्य कुछ इस प्रकार हैं :
जब भी आप ये सोंचे कि अब बस करता हूँ तो आख़िरी वाली मूँगफली का कड़वा हुआ स्वाद आपको ५-६ मूँगफली और खाने को मजबूर कर देता है ।😁
कितना भी स्वच्छ भारत अभियान के समर्थक हों , मूँगफली के छिलके इधर उधर फेंकने के अपने अलग मज़े हैं । साथ ही अगर पास ही आग जल रही हो तो छिलके उसमे डालने का अलग ही आनंद है ।😁
अगर ४-५ लोग एकसाथ मूँगफली खा रहे हैं तो आपके खाने की स्पीड सामने वालों के खाने की स्पीड पर बहुत हद तक निर्भर करती है ।😁
जब मूँगफली का स्वाद अपने चरम पर होता है तो एक मूँगफली के अंदर भरी हुई मिट्टी / रेत या नमक आपकी स्वाद ग्रंथियों की ऐसी की तैसी कर देती हैं ।😁
मूँगफली के साथ मिलने वाली नमक की पुड़िया की भी अपनी ही अहमियत होती है । कुछ जगह मिर्च की चटनी भी मिलती है... छिलके में चटनी लगा के चाटने का आपना ही मज़ा है , इसको बयां कर पाना लगभग असंभव है ... 😁
और आख़िर में कितनी भी खा लो , लगता है कि और ले ली होती तो अच्छा होता ।😁
मूँगफली खाते हुए अगर एक दाना हाथ से छूटकर गिर जाये तो ऐसा फील होता है, जैसे पुरखों की संपत्ति हाथ से निकल गयी है…. उस दाने को ढूंढे बिना दूसरी मुंगफली खाने में मन नही लगता,या यह कहे जब तक ना मिल जाये , आंखे चारो तरफ उसे ही दूंढ रही होती है...😁
मूंगफली खाने वाला व्यक्ति अच्छी अच्छी भरी हुई मूंगफली पहले खाता है और छोटी और थोड़ी बहुत जली हुई बाद में खाता है। 😁
आप एक तथ्य और भूल रहे हैं कि जब मूंगफली खत्म होने के बाद छिलके हटा रहे होते हैं तो उसमें कोई मूंगफली का दाना मिल जाता है, तब उसका आनंद असीमित होता है लगता है जैसे खोया ख़ज़ाना मिल गया हो ।😁
आपका क्या मानना है ???🤔😄😁😁😂😂😂
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