*चाय पियोगे...!!*


☕ *चाय पियोगे...!!*

```मुझे कोई चाय के लिए पूछता है ```
```तो मैं मना नहीं करता ```
```ऐसा नहीं कि चाय में ```
```कोई अमृत का स्वाद है ```
```जिसके बिना रह नहीं सकते.. ```

```जब कोई पूछता है चाय पियोगे ```
```मतलब वह कुछ देर ```
```साथ चाहता है तुम्हारा ```
```चाहता है कि कुछ देर ```
```तुम उसके पास बैठो.. ```

```चाय को बनाना पड़ता है ```
```रिश्तों की तरह ```
```चाय बनाने वाला सिर्फ ```
```चाय ही नहीं बनाता ```
```कई रिश्ते भी बनाता है.. ```

```चाय बनने में कुछ समय लगता है ```
```रिश्तों को भी समय चाहिए ```
```रिश्ते बाजार में पैक वस्तु नहीं है ```
```उसे चाय की तरह बनाना पड़ता है.. ```
```चाय में प्यार की अदरक ```
```और श्रद्धा की तुलसी डालो ```
```अपने प्यार की उष्णता से ```
```जितना हो सके उबालो ```
```फ़िर अच्छी तरह छानो ```
```जिससे निकल जाए ```
```बची हुई सारी कड़वाहट.. ```

```और फ़िर पेश करो ```
```चाय को पूरी संजीदगी से ```
```क्योंकि यह सिर्फ चाय नहीं ```
_रिश्तों को जोड़ने का अमृत है.!

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