कोयला या चंदन



दोस्तों

*कोयला या चंदन*
एक चोटीसी कहानी। उत्तम संदेश ।

बहुत पहले की बात है। एक आदमी अपना जीवन सुख से व्यतीत कर रहा था। लेकिन जब वह बूढ़ा हो गया और उसे लगा की उसका अंतिम समय निकट है, तो उसने अपने पुत्र को बुलाया और कहा, "बेटा, मैंने अपना पूरा जीवन दुनिया को शिक्षित करने में लगा दिया। अब, अपने अंतिम क्षणों में मैं तुम्हें एक महत्वपूर्ण बात बताना चाहता हूँ।"

यह सुनकर पुत्र अपने पिता की ओर ध्यान से देखने लगा। तब उसके पिता ने कहा, "जाओ और पहले मेरे पास एक कोयले का टुकड़ा और एक चंदन का टुकड़ा ले कर आओ।"

बेटे को यह बहुत अजीब लगा लेकिन चूँकि यह उसके पिता का आदेश था, इसलिए वह कोयला और चंदन का टुकड़ा लाने के लिए निकल गया।

वह रसोई में गया जहाँ उसे आसानी से कोयले का एक बड़ा टुकड़ा मिल गया। उसने उसे अपने एक हाथ में लिया और पकड़ लिया। फिर वह अपने घर के बगीचे में गया जहाँ एक छोटा चंदन का पेड़ था।

चूँकि उसके एक हाथ में कोयला था, इसलिए उसने दूसरे हाथ से पेड़ से चंदन का एक टुकड़ा तोड़ा। दोनों चीजें लेकर वह अपने पिता के पास वापस चला गया।

पिता ने दोनों चीजों को अपने पुत्र के हाथ में देखकर कहा कि, "दोनों चीजों को नीचे जमीन पर रख दो।" बेटे ने वैसा ही किया जैसा कि उसके पिता ने आदेश दिया और फिर वह हाथ धोने के लिए जाने लगा।

यह देख उसके पिता ने उसे रोका और कहा, "रुको बेटा, मुझे अपने हाथ दिखाओ।"
जब बेटे ने अपने दोनों हाथों को पिता के सामने रखा तो पिता ने एक सवाल पूछा, "क्या तुम एक हाथ में कोयला और दूसरे हाथ में चंदन रखने के बाद अपने दोनों हाथों में कोई अंतर देख पा रहे हो?" 

बेटे ने जवाब दिया, "हाँ, कोयले की वजह से एक हाथ गंदा हो गया लेकिन दूसरा हाथ चंदन की खुशबू फैला रहा है।"
फिर उसके पिता ने उससे पूछा कि, "तुम्हें इस से क्या समझ आया?" लेकिन बेटा अपने पिता की बातों का उत्तर देने में असमर्थ रहा। वह पूरी तरह से हैरान और भ्रमित था।  

तब उसके पिता ने कहा, "बेटा, देखो... इस हाथ से तुमने कोयला उठाया था इस कारण से ये हाथ काला हो गया। कोयला फेंकने के बाद भी कालिख तुम्हारे हाथ में रह गई। हमारे द्वारा किये गए गलत कर्मों का प्रभाव भी ऐसा ही होता है... ये हमेशा के लिये हमारे हृदय और मन पर छाप छोड़ कर चले जाते हैं - नकारात्मक सोच, ईर्ष्या, घृणा, अहंकार, स्वार्थ, क्रोध, अपराधबोध आदि के रूप में। ये छापें हमेशा हमारे विचारों को प्रतिबंधित करती हैं, और हमारा जीवन हमेशा इन छापों के आसपास ही चलता रहता है। हम केवल इन छापों की कठपुतली मात्र बन कर रह जाते हैं।" 

फिर दूसरे हाथ में जिसमें उसके बेटे ने चंदन की लकड़ी का टुकड़ा पकड़ा था, पिता ने उस हाथ की तरफ देख कर कहा, "तुम्हारा यह हाथ अभी भी महक रहा है, इन्हीं हाथों से हमारे द्वारा किया गया हर अच्छा कार्य, चाहे वह छोटे से छोटा भी क्यों न हो इस चंदन की तरह हमारे जीवन को और साथ-साथ हमारे अपनों के जीवन को महका देता है।"
*"धर्म, शास्त्र, गुरु और अंतर्मन चारों मिलकर बुरी चीज के लिए कभी सहमत नहीं होते। सही और गलत कर्म की यही परख है।

Comments

Popular posts from this blog

Dil To Hai Dil”

❤Love your Heart❤

Happy Birthday Dear Osho